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  • 3 days ago

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00:00जो लड़कियों से जितनी ज्यादा दूरी बनाए या बनाने को कहे वो उतना ज्यादा वासना का शिकार आदमी है
00:07पिछले दस बर्सों से मैं देश के अलग-अलग छेत्रों में यात्रा कर रहा हूँ
00:11जिसमें मैं महवारी स्वचता प्रोग्राम को लेके काम करता हूँ
00:14मेंस्ट्रेशन हाइजीन को लेके
00:16यह जो सामाजी के कलंख है मेंस्ट्रेशन हाइजीन पर बाचित करना
00:19यह केवल गाओं या कुछ पिछड़े इलाकों तक ही सिमित है
00:22कुछ solution है इसका क्या हम इस सामाजिक कलंक से दूर जा पाएंगे
00:27Menstrual Cycle इतना बड़ा मुद्दा क्यों है
00:31क्योंकि उस सेक्स संबंधित है
00:33और लोक धर्म में सेक्स की बात करते ही सब के पसीने चूट जाते है
00:36तो इसलिए फिर तुमने सौ तरह की वर्जनाई रखी
00:39कि अभी अगर साइकल चल रहा है तो किचन में नहीं जाओगी
00:42अचार नहीं चूओगी
00:43मंदिर में भी नहीं जाओगी
00:45infections होते हैं
00:47क्योंकि इस बात को लेकर के awareness नहीं है
00:49उस infections से नहीं कितनी महिलाएं
00:51बीमार पढ़ती हैं, मरती भी हैं
00:5250% हैं दुनिया की अबादी की महिलाएं
00:55और उनके शरीर की
00:56एक महत्वपूर्ण ये क्रिया होती है
00:59तुम इसकी बात क्यों नहीं करना चाहते हो
01:00तुम पहले ये बताओ, तुम पागल हो क्या
01:02अगर हम सचमुझ धार्मिक होते हैं
01:04तो सेक्स से हारे नहीं होते
01:05पर हम हारे हुए लोग हैं
01:07और अपनी उस हार को छुपाने के लिए
01:09अम ब्रहमचर वगएरा की बात करते हैं
01:10आपको इतना क्या डर लगता है
01:12लड़की की देंसे की पूरा ढखे दे रहे हो उसको
01:15ने आज से 20 साल पहले
01:17cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha cha
01:47लग लग छेत्रों में यात्रा कर रहा हूं, जिसमें मैं महावारी स्वचता प्रोग्राम को लेके काम करता हूं,
01:52मैंस्ट्रेशन हाइजीन को लेके, जिसमें मैं अवेरनेस केम्पेन करता हूं,
01:56एक low cost sanity napkin making machine हमने बनाई है उसका installation करते हैं ट्रैनिंग करते हैं शुरूआत में जब मैं काम करता था तो मुझे ये महसूस होता था कि ये जो social एक taboo है ये जो सामाजी के कलंग है menstruation hygiene पर बाचित करना ये केवल गाओं या कुछ पिछड़े इलाकों तक ही सिमित है जब मैं शह
02:26हर जगे वही सिती है लगबग इस पर बाचित नहीं होती है तो मैं पूछना चाहरा था कि क्या आपकी philosophy के इसाफ से अपनी education system के इसाफ से कुछ solution है इसका क्या हम इस सामाजिक कलंग से दूर जा पाएंगे जो कि सदियों से चला आ रहा है और कितने वर्ष लगबग लगें
02:56थैंक यू
03:26हम menstruation को लेकर के uncomfortable रहते हैं उसका कारण यह नहीं है कि हमें अजीब लगता है असंगत लगता है कि यह menstruation क्या चीज होती है
03:46उसका कारण थोड़ा उससे आगे का है एक कदम हम sex को लेकर ही अभी तक सहज नहीं हो पाएंगे
03:56हमारी असहजता, menstruation, मासिक चक्र से नहीं है उतनी, हमारी असहजता सीधे सीधे sex से है
04:11और उसके पीछे बड़ा गहरा कारण है जो अगर हम समझेंगे तो जीवन को ही समगरता से समझने में मदद मिलेगी
04:22देखिए इंसान है तो जंगल से निकला हुआ जानवर ही और जानवरों की सारी प्रक्रती उसमें बैठी हुई है
04:34बस जानवरों के पास जो कुछ है उससे थोड़ा अतिरिक्त है मनुष्य के पास
04:41लेकिन मनुष्य
04:43वो सब भी लेकर चल रहा है जो जानवरों के पास है
04:49थोड़ा सा अतिरिक्त क्या है हमारे पास चेतना हम सोच समझ सकते हैं
04:54हम स्वयम को देख सकते हैं, अपनी हालत का अवलोकन कर सकते हैं, जो कि पशु नहीं कर सकते हैं
05:01पशुओं के पास बस वृत्तियां होती हैं, वृत्य जनित कामनाएं होती हैं, मनुष्य के पास चेतना भी होती है, इतना ही सांतर है
05:09तो मनुष्य वो है जो खुद को देख पाए
05:15मनुष्य वो है जो अपने बंधनों को पहचान पाए
05:18और उनसे लड़ पाए
05:19और इसी चीज को वास्तव में धर्म कहा जाता है
05:27खुद को जान समझ पाना, अपने बंधनों को देख पाना
05:31और उनसे लड़ पाना
05:33अब जब बंधनों की बात आती है, तो जो सबसे बड़ा बंधन है हमारा, वो हमारी पाशविक प्रवरत्ती है, पाशविक प्रवरत्ती, क्योंकि जंगल से ही आए हैं, तो पशुवाली जो प्रवरत्ती आए हो तो हमें मौझूद ही है, और पाशविक प्रवरत्ती में भी �
06:03उतना ही बल रखती है
06:04वो प्रक्रति की
06:07सबसे
06:09चहेती वृत्ति है
06:12क्योंकि उसी से प्रक्रति का चक्र आगे बढ़ता है
06:16कोई जीव हो
06:17उसमें और कोई वृत्ति हो ना हो
06:21कामवासना जरूर होती है
06:23क्योंकि कामवासना नहीं रहेगी
06:25तो प्रक्रति जो चाहती है कि तुम्हारा काम समय में आगे बढ़ता रहे, तुम मर जाओगे, अगली पीड़ी आती रहे, वो काम होगा नहीं, न?
