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  • 6/16/2025
"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!


🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता

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Transcript
00:00अच्छा हुआ बच्चों जो इस गर्मी में तुम लोग गाउं आ गए
00:03दादी अब हम गाउं आए हैं तो आप हमें गुमाने ले चलोगे न
00:07मा जी आपको क्या बताओं गुमने की वज़ा से आएं ये बच्चे गाउं फिर तो ये बहुत अच्छी बात है
00:14इतना बोल अमीर शांती अपने बहु बेटे पोता पोती को अंदर ले जाती है और एसी चला कर पूरा परिवार एक साथ बैठ कर बाते करता है
00:23तो वहीं कुछी देर में शोभा के बहु बेटे भी अपने बच्चों के साथ आते हैं
00:28दादी पिछली बार जब हम गावाए थे तो आपने में कहीं नहीं गुमाया पर इस बार आप में अच्छी जगा गुमाना
00:33मा जी बच्चे आपको ऐसी परिशान करते रहेंगे चलिए मैं खाना बनाने में आपकी मदद करवा देती हूँ वैसे भी बच्चे ठक गए हैं
00:40इतना बोलकर शीतल और शोबा खाना बनाने के लिए चली जाती हैं और अगली सुबब बच्चे जली से नहा कर तयार हो जाते हैं और शीतल भी अपनी सास के साथ थोड़े से पराठे और एक बोतर में पानी और लसी पैक कर देती हैं जिसे लेकर बच्चे घर के बाहर जात
01:10साथ कहा जा रहे हो खेती करने देखो हमें हम तो चले आ समंदर के पास मजे करने हैं अरे विशाल नहीं भाई मैं भी बच्चों को घुमाने ले जा रहा हूं बच्चे इतनी दूर से इस गर्मी की चुट्टी में गाउं घूमने आए हैं अजी आप भी ना किस से बात करने
01:40पिछाते हैं और बड़ा सा चाता खोल देते हैं पुरा परिवार उस चाते के नीचे बैड़ता है और निशा सब के लिए खाना लगाती है बच्चों बहुत खेल लिया पानी से अब यहां कर थोड़ा च्छाओं में बैड़ और फूट चाट और लसी पीलो गर्मी बहुत
02:10बच्चों समुद्र के पास जाना सही नहीं है हम तुम्हें फिर कभी समंदर के पास ले चलेंगे पर पाप यहां बहुत दूप लग रही अब घर चलो में ठोक गई हूं बच्चे दूप और गर्मी से इतना परिशान हो जाते हैं कि घर जाने की जिद करते हैं जिसके बा�
02:40आज समुद्र के पास कितना मज़ा आया ना हम फिर से कल समुद्र के पास जायेंगे और कल तो मैं अपने लिए स्वीमिंग ट्यूब भी लेकर जाओंगी वो लोग समुद्र के किनारे से ओकर आयें कितने खुश लग रहें कितना मज़ा किया ओगा उन्होंने
02:53इतना बोलकर गोलू और विधी नाराज होकर घर में चले जाते हैं
02:58वही राजू और रिंकी भी हंसी खुशी अपने घर जाते हैं
03:01और ये सब देख शांती और विशाल गरीब विकास और राहुल से कहते हैं
03:05अरे वाई ये क्या तुमने मासुम बच्चों का दिल तोड़ दिया वाई गुमाने ही ले गए थे तो कहीं दूर ले जाते
03:11अरे कैसी बाते कर रहे हैं उनके पास हमारी तरह गाड़ी पैसा नहीं चो इस गर्मी में कहीं दूर जा सके
03:17इंसल्ट करके अमीर परिवार अंदर चला जाता है पर विकास और राहुल को ये बात बुरी लगती है और वो सारी बात अपनी बीवियों को बताते है
03:26आपने कुछ कहा क्यों नहीं वो अमीर है तो क्या कुछ भी कहेंगे
03:29मैं तो कहता हूं मा आप और शीतल भी चलना ज्यादा मज़ा आएगा
03:54एक बार फिर वो लोग बाहर जाने का प्लान करते हैं और इस बार पूरा परिवार सुबह जल्दी उठकर खाने में आलू का पराथा, अचार और लसी रखते हैं
04:02और पिकनिक मनाने के लिए घर से निकलते हैं तब ही अमीर परिवार की निजर उन पर पढ़ती है और एक बार फिर वो उनकी गरीबी का मजाग उडाते हैं
04:10अरे गरीबों का काफिला फिर से कहां चला? आज तो पूरा परिवार चल रहा है कहीं दूर जाने का इरादा है क्या? और इस पोटली में क्या है?
