00:00कहीं सालों से हम प्रिपेरिंग फुर सिविल सर्विसेज एंड आमने फेस जहां पर मैं बहुत जादा सेल्फ डाउट करूँ अब खुद को
00:06आप खुद को साउंड लेकिन यह होता है कि हम हमारे दमाग में खुद को विक्टिम बना लेते हैं
00:12एंड हमारा पोटेंशल लुस वज़े से मं अचीव नहीं कर पाते हैं पहले से डाउट करना मने जो एनर्जी जानी चाहिए थी प्रिपरेशन ने वो एनर्जी जाएगी अब डाउट मों पूर कास्टिंग की ज़रूरत का है रिजल तो आएगा यह अपने आप आप आएगा
00:42क्या आपके पास वाजिब कारण है मजबूत तर्ख हैं क्योके सी की तारी करने की और अगर हैं तो महनत तो फिर आप करेंगे ही करेंगा उसने फिर इधर उधर की सोचने का वक्त नहीं रहेगा
00:52Sir I've started listening to you very recently and I must say I'm very fond of your videos
01:01They were very eye-opening, they made me rethink my entire life
01:07I have so many questions, I came here with a thought I'm going to ask so many questions but then I picked up this book and I saw the index
01:14and I think most of the answers lie in here and I just want to ask you
01:20I don't want to sound like a victim or anything but it happens that we become a victim in our mind
01:27and our potential is not able to achieve
01:31I'm preparing for several years for civil services and you've also gone through that way
01:38but you cracked it in your first go and I'm facing, I'm in a phase where I'm very self-doubt
01:45so what can you suggest for that?
01:48self-doubt
01:53वड़ी redundant सी चीज़ है ना
01:56हमारा काम है पूरी तैयरी करना, पूरी मेहनत करना
02:01अगर हमने सही गोल चुना है तो उसमें पूरी जान लगा देना
02:06अब जो होगा सो होगा अगर अगर तैयरी नहीं पूरी होगी
02:11तो रिजल्ट वैसे भी ठीक नहीं आएगा और अगर तैयरी अच्छी है तो वो रिजल्ट में दिखाई दे जाएगे
02:18तो पहले से डाउट करना, मने जो एनर्जी जानी चाहिए थी प्रिपरेशन ने वो एनर्जी जाएगी अब डाउट मोगी
02:26पूर्कास्टिंग की जरूरत क्या, रिजल्ट तो आएगा ये अपने आप आएगा ना, तो हम पहले से ही क्या परवाह करें, वो तो एक दिन उसको UPSC खुदी पब्लिश कर देगी रिजल्ट को
02:36तो UPSC को हम पब्लिश करने देते हैं, हम एडवांस पॉर्कास्टिंग क्यों करें उसकी, है ना, हम अभी वो करें जो हम कर सकते हैं, हम क्या कर सकते हैं, कि हम महनत करें, इन महनत पूरी किसी काम में तभी डल पाती है, जब पहले उस काम के लिए कन्विक्शन हो, जब ये �
03:06मजबूत तर्क हैं, QPSC की तयारी करने हैं, और अगर हैं, तो महनत तो फिर आप करेंगे ही करेंगे, उसमें फिर इधर उधर की सोचने का वक्त नहीं रहेगा, उसके बाद अगर, जिसको हम सक्सेस कहते हैं, कि सेलेक्शन हो जाना, वो नहीं भी होता, तो आप जो करना चा
03:36अपने सराउंडिंग में देखती हूं कि कहीं लोग कहीं चीजे प्राक्टिस करते हैं, बट उनको उनको पीछे का रीजन पता भी नहीं होता है, तो मतलब आप अगर ऐसे सराउंडिंग में हो और आपके पस वो तर्क नहीं है देने को, मतलब मैंने आपके कहीं पॉड्का
04:06तो आप कुछ कहना चाहेंगे उसपर?