06:33बाकी सब वृत्तियों पर वासना भारी पड़ जाती है, रिशी घ्रत्रहरी थे, एक जगहे पर वो कहते हैं कि एक कुत्ता देखो, उदारण के तौर पर, एक कुत्ता देखो, वो बिल्कुल सूख करके दो हड़ी हो चुका है,
06:57और दस जगह उसके घाव हैं, और वो लंगणा-लंगणा के चल रहा है, और उसके घाव से मवाद बह रहा है, खून बह रहा है, लेकिन फिर भी, वो वासना से ही आतूर है, जा वो किसी कुत्तिया के पीछे ही रहा है, थोड़ी देर में वहाँ तक जाके हो सकता है, वो मर �
07:27यसको वासना चाहिए, तो अब इनसान बनना हैं, तो बही स्वयम को जीतना पड़ेगा, अपने बंधन तोड़ने पड़ेंगे, और बंधनों में बंधन माने यही, कि जिधर शरीर ने नचाया उधर को नाच दिये, और बंधनों में एक बड़ा बंधन होता है, साम वासन
07:57कि उसके आगे वासना छोटी चीज पढ़ जाती
08:01धर्म का ये काम होना चाहिए था
08:04कि धर्म ने आपको कुछ ऐसा दिखा दिया
08:09कुछ ऐसा समझा दिया
08:11कि उससे वासना मिट तो नहीं गई
08:14लेकिन नंबर दो की चीज हो गई
08:16नंबर एक पर कोई और आ गया
08:18ये धर्म की सफलता होती
08:20और वास्तविक धर्म का ये उद्देश्य होता है
08:24वो ये नहीं कहता कि प्रक्रती की जो तुमारी क्रियाएं हैं
08:29वो सब बंद कर दो
08:30वो कहता है वो सब चलती रहेंगी अपनी जगे
08:32लेकिन मैं उन सब को किसी और चीज का अनुगामी बना दूँगा
08:38मैं तुम्हे कुछ ऐसा दे दूँगा
08:40बाकी सब चीजें जिसके पीछे पीछे चलने लगें
08:42बाकी सब चीजें भी चलती रहेंगी
08:46लेकिन वो आगे आगे नहीं चलेंगी
08:47वो पीछे पीछे चलेंगी, यह असली धर्म का काम होता है, तो धर्म का काम तो यह था कि वो आपको नंबर एक वाली चीज दे दे, और असली धर्म जहां कहीं भी वो पनपा, उसने वो चीज दी भी, और सबसे सशक्त रूप में तो भारत ने दी, उसने वो चीज दी है, नि
09:17विदान्त के पास जाएं, उपनिशदों के पास जाएं, पश्टावक्र के पास जाएं, भगवत गीता के पास जाएं, वहां आपको वो मिलता है जो जीवन में प्रथम स्थान का अधिकारी है, वो नंबर एक की जो चीज है न, वो हां मिल जाती है, तो असली धर्म वो चीज
09:47मिश्रित कर दिया
09:50पूब उसमें गोलमाल घपला मिलावट कर दी
09:54तो उससे बन गया लोक धर्म
09:56लोक धर्म माने वो धर्म जिसका आम आदमी पालन करता है
10:00आम आदमी कहता अपने आपको भले धार्मिक हो पर वो पालन लोक धर्म का करता है
10:05अलेकिन आप उसको बोल रहे हैं अगर आप धार्मिक हो तो पहचान यह है कि आपने अपने बंधन तोड़े होंगे
10:23आप मेरे साथ साथ चल रहे हैं?
10:26आप पालन कर रहे हैं लोगधर्म का
10:28लेगेन आपका दावा तो यह जूटा दावा
10:31क्या?
10:31कि हम धार्मित हैं
10:32आपको भी विक्ति अपने आपको लोगधर्मित थोड़ी बोलता है
10:35वो क्या बोलता है?
10:35मैं एक धार्मिक इंसान हूँ
10:36मैं आस्तिक हूँ भई
10:39मैं आस्तिक हूँ
10:40कोई यह नहीं बोलता कि मैं
10:43लोक आस्तिक हूँ
10:44मेरी आस्तिकता भी बहुत समाजिक किसम की है
10:47मैं लोक धार्मिक हूँ
10:50अच्छा ठीक है आप हो तो
10:51लोग धार्मिक पर अपने आपको आपने हाँ पर लेबल क्या लगा दिया है धार्मिक अब अगर धार्मिक हो तो पहचान इससे होगे कि धार्मिक आदमी तो अपनी पाशविक्ता को लगातार चुनौती देता चलता है धार्मिक आदमी की पहचान यही है कि वो अपनी पाश
11:21रहता हैं हूंगू भी जीधा है वह संगर्ष करता है और कम से कम भीतर तो लगतार जीता है यह धार्मिक्ता है लेकिन अवह मसली
11:34धार्मिक हो और पर दिखाना तो यहीं पड़ेगा कि तुम भी जीत रहे वहां नहीं तो पोल पूल खुल volver
11:43लोग धार्मिक हो पर प्रदर्शित तो यही कर रहे हो कि धार्मिक हो, तो धार्मिकता के लक्षण भी दिखाने पड़ेंगे, भले ही नकली लक्षण, और धार्मिकता का बड़े से बड़ा लक्षण यह होता है, कि वृत्तियां अपने उपर हावी नहीं होती, तो लोग धा
12:13और शरीर संबंधित बाकी बाते सचमुठ छोटी हो जाती हैं, छोटी माने मूले में छोटी, स्थान में छोटी, धार्मेक आदमी के लिए वो सारी चीजे सचमुठ छोटी हो जाती हैं, लोकदार्मेक आदमी के लिए छोटी बिलकुल हुई नहीं है, पर उसको जताना है, द
12:43तो धार्मिक आदमी की फैचान ये होगी, कि वो सेक्स के मुद्दे को बहुत सहजता से लेगा, उसके लिए हुआ नहीं है, उसके लिए बड़ी बात नहीं है, क्यों क्योंकि उसको वो मिल गया है, जो सबसे उची चीज है, अब उसके आगे सेक्स वैसे ही कुछ नहीं है, द
