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  • 5 days ago

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00:00ये जो पाशानवत खड़े रहते हैं ना सक्त बन करके ये ज्यादा तर बहुत डरपोक बहुत कायर लोग है तूटकर बिखरने के लिए साहस चाहिए कायरों का काम नहीं है ये आपने ऐसे लोग देखे हैं जो चोरी कर रहे थे मानली जो पकड़े गए तो चिला करके कहेंग
00:30हर तरह से तुमको सलाह दी जा रही है बार बार तुम्हें प्रदर्शित किया जा रहा है कि तुम यहां भी ठीक नहीं हो तुम वहां भी ठीक नहीं हो पर तुम ऐसे खड़े हो चाती तान करके बिलकुल पहलवान बनकर हम तो कोई हैं हम पर कोई फर्क नहीं पड़ता हम प
01:00सर पीच में आपने एक लाइन बोली थी कि एक ही चीज का महत्व है अगर जुन्नु ये जान ले कि वो जुन्नु है
01:09सर उसी टाइम पर प्रश्न आया उसी को मैंने रखा है
01:12तो अगर जुन्नु की पात्रता नहीं है किसी को सिद्ध या असिद्ध करने की
01:17तो अगर वो खुद को भी जुन्नु मान रहा है तो वो कैसे सिद्ध हो की वो जुन्नु है
01:23तुम्हें नहीं सिद्ध करना है जीवन सिद्ध कर रहा है
01:27तुम्हें सिद्ध करना नहीं है सिद्ध हुई चीज को स्वीकारना है
01:35आप क्या सिद्ध करोगे जिन्धी सिद्ध कर रही है आप जुन्नू आप तो यह सिद्ध करने में लगे हुए होगे आप जुन्नू नहीं हो
01:42आपकी तो पूरी कोशिश यह है कि किसी तरह सावित हो जाए कि मैं जुन्नू नहीं हूँ, यही है न?
01:48सर, मेरा थोड़ा सा डिफरेंट था कि मैं अगर खुद को जुन्नू मान रहा हूं तो क्या पता उसमें भी मेरा स्वार्त हो, for example, मेरे जो अवलोकन होते हैं, मैं उसमें बहुत जादा सेल्फ क्रिटिकल हूँ, मतलब मैं हमेशा आलतु भालतु चीज़ें ही देखता रहता ह�
02:18मेरा कोई स्वार्त है शायद सु में ऐसा लगता है करी मरे स्वार्त मत झाली भालती है कि मैं जुन्नू हूँ मैं इस इसा करता हूँ वह वात आपको अगर दस लिखनी पड़ रही है तो इसका मतलब वह बात लिखने के बस मजे ले रहे हैं
02:44लिख दिया बड़ा अच्छा करा, लिखने में बुराई नहीं है, लिखना तो अच्छा है, साहस का काम है, मांदारी का काम है लिखा, दूसरी बार भी लिखा कोई बात नहीं, तीसरी बार भी लिखा कोई बात नहीं, चलो पाचवी बार भी लिखा कोई बात नहीं, कुछ च
03:14पर पांच महीने के बाद भी आप अभी छठी बार छठे महीने में भी लिखने को आतर हो तो इसका मतलब मज़े आ रहे हैं लिखने में और कुछ नहीं
03:24इसका मतलब यह भी है कि पता भी नहीं चलाएगी जुन्लू है पता तो देखिए चोट के साथ चलता है
03:39पता कभी बस ऐसे ही नहीं चल जाता है पता तो दर्द के साथ चलता है
03:50पता लगने से बदलाव भी इसी लिए आता है क्योंकि पता लगने के साथ दर्द होता है
03:59दर्द कोई बार बार पाना नहीं चाहता इसलिए बदलाव आ जाता है
04:04तो पता लगना उसमें अगर
04:08दर्द शामिल है तो बदलाव आएगा
04:10पर पता लगने में अगर मजा शामिल है
04:13तो कोई बदलाव नहीं आएगा
04:15कुछ अगर पता लग रहा है तो
04:20हस्ती हिलने भी तो चाहिए
04:25कापनी भी तो चाहिए
