"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
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00:00भगवान की दुआ से इतने बड़े घर में हमारी बेटी का रिष्टा लगा है। हमें उनके हैसियत के अनुसार ही चीजों का बंदोबस्त करना पड़ेगा। जैसे खाने के आइटम और बढ़ाने होगे, सामान, गहने और भी बहुत कुछ।
00:15सुनिये जी, पहले ही हम बहुत बड़े घर से रिष्टा जोड़ चुके हैं, हमें अपनी आउकास से बढ़कर चीज नहीं करनी चाहिए। एक बार लड़के वालों से बात कर लेते हैं, लड़के वाले काफी अच्छे हैं, उन्होंने दहेज भी नहीं मांगा, लड़का भी
00:45ये थोड़ी ना है कि वो तुम्हारी सारी बात माल लेंगे, पराती का स्वागत तोने अच्छे सही चाहिए होगा, और वो भी चाहेंगे कि बहु सोने से लदी हुई आए, तुम्हें क्या लगता है कि तुम अपने दमाज से या लड़के वालों से बात कर लोगी तो तु
01:15अच्छी से घर आता है, आशा, कुछ लोगों की किसमत कितनी अच्छी होती है, मैंने तुम्हें बताया था ना, अनिल की बेटी की शादी के बारे में, उसका दमाद काफी अच्छा है, कुछ टाइम पहले अनिल का एक्सिडेंट हो गया था, जानती हो, सारा खर्चा उसके
01:45विनोद की बातों से आशा को अपने दमाद से उम्मीद होने लगती है, और अगले दिन जब आशा अपनी बेटी काजल के साथ शौपिंग करने जा रही होती है, तो अपनी पडोसियों के सामने अपने दमाद की तारीफ करती है
02:00बहन, मेरी बेटी का रिष्टा भगवान की कृपा से बहुत अच्छी जगे लगा है, लड़के वालों ने कुछ नहीं मांगा, पर हमारा तो फर्ज बनता है ना, कि हम अपनी बेटी को सब कुछ दे
02:12हाँ बहन, क्यों नहीं, अब हैसिय से बहार निकल कर बेटी का रिष्टा किया है, तो चाहे खुद को ही क्यों ना बेशना पड़े, पर किसी चीज में कसर मत छोड़ना, और अपने दिमाग में ये गलत फहमी बहार निकाल देना, कि दामाद कभी बेटा भी बन सकता है
02:32हाँ बहन, वरना जानती हो न सरला बहन की क्या हालत है, पहले लड़के वालों ने कुछ नहीं मांगा, और शादी के बाद, बेचारी को परिशान कर दिया
02:43अपने पड़ोसी की बाते सुनकर आशा के मन में डर बैट जाता है, कि कहीं उसका दामाद भी सरला के दामाद की तरहा न निकल जाए
02:50समय योही गुजरता है, और एक दिन उनके घर विकास आता है, उसने ये रिश्टा लगाया था
02:56अच्छा हुआ, विकास भाई साहब जो आप आ गए, हमने वैसे बैंकेट बुक कर दिया है, बरातियों के स्वागत की सारी अरेंजमेंट कर ली है, सो उना भी दो तोला बनवा लिया है
03:09पर हम शाहिद इससे ज़्यादा और कुछ नहीं दे पाएंगे, आप एक बार लड़के वालों से पूछ ले कि इन सबसे उन्हें कोई परेशानी तो नहीं
03:19ये मैं क्या सुन रहा हूँ विनोद भाई सहाब, लड़के वाले इतने अच्छे हैं, उन्हें कुछ नहीं माँगा तो आप लोगोंने अपना सब कुछ दाओं पर रखकर इतनी सारी अरेंजमेंट क्योंकि
03:29आप तो जानते हैं ना, लड़के वाले कितने अमीर हैं, हमने उनको शगुन में हजार रुपए और एक सारी देने का भी बंदोबस्त कर लिया है
03:39विनोद और आशा का डर देख विकास सब समझ जाता है, और सारी बात लड़के वालों को बताता है, अगले ही दिन आकाश अपनी माँ सुमित्रा के साथ आता है