13:13माइने नहीं रखती है, ये धार्मिक आदमी की पहचान है, पर जो लोक धार्मिक आदमी होगा, उसके भीतर तो जानवर अभी गुर्रा ही रहा है, भीतर जानवर गुर्रा रहा है, और उपर उपर हो क्या बनके बैठा है, धार्मिक, तो फिर वो सेक्स का दमन करता है, वो
13:43तो साहब देह को जीता हुआ आदमी हूँ
13:46पर भीतर देह भौक रही है
13:48भीतर जानवर गुर्रा रहा है
13:51तो वो उपर उपर से सेक्स का ही दमन करता है
13:54उस सेक्स को सप्रेस करता है
13:56अब बाकी बातें तो सप्रेस कर भी दो
14:00किसी को पता ने लगें
14:01पर जो हमारी प्रजाती है और प्रजाती हमारी जो महिलाएं है
14:06उनके शरीर से एक चीज ऐसी जुड़ी हुई हर महीने की जिसको तुम छुपा नहीं सकते
14:11तो उस चीज को ले करके जो लोकधार्मिक रहे हैं सदा से शताद्दियों से
14:18उनको बड़ी असुविधा रही है वो बहुत परेशान रहे हैं बड़े असाज रहे हैं
14:23बोल रहे हम तो इस सेक्स के मुद्दे को आख के सामने लिए आना चाहते थे
14:26क्योंकि आख के सामने आता है तो हमारी पोल खुल जाती है
14:30बाबा लोगों को देखते नहीं हो अब कहेंगे कुछ भी कर ले न मतलब महिला आएंगे
14:38हमें चूना मत हमें चूना मत हमें चूना मत कहें क्या हो जाएगा
14:41विस्वोट हो जाएगा क्या हो जाएगा महिला चूलेगी तो क्या हो जाएगा
14:46क्योंकि उनके लिए महिला बहुत बड़ा मुद्दा है अभी और जो वास्तविक धार्मिक आदमी वो कहेगा खाली तो है श्त्री की है पुरुष की है खाली तो है हाती तो है इस परश कर लिया तो क्या हो गया कुछ नहीं हो गया इसमें ऐसी क्या बड़ी बात है कि मैं बोल
15:16एक चेला उसके भीतर धर्म नहीं है असली पर उसको प्रदर्शित ऐसे करना है कि मैं अभी धार्मिक हूं तो गुरु चेला चले जा रहे हैं गुरु चेला दोनों चले जा रहे हैं तो खुबसूरत जवान लड़की उनको मिली वो उसी रास्ते पर ठकके कहीं किनारे बै�
15:46और एकदम आकरशक है तो गुरु ने उसको देखा विल क्या है यहां क्यों बैठी है बोली वहीं उजाना है जिदर को आप जा रहे हैं लेकिन ठक भी गई हो और यह खून बहरा है खून बहरा है अम मासिक धर्म की बात कर रहे हैं ठीक है तो वो गुरु बोलता अच्छा �
16:16गुरु जी छान गए मला ही आज और गुरु ने उसको ऐसे सहष्टा से बैठा लिया है और अपना चलते आ रहे है चलते जा रहे है नदीवदी आई होगी जो भी पार करा दिया उसको जहां जाना था उतार दिया अपना चलते गए अब वो चलते जा रहे हैं दो घंटा त
16:46आ रहा है उसे चला भी न जाए इधर उदर गिरे कुछ करे तो गुरु ने कहा कि क्या समस्या है कुछ अजीब लग रहा है हमें समझ में नहीं आ रहा है आप इतने बड़े गुरु हैं और आपके भीतर इतना आत्मसायम नहीं है खुबसूरत ललकी दिखी और आपने सीध
17:16भास्तविक धर्म के लिए यह सब चीजें बहुत महत्तु नहीं रखती हैं सेक्स और पर नारी को इस पर्श न कर देना पर पुरुष की चाया से भी दूर रहना वास्तविक धर्म में इन चीज़ों के लिए कोई स्थान नहीं है पर लोकधर्म माने यही सब कुछ यही सब
17:46जो कभी सेक्स ना करता हो
17:49तो बाबाजी के पास जाओगे वो बस एक ही चीज बार बार बोलेंगे
17:53बेटा ब्रह्मचर धारण करो और वीरे रक्षा करो
17:55अरे भाई बहुत चीज़े रक्षा करने के लिए वनों की रक्षा करनी है
18:00नदियों की रक्षा करनी है
18:02समाज के दुर्बल वर्ग है सताय हुए वर्ग है मुझे उनकी रक्षा करनी है और बाबा जी कह रहे नहीं तुम बस नाड़ा बांदो वीर की रक्षा करो
18:16क्योंकि लोकधर्म के लिए बहुत बड़ी बात होती हैं बहुत परेशान हो जाते हैं और दिखी नहीं कि पगला जाते हैं बिलकुल
18:25तो इसलिए उन कहते हैं सत्री चाया से भी दूराओ उस्सणा ओघ़ा इस तरी नर्क का दवार है ये बात सब सोज में आ रही है न कोई
18:32इसलिए आदमी कभी क्यों कहेगा कि इस तरी नर्क का दवार है।
18:36ये जरूर एक ऐसा आदमी है जिसके भीतर वासना उबल रही है।
18:39लेकिन इसको दिखाना ये है कि मैं तो शांत सही हमित आदमी हूँ।
18:43तो ये एक तरीका निकालता है कि कम से कम सब के सामने पबलिक में मैं इस तरीका ना तो वर्णन करूँगा ना कोई उसका सपर्श करूँगा ना उससे बात करूँगा।
18:56ये वो तरीके निकालता है। हाँ अपने एक आंत में फिर वो क्या करता है वो अलग बात है।
19:01वो बिल्कुल दूसरा मुद्दा है,
19:04समझ में आ रही है बात ही है,
19:06अब दिखाई पड़ रहा है कि
19:08menstrual cycle इतना बड़ा मुद्दा क्यों है,
19:12क्योंकि उस सेक्स संबंदित है,
19:14और लोक धर्म में सेक्स की बात करते ही,
19:16सब के पसीने छूट जाते हैं,
19:17सब के पसीने छूट जाते हैं,
19:20हम बोलते हैं,
19:21वो फलानी फिल्म है,