04:26आपने ऐसे लोग देखे हैं जो चोरी कर रहे थे मानली जो पकड़े गए
04:35तो चिला करके कहेंगे बिलकुल छाती ठोक करके हाँ मैं हूँ चोर हाँ मैं करता हूँ
04:46अब आसपास वारे सकपका जाते हैं क्योंकि उन्होंने माना होता है कि अगर किसी की चोरी पकड़ी गई है तो वो कम से कम लजज़ित होगा दुनिया के सामने उसकी इज़द गिरी है
04:59कोई लज्जित ना हो सीधे कहते हाँ मैं हूँ चोर हमें हूँ चोर
05:05यह अगर कोई कह रहा है तो इसका मतलब यह है कि वो मानता ही नहीं यह चोर है
05:12चोरी स्वीकार करने के साथ अगर दर्द नहीं उठा है तो फिर चोरी चलती रहेगी
05:18आप आ करके community पर लिखें मैं चोर हूँ मैं मकार हूँ मैं आलसी हूँ मैं ऐसा हूँ
05:28मैं वैसा हूँ उसके साथ में पीड़ा उठती है कि नहीं उठती है या बॉटन दपता है
05:35send, save
05:38दर्द भी तो उठना चाहिए न
05:42वोई जो दर्द है वो बदलाव ले आ देता है
05:46और दर्द उठने ही नहीं चाहिए
05:49दर्द टिकना चाहिए
05:51दर्द टिकना चाहिए
05:55जो लिखा है वो सजा की तरह होना चाहिए
06:00जो था मैं जाकर के वहाँ पर कुबूल कराया हूँ
06:07और कुछ ऐसा कुबूला है
06:13जो कुबूलने की नौबत आनी नहीं चाहिए थी
06:16दर्द है
06:18क्या हो सकता था क्या हो गया हूँ
06:23क्या स्विकार करना पड़ रहा है
06:30सारजनी को रूप से क्या कुबूलना पड़ रहा है
06:32लेकिन कुबूलेंगे क्योंकि इमानदारी का तकाजा है
06:36कि अगर कुछ गलती करिये तो स्विकार करो
06:40तो स्विकार तो करेंगे
06:41लेकिन दर्द भी उठेगा क्योंकि ये नौबत आनी नहीं चाहिए थी
06:46हम ऐसा होने को थोड़ी पैदा हुए है
06:50जाते हमारी आत्मा गोतर हमारा ब्रहम
06:56हम वो हैं
06:57और आज जाकर के देखो क्या लिखना पड़ता है
07:01अरे
07:02मैं तो सत्र के बीच में सो गई
07:06मैंने तो गर्मा गर्म चाय रखी थी बगल में
07:11कि मैं पीऊंगी तो जगऊंगी मैंने चाय में ही मूँ दे दिया
07:13ब्लैक टी थी तो नाग भी ब्लैक हो गई है
07:27ये नौबत आनी नहीं चाहिए थी
07:36है पर आ गई है तो लिखो चुपाओ नहीं कि स्विकारो और दर्द के साथ स्विकारो
07:50कि आप चो अवलोकन लिखते हैं न वह
07:58कि प्रमाद ना बने प्राइश्चित बने खुद को अनुमति देनी
08:06चाहिए तूटने की हैं तो हम सब मनुष्य की प्रजाते न जिन्दगी जब
08:18दंड देती है कर्मफल तो मिलता चलता है तत्काल मिलता चलता है भवश्य की भी बात नहीं है
08:26इसने चोरी करी वो सीक्षन चोर हो गया
08:31बाद में उसको सजा मिले ना मिले क्या भरोसा है
08:34कर्मफल बाद में नहीं मिलता कर्मफल तो तत्काल मिल गया
08:37चोरी करते ही चोर हो गया
08:40बलकि कर्म करने से पहले कर्मफल मिल गया
08:43पहले चोर हुआ इसलिए उसने फिर चोरी करी
08:46तो ये सजा है बड़ी सजा है
08:50मैं चोरी कर ली दो-चार रुपए जो भी क्वाली होंगे
08:53पर चोर बन गए भीतर
08:55बड़ी सजा है
08:56खुद को तूठने दो
09:00खुद को तूठने दो
09:03इतनी जोर का थपड मारा है जिन्दगी ने
09:06चार रुपए के लिए तुम चोर बन गए
09:09थपड को इजाज़त दोगी तुम्हें तोड़ दे