04:15देखिए यूही कुछ भी न माना जाता है न करा जाता है, अगर हम इंसान हैं, conscious beings हैं, तो consciousness का काम होता है जानना, इधर उधर लड़क लेने का काम तो कोई कथर भी कर लेता है,
04:35ऐसे ही उड़ जाने का काम तो कोई तूटी पती भी कर लेती है, इंसान अगर अपने आपको छेतन बोलता है, तो वो जानेगा ना पहले, आपको किसी बड़े तरक की ज़रूरत ही नहीं है, सामने वाला कुछ कर रहा है, और कहता है कि यही सोज़से कर रहा हूँ, कोई superstitious क
05:05आपको तो यह कहना है कि भाई मुझे नहीं समझ में आया, तो मैं नहीं करूंगी, आपको तरक की जरूरत नहीं है, आपके लिए इतना कहना परयापत है कि I'm a conscious being, जो तभी कुछ करती है जब वो पहले समझ लेती है, तो मैं तो नहीं समझी हूँ, तो मैं ऐसा नहीं करूं
05:35तुम कुछ कर रहे हो, तुम सर पे उल्टी बाल्टी रखके चल रहे हो कि इससे दौलत आजाएगी जिन्दगी में, ठीक है, बाल्टी उल्टी करके सर पे रख लो और चलो इससे दौलत आजाएगी, परमपरा है, मैं तो बाल्टी उल्टी करके नहीं चल रही, तो मैं क्य
06:05तो आप क्यों परवा कर रहे होगे, आपके पास तरक नहीं होते हैं, तरक उनके पास होने चाहिए, जो यह सब कर रहे हैं, फिर उन तरकों का परिक्षन कर जा सकता है, उन तरकों उनको फिर तरह तरह के लिटमस टेस्ट से गुजारा जा सकता है, कि आपका जो आर्गूमें�
06:35तो मुझे convince करो और तुम जो convince करो कि फिर हम उसका test करेंगे तुम ने जो आर्गूमेंट दिया
06:41rebel मानिया जाता है न सर आपने परंपरा का नाम दे दिया जाता है हमारे बड़े बुड़े कर रहे हैं इतने
06:47तो गलत तो नहीं होगा नहीं यह तरक नहीं है बड़े बुड़े तो अगर जो कर रहे थे वही सही था तो हम आज भी वही कर रहे हो तो जो बड़े बुड़े टी-शर्ट नहीं पहांते थे बड़े बुड़े तो फोन भी नहीं यूज करते थे बड़े बुड़ों के पास
07:17और वो जादातार खेती करते थे, तो अगर हमें वही सब कुछ करना है जो वो करते थे, तो हम खेती क्यों नहीं कर रहा है, हम software engineer क्यों बन रहा है, अगर में वही करना है जो वो कर रहे थे, तो आज माँ पास इतना पैसा क्यों है, पहले तो इतना पैसा नहीं होता था, तो अ
07:47अगर आप वही करना चाहते हो जो बिल्कोर बड़े बुढे
07:51करते थे तो सबसे बड़े बुढे तो बंद्र है बड़े
07:56बुढों के भी बड़े बुढों के भी जबहरे बुढों के भी पुर्खे
07:58कौन है बंद्र है तो फ्र वही करो जो वह करते थे हम
08:02conscious beings and we are on a progressive journey of evolution हमारी चेतना भी एक एक कुथान की आत्रा पर है आरोहन की आत्रा पर चड़ रही है असेंड कर रही है तो इसका मतलब है कि हमें अतीद से बहतर होना है लगातार हाँ ऐसा होता है कई बार कि अतीद से आदमी गिर जाता है लेकिन कुल मिला करके जब आप bigger picture दे�
08:32है वो positive ही है माने कि हम ज्यान के अर्थ में आर्थे किस्थितियों में तक्नीकी तल पर हम पहले से बहतर ही होते जा रहे हैं तो यह कहना कि हमें वैसे ही होना जैसा अतीद था यह तो अपने साथ बड़ी नाइंसाफी हो गई ना फिर खाओ भी वही सब जो अतीद में खाये
09:02आप पता नहीं कैसी कैसी बातों भी यकीन करते थे आप फिर उनी बातों पर आज भी यकीन करो है ना तो यह कोई आर्गुमेंट नहीं है कि अतीद में ऐसा होता था तो आज भी ऐसा होगा
09:13with all due respect to our ancestors it is the nature of consciousness to evolve हम पैदा ही इसी लिए होते हैं कि हम और बहतर बने अब मैं उसी में एक और आर्गुमेंट देता हो
09:29child is the father of man यह आपना सुना होगा तो एक तरह से आपका ancestor तो वो भी हो गया ना जो आप ही 20 साल पहले थी
09:37तो 20 साल पहले तो आप बच्ची रहे होंगी पात साल की तो वो पात साल की बच्ची जो कछ करती थी आपको भी करना चाहिए पर आप नहीं करोगे क्यों क्यों क्योंकि आप evolve कर रहे हो आप भाुन आप की कर रहे हो ना आप एक आरों Accention की आत्रा परो माने अतीत से हमें ह
Be the first to comment