04:17हम दूर जाएं पास तुमसे मतलब तुम समुद्र के पास जा रही हो अपना पिकनिक मनाने आराम से जाते क्यों नहीं? चलिए माजी दूसरों की बात पर ज्यादा ध्यान देंगे तो हम अपना ही नुकसान करेंगे
04:28इस गरीब मस्दूर की बीवी को तो देख सरा कितनी अकड है चलो बहू गाड़ी में बैठते हैं
04:33एक बार फिर दोनों परिवार पिकनिक बनाने के लिए एक आम के बगीचे तो दूसरा परिवार समंदर के पास जाता है
04:39जहां बच्चे कभी समंदर के अंदर जाते तो कभी समंदर के लहरों से खेलते और कई बार तो वो समुत्र के किनारे बैठ का रेट का घर बनाते है
04:48मा देखो मैंने रिंकी से अच्छा घर बनाया है
04:51भले ही तो नीमें से अच्छा घर बनाया
04:54पर तु मेरे जितना अच्छा तैर नहीं पाएगा
04:56पापा आप मेरी स्विमिंग ट्यूब निकालो
04:57अब बताती हूं मैं इस राजुके बच्चे को
04:59स्विमिंग ट्यूब पहन का रिंकी पानी के अंदर चली जाती है और इस तरह दोनों बच्चे काफी मज़े करते हैं
05:05पर धूब जादा होने की वज़ा से कुछी देर में उन्हें गर्मी लगने लगती है और प्यास से तड़पने लगते है
05:11इतना मोलकर पूरा परिवार घर जाने के लिए तैयार हो जाता है तो वहीं गरीब परिवार छोटे से आम के बगीचे में बैट कर इंजॉई कर रहा होता है
05:35पर बच्चों को छोटे से आम का बगीचा भी पसंद नहीं आता
05:39ये लो बच्चों कच्चे आम की गहरी खा लो
05:43हमीनी खाना इसे बगीचा कहते हो यहां सिर्फ चार आम के पेड़ है और उस पर भी आम नहीं यहां भी धूप लग रही है
05:50नाराज राहूल भी आज अपने बच्चों को लेकर घर आ जाता है और पूरी राद विकास गहरी सोच में डूपता है और तबी उसे अपने दोस्त के आम के बगीचे का खयाल आता है
06:07बच्चों सुभा पाँच बजे उट जाना और तयार भी हो जाना
06:13कल में तुम्हें उपता हुआ सूरज से लेकर डूपता हुआ सूरज दिखाओंगा और इतना बड़ा आम का बगीचे दिखाओंगा कि तुम्हें मजा ही आ जाएगा
06:21पर वो बहुत दूर है तो तुम्हें चल का जाना पड़ेगा
06:24हमें मन्जूर है
06:25जहां विकास अपने पूरे परिवार को कहीं दूर आम के बगीचे में ले जाना चाह रहा था
06:30तो वहीं घर आकर राजू और रिंक के अपने घरवालों से कहते हैं
06:34मा देखो न समुदर के पानी से तो मैं काली हो गई हूँ मुझे नहीं जाना अब समुदर के पानी में
06:40हाँ मा बहुत गर्मी भी लगती और दूप भी है प्यास के मारे गला भी सूख जाता है
06:45अब हम कहीं और चलते हैं पिक्निक मनाने
06:47क्या घरावी है वहाँ
06:49लोग भी समंदर में वहां के पास बैठते हैं और इंजॉई करते हैं
06:53पता है कितना पसंद करते हैं ये सब
06:55हम कल भी वहीं जाएंगे सुनो मेरी बातकान खोल कर
06:58बच्चों के मना करने पर भी सूरज नहीं मानता
07:02और अगली सुबा पांच बजे विकास अपने पूरी परिवार के साथ
07:05हाथों में पूरी सबजी लस्ती रायता लेकर पैदल पैदल
07:08खेत खेत आम के बगीचे जाने लगता है
07:10सुबा पांच बजे कितना अच्छा मौसमें कितनी ठंडी ठंडी आवा चल रही है
07:15पापा आप क्या हमें सुख अंकल के आम के बगीचे ले जा रहे है