09:12तूट कर बिखरना
09:19यह बड़ा साहस मांगता है
09:23आपको क्या लगता है कि साहस
09:26बस खुद को बचाई रखने में
09:31नहीं यह जो खुद है
09:35यह जो मैं है
09:39यह जूट ही जूट जैसा हो
09:42कुछ साहस इसमें नहीं है कि इसको बचागर रखो
09:47साहस है तूट कर बिखरने दो
09:51आरी वाद समुझ में
09:55यह होते हैं न कई लोग
10:00जो भीतर से बिल्कुल पत्थर की तरह होते हैं
10:03आपने सुना होगा सत्य आकाश जैसा होता है कभी सुना कि सत्य चट्टान जैसा होता है कभी सुना
10:14अंकार होता है चट्टान जैसा हाँ चट्टान की खासियत है कि तूटती नहीं असानी से पर आकाश तो पैट्टनाई से भी नहीं तूट सकता है
10:31चट्टान इसलिए नहीं तूटती क्योंकि वो प्रवल विरोध करती है आकाश इसलिए नहीं तूटता क्योंकि बिलकुल विरोध नहीं करता है
10:39तुम बड़े से बड़ा हथाड़ा घुमालो आकाश में आकाश विरोध करता है क्या है नहीं तूटता इसलिए
10:45चक्टान भी बहुत समय तक नहीं तूटती है
10:50तुम हथाड़ा हो जारा मानो
10:51पर
10:52तूट जाती है बाद में
10:55उतको जल्दी तूटने दो
10:58जो भीतर से
11:01चक्टान हुए बैठे हो ना
11:07बिखर जाओ
11:15आत्मा
11:18सत्य
11:19आकाशवत है
11:23पाशाणवत नहीं है
11:33आस्मान होना है पाशान नहीं होना है
11:40जिन्दगी आप
11:43को घाव पे घाव दे रही हो पर आप तने
11:45खड़े हो बड़े अभागे हैं आप
11:50जिन्दगी अपनी और से करुणा दिखा रही है वो समझा रही है कि तुम
11:57बहुत गलत जी रही हो
12:03हर तरह से तुमको सलाह दी जा रही है
12:07बार बार तुम्हें प्रदर्शित किया जा रहा है कि तुम यहां भी ठीक नहीं हो तुम वहां भी ठीक नहीं हो
12:12पर तुम ऐसे खड़े हो च्छाती तान करके बिलकुल पहलवान बनकर
12:16हम थो में हम पर कोई पर्क नहीं पड़ता हम पर कोई फरक नहीं परता
12:25बहूत अबागे
12:26हो
12:34नशे में हो भयानक जिंदगी
12:38गण्टे दे रही है पर्थर दे रही है ठोकरें दे रही है
12:46गिया और फिर खड़े हो जाते हो ऐसे ज़ाडते हो जैसे कुछ हुए ही नहों
12:59पिर चल पड़ते हो यह गोतना चिल गया
13:08भिलकुल नहीं पड़ा
13:09यह ताकत नहीं है
13:14ये जड़ता है ये प्राण हीनता है ये सम्वेदन शुन्निता है
13:26ये ताकत नहीं है कि जिन्दगी ने तुम्हारे नशे को प्रदर्शित करने के लिए
13:37तुम्हें गढ़्धे में गिराया
13:42तुम्हें ठोकर लगाई और गिरे तुम लड़ खड़ा कर बिलकुल अंधे मूँ
13:54और फिर खड़े ऐसे हो गए जैसे अरे मर्द को दर्द नहीं होता और हम तो पहलवान हैं हमें कोई चोट नहीं लगी
14:03तुम लाक साबित कर लो सारे सबूत साक्ष प्रमान तरक सब दे के दिखा लो कि हम बिलकुल जुन्नू लाल हैं लेकिन फिर भी हम ऐसे अड़े रहेंगे जैसे
14:12हमें कोई फर्क नहीं पड़ता हम कह रहे हैं तूट कर बिखरने के लिए साहस चाहिए कायरों का काम नहीं है ये
14:32ये जो पाशानवत खड़े रहते हैं ना सक्त बन करके ये ज्यादातर बहुत डर्पोक बहुत कायर लोग हैं
14:42और हम इसको अपनी उपलब्धी की तरह गिनाते हैं अजी साहब हमने बड़े बड़े दर्ज झेले हमने बड़ी तकलीफे झेली हैं
