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  • 3 months ago

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Transcript
00:00एक लंबए समय पहले रामराजु नामक एक दूद व्यापारी रहता था। वो सूर्योदे से पहले ही उठकर उसके पास मौजुद भैंसों को घांस देता था। और उसके बाद उनको पीने के लिए पानी भी देता था।
00:14रामराजु की पतनी सीता उन पशुओं को नहलाती थी। ऐसे वो दोनों एक दूसरे की सहायता करते थे। उसके बाद वो दोनों भैंसों का दूद निचोड़कर उस सारे दूद को एक बड़ी दूद की डिब्बे में भरते थे। उस दूद को शहर ले जाकर वेचता था र
00:44अगले दिन भी वो दूद निचोड़कर शहर पहुंचता है
00:49लेकिन उस दिन कुछ ही ग्राहक उसके पास दूद खरीदते हैं
00:53ये देख रामराजु बहुत निराश होता है
00:56क्योंकि उसके पास आधा दूद वैसे कब वैसे ही रह गया
01:00और क्योंकि उसको वो दूद बेचना था
01:02वो फैसला करता है कि कम से कम वो पडोसी गाउं जाकर उस दूद को बेचते
01:07रस्ते में थकान के कारण वो उस पडोसी गाउं के पास मौझूद एक पेड़ के नीचे आराम करने लगता है
01:15ठीक वही गदों के साथ आया हनुमया भी आराम कर रहा था
01:19वो रामराज को देख
01:21कौन है आप? किस गाउं से हो? और किस काम के रिया आये हो यहाँ?
01:27ऐसे एक के बाद एक प्रश्ण पूछते ही रहता है
01:31मैं एक दूद का व्यापारी हूँ
01:34मैंने सोचा यहाँ दूद बेचूंगा इसी लिए आया
01:38ठकान के कारण आराम करने के लिए इस पेड के नीचे बैटा हूँ बस
01:43ऐसा क्या? लेकिन इस गाउं में सब के पास पशुए तो है
01:47शायद आपसे दूद कोई नहीं खरीदेगा
01:50अरे रे हाँ क्या? तो आज इस सारा दूद व्यर्ध हो जाएगा क्या?
01:55ऐसे उसके मन में सोचता है रामराज
01:57वैसे वो किसका दूद है? ये दूद तो घने भेंस के है
02:04ओ ऐसा क्या? लेकिन इस सारे आसपास गाउं में सब ही गदों को पालते हैं
02:10इसलिए सब यहाँ गदे का ही दूद पीते हैं ना?
02:14चौक कर रामराज
02:16क्या? गदे का दूद पीते हैं? अरे?
02:20ऐसे क्यों चौक गए? गदे का दूद तुम्हें सस्ता लगता है क्या?
02:24तुम्हें ये पता है गदे के दूद का मूल्य बैस के दूद से कई ज्यादा है
02:30फिर से चौंक जाता है रामराज
02:35क्या शहर में गदे का दूद खरीदते हैं
02:39अरे हाँ वहाँ तो गदे का दूद कोई नहीं बेचता न
02:43इसलिए कुछ लोग तो शहर से यहां आकर दूद खरीद कर जाते हैं
02:48अगर जो ये आदमी कह रहा है वो सच है तो मेरा व्यापत वापस अच्छा हो जाएगा
02:55ये सोचकर ठीक है तुम्हारे पास कितने गदे हैं ऐसे पूछता है
03:02बहुत सारे हैं क्यों?
03:05कुछ नहीं मैंने सोचा अगर कोई दूद देने वाले गदे हैं आपके पास तो मैं दो खरीद लूँ
03:13हरे तरही ना ले गे जाओ
03:16दो नहीं तो चार ले लो
03:19ऐसे रामराजो हनुमया के पास दो दूद देते हुए गदों को खरीद कर घर ले जाता है
03:25गदों को घर लाए हुए पती को देख सीता
03:31ये क्या जी? आप गदों को घर लाए हैं इनके साथ क्या करेंगे आप?
03:38अरे इनी से तो कल से हमारे व्यापार में लाब होगा सीता
03:42आँ गदों से व्यापार में लाब कैसे आएगा जी?
03:46शहर में इनके दूद का बहुत मूल्य है
03:50वो मुझे आज ही पता चला
03:52गदों का दूद कौण भला खरी देगा जी
03:55वैसे इसका दूद कौण पीता है
03:58भैस और गाइ के दूद से कई ज्यादा शक्ति इन गदों के दूद में है
04:02गाई और भैंस के एक लीटर दूद में जितना पोशक शक्ती है गदों के पौने लीटर में उतना होगा
04:09क्या ये सच है अब ये सच हो कि गलत किसको पता कि ही हम लोगों को बोल कर इसको बेचेंगे
04:17ऐसे कहकर रामराच अगले दिन से गदों का दूद में चोड़कर उन्हें शहर ले जाकर गदों का दूद बहुत अच्छा है और पोशक तत्व शक्ती भी बहुत ज्यादा है
04:31ऐसे कहकर कम मातरा के दूद को ज्यादा दा में बेचता था
04:36ऐसे कुछी दिनों में रामराच के व्यापार में लाब आने लगता है
04:41इससे पहले ज्यादा मातरा के भेंस के दूद पेचने पर उसे कम पैसे मिलते थे
04:48लेकिन अब गदों का दूद कम मातरा में होने के बावजूद ज्यादा दा में बिकता था
04:54इसलिए वो आय हुए उन पैसों से और गदों को खरीद कर शहर में गदे के दूद का एक दुकान स्थापित करता है रामराच
05:03कुछी दिनों में उसका व्यापार बहुत अच्छा चलने लगता है
05:07और ऐसे ही रामराच का जायदात भी बढ़ने लगता है
05:10रामराच की बुद्धी देख उसकी पत्नी सीता बहुत खुश होती है
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