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  • 7/1/2025
"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!


🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता

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Transcript
00:00बहु देख रही है ना मैंने कैसे कन्या पूजन के लिए खाना बनाया है अगले साल से तुझे भी इसी तरह कन्या पूजन के लिए खाना बनाना होगा
00:08हाँ माजी सब समझ गई माजी अगर मुझे खाना बनाना आता होता तो आज मैं आपको कुछ नहीं करने देती
00:15चल बहु कोई बात नहीं, तु इतने अमीर घर से है, तेरे घर में नौकर चाकर थे, इसलिए तु कभी रसोई में गई नहीं, पर अब तेरे पास पूरा एक साल है, तु एक साल में खाना बनाना सीख जाना
00:26इतना बोलकर आशा खाना बनाकर माताराने को भोग लगाती है, और कुछ देर बाद घर में कन्या पूजन करती है
00:39पर आपको नहीं लगता कि आपने कन्या पूजन में बहुत कम वियंजन बनाए थे?
00:42अच्छा बहु तुझे ऐसा लग रहा है तो पर ठीक है जब तू अगली बार कन्या पूजन करेगी तब मैं देखती हूँ तू कितने पकवान बनाती है
00:52बहु का मजाग बनाकर आशा वहां से चली जाती है अब समय योही गुजरता है और बहुत जल्द आशा अपने छोटे बेटे निखिल की शादी अवीका नाम की लड़की से करवा देती है
01:01अवीका एक गरीब घर की लड़की थी और इसलिए वो उस वस्तुराल में आते ही घर की सारी जिम्मेदारी समभा लेती है
01:07बहु अच्छा हुआ कि तुझे खाना बनाना आता है वरना मैं तो परेशान हो गई थी बहु के रहते हुए भी खुद खाना बनाते बनाते
01:15मा जी आप ऐसा क्यों कह रही है बहु तु नहीं जानती पर जब तु इस घर में नहीं थी तब मैं ही खाना बनाती थी बड़ी बहु का घर में होना नहोना एक बराबर था क्योंकि उसे खाना बनाना ही नहीं आता आखिर इतनी अमीर जो है इसलिए मैंने सोच लिया कि छो�
01:45बात हैं बहुत बुरी लगती है और इसलिए वो अपनी सास से लड़ने लगती है
01:48मा जी अगर आपको ऐसा लगता है कि मुझे कुछ नहीं आता और सब कुछ आपकी छोटी बहु को ही आता है तो मुझे नहीं रहना आप लोगों के साथ मुझे अलग कर दीजे
01:57बहु मैं तो बस मजाग कर रही थी तो इतनी चोटी सी बात पर अलग होना चाहती है
02:02हाँ अलग होना है मुझे क्योंकि कोई मेरे केरेक्टर पर उंगली उठाए मुझे बरदाश्त नहीं
02:08और हाँ हो सके तो आप लोग मेरा घर खाली कर देना क्योंकि ये घर मेरे पती के नाम का है
02:13और मैं नहीं चाहती कि मेरे घर में ऐसे लोग रहें जो मेरा मजाग बनाते हो
02:16दीदी आपको गलत तैमी हुई है आप जैसा सोच रही है वैसा कुछ नहीं है
02:23आशा भी नाराज होकर अपने कमरे में चली जाती है
02:38अब शाम को जब निखिल घर आता है तो आशा सारी बात अपने छोटे बेटे को बताती है
02:43जिसमा निखिल अपनी मा से कहता है
02:45कोई बात नहीं मा मैं भीया जितना तो नहीं कमाता पर हाँ मैं भी अपने पैरों पर खड़ा हूँ
02:51मैं अपनी बीवी और आपको पाल सकता हूँ
02:53हम सुबा होते ही ये घर खाली कर देंगे और यहीं आसपास में कोई किराई का मकान ले लेंगे
02:58पर बेटा बहुत जल्द नवरात्री शुरू होने वाली है तो इतना सब कुछ अकेले कैसे करेगा
03:03मा सेल्फ रिस्पेक्ट सबसे बड़ी होती है
03:06और जब इस घर में हमारी इज़्जत ही नहीं है तो हम क्यों यहां रुकें और आप चिंता क्यों करती हैं
03:11मैं सारा इंतिजाम कर लूँगा और हर बार की तरह इस बार भी हमारी नवरात्री अच्छी से मनेगी
03:16यह मेरा आपसे वादा है
03:17इस तरह निखिल अपनी मा और बेवी को लेकर सुबा होते ही घर से चला जाता है
03:22और एक गली छोड़ कर ही किराई पर एक छोटा सा मकान लेता है
03:25अब अभी का अपनी सास और पती के साथ एक किराई के छोटे से मकान में रहती है
03:52तो वहीं गरिमा अपने बड़े से घर में अपने पती के साथ अकेली रहती है
03:55देखते ही देखते नवरात्री का दिना आ जाता है
03:58क्योंकि अविका गाउं से थी इसलिए उसे नवरात्री के बारे में सब पता था
04:01पर गरिमा को न तो खाना बनाना आता था और ना ही उसे ये पता था कि नवरात्री में क्या खाया जाता है