19:22उसे आप फैमिली के साथ बैठके देख सकते हैं,
19:24अच्छा,
19:25तो जरूर उसमें कोई बहुत,
19:28उंचे सामाजिक मुद्दे पर बात हुई होगी,
19:31जरूर उसमें कोई बहुत करांतिकारी बात की गई होगी,
19:35जरूर उसमें कुछ ऐसा होगा कि,
19:37जितने लोग हैं,
19:38परिवार के सब एक दूसरे से बात करें,
19:39और कहीं देखो ये बात करने से,
19:41हमारे तुमारे जीवन में प्रकाश आता है नहीं,
19:44फैमिली के साथ बैठके देख सकते हैं,
19:46मतलब बस एक होता है,
19:48कि उसमें आगे पीछे कहीं भी,
19:51कोई शरीर की देह की सेक्स इत्यादी की बात नहीं है,
19:54ये हमारा लोकधर्म है,
19:56जिसमें की पायसनेस का,
19:59वर्चिव का,
20:00पुर्णे का,
20:00सबसे बड़ा पैमाना यही है,
20:02कि तुमने अपने जीवन में देह का,
20:06विशेशकर सेक्स का दमन कितना करा है,
20:09बात आ रही है समझ में,
20:12तो इसलिए फिर तुमने सो तरे की वर्जनाई रखी,
20:15कि अभी अगर साइकल चल रहा है,
20:17तो किचन में नहीं जाओगी,
20:18अचार नहीं चुओगी,
20:20मंदिर में भी नहीं जाओगी,
20:24अभी नहीं नहीं वो मेंस्टूइटिंग बुमन है,
20:27वो यह नहीं करेगी, वो नहीं करेगी,
20:29कितनी महिलाएं मर जाती है,
20:31क्योंकि सेक्स इतना वड़ा जबरदस्त मुद्दा है,
20:35कि उनको बीमारियां होती है,
20:37तो वो डॉक्टर को जाकर बता नहीं सकती है,
20:41मेंस्टूवल हाइजीन को ले करके प्रश्ण था,
20:43इन्फेक्शन होते हैं,
20:45क्योंकि इस बात को ले करके अवेरनेस नहीं है,
20:47उस इन्फेक्शन से नहीं कितनी महिलाएं,
20:49बीमार पढ़ती हैं, मरती भी हैं,
20:54जबकि ये एक बहुत सीधी सहज सी बात है,
20:58जिसकी चर्चा करने में किसी को कोई आपत्ती होनी नहीं चाहिए,
21:01आपत्ती तो ये होनी चाहिए,
21:03कि दो ही लिंग होते हैं,
21:06और पचास प्रतिशत हैं दुनिया की आबादी की महिलाएं,
21:09और उनके शरीर की एक महतपूर्ण ये क्रिया होती है,
21:13तुम इसकी बात क्यों नहीं करना चाहते हो,
21:15तुम पहले ये बताओ, तुम पागल हो क्या,
21:17तुम हर चीज की बात कर रहे हो,
21:19तुम इस चीज की बात नहीं कर रहे हो,
21:20तुम दुनिया की आधी आबादी के लिए एक महतपूर्ण मुद्दा है,
21:24तुम दुनिया की आधी आबादी की उपेक्षा करके और बातों की बात करना चाहते हो,
21:28मैं क्यों करो दूसरी बाते
21:29तुम ये बात करो
21:30पर आप जाईए और बाबा जी की शक्र देखिए
21:34आप बाबा जी से बस ये पूछ लीजे
21:35बाबा जी मेरा मासिक चकर न अनियमित चल रहा है
21:37और फिर बाबा जी की शक्र लेखिएगा
21:39ये बाबा जी मुझे तनाव भहुत रहता है
21:44और उस कारण मेरी reproductive life सफर कर रही है
21:48बाबा जी की शकल देखिएगा
21:50और वही चीज जो उधर से चलती है
21:54वो घर-घर में आकर के हर घर की संस्कृति बन जाती है
21:57और ये अच्छे से समझ लो
22:03एक सीधी सहज साधारन चीज को जितना दबाओगे न उसे अपने लिए उतना बड़ा बना लोगे
22:10जबकि उसमें दबाने जैसा कुछ है नहीं
22:12उसमें ऐसा कुछ नहीं है कि उसको कहो कि
22:16लेट मी शुप अंदर दा कार्पेट छुपा दो
22:18अरे रे रे रे ये कैसी बात कर दी
22:21ये बात क्यों कर रहे तो गंदी बाते होती है
22:24गंदी बात क्या होती है शरीर है
22:25मिटी से शरीर उठता है मिटी मिल लाता है
22:28मिटी है उसमें
22:29माने गंदी बात क्या होती है आप ठटी पे शाप की भी
22:35बात कर सकते हो
22:35पर रक्त की बात नहीं कर सकते
22:38क्या है इसमें गंदा क्या है
22:40और वो गंदा है तो फिर गर्भाशे ही गंदा है
22:46अगर भाशे गंदा है तो दुनिया की सारी आबादी गंदी है
22:49एक-एक इंसान वहीं से आ रहा है तो गंदा क्या है
22:53पर जो उसका मनोवैज्ञानिक कारण उसमझ में आ रहा है न
23:00we are highly uncomfortable with sex itself
23:05why? because sex has constantly defeated us
23:10और हम अपनी उस हार को छुपाना चाहते है
23:12अगर हम सचमुष धार्मिक होते हैं
23:15तो sex से हारे नहीं होते
23:16पर हम हारे हुए लोग हैं
23:19और अपनी उस हार को छुपाने के लिए
23:20हम ब्रहमचर और गी बात करते हैं
23:23हारे हुए आदमियों
23:25आरी बात समझ में
23:32जिन लोगों को देखो उदाहरन के लिए
23:34college में भी ऐसे होते हैं
23:36campuses में
23:37भुपाल में थोड़े जादा ही होंगे
23:40कि लड़कियों से बात वाच जादा नहीं करते हैं
23:45और कहते हैं जो लड़के लड़कियों से बात कर रहे हैं यह तो यह जिनको देखो क्यों दूरी और बना करके रखते हैं