07:20हाँ बेटा वो आम का बगीचा हमारा ही है
07:23कुछी देर में पूरा परिवार आम के बगीचे में पहुंच जाता है
07:27आम का बगीचा काफी बड़ा था
07:29वहां कुछ पेड़ों में पके आम थे तो कुछ पेड़ों में कच्चे आम
07:33आम के बगीचे में पहुंचते ही बच्चों की नजर एक सुन्दर से मोर पर पड़ती है
07:38जहां दोनों बच्चे बगीचे में आकर काफी खुश थे
07:47तो वहीं पूरा परिवार एक चादर जमीन पर बिचा कर बैठ जाता है
07:51अब बच्चे पत्थर मार कर आम तोड़ते हैं और उसे खाते हैं
07:55तो वहीं आज भी अमीर परिवार समंदर के किनारे जाता है जहां बच्चों को जरा भी मज़ा नहीं आता
08:01चलो बच्चो समुद्र में नहाते हैं
08:04हमें नहीं नहाना बहुत दूप लग रही है पानी भी घर्म है
08:07अरे एक बाद तो जाओ बच्चो
08:10बच्चो के मना करने पर भी सूरज दोनों बच्चो को पानी में ले जाता है
08:13जहां रिंकी डूबने लगती है ये देख निशा डर जाती है और भागती हुई अपने बच्ची को समंदर से बाहा निकाल कर लाती है और सभी घरवालों पर नाराज होती है
08:22उर कर लीजे मन मानी सही तो कह रह demol電 बच्चे कितनी गर्मी है रेट भी अब गर्म होने लगी है चटाई पर भी बैठें तो भी गर्म लगता है च्छाता भी किसी काम का नहीं आते ही पानी खत्म हो जाता है प्यास से गला सूखने लगता है समंदर का पानी कितना खारा है हा�
08:52जुपिंगी तुम दोनों भी आगे क्या हुआ तुम आज उदास हो जैसे तुम्हें पता है आज तो हम आम के बगीचे में गहते बहुत सारे पत्तर मार कर आम भी तोड़े देखो मैं तो कुछ पके आम भी लेकर आया हूँ हमें तो बहुत मज़ा आया हमने तो मोर भी देख
09:22बच्चों की जिद पर अमीर परिवार को भी गरीब परिवार के साथ सुबा पाच बजे उठकर जाना पड़ता है अब वे लोग जैसे ही आम के बगीचे में पहुंचते हैं दोनों फैमली एक साथ उपता हुआ सूरज देखते हैं वहां मोर आकर नाजते हैं ठंडी ठंड
09:52अला बुरा कहा फिर भी तुम हमारे बच्चों के कहने पर हमें यहां लेकर आये और इतना अच्छा नजारा दिखाया जो हम समुद्र के पास बैट कर भी नहीं देख सकें
09:59सच में प्राकर्टिक नेचर ऐसा है जो मौसम के अंसार ही देखा जाये तो अच्छा लगता है कर्मियों में एसी ठंडी हवा आम का बगीचा सब कितना अच्छा है
10:10इस तरह उस दिन दोनों परिवार के बीच की दूरिया खतम हो जाती है और वो लोग एक साथ ढलता हुआ सूरज देखते हैं और शाम को अपने घर आते हैं और इसी तरह जब भी मौका मिलता दोनों परिवार एक साथ छुट्टियां एंजॉई करने के लिए खेद पहुँ
10:40जिसे हटाने के लिए वो अपनी मिर्ची वाले हाँ चेहरे पर लगा देती है और चेहरा और आँखे जलने लगती है और मेरी आँखे बहुत जल रही है और मेरा चेहरा भी पानी चाहिए मज़े कोई पानी दो
10:55मादुरी जली आँखों से जैसे तैसे सिंग के पास अपने हाथ साफ करके आँख साफ करती है हरी मिर्च और सिलबटे को देख बटे को जमीन पर फेक देती है बस बहुत हो गया मिर्ची की सबजी मिर्ची की सबजी मिर्ची की सबजी दिमाग खराब करके रख दिया है और
11:25मिर्ची पीसी हुई चाहिए होती है हद कर दी है इन्होंने तो
