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  • 5 days ago

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00:00प्रदूशन कहा रहा है, जिसमें ऐसा मैं क्या बताऊंगा जो आपको पहले ही नहीं पता है, आप भली भाती जानते हैं कि प्रदूशन कहां से आ रहा है, कोई वो किसी छुपे हुए जो आला मुखी से तो निकल नहीं रहा है, कि किसी पहाड से बहुत सारा धुआ आ रहा है
00:30सब जानते हैं कहां से आ रहा है भाई
00:32तुमारी गाड़ियों के धुएं से आ रहा है तुमारी फैक्टरियों के धुएं से आ रहा है
00:39पंजाब हरियाना में जो तुम उससे आ रहा है
00:46अब इसमें क्या नहीं पता ये सब जानते हुए भी हम वही काम करते हैं
00:57जिनसे धुआ और गैसे आ रही है
00:59तो फिर सवाल यह नहीं होना चाहिए
01:02कि प्रदूशन का क्या करें
01:03सवाल यह होना चाहिए आचारजी हम अपना क्या करें
01:06प्रदूशन का क्या करना है
01:12तुम जब तक हो तुम प्रदूशन करोगे
01:14क्योंकि तुम जैसे हो
01:15तुम प्रदूशन नहीं करोगे तो क्या करोगे
01:17तुम्हें भली भात ही पता है कि तो जो हम कर रहे हो उसका अंजाम क्या है
01:24फिर भी तुम्हें वही करना है तो कोई क्या कहे
01:26बलकि मजाग बनाते हो
01:30जो प्रदूशन बहुत बढ़ जाता है
01:33तो उस पर कार्टून निकलने लगते हैं
01:35चुटकुले निकलने लगते हैं
01:37इसका तो यही है कि जब चोट और पड़ेगी
01:45सड़कों पर लाशे ही गिरने लगेंगी
01:47तो उचेत होगे
01:49हमारे लिए असल में
01:54साफ हवा का कोई मूले नहीं है
01:56या कुछ मूले है भी
01:58तो बाकी चीजों से बहुत कम मूले है
01:59तो जिस चीज का हमारे लिए मूले है
02:05हम उसके पीछे भाग लेते है
02:08जब हवा इतनी खराब हो जाएगी
02:14कि हमें बैठे बैठे गिरा के मारना शुरू कर देगी
02:19जो की हो रहा है
02:20हर दिन हर महीने हो रहा है
02:23अगले साल और ज्यादा होगा
02:25कि लोग कुर्सियों पर बैठे बात कर रहे हैं और गिर पड़े
02:28ऐसे मर रहे हैं
02:31तब हम शायद चेतेंगे कुछ करेंगे
02:34बात समझ रहे हैं हम
02:39अभी तो हमको दूसरी चीजें ज्यादा मुल्यवान लगती है
02:44तो हारों का मौसम है
02:46चलो धुआ छोड़ो
02:48खुशियां घर लेके आओ
02:54ले आओ खुशियां घर
02:57खुशियां घर लेकर आए और तभी छाती पकड़ी है
03:01और कुछ दर्दसा हो रहा है छाती में
03:03और गिरे और फिर उठे नहीं
03:05चाट लो खुशियां
03:08ओए खुशियां
03:13जिस दिन समझ में आएगा कि
03:19साफ हवा
03:21इन खुशियों से ज्यादा कीमत की है
03:23उस दिन खुशियां थोड़ा किनारे रखोगे
03:26और साफ हवा
03:28की और ध्यान दे लोगे
03:30अभी तो यही है
03:31कि अगर हवा गंदी करने से
03:36खुशी मिलती है
03:37तो क्यों न करें
03:41हमें खुशी होने
03:43मनाने का हक नहीं है क्या
03:45और तुम
03:47मुझसे कह रहे हो कि मैं हवा गंदी करता हूँ
03:49पहले मेरे पड़ोसी को रोको हवा गंदी करने से
03:52मुझे कता ही पसंद नहीं है
03:54कि सिर्फ मेरी खुशियां
03:57रोकी जाए
03:58क्योंकि मेरी खुशियां रोक रहे हो
04:02और ये बगल वाले के नहीं रोक रहे
