"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
🔹 वीडियो की खास बातें: ✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी ✅ हर उम्र के लिए अनुकूल ✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता
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00:00आप तीनों हमारे लिए बाजार से क्या खाने को लेकर आयो
00:04बविता दोनों बच्चों पर फड़क जाती है
00:06ज्यादा चटोरे बनने की कोई जरूरत नहीं है
00:09चीज खाना है तो जाकर अपने पापा को बोलो कमाने को
00:11कमाई एठन्य और खर्चा रुपईया में भी सब चीज हम तीनों बहु चलाएंगे
00:16डाट खाकर दोनों बच्चे उदास होकर कोने में चुप बैट जाते है
00:19तीनों खाना बनाने में जुटती हैं तभी पडोस में से मचली बनने की महक आती है
00:24आहाहाहा कितनी बढ़िया मचली की खुश्बू आ रही है मेरा तो खाने का मन कर रहा है
00:30बस एक तो हमारे पतियों की ना कितनी तेज है कि किसी भी चीज की खुश्बू फट से पड़ जाती है
00:36आ, कमाना धमाना तो है नहीं, बस मचली खाने के लिए लाड़ चूर रही है
00:41मुझको तुम मचली रसा खाने का मंसा हो रहा है
00:44किरन, चिंता मत करो, बस एक बार बरसात लगने आने दो
00:49फिर तुम तीनों को खूब बनवा कर मचलिया खिलाएंगे
00:52अजी सारे आलू एक टाइम में बना कर खत्म कर देंगे
01:21तो कल क्या कद्दू बनाएंगे, चुपचाप से खालो
01:23अब तीनों के बदी मों से कोड़ कर पतले पानी जैसी सबजी के साथ खाने लगते हैं
01:28और बच्चे भी वेमन से खा रहे थे, तब ही कर्जे वाला आ जाता है
01:31इस कर्ज वाले को भी रोटी खाने के टाइम पर आना था
01:39दिवाकर खाने पर से उठकर बाहर आता है
01:41अरे लालचन जी, आए आए कैसे आना हुआ
01:45अरे एक तो तुम लोगोंने मेरा कर्ज खा रखा है
01:48उपर से जब पैसे मांगने आओ तो घर में से गुल रहते हूँ
01:51कब लोटाओगे मेरे पैसे
01:52लालचन जी, अभी हमारा काम दंदा नहीं चल रहा है
01:56कर्ज वाला धमकी दे कर चला जाता है
02:11तीनो भाईयों का मुझ जम जाता है
02:13अरे क्या जरूरी था तुम तीनों को इस लालचन द से कर्ज काड़ने की
02:18इतना तेज ब्याज है इसका फिर
02:20मा, हमने कोई सुक से कर्जा थोड़े न लिया था
02:25तुमारी तबियत उन जिनों इतनी जादा खराब थी
02:28और हाथ में पैसे नहीं थे
02:30तब ही तो लिया हमारी किसमत ही खराब है
02:33अजी, अब भी कुछ नहीं बिगड़ा
02:36आप तीनों भाई शेहर जाकर काम कीजे
02:38हम बहुएं यहां दूद बेचकर घर चला लेंगे
02:40मगर शेहर जाने के लिए किराया भाड़ा लगेगा
02:43और जाते ही काम थोड़े लग जाएगा
02:45कोई नहीं हम तीनों बहुने थोड़े पैसे जोड़ कर रखें
02:49आप तीनों इन पैसों से जाने की व्यवस्था कीजे
02:51तीनों जो गाड़ू बहुने किसी तरह घर का खरचा काट कर
02:55जो थोड़ी बहुत पैसे बचाए थे वह अपने पतियों को दे देती हैं
02:58जिससे वहां अगले ही दिन शेहर चले जाते हैं
03:00इधर दूद बेचकर तीनों घर चला रही थी
03:03पिछले कुछ दिनों से हमारी दोनों गाए कुछ जादाई कम दूद कर रही है
03:08ऐसा रहा तो कैसे चलेगा
03:09जिठानी जी कुछ दिनों से हमारी गाए गोबर भी ढीला कर रही है
03:13और अब इनका दूद भी कड़वासा लग रहा है
03:15लगता है दोनों गाय गर्भवती हैं
03:17तब ही मनो रमा जो उनसे दूद खरीद कर ले जाती थी उल्हाना देती है