03:48मा, पापा, क्या आप मुझे अपना बेटा नहीं समझते, जो इतना सब कुछ कर रहे हैं, वो तो अच्छा हुआ विकास अंकल ने हमें सब बता दिया
03:56हाँ, आशा बेहन, हमें कुछ नहीं चाहिए, भगबान की किरपा से पहले ही हमारे पास सब कुछ है, हमें तो बस एक संसकारी बहु चाहिए, बिल्कुल काचल बिटिया की तरह
04:07मा, मैंने कहा थाना आपको, कि मेरी जीचा जी बहुत अच्छे है
04:12लड़के वालों की बास सुनकर, उनके सेर से एक बोज हटता है, समय गुजरता है, और बहुत जल्द काचल की शादी हो जाती है
04:19बाबी, आप मुझे अपनी छोटी बहनी समझना, और अगर कोई भी परिशानी हो तो मुझे बताना
04:26जरूर करिश्मा
04:28बहु, अब तुम्हाराम कर लो, कल तुम्हारी पहली रसोई है, और पड़सो तुम्हे अपने पकफेरे की रस्म के लिए भी जाना है
04:37अपने ससुराल वालों का व्यूहार देख कर काजल को बहुत अच्छा लगता है
04:43और अगले दिन उसकी पहली रसोई होती है, जहां सब उसकी तारीफ करते हैं
04:47और अगले दिन आकाश काजल के साथ अपने ससुराल जाता है
04:50मा, पापा, कोमल, रूपा, पूजा कैसे हाँ अब सब?
04:54हम बिलकुल ठीक है, अरे बेटा अंदर आओ, मैं आपके लिए कुछ बना कर लाती हूँ
05:00वा, मा बेटा भी बोल लई है और फ्रमैलिटी भी निबा रही है
05:04आप क्यों कुछ लाएंगी मेरे लिए, मैं खुद रसोई में जाता हूँ और आप सब के लिए मंचूरियन बनाता हूँ
05:11जीजू, आप खाना बनाओगे?
05:13क्यों, मैं नहीं बना सकता?
05:15बेटा, तुम दामाद हो, और दामाद से कैसे?
05:20मा रहने दो, ये नहीं मानने वाले
05:23आकाश किसी की नहीं सुनता और रसोई में जाकर सब के लिए खाना बनाता है
05:27आखिर आपके दामाद का खुद का केटरिंग का बिजनेस है
05:31तो मैं अपने परिवाल के लिए इतना दुकरी सकता हूँ
05:34आकाश का ऐसा बरताओ देखकर सबको काफी अच्छा लगता है
05:38और दो दिन आकाश अपने सस्राल में रुख, उनके साथ काफी इंजॉई करता है
05:42और काजल अपने पती के साथ सस्राल चली जाती है
05:45काजल के जाते ही आशा की पड़ोसन आती है
05:48क्या बात है बहन, तुम तो काफी खुश नजर आ रही हो
05:52हाँ बहन, जब दमाद बेटा चैसा मिल जाए, तो खुशी तो होगी ही ना
05:57मेरा खुद का बेटा तो नहीं है, पर मेरा दमाद मेरे बेटे से कम नहीं है
06:02आशा बहन, तुम सच में कितनी भोली हो
06:06ये सब बस शुरुआत में होता है, बहुत में देखना
06:10कैसे तुमारा दमाद असली रंग दिखाता है अपने
06:14तुम कुछ भी कर लो, पर दमाद कभी बेटा नहीं बन सकता
06:18आशा की पड़ोसन, आशा को भढ़का कर वहां से चली जाती है
06:23ऐसे ही कुछ दिन बीचते हैं और एक दिन
06:26बहु, क्या हुआ, तुम एक दो दिन से इतनी दुखी क्यों नजर आ रही हो
06:31हाँ भाबी, क्या हुआ, आपको अपनी घर की याद आ रही है
06:35वो दरसल मा की तबित कुछ दिनों से ठीक नहीं है
06:39मन बहुत घबरा रहा है
06:41क्या, मा बीमार है और तुमने हमें बताया भी नहीं
06:45इस वक्त हमारा उनके पास होना बहुत जरूरी है
06:47हाँ भाबी, भाईया सही बोल रहे है
06:50अकाश, तुम आज ही बहु को उसके माई के ले जाओ
06:54अब बिना कोई देरी करे आकाश काजल को उसके माई के ले जाता है
06:58और साथ में अपनी सास के लिए कुछ फल, नारियल, पानी आदी भी ले जाता है
07:03अरे काजल बेटा, दमाजी, आप ये और ये सब क्या है?