23:51और कहते हैं नहीं नहीं हम संसकारी बालक हैं हम थोड़ी घुलेंगे मिलेंगे लड़कियों से
23:55उनको अपनी बैच मेट नहीं दिखाई देती
23:58उनको अपनी कलीग नहीं दिखाई देती
24:00उनको बस एक लड़की दिखाई दे रही है
24:02उसकी दें है लड़की
24:03जिनको देखो कि ऐसे हैं
24:07यह लड़कियां हैं इनसे हमारी ब्लादा बातचीत नहीं है
24:09इन्ही को जान लेना क्या कि इनके बीतर कुट्ते भॉपते हैं
24:17जो लड़कियों से जितनी ज्यादा दूरी बनाए या बनाने को कहे
24:28वो उतना ज्यादा वासना का शिकार आदमी है
24:32धर्म तो आपको सहज बना देता है
24:37घर्म को क्या मतलब कि शरीर में क्या हो रहा है क्या नहीं हो रहा है
24:44हो रहा होगा कुछ भाई जीवन की बाते हैं प्रकृत के खेल हैं बहुत कुछ होता रहता है
24:50इसमें इतना हुआ क्या है इसमें ऐसी क्या बात है
24:53एक और कहानी है मैंने भी कई बार कही है आपने भी सुनी होगी अब पता नहीं यह हुआ था कि नहीं हुआ था यह लेकिन बोध कथाएं हैं कथा कथा माने जो कथन के तौर पर अब चली आ रही है
25:10कि बुद्ध कहीं पर बैठे हुए थे बुद्ध कहीं पर बैठे हुए थे जंगल में और जंगल ऐसी जगह होती है जहां पर रिशी भी पाए जाते हैं और चोड डाकू लुटेरे भी खूब
25:23तो चार-पांच थे वो कहीं से किसी लड़की को उठा लाए थे अपरण वगयरा कुछ किया होगा और लड़की उनसे किसी तरह जान शुड़ा कर भागी बुद्ध बैठे थे वो भाग गई उनके सामने से और लड़की को उठा के लाए थे आकरशक रही होगी रूप रं
25:53बोले मैं यहां बैठा हुआ हूँ बस मैं नहीं जानता तो बोले अच्छा यह तो बताओ कि यहां से कोई लड़की भागी थी तो जो उनका जवाब बताया जाता हो समझेगा वो बोले हाँ कोई भागा था कोई भागा था अब लड़की थी कि लड़का था जवान था कि �
26:23एक है, एक सहजता की स्थिति है ये, ओ लड़की भाग रही है, उसके कपड़े भी अस्तवेस्त रहे होंगे, है तो है प्रकृति की बात है, भाई इसमें क्या कहें कि कोई बहुत भारी चीज हो गई, लेकिन जितनी वासना भीतर होती है, श्त्री का शहीर आपके लिए उतनी
26:53और कुछ संस्कृतियों में तो पूरा उपर से नीचे तक ढख देते हैं काला, ये ढख के रखो, ये वासना का सबूत है, ये वासना का सबूत है, आपको इतना क्या डर लगता है लड़की की देंसे की पूरा ढखे दे रहे हो उसको, तुम तो बड़े कमजोर आदमी हो य
27:23तुम गिर जाओगे क्या तुम पहले ही जड़े हुए आदमी हो, माएं बेटियों को ऐसे जा रही है तू तेरा देख तीरी तेरी पीठ देख गई तेरी, तो पीठ ही तो है, सब के होती है, आपके नहीं है, कोई बिरली चीज मिली है मुझे पीठ, पीठ में क्या होता है,
27:53फलानी बदन दिखाती, घुमती है, गंदे चरित्र की है, अच्छा, तुमने कपड़ों से उसका चरित्र भी निकाल लिया, बहुत बढ़िया, मैं पहुंच रहा हूँ आप तक या, दूर की या, बहुत इधर उधर की बात कर रहा हूं आपसे,
28:12वास्तविक धर्म न सेक्स को प्रोचसाहित करता है, और नहीं उसे बुरा बताता है,
28:26कहता है, ये न अच्छी चीज है, न बुरी चीज है, ये तो बस छोटी चीज है, ये इतनी बड़ी चीज नहीं है कि इस पर इतना विचार करो, और इतने पहरे लगाओ,
28:37और इतनी वरजनाएं, इतने नियम काइद हैं, इतनी कहानियां, छोटी चीज है, फिर कह रहा हूँ, न अच्छी चीज है, न बुरी चीज है, छोटी चीज है, वो इतनी बड़ी चीज है ही नहीं, कि उसके बारे में लगातार सोचते रहो, जिन्दगी उसके पीछे लगा
29:07तुम मरे जा रहे हो, तो तुम मरे ही हुए हो पहले से, महिलाओं पर तो जो इसका अनिष्टकारी असर पड़ा है तो पड़ा ही है, पुरशों पर भी पड़ा है, पूरा समाज ही बीमार हो गया है, शरीर को इतना बड़ा बना लिया है कि हर आदमी हर समय बस शरीरी शरीर
29:37का शरीर पुरुष महिला के शरीर के बारे में सोची जा रहा है महिला अपने शरीर के
29:45बारे में सोची जा रही हैं तो लड़कियां जियान कौशल प्रतिभा संगर्ष इससे जी ज़ाधा महत्यो MBA
29:54को देने लग जाती है कि मैं सुन्दर दिखूं, आकरशक, सेक्सी दिखूं कि सारा महत्य है उसके शरीर को दिया जा रहा है, वास्तविक धर्म यह नहीं होने देता है, वास्तविक धर्म कहता है कि लड़की हो कि लड़का हो, तुम इंसान हो, एक चीतना हो तुम जिसका दाय
30:24अपनी बेटियों को अपनी लड़कियों को अपनी महिलाओं को हमने इन सब को बस मास का पिंड बना दिया है इस मास है और हमारी ही नजर महिलाओं ने भी हमसे उधार ले लिये वो भी अपने आपको इसी तरह से देखने लग गई है कि मेरी देह कैसी है
30:54जाये और थोड़ी मोटी हो जाये, उसको मांसीक बीमारिया होने लग जाती है, उसका पूरा आत्मसमान गिर जाता ए,
