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  • 6/27/2025
"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!


🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता

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Transcript
00:00मा मेरा तोस्तना आरुन उसके रों में एक new AC आया
00:04पता उसके AC पर ड्रोइंग भी बनी है
00:06मुझे भी मेरे कमरे में वही AC चाहिए
00:08वैसे भी जो मेरे कमरे में AC आप वो cooling भी कम करने लगा है
00:11बेटा तुम्हारे कमरे के लिए ही क्योँ
00:14हम हॉल के लिए भी न्यू एसी ले लेंगे
00:15हमारा हॉल इतना बड़ा है और एक एसी इतने बड़े हॉल के लिए काफी नहीं है
00:19बहु अगर आशु के कमरे का एसी ठीक से कोलिंग नहीं कर रहा
00:23तो कंपनी वालों को बुला कर उसे रिपेर कर वालो
00:26नया एसी खरीदने की क्या जरूरत है और हम कौन सा पूरा दिन हॉल में बैठे रहते हैं सब तो अपने कमरे में ही रहते हैं तो हॉल में तो दो एसी लगाने का मतलब ही नहीं बनता
00:35मा जी जब अगवान का दिया सब कुछ है तो क्यों हो गरीबोस जैसी जिन्दगी जी नी अब हम लोग आपकी छोटी बहू मेरी गरीब देवरानी जैसे तो नहीं है न पिचारी कभी कभी तो बहुत तरस आता है उस पर
00:46यह पंखा इतना दीरे दीरे क्यों चलता है बहुत जादा गर्मी लग दिया चाची के घर में तो एसी है और हमारे घर में सिप यह पंखा और यह भी ठीक से हवा नहीं देता मा हम लोग एसी कभ लगवाएंगे
00:56अमरता एक कपड़े को गीला कर उसे अपने बेटे मोनू को उड़ा देती है जिससे उसे थोड़ी देर के लिए ठंड़क मिल जाती है जहार कोई कूलर और एसी की ठंडी हवा में अपने घरों में रहकर आराम कर रहा था तो वहीं इस गरीब परिवार कोबा से एक पंखे म
01:26बिजली क्यों जा रही है सुबा से चौथी बार बिजली गई है बेचारा हमारा मोनू अभी तो गर्मी से परिशान होकर सोया ही था और बिजली चली गई
01:33मुझे बच्पन से मशीन में दिल्चस्पी रही उन्हें बनाने उन्हें ठीक करने में अगर पढ़ाई पर ध्यान देता तो आज मैं भी भाया की तरह बिजनिस समालता और आज हमारी ऐसी हालत न होती
01:44कहने को अमृता और तन्वी एक दोसे की देवरानी जिठानी थी लेकिन जहां इस गर्मी में अमीर जिठानी तन्वी अपने घर में एसी की ठंडी हवा में गर्मी से बचे हुए थे तो वहीं बिचारी गरीब देवरानी अमृता हर दिन अपने परिवार के साथ इस गर्मी
02:14कर चिढ़ाने लगती है
02:44एसी की ठंडी ठंडी हवा खाती है
02:46ऐसे एक दो दिन गुज़र जाते है
02:48मौनू बीटा क्या हुआ
02:53तुम रो क्यों रहे हो
02:55किसी ने कुछ कहा
02:56मुझे बहुत गर्मी लग रही थी
02:59तो मैं चार्ची के ग़र एसी की हवा खाने के लिए
03:01गया दोनोंने मुझे वाज़र बगा दिया
03:03और कहा कि यह ची की ठंडी अवा सिर्फ अमीरों के लिए
03:06हम जैसे गरीबों के लिए नहीं है
