00:00रात को पुरोहिट क्या आगे मैं गुस्से में चुप बैठी रही लेकिन अब बता
00:12क्या बात है जड़ा उस बादन ने हलवे की तारीफ कर दी तो सारी कड़ाही का हलवा उसका ठालीम उड़े दिया
00:19ना मैंने चका ना मरी शल्लो ने वो शल्लो की ससुराल के प्रोहित थे इसलिए अरी जन्नम जली तेरे बात की कमाई थी जो इस तरह लुटा दी
00:28चाची मुझे जोजी चाहे कह लो लेकिन मेरे बाब को तुम तो फिर गुन गाओं उसके खुद तो मर गया अब तुझे छोड़ गया मेरी चाती पर मूं की ताल दाब रेती लिए
00:37अरी भागवान क्यों दिन चड़ते ही जात रही हो खरीद को फिर आओ क्या करो अरे नहाद होकर शांती से राम राम की माला जपो माला जपनों की माला भी बहुत उमर बाती है
00:49जिल्दगी का कोई भरोसा नहीं शलो की मा जाने कब बुलावा आ जाए
00:54सब ठाट धरा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजार अपनी भत्तीजी से चिड़के मेरा बुरा चाहोगा तो मुस्से बुरा कोई नहीं होगा
01:01अरी बिचाली सुबह से लेकर आधी रात तर चुपचाप अपने काम में जुडी तो रहती है मगर इस पर में तुमसे साथ साथ आई देती हूं मैं उसे नहीं देख सकती हां
01:12पुरो ही जित्य तो गय है दोनों लख्यों को
01:17भगवाण करें लीला का ही रिष्टा ठीक हो जाए और
01:20अरे मूह धो रखो, रिष्टा तो मेरी शल्लो का ही ठीक होगा
01:24ये सब संजोग के अक्षियार में है शल्लो की मां
01:28संजोग तो मेरी शल्लो के बलवान है
01:30उस फूटी टकडीर वाली लीला को कौन पूछेगा?
01:33मैं तो भगवान के प्रात्ना करती हूँ कि जल्धी तेरा ब्या हो और मैं तेरे साथ चलिज़ा हूँ
01:39क्यों?
01:41यहां तो मेरी वेज़े से रोज चाचा-चाची में छगरा होता है
01:44और तो मेरा कोई ठीकाने नहीं
01:46मुझे ले जलोगी न अपने साथ शुराजी
01:48ना बाबा, वो बड़े लोग है
01:51मैं तुम्हे वहां ले जाकर शर्मिंदा नहीं होना चालती हूँ
01:54क्यों?
01:54तुम्हें देखकर जब वहां के लोग कहेंगी
01:57कि ये फटे हाल मेरी चैचेरी बहन है
02:00तु क्या शर्म से मेरी गड़न नहीं नीचे होगी?
02:03तो तुम मझे अपनी बहन ना कहना, दासी कहना है
02:07और जब उन्हें मालूम होगा कि तुम अपनी चेहस में एक दासी भी लेकर आई हो
02:10तो तुम्हारी इसे तोर बढ़ जाएगी, सोचूंगी
02:14शलो की मा, अली ओओ शलो की मा
02:20आई, आई, ये देखो
02:22जिठी आई, गोपार्फूसे?