04:07इतना सोचकर गरिमा यूट्यूब पर वरत का खाना देखती है और क्योंकि गरिमा को खाना बनाना नहीं आता था इसलिए वो वरत का खाना ओरर करती है
04:26तो वहीं पैसे कम होने की वज़ा से अभी का घर में ही आलू बॉयल करती है
04:31मा जी अभी ज्यादा पैसे नहीं इसलिए में मुरतवाली चावल और साबुदाना नहीं ला पाई
04:35अब हमें आलू से ही काम चलाना होगा
04:38बहु मुझे अपने खाने के चिंता नहीं नवरातरी शुरू हो गए है और जनवरातरी का दूसरा दिन है
04:44बहुत जल्द कन्या पूजन का दिन आ जाएगा
04:46हम कन्या पूजन में कैसे कन्या कुकंजिका खिलाएंगे
04:49मैं तो यही सोच सोच कर परिशान हो रही हूँ
04:52मा, मातरानी हमारे साथ है, हम उसका भी समाधान निकाल लेंगे
04:56इस तरह गरीब बहु अपने परिवार के साथ हर परिस्थिती का सामना करती है
05:01और अमीर बहु अकेली परिस्थितियों का सामना करती है
05:03देखते ही देखते कन्या पूजन का दिन पास आ जाता है और नमी से एक दिन पहरे
05:08पिछली बार मा जी ने मुझे सिखाया था हलवा पूरी और चना कैसे बनाये जाते हैं
05:13पर मा जी ने कन्या पूजन में जो कन्या को खाना खिलाया था वो तो बहुत कम था
05:16और मेरे पास पैसे की कमी नहीं तो फिर मैं क्यों करन्या पूजन गरीबों की तरह करू?
05:21मुझे जितना आता है मैं उतना खाना बना लेती हैं और बाकी खाना मैं ओर्डर करवा लूँगी
05:24इससे घराई मेरी कन्या भी खुश और मैं भी खुश
05:27इस तरह गरिमा मार्केट जाती है और कन्या पूजन के लिए सामान लेकर आती है
05:32अगले दिन अविकास सुभा जल्दी उठती है और अपनी सास की मदद से कन्या पूजन के लिए हलवा चना और पूरी बनाती है
05:38और उसका भोग मातारानी को लगा कर घराई कन्या को देती है
05:42बच्चों अब मातारानी का नाम लेकर खाना शुरू करो
05:45आंटी पिछली बार तो गरी मकाकी भी थी
05:49क्या इस बार गरी मकाकी कंजग नहीं खिला रही
05:52अईसा नहीं है पेटा बस इस बार मेरी अमीर बहु और गरीब बहु अलग-अलग कन्या पूजण का पकवान बना रही थी
05:58इसलिए वे कन्या पूजण भी अलग-अलग कर रही है
06:01बाहर जैसा खाना तुमने यहां खाया है वैसा खाना तुम्हे वहाने ही मिलेगा
06:05और वैसे भी तुम सब को यहां से खाने के बाद अपनी गरिमा काकी के ही घर जाना है
06:10अब सभी कन्याए अविका के घर से खाना खाकर गरिमा के घर जाती है
06:14जहां उन्हें खाने में अलग-अलग तरह के पकवान देखने को मिलते है
06:18कन्या पूजन में इतने तरह के पक्वान आज से पहले हमने कन्या पूजन में इतने पक्वान कभी नहीं खाए
06:24हर कोई तो हमें साधारन खाना ही देता है पर आपने तुमारे सामने इतने सारे पक्वान रख दिये
06:29बेटा तुम सब किसी गरीब घर में नहीं आई हो कन्या पूजन के लिए तुम मेरे घर में आई हो और मेरे घर में अब से तुमें हर साल इसी तरह से कन्या पूजन खाने को मिलेगी
06:38अगर ऐसी बाते काकी तो अब से मैं सबसे पहले कन्या पूजन के लिए आपके ही घर में आऊंगी
06:44कन्या पूजन में पूरी सबजी पराथे, पोहे, खीर, बर्गर, पिज़्दा देखकर सभी बच्चों के मुँँ में पानी आ जाता है
06:51पर ये सब जैसे ही खाना खाते हैं, उनके मुँँ का स्वात बिगर जाता है
06:54ये कितना गंदा खाना है, इससे खाने को खाकर तो ऐसे लगरे कि ये दो दिन पुराना खाना है काकी
07:00आपने ये खाना कहां से ओर्डर किया?
07:03क्या हुआ? खाना अच्छा नहीं लगा क्या?
07:21जिसके बाद गर्मा को अपनी सास और देवरानी की कदर होती है और वो जाकर अपनी सास और अपनी देवरानी से माफी मांगती है।
07:51मुझे कहीं नहीं जाना बड़ी बहु मैंने चोटी बहु से मजाक में तेरे बारे में क्या बोला तुने इतनी चोटी बात को इतना बड़ा बना दिया और हमें घर से बेघर कर दिया और आज जब तुझे हमारी मदद की जरूरत पड़ी तो अपनी गलती मानने लगी।
08:21अब आशा, अविका और निखिल अपने घर जाते हैं, जहां अविका अपनी सास के साथ मिलकर कन्या पूजन के लिए खाना बनाती हैं, और एक बार फिर गर्मा अपने घर में कन्या को बलाकर कन्या पूजन करती हैं, और इस बार सारी कन्या गर्मा के घर से खुश हो कर जाती

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