07:10बापा, हम माँ से मिलने आए हैं, माँ कैसी है?
07:13और बापा, हम तब तक यहां से नहीं जाएंगे, जब तक माँ ठीक नहीं हो जाती
07:17इतना बोलकर आकाश अपनी सास के लिए कुछ फल काड़ता है
07:21और खुद रसोई में जाकर अपनी सास के लिए अपने हाथों से खिचड़ी बनाता है
07:25मा, ये खिचड़ी खा लो, फिर हम बड़ी डॉक्टर के पास जाएंगे और आपका टेस्ट करवाएंगे
07:31अब आकाश तब तक महां रहता है
07:33वो खुद अपनी सास का खयार रखता है, उसके लिए खाना बनाता है
07:39और अपने पैसे से इलाज भी करवाता है
07:41ऐसे कुछ दिन बीट जाते हैं और आशा बिलकुल ठीक हो जाती है
07:45इतना बोलकर काजल आकाश के साथ अपने माई की जाती है
08:01समय गुजरता है और एक दिन कोमल के दिन भी अच्छे घर से रिष्टा आता है
08:05और इसी बीच कर्जवाले विनोद को परिशान करते हैं
08:09और अपने पिता को परिषान देख कोमल परिशान हो जाती है
08:12और फोन करके सारी बात अपनी बेहन को बताती है
08:15दीदी तुम जल्दी से यहां जौँ तुमारे शादी के लिए पापा ने सबसे छुपा कर घर गिरभी रखा था
08:21और अब करज़ वाले परिशान कर रहे हैं घर आकर
08:24और पापा को अब मेरी शादी की भी चिंता हो रही है
08:27कॉमल से बात कर काजल सारी बात आकाश को बताती है
08:31और आकाश बिना देर किये और किसी को कुछ बताई काजल को लेकर अपने ससुराल आ जाता है
08:36पापा आपने मुझे कुछ बताया क्यों नहीं इतना सब हो गया क्या मैं आपके बेटे जैसा नहीं बस अब बहुत हुआ कोमल की शादी की जिम्मेदानी मेरी है और घर का कर्जा भी मैं ही चुकाऊंगा
08:47इस तरह आकाश अपने गरीब ससुराल का सहारा बनता है तो वहीं सुमित्रा की पड़ोसी घर जाकर सुमित्रा के कान भरती है
08:54यही नतीजा होता है नई नवेली बहु को चूट देने खा तुमने अपने बेटे बहु को इतना सर पर चड़ा लिया कि तुमारी बहुने तुमारे बेटे को जोरू का गुलाम बना लिया अरे जब देखो तब ससुराल में ही पड़ा रहता है
09:08सोच समझ कर बोलो किसी काम से गया है मेरा बेटा
09:12अरे हर हफ़ते ऐसा भी क्या काम कि ससुराल पहुँच जाए
09:17देख लेना बहुत जल्द ख़बर आएगी कि बेटा घर जमाई बन गया
09:22इतना बोलकर सुमित्रा की पड़ोसन वहां से चली जाती है
09:26समय गुजरता है और अब रिष्टेदार सुमित्रा से सवाल करते है
09:30सुमित्रा लोगों की बातों में आ जाती है और काजल के साथ अपने बहु के माई के जाती है
09:49जहां वो देखते हैं कि उसका बेटा कर्दारों को ऑनलाइन उनके पैसे दे रहा है
09:53और कोमल का रोका हो रहा है
09:55हरे माँ आप बिलकुँ सही समय पे आई है
09:57आप कहती थी न दमाद को भी बेटा बन के रहना चाहिए