04:04ये तो मेरे लिए
04:06डबल दुख की बात है
04:07पहले तो मेरी खुशियां गई
04:09एक दुखिये
04:10और दूसरा दुखिये कि
04:12बगल वाले खुशियां नहीं गई
04:15ये नहीं चलेगा भी
04:16सबको बराबरी का दुखिय करो
04:19नहीं तो अगर मेरे बगल वाला
04:26दो किलो धुआ उगलेगा
04:32तो मैं चार किलो गुलूँगा
04:34तो धुए का मतलब ही है
04:36खुशियां
04:39यह रिष्टा कुछ समझ में आ रहा है ना हमारा जो कुछ खुशियां देता है हमको देखिये कि उसका प्रदूशन से तालुक है या नहीं आप रह जाएंगे
04:52आप आएंगे अधिकान्शिता हमें जो कुछ खुश करता है वो प्रत्वी को और प्रक्रति को और हावा को
05:04खत्म भी करता है जैसे हमारी हर खुशी आती ही है धर्ती की छाती में एक और खंजर घोप करके
05:18ये रिष्टा है हमारी खुशियों में प्रत्वी प्रक्रति और पर्यावरण में जितनी खुशियां बढ़ती है उतना ज्यादा प्रत्वी बरबाद होती है उतना प्रक्रति उतने पर्यावरण
05:33आप कहेंगे इसका मतलब यह है कि खुशियां छोड़ते दुखी हो जाएं
05:37नहीं इसका मतलब यह है कि खुशियां जूटी है
05:39अगर यह खुशियां सच्ची होती
05:42तो इनसे प्रत्वी को, प्रकृति को
05:45पशुओं को, पर्यावरण को
05:48इतना नुकसान नहीं हो सकता था
05:50यह खुशियां जूटी है
05:52और अगर खुशियां जूटी है
05:56तो क्या इनने खुशियां कह सकते
05:57फिर तो खुशियां भी नहीं है
05:59तो हम हर तरफ से मारे गए
06:01खुशिय की खातिर क्या-क्या बर्बाद किया
06:04प्रत्वी, प्रक्रती, पर्यावरण
06:07सब
06:07और फिर पता चला कि
06:10जिस खुशी की खातिर ये सब बरबाद किया
06:13वो खुशी खोक ली
06:14हर तरफ से मारे गए न
06:16खुशी अगर
06:23सच्ची होती तो उससे सब को
06:25फायदा होता, ये पहचान
06:27है असली खुशी की
06:28जूटी खुशी आत्मकेंद्रित होती है
06:32सच्ची खुशी
06:33फैलती है, बठती है, सबका
06:36कल्यान करती है
06:37सच्ची खुशी ये नहीं हो सकती
06:39कि आप त्योहार मना रहे हो
06:42और आपके बम धमाकों
06:44से चिडिया और कुट्टे मरे जा रहे है
06:46सची खुशी ये नहीं हो सकती
06:52कि आप त्योहार मना रहे है
06:54और आपका त्योहार है ही यही
06:55कि आज करोडों जानवरों की
06:58कुर्बानी देनी है
06:59इस त्योहार से अगर आपको
07:01खुशी मिल रही है तो बहुत जूटी और
07:03खोखली खुशी है वो
07:04बात समझ में आ रही है
07:15कि जैसे कोई मुहले में
07:24बत्तमीजों का घर हो
07:26और वो आधी रात के बाद पार्टी करें
07:29धूम धमाके से
07:32जोरों से अश्रील संगीत लगा करके
07:35क्या मना रहे है वो
07:36खुशिया
07:37और पूरा महला
07:41अपना माथा पीट रहा है
07:45कि ये क्या हो रहा है
07:46ऐसी तो हमारी खुशिया है
07:48ये जिस महले की बात में कर रहा हूं
07:51उसका नाम है प्रत्थ्वी
07:52जब हम खुशी मनाते हैं तो पूरी प्रत्वी रोती है
07:55जिस दिन तुम खुश हो उस दिन समझ लो
07:58पूरी धर्ती रो रही है
08:00धर्ती न रोए तो हम कुश होई नहीं पाते
08:04त्योहार आते हैं हमारे उस दिन
08:07हमारे त्योहारों से ज़्यादा प्रथ्वी कभी रोती ही नहीं