15:01और जैसे ही तुम ये सुनते हो प्रभावित भी हो जाते हो
15:04किसकी रक्षा में तुमने तकलीफें झेली हैं तकलीफें तो तुमने झेली हैं पर किसकी
15:13इसोपी बात यए कि हा कि रक्ष्षा करने के लिए कि तुम ने त्हने भी झेलने को तयार हो जाते हो
15:23네 जब वास ठाक नित्वें को बचाने की हो तो पीड़ा बिलकुल मज्येलोग जैसे पीड़ा उठें तूटने झायर को तुझे
15:30दो कोड़ी की चीज हैंकार
15:31तुझे बचाने के लिए हम दर्द क्यों जेले
15:33तूटने दो
15:39पर बड़ा अच्छा लगता है न
15:42हम नहीं बदले
15:44बड़े बड़े आए हमें सिखाने की कोशिश करने वाले
15:49पर हमने कुछ नहीं सीखा
15:52हम बिलकुल नहीं बदले
15:53हम तो बिलकुल सक्त बनके
15:54तन के खड़े रहे
15:56बहारे भागे
16:02सुनो क्या बोल रहा है
16:08बड़े बड़े आए हमको सिखाने वाले
16:10हर तरीके से नहीं हमें सिखाया
16:13सामदाम दंड भेद
16:15चोटे भी उन्हें में बहुत दी
16:17दंड
16:18पर हम पे कोई फर्क नहीं पड़ा हमने
16:21और फिर अपनी बात को
16:27धार में कौट हराने के लिए बोल तो बाल नबाका कर सके
16:32जो जगबैरी होए
16:33किसका बाल नबाका कर सके देखा छुपी रगी नबात
16:38किसका आंकार का बाल नबाका कर सके
16:40तुम उसको बचाने के लिए इतना जूज रहे हो
16:45कि स्वयम सत्य भी तुम्हारे सामने खड़ा हो जाए तुम्हें समझाने को
16:52तुम उसकी भी न सुनो
16:53और इसको तुम ताकत का सबूत मानते हो
16:59यह तुम्हारी कमजोरी का सबूत है
17:10और जब कमजोरी में धूर्तता मिल जाती है
17:18तो ऐसे होता है कि सत्य सामने खड़ा है
17:20और कह रहा है देखो तुम यहां गलत हो तुम यहां गलत हो
17:24और कहिए हाँ जी आपकी बात मान ली हम यहां गलत है
17:28यहां गलत है यहां गलत है कहिए
17:29community पर अवलोकन लिखना है वो भी लिखे देते हैं
17:32देखिए मैं यहाँ गलत हूँ यहाँ गलत हूँ
17:34मान लिया आपकी बात
17:36अब आप दफा हो जाएं मान तो लिया आपकी बात
17:38और लिख भी दिया वहाँ पर चलिए दफा हो जाईए
17:41श्रीमान सत्य दफा हो जाईए
17:45आपने हमारे दोश गिनाए
17:46हमने सारे दोश मान लिए
17:48और देखिए हम जाकर के कुबूल भी आएं
17:50कम्यूनिटी पर लिखाएं वहाँ पर
17:51कि यह हमारे दोश हैं
17:53चलिए आप दफा हो जाईए और हमें सोने दीजे चैन से
17:55यह है
18:11अपमान नहीं हो जाएगा
18:13भीतर कुछ है जो कबसे तूटना चाहता है
18:19उसे मिटना है
18:21वो विदाई की रहा देख रहा है
18:23आप उसे क्यों पकड़कर बैठे हो जाने दो ना
18:33अगली बार जब जिन्दगी
18:36चोट दे
18:39तो बिखर लीजिएगा
18:41अगली बार जब जिन्दगी दर्द दे
18:47तो बिलख लीजिएगा
18:50क्यों सुपरमैन बनना है
18:59सत्य तो तूटता नहीं न
19:01जो भीतर तूट रहा हूँ है हंकार ही होगा
19:04तूटने दीजिए
19:06जोगाई वन्हें ।
19:09स्घृटता नहीं जोगाई प्राइगा
19:10यहिए बार जोगाई रहा हूँ है
19:17रहा हुआई जोगा
19:20प्राई आख जोगाई बार जोगा ऊता है
19:21जोगाई जोगाई
19:23झाल झाल
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