02:24अहां, रिष्टा मंझूर हो गया, लो सुना, जय जहरो, पर ले गुड़ ले आओ, फिर सुनती हूं सारी बते, जय विश्वराज
02:33पत्चीस घंटे हम अगर बातां कफा कर रही है
02:47यह गुड़ कहां ले जा रही है यह वाँ, बेटी तेरे बापो का मुझ मिठा कराने के लिए, पहले तू मुझ मिठा करा, गोपालपुर से चिथी आई है
03:01अच्छा, तब तो तेरे संजोग बड़ी बलवान है शल्लो, शल्लो क्या है, अच्छा भला नाम है कोशल्या, कोशल्या को नहीं कहती है, तुम भी तरसे शल्लो कहती है चाजी
03:10अरे मैं उसके माँ चाहे कुछ भी कहूँ, लेकिन तू आज से इसे कोशल्या रानी कहा था, तुम भी तुमने मुझे शल्लो कहा, तो मैं तुमसे कभी नहीं बोलूगी
03:31और अगर कोशल्या कहूँ तो तुमसे कभी जगडा नहीं करूँगी
03:35कौशल्या महरानी कहूँ तो तुम्हे अपनी दासी बनाकर सुस्राल ले जाओंगी
03:40लो मुझ मिठा करो
03:46अब सुनाओ पूरी चित्थी
03:53लीला बड़ी तफदीर वाली है, रामनी बनकर राज करेगी राज
03:58गुड़ खाके लगे भैकने, अरी वो क्या बनेगी रानी, राज करेगी मेरी शल्लो, आखें खोल कर दुबारा पढ़ो चित्थी
04:05चित्थी तो मैं दो बार छोड़, चार बार पढ़ चुका और हर बार यही पढ़ा कि पुरोहिजी ने लीला के रूप और गुण की बहुत तारीफ की है
04:14लीला में क्या खाक रूप और गुंधरा है, वो तो मेरी शल्लो की पाउं की यूती के बराबर भी नहीं
04:19कुसूर सारा पुरोहिजी का है कि उन्होंने लीला और शल्लो को तुम्हारी आखों से नहीं, अपनी आखों से लेखा
04:26पुरोहिज को तो मैं कहीं पा जाओं तक से कप्चा चपा जाओं
04:30मैंने तुमसे चोरी चांजी के पचास रुपए दिये उस निगोडे को, इसलिए कि मेरी शल्लो की सिपारस कर दे, कल मुहार एक एक करके गिनता रहा, रहे हे करता रहा
04:40महां दोके उल्टी पठी पढ़ा दे
04:43ये बात है, तो तुमने रिश्वत भी दी थी पुरोहिजी को
04:47तुम मा होते तो समझते कि अपनी अवलाद के लिए क्या कुछ करना पड़ता है
04:51लीला भी तो अपनी ही अवलाद है, भाई की लग्टी क्या और अपनी लग्टी क्या
04:56तुमने नाहक पचास रुपए चांदी के बरबाद कर डाले, मुझे दूसरी फिक्र लग्टी
05:01तुम इसकी चिंता ना करो, ये पचास रुपए जब पुरोहिज का गला दबाके मैं वसूल कर लूँगी
05:06मेरा नाम रंगीली भाई यहां
05:08तो आप चली कहा, पूरी चित्थी तो सुनलो
05:10लादो चित्थी फार का चुल हम ठेक दू
05:12है है, और शल्लो के बयाकी जो ये चित्थी होती तो
05:16तो ये से चूम चाटकर अपनी आखों से लगाती
05:20अब इस बिचारी पर जो गुस्सा उतार रही हो, जिरी गढ़े से और गुस्सा कुमार पर
05:26तुम चले जाओ जी, मुझे ताव कि लाओ कि मैं कुछ कर भाई चूंगी
05:29बैटी लीला और शल्लो, तुम लोग जरा बहार जाओ तो
05:32मैं तो यह, कर लो जो कुछ तुम करना चाओ
05:37अरे तो धाओ उस किस पर जमाते हो, मैं तुमसे कुछ जगने वाली नहीं
05:41अरे भागवान, मैं तुमसे छगड़ा लडाजी नहीं करने आया
05:46मुझी तो तुमसे एक सला लेनी थी, गोपालपुर वालो ने इसी महीने ब्या मांगा
05:51मैं नहीं दूगी कोई सलापला, तुम जानो और तुमारा काम लो
05:57पर ठाकूर सहब गरीब घर की लगई क्यों पसंद करते हैं, खांदान में भी कोई बुराई नहीं
06:04बात यह है शामू की मां के ठाकूर सहाब ऐसी बहु द्या के लाना चाते हैं, जो इनकी बेटी को सारी जिंदगी अपने कलेजे से लगा के दखे
06:12हाई, तो क्या जमना सारी उमर मैके में बर्ठी रहेगी और क्या, न तो उसका मर्दी उसे ले जाना चाता है और न छाकूर सहब जी अपनी बेटी को बिदा करना चाते हैं, क्यों
06:22न जाने क्या मेला गया है दोनों की दिलों में, जमना खुद भी जाना नहीं चाहती बापू, कहती है कुए में डूम मरूंगी पर सुस्राल नहीं जाओंगी
06:30हाई राम
06:31पुछ से किसने कहा है शामू?
06:32जमना ने मुझे खुद, मैंने सुना है किसी से बापू
06:36तो दोस सारा जमना का है, जब वही अकरकर बढ़ची है तो बाब बिचारा क्या कर सकता है?
