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  • 7/18/2025
"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!


🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता

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Transcript
00:00गर से बहुत बरताश्ट कर लिया मैंने तुझे अगर तु हमारे खानदान को वारस नहीं दे सकती तो तेरा इस घर में कोई काम नहीं है अपने बेटे की दूसरी शादी करवाओंगे और वो इस रिश्टे के लिए राजी है
00:10रोती हुई निकिता वहाँ से जाने लगते है कि तभी दिशा
00:14भाबी ये सब क्या हो रहा है
00:16दिशा सास कभी भी मा नहीं बन सकती
00:21मैं बिन मा की बेटी जब अपने ससुराल आई तो अपनी सास का प्यार देखकर मुझे लगा कि शायद मा ऐसी ही होती है
00:27पर सारी सास शुरू में तो बहो को बहुत प्यार करती हैं पर बाद में दिखा दी थी कि सास कभी मा नहीं बन सकती और वही काम मेरी सास ने किया
00:34तुम सब की नजरों में वो जितनी अच्छी हैं उन्होंने उतना ही बुरा मेरे साथ किया
00:40पर ऐसा भी क्या हुआ भाबी?
00:43मेरे शादी को दो ही साल हुए है और क्योंकि मैं माह नहीं बन सकती इसलिए इसने मेरे पती का रिष्टा कहीं और तै कर दिया
00:50और जब मैं इनके खिलाफ बोली तो हाज ये मुझे घर से निकाल रही है पर गलती मेरी है
00:55अगर आज लिए आज तेष्टा की बेटी हो ससुराल में जाकर अपनी सास के जूटे प्यार को देखकर अपनी सास को माहमत समझ बैठना
01:08और अपने पती को अपने काबू में रखना
01:11इतना बोलकर निकिता वहाँ से चली जाती है
01:14और यही सब सोचते हुए दिशा गर्मी में पसीने से लथपत खाना बनाती है
01:18कुछ देर में उसके पिता विनोध घराती है
01:20अरे मेरी बेटी को कितना पसीना आ रहा है
01:23अगर आज तेरी मा जिन्दा होती तो मैं उससे ही खाना बनवाता
01:27माफ करना बेटा तेरा खरीब बाप तेरे लिए एक कूलर तक नहीं ला सकता
01:32कोई बात नहीं पापा आपने मा बाप बनकर मुझे पाला मेरे लिए वही बहुत है
01:37इतना बोल कर दिशा खाना निकालती है और दोनों बाप बेटी साथ में खाना खाने लगते है
01:42और खाते हुए विनोध अपनी बेटी से कहता है
01:44पर आज तक तो तेरे लिए कुछ नहीं कर सका
01:47पर तेरे लिए एक बहुत बड़े घर से रिष्टा आया है
01:50उनके घर में एसी लगा है
01:52शादी के बाद मेरी बेटी ही इसी में बैट कर खाना खाएगी है अपनी सास के हाथों से
01:58विनोध की बादे सुनकर दिशा के चेरे पर खुशी ना आकर घम के बादल चा जाते है
02:02इसी तरह कुछ दिन बीच जाते हैं और एक दिन
02:05कितने दिन हो गए माईके की याद नहीं आती शादी के बाद
02:09शादी के बाद कोई माईका नहीं बूल सकता
02:11उल्टा माईके की और याद आती है पर बेरी पुढ़िया सास मुझे आने ही नहीं देती है
02:16ऐसे क्यों बोल रही हो सास भी तो मा जैसी होती है
02:19अपनी दोस्त के मूँ से उसके सास के बुराई सुनकर दिशा का डर और बढ़ जाता है
02:39ऐसे ही एक देर
02:40बहुत जल्द मेरी बेटी की शादी हो जाएगी
02:44फिर वो अपने अमीर ससुराल में जाएगी