31:04वो घर में दुबक के रहने लग जाती है, मेरी हैसियत क्या, मेरी इज्ज़त क्या,
31:07और इसके विपरीत लड़की बिल्कुल ही नालायाक हो, कुछ ना हो उसके पास
31:13ना बुद्ध है, ना ग्यान है, ना संघर्ष है, ना इमान है, कुछ नहीं है उसके पास
31:19लेकिन अगर उसके पास आकर्शक देह है, तो वो बड़े आत्मविश्वा से भरी रहती है
31:25और कहती है, बढ़ियां है ना मेरे पास देह है, मुझे कोई ना कोई मिल जाएगा
31:30इस देह को चाहने वाला, मेरा काम चल जाएगा
31:34हमने दोनों ही वर्गों, उस्तरी पुरुष्ट, दोनों को ही बरबाद कर दिया है
31:41ये बॉडी बॉडी रट रट के, रट रट के, रट रट के
31:46और लड़कियों का तो जो मानसिक पतन करा है, उसकी तो कोई इंतहा ही नहीं
31:53फिर हम पूछते हैं, कि महिलाओं के पास उनके नाम पर इतनी कम संपत्ति क्यों होती है
32:01फिर हम पूछते हैं उन्हें इतने कम Nobel Prize क्यों मिलते हैं, फिर हम पूछते हैं संसद में इतनी कम महिलाएं क्यों हैं, फिर हम पूछते हैं कि Corporate Bodies में Stakeholders के तौर पर या CXO Positions होती हैं उन पर इतनी कम महिलाएं क्यों हैं, बात समझ रहे हो न, तुमने उसके भीतर कूट कू�
32:31की उपेक्षा करनी पड़े, एकदम ही गरीब हो जाए तो अलग बात है, फिर तो वो एक मजदूर भी बन लेगी, अगर पर वो गरीब नहीं हो रही है, तो वो धूल और धूप से बचने की भरसक कोशिश करती है, क्योंकि कहती है, अरे कुछ हजार रुपे कमाने के लिए
33:01भारत में ये गिर गया है, माने आज से 20 साल पहले, जितनी महिलाएं घर से बाहर निकल करके काम कर रही थी, आज उससे कम महिलाएं बाहर निकल करके काम कर रही है, बताईए क्यों, क्योंकि घर में पैसा आ गया है, 20 साल पहले की अपेक्षा आज घर में पैसा ज्यादा है,
33:31तु घर का ख्याल रखना और तु बाहर जाती है, काली हो जाती है, धूप में लिखना न करो, रूप की रानी, गोरा रंग काला न हो जाए
33:39अच्छी अच्छी डिगरियां लेकर भी लड़कियां नौकरियां नहीं कर रही है
33:45वो ट्रॉफी वाइफ बनके, सच सवर के, बन ठनके, घर में बैठना पसंद कर रही है
33:53यह है वो बॉडी सेंट्रिसिटी, जो पॉपुलर कल्चर ने, लोग संस्कृति ने, महिलाओं के मन में डाल दी है
34:02तुम और कुछ बाद में हो, first and foremost, you are a body
34:08तो तुम्हारी सेल्फ वर्थ भी किस से जुड़ी हुई है? तुम्हारी बॉडी से
34:13नहीं, आपकी सेल्फ वर्थ जुड़ी होती है
34:17आपकी सत्यनिष्ठा से, आपके प्रेम की गहराई से, आपके ग्यान से
34:24आप कितने संघर्ष जीवन में सुविकार कर रही हैं इस से
34:28चहरा लीप पोत करके दूसरों को लुभाने से
34:35कोई श्रेष्ठ नहीं कहा जा सकता
34:44अपने बच्चों में
34:45अब जो हुआ सो हुआ महिलाओं के साथ
34:49कम सकम अपने बच्चों में
34:51बॉडी सेंट्रिसिटी कम से कम डालिये
34:53उसको मेक अप मत सिखाईये
34:57मैं देख रहा हूँ बहुत छूटी छूटी लड़कियां हैं
35:01वो लिपस्टिक लगा कर घूम रही हैं
35:03वो नेल पेंट कर रही हैं
35:05यह बहुत गलत कर रहे हो तुम उनके साथ
35:06बिल्कुल ठीक नहीं है यह
35:09यह तो नाखून है नाखून को रंग नहीं है क्या मतलब भई
35:16नाखून कोई क्यों रंग रहा है
35:17मुझे तो आजते हैं नहीं समझ मैं है कोई होट क्यों रंगता है
35:20होट तो वैसे ही लाल होते हैं
35:24उसको और रंग काये के लिए रहे हो, क्यों घिस रहे हो
35:27और यह तो खाने की जगह है
35:29या तो खाने की चीज होती जो यहां लगाई है
35:31कि भीतर ही चली जाए
35:32वहता ऐसी जगह है, जहां से खाओगे
35:35पीओगे, वहां तुमने कुछ लगा लिया है
35:37असुइधा नहीं होती
35:39शरीर अगर स्वस्त है
35:42तो होट अपने आप लाल रहते हैं
35:46या जो भी उनका रंग है प्राक्रतिक वैसा रहेगा
35:48तो शरीर को स्वस्त रखो बैतर यह है न
35:50जाओ दोड़ो, जिमिंग करो, स्पोर्ट्स करो
35:53अपने आप शरीर बढ़िया रहेगा
35:55तो होट भी बढ़िया रहेंगे
35:56बाहर से लीपा पोती करके क्या मिलेगा
36:00नहीं, चमनी रही बात
36:06अगर आप एक महिला है
36:17या आप एक अभिभावक हैं और आपके घर में बच्चा है छोटा
36:22या आपकी बहन है, कोई है
36:23या आपके आस्पडोस में भी कोई है
36:25तो इतना करिए कि उनको उनकी देह ही मत बन जाने दीजिए
36:31इतना उन पर हैसान कर दीजिएगा
36:33चोटे बच्चों में, अभी तो बहुत चोटी है
36:40अभी तो दोनों का शरीरेट जैसा ही है न, आट दस साल तक एग ही जैसा रहता है
36:48तो इनके कपडों में अंतर क्यों करते हो
