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  • 2 days ago
"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!


🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता

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Transcript
00:00भगवान की दुआ से इतने बड़े घर में हमारी बेटी का रिष्टा लगा है
00:06हमें उनके हैसियत के अनुसार ही चीजों का बंदोबस्त करना पड़ेगा
00:11जैसे खाने के आइटम और बढ़ाने होगे, सामान कहने और भी बहुत कुछ
00:16सुनिये जी, पहले ही हम बहुत बड़े घर से रिष्टा जोड़ चुके हैं
00:21हमें अपनी आउकास से बढ़कर चीज नहीं करनी चाहिए
00:24एक बार लड़के वालों से बात कर लेते हैं
00:27लड़के वाले काफी अच्छे हैं
00:29उन्होंने दहेज भी नहीं मांगा, लड़का भी काफी अच्छा है
00:33वो हमारी परेशानी जरूर समझेंगे
00:36एक बार उनसे पूछ लेना चाहिए
00:38भाबी, इतने बड़े घर से रिष्टा जुड़ा है
00:43तुमने माना कि वो दहेज नहीं मांग रहे
00:46इसका मतलब ये थोड़ी ना है
00:48कि वो तुमारी सारी बात मान लेंगे
00:50भाराती का स्वागत तोने अच्छे सही चाहिए होगा
00:53और वो भी चाहेंगे कि बहु सोने से लदी हुई आए
00:57तुम्हें क्या लगता है
00:58कि तुम अपने दमाद से या लड़के वालों से बात कर लोगी
01:02तो तुम्हारी प्रॉब्लम खत्म हो जाएगी
01:04अरे दमाद दमाद होता है
01:07वो कभी बेटा नहीं बन सकता
01:09आशा अपनी नंद की बात सुनकर और भी ज़्यादा परेशान हो जाती है
01:13योहीं वक्त गुजरता है और एक रात विनूद फैक्टरी से घर आता है
01:18आशा कुछ लोगों की किसमत कितनी अच्छी होती है
01:22मैंने तुम्हें बताया था ना
01:25अनिल की बेटी की शादी के बारे में
01:27उसका दमाद काफी अच्छा है
01:29कुछ टाइम पहले अनिल का एक्सिडेंट हो गया था
01:31जानती हो सारा खर्चा उसके दमाद ने उठाया है
01:35ये बात तो बहुत अच्छी है जी
01:37काश की हमारा दमाद भी ऐसा ही हो
01:40वैसे भी हमारा बेटा तो है नहीं
01:43पर हम अपने दमाद को ही बेटे की तरह चाहेंगे
01:46मा अकाश जी जो बहुत अच्छे है
01:49उनसे बात करके ही पता चला
01:51विनोत की बातों से आशा को अपने दमाद से उम्मीद होने लगती है
01:55और अगले दिन जब आशा अपनी बेटी काजल के साथ
01:57शौपिंग करने जा रही होती है
01:59तो अपनी पडोसियों के सामने अपने दमाद की तारीफ करती है
02:02बहन, मेरी बेटी का रिष्टा भगवान की कृपा से बहुत अच्छी जगे लगा है
02:07लड़के वालोंने कुछ नहीं मागा
02:10पर हमारा तो फर्ज बनता है ना
02:12कि हम अपनी बेटी को सब कुछ दे
02:14हाँ बहन, क्यों नहीं
02:18अब हैसियों से बाहा निकल कर बेटी का रिष्टा किया है
02:21तो चाहे खुद को ही क्यों ना बेशना पड़े
02:24पर किसी चीज में कसर मत छोड़ना
02:27और अपने दिमाग में ये गलत फैमी बाहा निकाल देना
02:31कि दामाद कभी बेटा भी बन सकता है
02:34हाँ बहन, वर न जानती हो न सरला बहन की क्या हालत है
02:39पहले लड़के वालों ने कुछ नहीं मांगा
02:41और शादी के बाद विचारी को परिशान कर दिया
02:45अपने पड़ोसी की बाते सुनकर आशा के मन में डर बैट जाता है
02:49कि कहीं उसका दामाद भी सरला के दामाद की तरह न निकल जाए
02:52समय योही गुदरता है और एक दिन उनके घर विकास आता है
02:57उसने ये रिश्टा लगाया था
02:58अच्छा हुआ विकास भाई साहब जो आप आ गए
03:02हमने वैसे बैंकेट बुक कर दिया है
03:05बरातियों के स्वागत की सारी अरेंजमेंट कर ली है
03:09सोना भी दो तोला बनवा लिया है
03:11पर हम शाहिद इससे ज़्यादा और कुछ नहीं दे पाएंगे
03:16आप एक बार लड़के वालों से पूछ ले की