11:28आखिरकार माधुरी ऐसा क्यों कह रही थे उसके ससुराल वाले रोज रोज हरी मिर्च की सबजी खाते
11:34क्या सच में वो इसी बात से परिशान दिया बात कुछ और भी है
11:38हाईए जानने के लिए कहानी में कुछ समय पीछे चलते हैं जहां नई नवेली
11:41बहु माधुरी गलती से सारी कटी हरी मिर्च सबजी में डाल देती है
11:46ही भगवान ये मुझसे क्या हो गया इतनी सारी हरी मिर्च मुझे बाकी सबजियों में भी डाल नी थी
11:51लेकिन अब तो पूरी सबजी ये हरी मिर्च की सबजी बन गई
11:54इसमें दही डाल देती हो जिससे की मिर्ची कम हो जाएगी
11:57माने समझाया था मुझे शादी से पहले कि ससुराल में जाकर तीका खाना कम बनाना
12:02वरना ससुराल वाले मिर्ची खाकर बौकला जाएगे
12:04ये कहकर माधुरी सबजी में दही मिला रही हो थी इतने मिसास और नंद उसे रोख कर सबजी को चक लेते हैं
12:10अरे माजी दीदी ये आपने क्या क्या इतनी तीकी सबजी खा ली गलती से मुझसे इसमें हरी मिर्च ज़्यादा गिर गई आपको मिर्ची लग गई होगी पानी पी लीजे
12:19हाँ हाँ बाबाबी मज़ा गया इतनी अच्छी सब्जी बनाई आपने हरी मिर्च की बस थोड़ा सा और तीखा होना चाहिए था है ना मा
12:26बेले कल ठीक बोली मेरी बच्ची बहु मेरे तो मुह में इतनी तीखी सब्जी देखकर और इसे खाकर पान या रहा है चल दी से बाहर टाइनिंग टेबल पर खाना लगाते
12:35लेकिन मा जी तीखा तभी सास हस कर हाथ से बहु की पीट पर हाथ बारती है जिससे बहु दो कदम आगे हो चाती है एरे बहु तेरे ससुराल वाले बहुत तीखा काना काते और मेरी सास तो और भी ज़्यादा तीखा खाती है इसलिए कल से तो और हरी मिर्च डाल कर बनाना ह
13:05बहु फटाफर से डाइनिंग टेबल पर सब के लिए खाना लगा देती है जिसे खा कर सब खुश हो जाते
13:09और ददिया सास में नाक्षी अपनी पोता बहु को अपने हाथ का कंगन निकाल कर पहना देती है
13:15वाँ बहु यह हरी मिर्च की सबजी मुझे बहुत पसंद है
13:18कल से और ऐसी ही हरी मिर्च की सबजी बनाना और दो तीन तरीके से बनाना जैसे की बेसंट की हरी मिर्च की सबजी, दही हरी मिर्च की सबजी, हरी मिर्च की कड़ी पकाड़े की सबजी
13:28हाँ बहू, हमें हरी मिर्च की सबसी बहुत पसंद है, इसलिए तुम कल भी ये सब बनाना
13:34जी पापा जी
13:36अरे मादुरी तुम भी खाना खा लो
13:38माधुरी जैसे ही तीखा खाना खाती है तो उसे बहुत मिर्शी लगती और फटा-फट से पानी का ग्लास वो गटक जाती है
13:44बापरी मैं तो खामा का डर रही थी इन लोगों ने तो मुझे तीखा खाने में फेल कर दिया
13:49और कल तो और भी जादा तीखा खाने की बात कर रहे हैं ये भगवान मेरा क्या होगा
13:53अगले दिन बहु जब रसोई में तीखा खाना बना रही होती है तब दादी सास और सास
13:57माधुरी तो कुछ बनाए उससे पहले हम बता देते हैं तो जो क्या क्या बनाना है देख पहले तो भारवा हरी मिर्च बना दे उसके बाद अलू हरी मिर्च की सबजी एकदम भारके उसके साथ दही मिर्च की सबजी और फिर मिर्च के पकॉरे ये सब भी बनाना है और हरी मिर
14:27माजी बुरा ना लगे तो एक बात पूछू आप सब लोगों को इतना तीखा खाना खाने का शौक कब से हैं?