02:46जहां ऐसे वो एसी में खाना खाएगी
02:49पापा मैंने सुनाए सास अच्छी नहीं होती
02:52अगर मेरी सास बुरी हुई तो शादी करना जरूरी होता है क्या
02:57ये तुझे किसने कहा सास बुरी होती है
03:00अरे सारी सास एक जैसी नहीं है
03:02अब जैसे तो अपनी दादी को ही देख
03:04तेरी दादी तेरी मा से बहुत प्यार करती थी
03:08तो चिंता मत का
03:09मैंने जहां तेरा रिष्टा पक्का किया है
03:11वो लोग बहुत अच्छे है
03:12तेरी सास की बेटी नहीं है
03:14इसलिए वो तुझे बहुत प्यार करेंगी
03:16जैसे तुझे मा की चाह है
03:18वैसे ही उसे एक बेटी की चाह है
03:20विनूत की बाते सुनकर
03:22देशा के चेरे पर थोड़ी मुस्कान आ जाती है
03:24समय बीचता है और देखते ही देखते
03:27शादी का देना जाता है
03:28घर में काफी सारे महवार होते हैं
03:30तो वहीं देशा के बुवा घर में अकेली
03:32उदास बैठी होती है
03:33अरे शोभा तुझे तो सबसे पहले आना चाहिए था
03:36अपनी बती जी की शादी में
03:38और तु ही सबसे पेच्छे से आई है
03:40मैं अपने बहन की ऐसे घर में शादी कराई
04:05जहां उसकी सास ने उसे कभी पसद नहीं किया
04:07अपनी बेटी की शादी भी मैं ही कर रहा हूँ
04:11हे भाइवार मेरी बेटी की शादी के बाद उसे खुश रखना
04:14आज शादी का दिन था इसलिए विनोध कुछ नहीं कर सकता था
04:18कुछ देर में देशा शादी करके अपने सस्राल जाती है और अगली सुभा
04:21मा जी आज मेरी पहली रसोई है आप मुझे बता दिजे पहली रसोई में क्या बनाना होता है
04:27दरसल मेरी मा नहीं है तो मुझे कुछ पता नहीं है
04:30किसने कहा तेरी मा नहीं है मैं हूँ तेरी मा और इतनी भी क्या जल्दी है तुझे अपनी पहली रसोई करने की
04:36इतनी ज़्यादा गर्मी हो रही है मैं तनी गर्मी में अपनी बहु से काम करवाऊंगी
04:40बिल्कुल नहीं जब तक तेरे हाथों की महंदी छूट नहीं जाती तो बस एसी में बैट कर मेरे हाथ से खाना खा
04:47क्यूंकि तू मेरी बहु नहीं मेरी बेटी है
04:50अरे देख रहे हो भाया, सास बहु का प्यार अच्छा हुआ कि हमारी बेहन नहीं अगर एक बेहन होती तो मा काจ जो थोड़ा बहुत भी प्यार हमें मिलता है न वो भी नहीं मिलता
05:00देशा मेरी बहु नहीं मेरे बेटी है, खबरदार पिर कभी हमें सास बहु बोला, तो खाना नहीं मिलेगा
05:06आशा अपनी बहु के आमने सामने अपने दोनों बेटों को डांड देती है
05:10और कुछ देर बाद खुद इस बहंकर गर्मी में रसोय में खड़ी होकर खाना बनाती है
05:14अब सब खाना खाकर आफिस चले जाते हैं, इसके बाद आशा अपना और अपनी बहु का खाना लेकर कमरे में जाती है
05:20अरे बहु, यहाँ पहले से इतनी गर्मी और तुम एसी भी नहीं चला है, मैं एसी चला देती हैं
05:26उसके बाद हम सास बहु साथ ने खाना खाएंगे
05:28इतना बूलकर आशा एसी चला कर अपने हाथों से अपनी बहु को खाना खिलाती है
05:32तो जैसी बहु पाकर हज मेरा सपना पूरा हो गया बेटी का
05:37नहीं, यह सब मेरी सास का बस नाटक है
05:41चुरू शुरू में सारी सास ऐसे ही करती है
05:43बाद में अपनी बहु को परिशान करती है
05:45निकिता भाबी ने और पूजा ने बताया था