03:19इन सबसे उन्हें कोई परेशानी तो नहीं
03:22ये मैं क्या सुन रहा हूँ विनोद भाई साहाब
03:25लड़के वाले इतने अच्छे हैं
03:27उन्हें कुछ नहीं मांगा तो आप लोगोंने अपना सब कुछ दाओं पर रखकर
03:46लड़के वालों को बताता है अगले ही दिन आकाश अपनी मां सुमित्रा के साथ आता है
03:50मा पापा क्या आप मुझे अपना बेटा नहीं समस्ते जो इतना सब कुछ कर रहे हैं
03:56वो तो अच्छा हुआ विकास अंकल ने हमें सब बता दिया
03:59हाँ अशा बेहन हमें कुछ नहीं चाहिए भगबान की किरपा से पहले ही हमारे पास सब कुछ है
04:04हमें तो बस एक संसकारी बहु चाहिए बिलकुल काचल बिटिया की तरह
04:09मा मैंने कहा था ना आपको कि मेरी जीचा जी बहुत अच्छे है
04:14लड़के वालों की बास सुनकर उनके सिर से एक बोज हटता है
04:18समय गुजरता है और बहुत जल्द काजल की शादी हो जाती है
04:21बाबी आप मुझे अपनी छोटे बेहनी समझना और अगर कोई भी परिशानी हो तो मुझे बताना
04:28जरूर करिश्मा
04:30बहु अब तुम्हारा आम कर लो कल तुम्हारी पहली रसोई है और पड़सो तुम्हे अपने पकपेरे की रस्म के लिए भी जाना है
04:39अपने ससुराल वालों का व्यूहार देख कर काजल को बहुत अच्छा लगता है
04:45और अगले दिन उसकी पहली रसोई होती है जहां सब उसकी तारीफ करते हैं
04:49और अगले दिन आकाश काजल के साथ अपने ससुराल जाता है
04:52मा, पापा, कोमल, रूपा, पूजा कैसे हाँ अब सब?
04:56हम बिलकुल ठीक है, अरे बेटा अंदर आओ, मैं आपके लिए कुछ बना कर लाती हूँ
05:01वा, मा बेटा भी बोल लई है और फ्रमैलिटी भी निबा रही है
05:06आप क्यों कुछ लाएंगी मेरे लिए, मैं खुद रसुई में जाता हूँ और आप सब के लिए मंचूरियन बनाता हूँ
05:12जीजू, आप खाना बनाओगे?
05:15क्यों, मैं नहीं बना सकता?
05:17बेटा, तुम दामाद हो और दामाद से कैसे?
05:22मा रहने दो, ये नहीं मानने वाले
05:24आकाश किसी की नहीं सुनता और रसुई में जाकर सब के लिए खाना बनाता है
05:29आखिर आपके दामाद का खुद का केटरिंग का बिजनिस है
05:33तो मैं अपने परिवार के लिए इतना दुकरी सकता हूँ
05:36आकाश का ऐसा बरताओ देखकर सबको काफी अच्छा लगता है
05:40और दो दिन आकाश अपने ससुराल में रुक, उनके साथ काफी इंजॉई करता है
05:44और काजल अपने पती के साथ ससुराल चली जाती है
05:47काजल के जाते ही आशा की पड़ोसन आती है
05:50क्या बात है बहन, तुम तो काफी खुश नजर आ रही हो
05:54हाँ बहन, जब दमाद बेटा चैसा मिल जाए, तो खुशी तो होगी ही ना
05:59मेरा खुद का बेटा तो नहीं है, पर मेरा दमाद मेरे बेटे से कम नहीं है
06:04आशा बहन, तुम सच में कितनी भोली हो
06:07ये सब बस शुरुआत में होता है, बात में देखना, कैसे तुमारा दमाद असली रंग दिखाता है अपने
06:16तुम कुछ भी कर लो, पर दमाद कभी बेटा नहीं बन सकता
06:20आशा की पड़ोसन, आशा को भढ़का कर वहाँ से चली जाती है, ऐसे ही कुछ दिन बीचते हैं और एक दिन
06:27बहु, क्या हुआ, तुम एक दो दिन से इतनी दुखी क्यों नजर आ रही हो
06:33हाँ भाबी, क्या हुआ, आपको अपनी घर की याद आ रही है
06:37वो, दरसल मा की तबित कुछ दिनों से ठीक नहीं है, मन बहुत घबरा रहा है
06:43क्या, मा बीमार है और तुमने हमें बताया भी नहीं, इस वक्त हमारा उनके पास होना बहुत जरूरी है
06:49हाँ भाबी, भाईया सही बोल रहे है
06:52अकाश, तुमाज ही बहु को उसके माई के ले जाओ
06:56अब बिना कोई देरी करे अकाश, काजल को उसके माई के ले जाता है
07:00और साथ में अपनी सास के लिए कुछ फल, नारियल, पानी आदी भी ले जाता है
07:04अरे, काजल बेटा, दमाजी, आप ये और ये सब क्या है
07:11और पापा, हम माँ से मिलने आए हैं, माँ कैसी है?