03:08मौनू की यह बास सुनकर अमरता को
03:11काफी जादा दुख होता है
03:13जिसके बाद अब विजह जैसे ही शाम को
03:15काम से घर आता है
03:17मैं सोच रही हूँ कि क्यों ना
03:19मैं भी आसपास कहीं काम देख लो
03:21गर्मी काफी जादा बढ़ चुकी है
03:23हम तो फिर भी गर्मी बरदाश कर लेते हैं
03:25लेकिन मौनू अभी काफी चोटा है
03:27पता है अब एसी लानी की तो हमारी हैसियत नहीं
03:29ये कम से कम एक कूलर ही ले आते है
03:31ठीक है अगर ऐसा ही है
03:33तो तुम आसपास कहीं काम देख लो
03:36कम से कम गर्मी से रहत तो मिले
03:38अमर्ता को एक घर में बरतन और जाडू पोचा का काम मिल जाता है
03:42अमर्ता हर रोज की तरह
03:44अपने मालकिन तारा के घर में काम कर रही होती है
03:46कि तब ही वहाँ तन्वी आती है
03:48दरसल तन्वी और तारा दोस्त होती है
03:51तन्वी जैसे ही अमरता को फर्श पर पोछा लगाते हुए देखती है
03:55तो सब समझ जाती है और उसका काफी मजाग उडाती है
03:58और बिचारी अमरता इस बार भी तन्वी से कुछ नहीं कहती
04:01अमरता तारा से घर खर्च के लिए 500 रुपई लेकर घर जा रही होती है
04:07कि तब ही उसे एक कबारी की दुकान पर एक AC दिखता है जिसे देख वो उसके पास आती है
04:12ये आपकी कबारी की दुकान पर AC कब से आने लगे देखने में तो नया लग रहा है
04:17नया ही है बस इसकी एक दो वायर खराब हो गई है
04:21तो इसके मालिक ने इस कबारी में बेच दिया
04:23इन अमीर लोगों के भी अपने अलग चोचले हैं
04:26ये नहीं थोड़े पैसे लगा का चीज को ठीक करवा ले
04:29वैसे ये कितनी का है
04:31वैसे तो ये AC 700 रुपई का बेच रहा था
04:34लेकिन अगर आप इसे लेना चाहती है तो 500 रुपई में दे सकता हूँ
04:38अमरता के पास 500 रुपई ही थे
04:40वो ज़्यादा देरी न करते हुए
04:41500 रुपई से वो AC खरीद कर घर ले आती है
04:44और अपने पती विजय को दिखाती है
04:46ये AC तो पूरा का पूरा सही है
04:49बस एक दूतार में ही दिक्कत है
04:51इसे तो मैं ही ठीक कर दूँगा
04:52विजय मशीन की फैक्टरी में काम करता था
04:55इसलिए उसे इन चीजों के काफी जानकारी थी
04:58अगले दिन वायर को ठीक कर उसे घर में लगा देता है
05:01और 500 रुपई लिया हुआ बिलकुल नई AC जैसे ठंडी हवा देने वाला लगा देता है
05:06घर में AC आने के बाद मोनू आशु को बताता है और आशु अपनी दादी और मा को बताता है
05:12अपनी सास की बाते सुनकर तनवी का मूँ बन जाता है
05:30जैसे जैसे दिन गुजरते हैं वैसे वैसे गर्मी भी काफी बढ़ने लगी थी
05:34तनवी के घर पर काफी सालों से एक सिंगल डोर फ्रिज था
05:38जिसे देख अब तनवी उसे कबाड़ी वाले को देकर घर के लिए
05:42पचास हजार का एक डबल डोर फ्रिज लेकर आती है
05:45और अब बेसन के लड़ू लेकर अमृता के घर पहुन जाती है
05:48आप यहां और यह लड़ू कैसे? कोई कुछ कबरी है क्या?