14:33अरे बहु तेरे ससुराल की सारी पीडी तीखा खाने वाली हैं और जब घर में एक दो जने लोग खाते हैं तो बाकी सब भी वैसा ही खाना खाने लगते हैं और हाँ अच्छे से सिलबटे पर पीस पीस के बनाना हरी विज की सबजी का मसाला तयार करना है
14:48मा जी हाँच से कैसे? बहुत ज़्यादा मिर्ची लगेगी और टाइम भी लेकिन बहु ये सब काम तो हाँच से होते हैं और तुझे हाँच से ही करना होगा चल अब जल्दी कर
14:57सास दादी सास वाँ से चली जाती और बेचारी बहु भारी सिलबटे उठा कर जमीन पर रखती और जैसे ही हरी मिर्च फ्रिजः खोल कर निकालती तो चौँक जाती है
15:18तब ही उसकी आँखों में हरी मिर्च का बीज आ जाता है।
15:22मादुरी अपनी आँखें धो कर वापस हरी मिर्च पीसने लगती है,
15:30जिससे उसके हाथों में जलन हो ले लगती है,
15:33वही गर्मी से पसीना हटाने को वो अपने चहरे पर हाथ लगा देती है,
15:37जिससे और जलन होती है फिर घरवालों के लिए अलग अलग तरीके की हरी मिर्च की सबजी, हरी मिर्च के पकोड़े, हरी मिर्च कड़ी पकोड़े की सबजी, आलू हरी मिर्च अलग अलग वेंजन बना कर घरवालों को खिलाती है और घरवाले खुश हो जाते हैं ऐसे ही वक्
16:07से हरे सच में बहुत उत्व परिशान हो गई है देख हम मिर्ची खाना तो नहीं छोड़ सकते लेकिन अब तु सिल्बटे की जगह मिक्सी का इस्तमाल करके हरी मिर्च की सबजी बनाना शुक्र है आपने इतना तो सोचा अब उसे हरी मिर्च की सबजी बनाने के लिए सिल्ब�
16:37दिन में उसकी नानी सास राम दुलारियो और ताउ राजेंद्र घर आ जाते हैं और वो भी तीका खाने कर डिबान करते हैं बहु बना कर पेश कर देती है
16:45अरे अची थो ये कैसा खाना बनाया है इतना तीखा हो कर भी ये तीखा खाना नहीं लग रहा है
16:52काहितरी तुने अपनी बहु से ये खाना किस पर बनवाया है कुछ तो अजीब है
16:55मा वो बहुने मिक्सी पर मिर्ची पीसी है न इसलिए कम स्वादा रहा होगा
17:00क्यों तु कब से आधुनिक उपकरणों का काम करवाने लग गई क्या यही सबसी खाया था मैंने तुझे
17:07अरे राम दुलारी बहु को कुछ मत बोल वो माधुरी बहु के हाथों में जलन हो रही थी
17:13इतने दिन से वो इस पर ही पीस पीस कर खाना बना रही थी इसलिए हमने मना कर दिया
17:18अरे ऐसे कैसे मना कर दिया
17:21खाना एक नमबर का बकवास बना है
17:23बहु अपसे तु सिल्बटे पर ही मिर्च पीस कर
17:25उसकी सारी सब्दी बनाया करें कि ठीक है चाप दोबारा बना कर ला
17:29यही मैं भी कहने वाला था
17:31और बहु साथ में मिर्च का अचार बना कर लाना
17:34और आलो के पराथे के साथ आलो के पराथे में भी हरी मिर्च बना देना और एक हरी मिर्च का पराथा
18:04और इतना ही नहीं नानी सास के आजाने पर बाकी घरवालों कोहत से जादा तीकी हरी मिर्च की सब्जी खानी परती है जिससे घरवालों की तबियत खराब हो जाती है और नंद रेश्मा तो दस्त की मारे अकसर वाश्रूम में बंद रहती है कि एक दिन
18:16अरे बाप रे हालत कराब होगी भापी कुछ तो करो अब और ये सब खाना नहीं खाया जाता हाँ बहो मेरे भी बस की बात नहीं ये सुमित की नानी भी न माजी मैं खुद क्या बोलू मुझे लगा एक दो दिन की बात है लेकिन ये दोनों पर आप चिंता मत कीजे मादुर
18:46क्या खोब खाना बनाया है तुने हाँ बहो क्या गजब खाना बनाती हो ए भगवान मैंने इसमें किलो भर मिर्ची डाली थी ये दोनों वो भी निकल गए तभी एक शाम ए रामाज मेरी टिकेट बुक हो गई गाओं के लिए निकलना था लेकिन पेट में बहुत जलन हो रह
19:16तो हरी मिर्च खाने के लिए कहते हैं ये भगवान कहीं तीखा खाना खिलाना मुझे इनका भारी ना पड़ जाए कहीं सेवा पानी करनी पड़े
19:24डॉक्टर उन दोनों का चेक अप करके दवाई दे देता है जिस वजह से वो एक हफ़ते के लिए और रुकते हैं और नानी सास ताओ को खिचड़ी खाने के लिए कहते हैं और घर के बाकी लोग भी खिचड़ी खाते हैं पर हफ़ते भर ठीक होने के बाद राम दुलारी ब
19:54को भी वरना हालत ऐसी हो जाएगी तू सही बोल रही है बहु अरे मुझे तो घर जाना है अब अपने तब राम दुलारी और राजेंदर के साथ बाकी घर वाले भी हरी मिर्च खाना छोड़ देते हैं और दोनों अपने अपने घर चले जाते हैं इस तरह माधुरी को भी हर

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