06:41अरे भाई हमें क्या मतलब जमना यहां रहे या सुसराल जाए हमें क्या फर्क पड़ता है परक तो पड़ता है बापू मैं रोद उसे कथा सुनाने जाता हूं तो कुछ ना कुछ देती रहती है तो सुराल चली गई तो आमदनी बंद हो जाएगी
06:53देखा मेरा लड़का कितना हुश्यार है अ तुम लड़कियां देखने तो गया ही थे मेरे शामू के लिए भी कोई लड़की देखनी थी नहीं मा मैं शादी नहीं करूँगा क्यों रहे बस यू ही अच्छा मैं चला ठाकुर की हुवेली जमना को कथा सुनाने हां बेटा जा
07:23अब वो अपने आप चला जाएगा जब तो अपने घर चली जाएगा अपने घर हां बेटी इसी बात का तो सारा फसाद है गोपालपूर वालों ने शलो के बजाय तुम्हारा रिष्टा मंगा है तो आप ना कर दीजे क्यों वो बड़े लोग हैं मैं यतीम अगमार जिस ग
07:53उन्हेंगा कैसे नहीं तुम्हारा हाल वो अच्छी तरह जानते हैं और भगवान का दिया हुआ उनके पास सब कुछ है उन्हें दान रहेज का कोई लालच नहीं और चाचा जी बेटी अपने ससुर और पती की सेवा करना उनकी खुशी और इज़त के लिए अपनी जान तक
08:23मेरे स्वर्गबाशी भाई और भावज की आत्मा कितनी खुश होगी जब ठाकुर साहब की हवेली में उनकी बहु बनकर तुडॉली से उतरेगी
08:42आव भावी
08:45आव ना
08:47पधा ही हो जमना राने तुम्हे भी कितनी उच्छी मेरी भावज में चलो
08:57आव बहु तुम्हारी चाची तो बड़ी जबदस्त निकली भरी बरात में मेरे प्रोहिट जी के घी पड़ गई
09:07हाता पाई तक की नवबत आ गई अच्छा बात क्या थी प्रोहिटायन
09:12मेरी जाने बला मेरे प्रोहिट जी ने कह सुनके रिस्ता थे किया वह उन्हीं के गले पड़ गई अच्छा
09:18ये बात तो प्रोहिट जी ने मुझे अभी बताई है वह बहु की चाची ही तो है तम भागने को तयार हो गए
09:24कहने लगे कि जब चाची एकनी जबान दराज और मरताना है तो लड़की क्या कम होगी गले की जैमाल उतारकर वह फेकी और बोले मुझे नहीं चाहिए इसी बीवी
09:34पर बहे मैं दोनों आखों से देख रही हूँ राम राम वह चाची है या दुश्मन फेरे पड़ी बहु वही रह जाती तो इसके जिंदगी नबर बाद हो जाती वह तो इसी बात पर तूली हुई थी बीच बिरादिरी मेरे प्रोहिट जी ने अपनी जेब मिस से चांदी क
10:04अब याटी अब तुहे काई काफी कर है पिताजी को शायद कुछ शक हो गया कि मैं तुम से चुक चुक के मिलती हूँ इसलिए उन्होंने जट पड़ भाया का भी है कि एतीम लड़की से कर दिया वो तो चुप है अगर भाया को पता चल गया तो मुझे बोली से उड़ा द
10:34कुछ नहीं भावी की स्वाथ सेज के लिए थोड़ी सी कलियां चुन रही थी अब ही आई वाव वाव वाव ननद हो तो ऐसी हो भाई भावज की ब्या कर कितना अचाओ एक मेरी ननद है मुझे देखता ही फूल का अब कुपा हो जाती है निगवरी मेला घूमनी नहीं तो
11:04अच्छा मैं फिर आओंगा रात को ब्या की खुशी में जलसा है ना सब मर्द और और अउरतें उधर होंगे तुम बहु के पास है ना मैं सीटी बजाओंगा तुम फोरण चली आना फिर सोचेंगे के क्या करना होगा अच्छा अब तुम जाओ रैदो तुम्हे किसमें कहा
11:34होकर मुझे वही छूड़ाना चाहते थी ना जाने मेरे लिए उनके दिल में क्या ख्याल बैट गया है मेरा तो इस घर के सिवा और फोई ठीकाना नहीं तुम तो यूज टेड़ी आँख वाली परतायन का इतबार करके दिल छोटा करती हूँ मैं भया से पूछू नहीं नह
12:04से बात कों तब घूरते हैं बड़े शक्की तबियत के आदमी है बस औरत कमरे में बंद रहा हूंने तो यही पसंद है नहीं मेरे दिल क्यों धड़क रहा है रात करीब आ रही ना इसलिए
12:17यह बंदूख किसकी है एक ही तिन में सब पूछ लेना चाहती हूँ यह भया की बंदूख है उन्हें शिकार का बहुत शौप है
12:38मुझे तो डर ला क्यूँ चलो मैं तुम्हें भया की कम्रे में चोड़ा हूँ उठो ना ना चलो
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