03:21और आजकल तुमाई गाय का दूद बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा
03:24और पहले की तरह दूद में मीठा पन भी नहीं है
03:27इसलिए ये लो इस महीने का हिसाब और अब मैं तुमसे दूद लेना बंद कर रही हूँ
03:31बाकी ग्राहक भी तीनों से दूद खरीदना बंद कर देते हैं
03:35अब तीनों का रोजगार बंद हो जाता है
03:37थोड़े ही दिनों में बरसाते भी लग जाती हो और अब नहर में मचलिया आ जाती है
03:42कुछ दिन बाद
03:45इतने दिन हो गए हम तीनों के पतियों को शहर गए हुए
03:48पदा नहीं शहर जाकर क्या कर रहे हाल चाल भी नहीं पूछा
03:51तबी सबजी वाली पडोसन शान्ती फोन लेकर आती है
03:55अरे ओ आशा बबिता किरन लो तुमारे पतियों का शहर से फोन आया है
04:00कलावती फोन लेकर बात करती है
04:02हेलो मा मैं दिवाकर बोल रहा हूँ
04:05तिवा कर बेटा, अरे कैसे हो तुम तीनों, कोई काम काज मिला की नहीं
04:11मा दो दिन पहले ही काम पर लगे हैं, पर तनखा बड़ी कम है
04:14अच्छा अच्छा बेटा, अगर हो सके तो थोड़े पैसे भिजवा दो
04:19यहाँ दूद का काम भी बंद हो गया है, बड़ी दिक्कत है
04:22मा दो चार दिन ठहर जाओ, पैसे भिजवा होता हूँ, स्टेटी से कॉल किया है, बाद में करता हूँ
04:30इतना बोल कर दिवा कर, कॉल कट कर देता है
04:32मा जी इन तीनों ने पैसे भिजने को लेकर क्या कहा?
04:36बहु बेचारे तीनों का भी तो काम लगा है, देखो दो-चार दिन का किस तरह जुगार लगालो, खाने का, पकाने का
04:42तबी मोनु काटे में मचली मार कर ले आता है
04:46मचली देखकर तीनों बहु बढ़ी खुश होती है
04:52अरे वा मोनू बेटा तू तो बहुती बड़ी मचली पसा कर लेकर आया है
04:56मंजली चाची नहर में इस बहुत साइब मचली आया हूँ है
05:01और सबी लोग जाल बर-बर कर मचली पकड़ रहे है
05:03ये सुनकर तीनों बहु को रोजगार सूझता है
05:06अभी तो बरसात का सीजन है और नहर में कितनी सारी मचली भी आ रखी है
05:11क्यों ना हम तीनों भी मचली निकाल कर बेच ले तो घर का खर्च तो आसानी से चल जाएगा
05:16वैसे खयाल तो बहुती अच्छा है कल हम नहर से चल कर मचली ले आएंगे
05:20चलो अभी इसे बनाते हैं
05:22आशा बहु मचली को अच्छे से साफ करना ये काटे वाली मचली है
05:26आशा जुगार लगाती और चूले में से राख निकाल कर उसमें मचली को लपेट कर काट लेती है
05:32जिससे उसके उपर लगे काटे चुबते नहीं है
05:35और मचली के अंदर से खूब सारा अंडा निकलता है
05:37ऐसी बारिश के मौसम में मचलीयों में अंडे पड़ जाते हैं
05:46ये सारे के सारे अंडे मचली बनकर एक पूरा ताला आप घेर सकती हैं
05:51ये सुनकर तीनों बहू का जुगाड़ो दिमाग चलता है और किरन को जुगाड सूचता है
05:56पिर क्यों न हम भी मचली पालन कर लें
06:00पर हम मचली पालन करेंगी कहां पर
06:03तबी आशा अपने घर के आगे पूरा का पूरा हिस्सा खाली देखती है जिसे देख उसका जुगाड़ू दमाग चलता है
06:08बबिता अगर देखा जाये तो हमारे आंगन में कितनी सारी जगा खाली पड़ी है
06:13क्यों ना हम इसी में पोकर लगा कर मचलियों का पालन कर ले
06:33मेरा जाल तो मचली के मारे फटने को हो रहा है इस बार तो हमारे खूब अच्छी आमदनी होगी
06:39तबी तीनों जुगाड़ू बहू ने जैसा जाल लगाया तो मचली भड़क से गए
06:43अरे ओ तम तीनों लोगाई इस नहर में से मचली नहीं ले जा सकती
06:47क्योंकि हमने इसका मोल लेकर पूरे बारिश के सीजन तक खरीद रखा है