36:50एक से कपड़े पहना हो
36:51बच्ची अभी चोटी है अभी से उसके बाल बढाने क्यों शुरू कर दीए भज़
36:55क्यों उसको जता रहे होगी तू नारी है नारी है
36:58क्योंकि फिर वही नारी बन जाएगी जैसी हमें चारोड दिखाई देती है
37:00अबला नारी
37:01क्यों उसको नारी बनाए दे रहे हो
37:04उसको इंसान बनाओ नारी नहीं
37:05अभी चार दिन पहले मैं खिलोने खरीदने गया
37:16तो उसने पूछा
37:19कितने साल का बच्चा है
37:21मैंने उम्र बता दी
37:22फिर मुझसे पूछ रहा है
37:25गर्ल और बॉई
37:26मैंने ऐसे देखा
37:27मतलब 6 साल का बच्चा है
37:30ये तेरे लिए परयाप नहीं है
37:31तो ये क्यों पूछ रहा है गर्ल और बॉई
37:33क्योंकि girl section अलग है
37:35उसमें बार्बीज और ये सब रखे हुए है
37:39मैं गा मुझे जाना ही नहीं उधर
37:41है तो girl पर boy वाले दिखा
37:44तुम क्यों अभी से उसको बार्बी बनने की training दे रहे हो
37:50तुम उसके लिए science के games क्यों नहीं ला सकते
37:54match की puzzles क्यों नहीं ला सकते
37:56एक से एक शजी धजी डॉल्स रखी हुई है
38:03और सारी डॉल्स ने क्या लगा रखी है
38:05और जितने तरीके के आभूशन हो सकते हो
38:10सब उन डॉल्स ने पहन रखे है
38:12और वो छोटी भी बच्ची है तुम उसके हाथ में वो दे रहे हो
38:15तुम क्या कर रहे हो जहर दे रहे हो तुम उसको
38:17देखो
38:23जीवन की गाड़ी ना
38:27अस्तित्त की गाड़ी ही इन दोनों पहियों पर चलती है
38:30एक को कमजोर कर दोगे तो दूसरे पर ज्यादा बोज़ा जाएगा
38:33एक पहिया खराब है तो दूसरा भी जल्दी ही खराब हो जाएगा
38:37तो जो मैं बात बोल रहा हूँ पुरिशों के लिए भी है
38:40महिला को अगर सिर्फ देह मानोगे तो बहुत कमजोर हो जाएगी
38:47और महिला कमजोर हो गई तो तुम्हारी ताकत भी चली जाएगी
38:50तो अपनी खाते रही सही लेकिन उसको इंसान समझना शुरू करो
38:55बॉड़ी बॉड़ी मत कर दो
38:56रिष्टा दोस्ती का रखो ठीक है सुख चाहिए है और सुख देह से मिल जाता है
39:03लेकिन दोस्ती का भी अपना एक अलग आनन्द होता है
39:08और लड़किया बहुत अच्छी दोस्त भी बन सकती है
39:13बस भॉखना मत शुरू कर देना
39:16ऐसे कहो कि दो इंसान बैठे आप उसे बात कर रहे हैं गूम फिर रहे हैं जो भी कर रहे हैं
39:29उसका भी अपना अच्छा उच्छा आनन्द है
39:32यही आनन्द थोड़ी है कि I look at her as a body
39:50यही सब बातें मैं बोल रहा हूँ ऐसे ही नहीं जाती हैं
39:54यही सब बातें सिखाना असली धर्म का दाइत तो होता है
39:58और उसी के लिए गीता कारिकरम है
40:01जो इतनी महनत से हम चड़ा रहे हैं
40:03पूरी संस्था उसी को समर्पित है
40:05और इतने इतने हजार लोग उसमें जुड़ चुके हैं
40:08वो इसी लिए है
40:09जब असली धर्म
40:10जब असली धर्म आता है न जिंदगी में
40:25कृष्ण वाला धर्म
40:27बाबा जी अला धर्म नहीं भगवत गीता वाला धर्म
40:30जब असली धर्म जिंदगी में आता है
40:32तो बहुत सारे समझ लोग के फल फूल लगते हैं
40:38असली धर्म ऐसा है जैसे जड़
40:40फिर बहुत तरीके के फल फूल लगते हैं
40:44जिसमें से एक फल ये भी होता है
40:46कि ना आप स्वयम को देह मानते हो
40:50ना महिला की देह को बहुत महत्तो देते हो
40:52ये एक फल है और सो तरेके फल लगते हैं
40:56पर उस सब के सब फल आते एक साजी जड़ से हैं
40:59जिसका नाम है अध्यात्म
41:00और आध्यात्मिक नहीं हो आप
41:02तो उपर उपर से कितना भी दिखा दो
41:04कि हम तो ब्रहमचारी हैं
41:07कि सैयमी हैं
41:09कोई फर्क नहीं पड़ेगा
41:10कभीर साब
41:13मेरे पूज
41:16क्या बोला करते हैं
41:19बोलते हैं कामी कुत्ता
41:21बोलो बोलो
41:22कामी कुत्ता तीन रोज
41:30अनतर रहे उदास
41:32उदास से मतलब है उदासीन
41:36उदासीन मतलब इग्नोर करता है उपेक्छा करता है
41:38उदास माने उदास वैसल उदास नहीं
41:41बोल रहे हैं कि
41:42कुत्ते की भी रित्व आती है
41:44सिर्फ तभी उस पर वासना हावी होती है
41:45कुत्ते की भी प्राक्रती के एक रित्व आती है, हीट की, सिर्फ तभी वो जा करके जोड़ा बनाते हैं कुत्ते कुतिया, यह हम जानते हैं, ऐसा है, सभी पक्षी, सभी पशु, ऐसा ही करते हैं, उनका जब मेटिंग सीजान आता है, सिर्फ तब उनमें वासना उठती है, व
42:156 रितू 12 मास
42:17कामी कुट्ता
42:20तीन दिन अनतर रहे उदास
42:22और कामी नर कुट्ता सदा
42:246 रितू 12 मास
42:25ये क्यों हुआ हम भी जंगल से ही आए हैं
42:28कोई पशुपक्षी
42:29उतना कामी नहीं होता जितना मनुष्य है