08:10शादी बेहा आते हैं हमारे
08:12न जाने कितने रोते हैं
08:16जिस दिन हमारी खुशियां उठती है
08:18तो धूआ क्या है
08:28थोड़ा दा पी लो
08:30इतनी चीज़ें पीते हैं धूआ ही पी लो
08:34खुशियों के लिए छोटी सी कीमत तो अधा कर रहे हैं क्या
08:42धूआ क्या फर्क पड़ता है
08:46कि जो ट्रक आते हैं
08:50कभी किसी ट्रक के पीछे
08:54कार या बाइक चलाना
08:56और सूंगना
08:58कि वो क्या कर रहा है
09:00वो धूआ
09:04ट्रक क्यों छोड़ता हुआ आगे बन रहा है ट्रक में क्या रखा हुआ है
09:08खुशियां
09:12वो माल किसके लिए जा रहा है
09:15देवताओं के लिए
09:17तुम ही तो भोगोगे उस माल को
09:20तुम देख नहीं रहो
09:22दिल्ली के पर्यावरण
09:27के हरास का
09:30बहुत बड़ा कारण ये ट्रक भी है
09:32कि माल ले लेकर के आते हैं
09:39और उनमें से बहुत सारे तो ऐसे हैं
09:42जो अपना माल दिल्ली में उतारते भी नहीं
09:43बस दिल्ली से होके गुजरते हैं
09:44और दिल्ली को बिल्कुल रौंदते हुए निकल जाते हैं
09:48पर उनमें माल क्या भरा हुआ है
09:52वही सा माल जो तुम्हें खुश करता है
09:54एक के बाद एक ट्रक की कतार है
09:58कभी देखो
10:00रिंग रोड रात के बारा बजे के बाद
10:03वो ट्रक नहीं है
10:06जो कतार है न किलोमीटरों लंबी
10:10वो ट्रकों की कतार नहीं है
10:12वो खुशियों की बारात है
10:15वो सब बराती है
10:17अब अगर वो
10:19थोड़ा बहुत धुणा छोड़ रहे हवा में
10:23तो बुरा क्या हो गया
10:25अरे सुंगलो
10:27खुशिया मुफ थोड़ी मिलती है
10:42हमारी हर खुशी का मतलब है
10:44भोग, कंजम्शन
10:46और कंजम्शन बिना धुएं के
10:48हो नहीं सकता
10:49कंजम्शन के लिए
10:56क्या चाहिए? प्रोड़क्शन
11:08तो पहली बात तो हमें भोगना है
11:10दूसरी बात
11:12हमारे भोगने में ये भी शामिल है कि
11:14हमारे पास बच्चे होने चाहिए
11:15हम बच्चों को भी भोगेंगे
11:16और एक जो आप बच्चा पैदा करते हुँ एक तो होता नहीं क्योंकि अब उसके पीछे
11:22उसके खांदान की पूरी शंखला चलेगी
11:25आप तो यही कहते हैं मैंने एक ही तो बच्चा पैदा किया आपने कितने पैदा करें हैं
11:29अरे पढ़े लिखे हो लगाओ geometric progression एक बच्चा कितने लेके आया है वह एक नहीं तुमने पैदा किया कितने पैदा कर दी है
11:40अब पहली बात तो हमें भोगना है और दूसरी बात हमें सिर्फ चीजों को नहीं भोगना है
11:50हमें जिस्मों को भी भोगना है तो उससे क्या पैदा होते हैं बच्चे और जो बच्चे पैदा होते हैं अब इने भी भोगना है
11:58तो यह तो गजब भोग हो गया भोग रेस टु दी पावर ऑफ भोग
12:02बी टु बी
12:20धुआ क्या है दिल में आग लगी हो तो हवा में धुआ नहीं फैलेगा हम तो जलते हुए लोग हैं कता ही वो जो आग लगी रहती है भीतर वही तो इंजन है हमारा
12:34जब तक सीना जल ना राओ तब तक हम हिलते कहा हैं कुछ करते कहा हैं
12:40अब धुआ धुआ है चारो तरफ तो
12:45एतराज क्यों करते हो भाई
12:48खुशिया
13:10अब खुआ है चारो तो
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