06:52मंगरू भाई हमें केवल थोड़ी सी मचली चाहिए मचली पालन करने के लिए
06:57अरे वो तो ठीक है लेकिन घुड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या
07:01तीनों खाली हाथ घर आती है
07:03जब मचलियां ही नहीं होंगे हम किस तरह से मचली पालन करेंगे
07:07क्यों ना हम बाजार से थोड़ी छोटी वाली जिन्दा मचलियां खरीद कर ले आए
07:11थोड़े पैसे लगा कर अगर हमें ज्यादा लाब मिले तो अच्छा है
07:14किरन की जुगाडू राय दोनों बहु को भी पसंद आती है
07:18और वा बाजार से अपको चोटी चोटी जिन्दा मचली को करीद कर लाती है
07:21और आगन में गड़ा खोट कर पानी भरती है और उसमें मचलियों को छोड़ देती है
07:25बस थोड़ी दिन में हमारी मचलियां बड़ी बड़ी हो जाएंगी तो हम बाजार में अच्छे रेट पर बेचेंगे
07:31पर तब तक के लिए हम खाएंगे क्या
07:33क्यों ना हम कुछ सबजियों की केती भी कर लें
07:35खाद बनाने के लिए हमारे पास गोबर भी है और आंगन का कुछ इसा खाली भी है
07:39अब तीनों आंगन के दूसरे सिरे को खुर्पों से खोट कर सबजी के बीच बोने की क्यारियां लगाती है
07:45और अलग अलग सबजियां जैसे की बैंगन, गोभी, पता गोभी, तमाटर, भिंडी जैसी बरसाती फसले लगा देती है
07:51बारिश के चलते कुछी दिनों बाद उनमें से अंकुर निकलाते हैं और दस-पंदरा दिन में चुटे-चुटे पौधे भी बन जाते हैं
07:57और लगभग एक से डेड़ महीने में ही फसले फूट जाती हैं वही अब मचलियां भी बड़ी-बड़ी सी हो जाती हैं जिन्हें तीनों जुगाडू बहुए ले जाकर बाजार में बेचती हैं
08:07ताजी-ताजी मचली वाले सिर्फ सौर पे किलो में आओ भईया जी रोहू मांगूर घास काट मचली अरे बहन जी ये एक काटे वाली घास काट मचली कर दो एक किलो
08:20जी अभी देती हूँ भईया वाबिता जल्दी से ग्राहक को मचली देती है वहीं दूसरी तरफ आशा ताजी-ताजी सब्जियों को बेच रही थी और उसके पास भिखा चाकाच भीड लगी थी
08:30बहन जी तुम्हाई सब्जियां एकदम ताजी-ताजी कच्ची-कच्ची हैं ऐसी सब्जियां तो बरसात में कोई भी सब्जी वाला नहीं बेच रहा
08:36बहन जी ये सब्जियां हमने खुद घर पर खाद बना कर उगाई हैं इसलिए ये ताजी और फ्रेश हैं आप जब इसे बनाओगी तो सब्जी का स्वाद भी खेल कर आएगा
08:46देखते देखते तीनों जुगाडू बहु खेत की ताजी सब्जियां और मचली बेच कर काफी अच्छा मुनाफ़ा कमाने लगती हैं वहीं तीनों के बती भी वापस आ जाते हैं
08:55मा ये लो तीन महीने में कमरे के किराया और खाने पीने के बाद ये 5000 रुपई ही जोड़ पाए बस
09:01अपने तीनों बेटों का कमजोर दुबला शरीर देखकर कलावती की आँखें डबडबा जाती है
09:06बेटा ये मुठी भर तनख्वा के लिए तुम लोगों को परिवार से दूर रहने की कोई जरुवत नहीं है
09:12कितना कमजोर शरीर कर लिया है तीनों ने गर का खान पान जो नहीं मिलता होगा
09:17अजी माजी बलकुल ठीक कह रही है अब आप तीनों भाई यहीं पर रहो
09:21जब गाउं में ही रहकर इससे जादा आमदनी हो सकती है तो परिवार से दूर शहर में जाने की क्या जरुवत है
09:26हम तीनों बहु मचली पालन करेंगे और ताजी ताजी सबजियां उगाएंगी और आप तीनों भाई ले जाकर बाजार में बेचना
09:33हम तीनों ने काफी अच्छे ग्राहक जमा लिये हैं तीनों को अपनी जुगाडू पत्नियों की सला काफी जचती है तीनों गाउं में रहकर ही बाजार में ताजी सबजियां और मचली बेचते हैं और बहुएं
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