05:52तुम तो जानती ही हो कि कुछ दिन पहले ही मैंने पचास हजार रुपए का एक नया एसी लिया
05:57और अब आज ही पचास हजार का डबल डोर फ्रिज लिया है
06:00मेरे घर में एक लाख रुपए का एसी और फ्रिज आया
06:02उसी की कुछी में आस पर उसमें मिठाई बाट रही थी
06:05अब और लोगों को तो मैंने काजुकतली दी थी
06:07पर तुमारे लिए मैं बेजन के लड़ू लेकर आई हूँ
06:09वो क्या है ना काजुकतली थोड़ी मेंगी मिठाई होती है
06:12और ये अमीरों को तो आराम से हजब मुझाती है
06:14लेकिन तुम तो ठहरे गरीब इतनी मेंगी मिठाई खाने की आदत नहीं होगी न
06:18इसलिए सस्ते लड़ू लेकर आई हूँ
06:20खाओ
06:20एक बार फिर तन्वी अमर्ता की गरीबी का मज़ा गुड़ा कर वहाँ से चली जाती है
06:25ऐसे कुछ दिन गुजर जाते है
06:27आशु अपनी आंगन में बैट कर कभी मैंगो शेक तो कभी आईस क्रीम खा रहा था
06:31जिसे देख मोनू उसके पास आता है
06:33मोनू रोते हुए गर आता है और सारी बात अपनी माँ को बताता है
06:54अमर्ता काफी समय से फिर लाना चाह रही थी
06:56लेकिन पैसों की कमी के चलते अमर्ता एक सेकंड हैंड फिर भी नहीं ले पाती
07:01और ऐसे ही एक दो दिन और गुजर जाते है
07:03अमर्ता के पड़ा उसमें रहने वाली आचल अपने घर का पुराना फ्रिज बाहर निकाल कर उसे बेच रही होती है
07:08बाई सहब पुराना फ्रिज है इसका मतलब ये थूड़ी ना है कि दो सो रुपे में दे दो
07:14कम से कम पात सु रुपे तो दीजे
07:16जादा से जादा मैं आपको तीन सो रुपे दे सकता हूँ फ्रिज की इससे जादा मैं नहीं दे सकता
07:22आचल अगर तुम मुझे कल तक का वक्त दो तो मैं तुम्हें पांच सु रुपे दी दूए
07:27ठीक है लेकिन सिर्फ मैं एक दिन का वक्त दे रही हूँ
07:29अगले दिन अमरता आचल को पांसो रुपे दे कर उससे उसका पुराना फ्रिज ले ले लेती है
07:35और अब उसकी भी मरमत कर उसे मेहनत करती है
07:38जहां एक तरफ अमीर बहु ने लाख रुपे का फ्रिज एसी लिया था
07:42तो वहीं दूसरी तरफ गरीब बहु ने हजार रुपे में एक एसी और फ्रिज का जुगार कर लिया था
07:48और अब ऐसे ही कुछ दिन गुजर जाते हैं
07:50रर्दीब ने कुछ समय पहले किसी से अपने बिजनिस के लिए लाख रुपे लिये थे
07:54लेकिन बिजनिस ना चलपाने के कारण रर्दीब को काफी नुकसान होता है
07:58और अब उसे अपने शियर्स बेच कर उस आदमी के पैसे चुकाने पड़ते हैं
08:02लेकिन इसमें भी एक लाख रुपे रर्दीब को कम पड़ते हैं
08:05मैंने जो तुम्हें एक लाख रुपे दिये थे मुझे वो दे दो
08:09उन पैसों से तो मैं एक और फ्रिच लेकर आ गई थी और जो मेरी सेविंग थी उनसे तो मैंने शॉपिंग कर ली थी
08:17ये तुमने क्या किया वो पैसे मैंने बुरे वक्त के लिए तो मैं समाल कर रखने के लिए दिये थे
08:22मुझे नहीं पता था कि तुम उन पैसों से वो समाल लेकर आई हो
08:25ओ गौड
08:26करणी चुकाने के लिए रणमीर एक लाक रोपे में लाया हुआ एक आफिस बेचकर उससे जिससे पैसे लिया था उससे दे देता है
08:34तो वहीं अब घर में बिना धन के एसी और बिना फ्रिज के थंडे पानी से सब काफी परेशान हो जाते हैं
08:40सबसे पहले मादूरी अपनी गरीबी के घर जाकर उसके एक हजार रोपे वाले एसी की थंडी हवा और फ्रिज का थंडा पानी पीती है तो वहीं थोड़ी देर में आशु अपने पिता के साथ अमरता के घर चला जाता है
08:51और अमरता उनका बड़े भी प्यार से स्वागत करती है और आखर में नच आते हुए गर्मी से परेशान होकर तन्वी को भी अमरता के घर जाना पड़ता है
09:00अमरता के बास उनका तन्वी को अपनी गल्दी का एसास होता है तो वहीं रर्दीब को भी अपने भाई के लिए काफी बुरा लगता है
09:17जिसे देखर अर्दीब विजय को उसके हिस्से की जमीन और जाइदा दे दे देता है जिसे अब गरीब बहु का परिवार भी हंसी को अपने है

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