05:47मुझे अपनी सास के जूटे प्यार के जहांसे में नहीं आना है
05:50दिशा अंदर से इतनी डरी हुई थी कि उसे अपनी सास के प्यार पर विश्वास ही नहीं होता
05:55समय गुजरता है और दीरे-दीरे दिशा भी घर के काम करने शुरू कर देती है
05:59ऐसे ही एक दिन
06:00वादिशा, तुम तो मां से पहले खाना बना कर तयार कर देती हो
06:04मां मुझे तो आपसे अच्छी बीवी मिल गई
06:07ये तो बिल्कुल सही कहा मितने, मैं तो अपनी बहु के साथ हूँ
06:12हाँ, तो मैं कौन सा इस बात से इंकार कर रही हूँ
06:14मेरी बहु है लाखो में एक सबसे समझदार
06:17वो सब तो ठीक है पर मैं आईस क्रीम लेकर आया था
06:21सोच रहा था कि क्योंने दोपेर में हम सब लंच करने चले
06:24बाहर धूब देख रहे, दिन में कहीं नहीं जाना, मेरी बहु बीमार पढ़ जाएगी
06:28तुम लोग काम पर जाओ, हम रात को डिनर के लिए बाहर जाएंगे
06:31कुछी देर में सब खाना खा कर घर से निकल जाते हैं
06:35पर अब तक घर के कामों के चक्कर में देशा ने खाना नहीं खाया था
06:38और वो दोपैर में सुबा का खाना गरम करके डैनिंग टेबल पर खाने के लिए बैठती है
06:42जहाँ उसे काफी गर्मी लग रही होती है
06:44एक बार फिर आशा खाना लेकर देशा को कमरे में ले जाती है
07:03और एसी चला कर अपने हाथों से खाना खिलाती है
07:06समय गुजरता है और हमेशा आशा इसी तरह देशा को एसी में बिठा कर अपने हाथों से खाना खिलाती है
07:12अपनी सास का इतना प्यार देख आशा कि सारी गलत फहमी खत्म हो जाती है
07:23और एक दिन देशा से मिलने उसकी बुआ आती है
07:26तेरे पाती की वज़े से तेरे कमरे में ऐसी लगा है ना
07:29तेरी सास भी बाख की होगी सास की तरह खडूस होगी
07:32तब ही तो शादी के बाद तुने अपनी बुआ को एक दिन फोन नहीं किया
07:35तेरी बड़ी चिंता सतारी ती इसलिए मैं तुझसे मिलने आ गई
07:38दुआ जी अगर अमित के के कहने पर ऐसी लगता ना
07:41इस कमरे में तो अब तक ऐसी ना लगा होता
07:43ये तो मां जी ने स्पेशल मेरे लिए लगाया है
07:46तेरी सास तुझ पर नज़र रखती है
07:48इसलिए तो उसकी तारीफ कर रही है ना
07:50शोबह दिशा को उसकी सास के लिए भड़काई रही होती है कि तबी वहां गरमी से परिशान, खुद आशा, दिशा की बुवा के लिए खाना बना कर लाती है
07:58बेहन बाहर बहुत गर्मी है, मैं तो दिशा को इसी कमरे में इसी चला कर अपने हाथों से खाना खिलाती हूँ
08:04अगर मैं खाना ना खिलाओ इसे, तो ये खाना भी ना खाए खुद से
08:07इसे तो मेरे हाँच से खाना खाने की आतत हो गई है पर आज आप अपने हाँचों से खाना खिला दीजे
08:12ताकि आपको ये ना लगे कि दिशा बदल गई है जब तक मैं कुछ तंडा बना कर लाती हूँ
08:17ये सब
08:19कुछ देर में आशा मैंगो शेक, शर्बत, आईस्क्रीम जैसी चीज़ लेकर आती है
08:42और वो देखती है कि अब तक दिशाने खाना नहीं खाया
08:45जिसके बाद वो खुद अपने हाथों से एसी में बैटकर अपनी बहू को खाना खिलाती है
08:49और ये सब देखकर शोभा की सारी चिंता खतम हो जाती है

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