42:32तो तुलना करके बता रहे हैं
42:36कुछ समय के लिए काम वासना में पड़ता है बाकी समय उसे फरक नहीं पड़ता पर आदमी अकेला है जो बारह मास
42:43sex में डूबा रहता है क्यों क्यों कि आदमी अकेला है जिसने sex को दबाया है दमन करा है
42:49suppress करा है
42:50और चुकि तुमने उसका इतना
42:53suppression करा है इसलिए वो उचल करके
42:55तुम्हारे पूरे जीवन
42:57पर छागया है
42:58मनोविज्ञान की
43:01पिछली शताबदी की
43:03ये बड़ी
43:05क्रांतिकारी खोज थी, फ्रायट से शुरू हुई
43:07थी
43:07क्रायट से पहले जो लोगधर्म चलता था
43:11खासकर जो यूरोप में चलता था
43:13उसमें दमन का बड़ा महत था
43:14था कि नो नो नो बैड थोट्स
43:16गंदे विचार मताने देना
43:18वहाँ पर भी जो चर्च था
43:22पादरी, प्रीस्टी सब ऐसी कहा करें
43:24नहीं, बैड थोट्स, अवोईड बैड थोट्स
43:26तो बैड थोट्स का क्या करना है
43:28बैड थोट आए तो दबा दो
43:31प्रॉइट ने गहाँ, जिस चीज को दबाते हो
43:34वो सौग उना बढ़ जाती है
43:36जिस चीज को दबाते हो
43:38सो गुना बढ़ जाती है, मत दबाओ, मत दबाओ, इतना कर दो, कि उसको कभी एक नंबर का इस्थान नहीं देंगे, जीवन में जो कुछ भी है, सब नंबर दो, तीन, चार, पांच से शुरू होगा, एक नंबर का इस्थान तो उसको ही देंगे, जिसको वेदान सत्य बोलता
44:08दबाने से तो मामला और बिगड़ना ही बिगड़ना है, अब आप कहा दें, कई ऐसे होते हैं, सिनेमा हॉल में, उनके बगल में, जब क्या हो गया, पिक्चर देखने गया था, पूछ रहा हूँ क्या कहानी थी, बता कहा है नहीं रहा है, बगल में एक होट लड़की बैठ
44:38चार सो चालिस वोल्ट, यह दिखा ऐसे रहे हैं, जैसे इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है, पर इनके दिमाग भी लगाता है, यह यह चल रहा है, लड़की लड़की, दे, दे, सेक्स, सेक्स, सेक्स, जिस सीज का दमन करोगे, वो पहरे जीवन पे चा जाएगी, दमन की
45:08बोध हम आत रहों, बोध हो हम, मैं जानूँगा, मैं दबाओंगा, नहीं मैं जानूँगा, उसके बाद जो होनोगा, अपने आप होगा, और जानने से यह पता चलता है, कि जिसको पहला इस्थान देना है, वो कौन है, मैंने अभी कहा था, कि उसको ब्रहम अभी कहा जाता
45:38कि एक प्रकार के आचरन को ब्रहमचरे नहीं कहा जाता कि सदाचारी बनो अच्छे-च्छे काम करो यह सब दो कौडी की बाते हैं और इनसे बहुत दुख पैदा होता है
45:52विस चेहना चाहिए
45:59मैं बहुत कुछ
46:01जिसलाश्टाइम सॉर्डी आप टाइम के बाद मुझे लगा कि मुझे कह देना चाहिए
46:09दरसल मैं अचार प्रशान को बहुत लूबे समय से सुन भी रही हूं
46:14आज जो एक बात कही सर ने तो मुझे लगा कि मुझे बोलना चाहिए इसलिए बोल रही हूं
46:19वरना कुछ भी नहीं है आपने जो जो कहा वो मैं से पूरी सहमत रहती हूं हमेशा
46:25यह जो आपने कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो पूरा काले कपड़े में
46:30तो वोपाल में क्योंकि एक कम्यूटी है मुस्लिम जो पूरे काले कपड़े में रहती है
46:35और मुझे पता है कि उनका बिल्कुल भी उस तरह निशाना करने की ज़ए उनका लेकिन हमारे यहां जितने भी लोग हैं वो अलग धर्म के भी है तो काला कपड़ा अगर एक कोई पहना है तो कोई ऐसा भी है जो पूरा साड़ी में ढांकते हैं
46:51है ना तो वो भी ऐसी उनकी भी वैसी माल सिकता होती है तो ऐसा नहीं है कि मुस्लिम कम्निटी वाले ज्यादा उसको गलत समझते हैं हिंदू भी उतना ही बराबत तो हिंदू मुस्लिम का कोई फरक मत देखेगा प्रीज क्रिश्चिन वाइट में रहते हैं तो कोई भी जात
47:21हूं आम तोर पर और जब मैं सब की बात कर रहा हूं जब मुझे सनने वाले सब हैं तो डांटूंगा भी मैं सब को ही
47:29मैं डाटने में फिर भेदभाव नहीं करूँगा
47:37कि मैं एक समुदाई को ही क्यों डाटू और दूसरे को क्यों ना डाटू
47:41तो जब मैं इतनी बार बाबा जी को बोलता हूँ
47:45और हिंदु धर्म में जो
47:47तो जब मुझे बाबाजी को और हिंदु धर्म में जितनी मुझे बुराईयां देखती हैं, उनको बोलने का हग है, तो अगर मेरे शोताओं में दूसरे समुदायों से भी लोग बैटे हैं, मुसलिम भी बैटे हैं, तो मुझे उन्हें डाटने का भी हग है, तो बस ठीक है, �
48:17तो मेरे प्रशांत सर पर शेरियर प्रफार्वन विज्डम विज्डम विद तोड़े, वी आर ट्रूली ब्लेस्ट, मेरा नाम है देवदत्या है, और मैं अचारे जी को बदला बलग नाइस साल से सुम रहा हूँ, दो साल से कमेनिटी से जुड़ा हूँ, उनको सुनने के �
48:47झाल
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