07:15और पापा, हम तब तक यहां से नहीं जाएंगे, जब तक माँ ठीक नहीं हो जाती
07:19इतना बोलकर आकाश, अपनी सास के लिए कुछ फल काटता है
07:22और खुद रसोई में जाकर अपनी सास के लिए, अपने हाथों से खिचडी बनाता है
07:26मा, ये खिचडी खा लो, फिर हम बड़ी डॉक्टर के पास जाएंगे, और आपका टेस्ट करवाएंगे
07:32अब आकाश तब तक वहां रहता है
07:35वो खुद अपनी सास का खयार रखता है, उसके लिए खाना बनाता है
07:41और अपने पैसे से इलाज भी करवाता है
07:43ऐसे कुछ दिन बीट जाते हैं और आश अब बिलकुल ठीक हो जाती है
07:47इतना बोलकर काजल आकाश के साथ अपने माई की जाती है
08:02समय गुजरता है और एक दिन कॉमल के दिन भी अच्छे घर से रिखता आता है
08:07और इसी बीच करज वाले विनोद को परिशान करते हैं
08:11और अपने पिता को परिशान देख कॉमल परिशान हो जाती है
08:13और फोन करके सारी बात अपनी बहन को बताती है
08:16कोमल से बात कर काजल सारी बात आकाश को बताती है
08:33और आकाश बिना देर किये और किसी को कुछ बताई काजल को लेकर अपने ससुरा ला जाता है
08:37पापा आपने मुझे कुछ बताया क्यों नहीं इतना सब हो गया क्या मैं आपके बेटे जैसा नहीं बस अब बहुत हुआ कोमल की शादी की जिम्मेदानी मेरी है और घर का कर्जा भी ये मैं ही चुकाऊंगा
08:48इस तरह आकाश अपने गरीब ससुराल का सहारा बनता है तो वहीं सुमित्रा की पड़ोसी घर जाकर सुमित्रा के कान भरती है
08:56यही नतीजा होता है नई नवेली बहु को चूट देने खा तुमने अपने बेटे बहु को इतना सर पर चड़ा लिया कि तुमारी बहु ने तुमारे बेटे को जोरू का गुलाम बना लिया अरे जब देखो तब ससुराल में ही पड़ा रहता है
09:10सोच समझ कर बोलो किसी काम से गया है मेरा बेटा
09:14अरे हर हफ़ते ऐसा भी क्या काम कि ससुराल पहुँच जाए
09:18देख लेना बहुत जल्द खबर आएगी कि बेटा घर जमाई बन गया
09:23इतना बोलकर सुमित्रा की पड़ोसन वहां से चली जाती है
09:28समय गुजरता है और अब रिष्टेदार सुमित्रा से सवाल करते है
09:32सुमित्रा लोगों की बातों में आ जाती है और काजल के साथ अपने बहु के माई के जाती है
09:51जहां वो देखते हैं कि उसका बेटा कर्जदारों को ऑनलाइन उनके पैसे दे रहा है और कोमल का रोका हो रहा है
09:57हरे माँ हब बिल्कुल सही समय पे आई हैं आप कहती थी न दमाद को भी बेटा बन के रहना चाहिए
10:02देखो मैंने अपनी जिम्मदारी पूरी करी मैंने कोमल का रोका करवा दिया बहुत जल्दी उसकी शादी की डेट भी निकलाएगी और पापा का सारा करजा भी चुका दिया है
10:12हम लोग भी बस यहां से निकलने वाले थे अच्छा हुआ जो आप आगें अब साथ में चलेंगे
10:16बेहन आपने अपने बेटे को बहुत अच्छे संसकार दिये हैं मेरे तो भागे ही खुल गए ऐसा दमाद पाकर आज मैं गर्व से सीना ठोक कर सभी को पताऊंगी कि मेरा दमाद दमाद नहीं बेटा है
10:31खुशी में आकर आशा बाहर जाती है और गली की कुछ औरतों को जमा कर उनसे कहती है
10:37तुम लोग कहते थे ना कि दमाद कभी बेटा नहीं बन सकता पर मेरा दमाद मेरे बेटे से भी बढ़ कर है
10:45अगर आज मेरा बेटा होता तो वो भी मेरे लिए इतना ना करता जितना मेरे दमाद ने किया है
10:51सच में आशा तुम्हारा दमाद तो लाकों में एक है
10:56आशा के घर आकर सुमित्रा की सारी गलत फैमी दूर हो जाती है
10:59और उसको भी अपने परवरिश पर नाज होता है
11:03जिसके बाद आकाश अपनी पूरी फैमिली के साथ अपने घर जाता है
11:06और बहुत जल्द कोमल की शादी में वापस आता है
11:08और बेटे की तरह सारी जिम्मेदारी ने भारता है

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