00:00अनी सुनने जा रहे हो, उसका नाम है तोते की जिम्मेवारी।
00:06तेनालीराम बहुत बुद्धिमान और होशियार था।
00:10वह समराट क्रिषणदेवराय के दर्बार में दर्बारी था।
00:14एक बार किसी ने समराट क्रिषणदेवराय को एक तोता उपहार में दिया।
00:21ये तोता बहुत अनोखा था।
00:23वह कहानियां सुनाता था, लोगों के प्रशनों के उतर देता था।
00:28राजा क्रिषणदेवराय को यह तोता बहुत प्यारा हो गया।
00:32समराट ने उस तोते को समहालने की जिम्मेवारी अपने एक भरोसेमन सेवक पर सौंप दी।
00:40और वे बोले,
00:41देखो इस तोते की पूरी जिम्मेवारी तुम्हारे उपर है।
00:46इसका सही ख्याल रखना।
00:48उसके पसंदिदा खाने पेने की सब चीजे जैसे अमरूद, मिर्च, दलिया उसे दे दिजाए।
00:56ये मेरा बहुत प्यारा तोता हो गया है।
00:59पर याद रहे, जो भी कोई मुझे इस तोते के बारे में बुरी ख़बर देगा, तो मैं उसे तुरंद दंड दे दूँगा।
01:07तो इसलिए इस तोते का अच्छे से ख्याल रखा जाए।
01:11वह नोकर हमेशा बहुत दरा रहता था।
01:15ये राजा को तोता था, नजाने उसे कुछ हो जाए, और अगर कोई बुरी खबर महाराज को बताने जाएं, तो बड़ा अदंध हो सकता है।
01:25इसलिए पूरी जिम्मेवारी से वह तोते का ख्याल रखता था।
01:31उसे अच्छी निगराणी में रखता था, पर एक दिन जो होना था, वो हो ही गया।
01:38वह तोता मर गया।
01:40वह सेवक दर से कापने लगा, क्योंकि उसे पता था कि अगर उसने तोते के मरने की खबर महाराज को दे दी, तो उसे भी महाराज गुस्से में आकर शायन मुर्त्युदन भी दे दे।
01:53अब महाराज को ये बात बताएं, तो कैसे।
01:58तो दोड़ते भागते वह तेनाली राम के पास पहुँच गया और उसे सारी परिस्थिती के बारे में बता दिया।
02:07बात तो गंभीर है, उस तोते पर महाराज का बहुत स्नेह था, अब महाराज को कैसे बताएं, पर बताना तो पड़ेगा ही, पर तुम चिंता मत करो और तुम महाराज को इस बारे में कुछ मत बताना, मैं ही कुछ तरकीब सोचता हूँ।
02:26फिर तेनाली राम ने कुछ सोचा और महाराज के पास गया, दरनी का अभिने करते करते वह गोला, महाराज, महाराज, वो तोता, वो आपका तोता, आपका, आपका प्यारा तोता, क्या हुआ है मेरी तोते को, महाराज ने पूछा,
02:45महाराज, महाराज, वो आपका तोता, सुभह से कुछ खा ही नहीं रहा है, ना कुछ बोल रहा है, चुपचाप अपनी चोच खोल कर आराम से लेटा है, अपने पंख भी नहीं हिला रहा है, और बिना आर्ख को हिलाये, बस आस्मान की तरब देख रहा है।
03:01तीनाली राम का तोते का वरनन सुनकर, महाराज दुविदा में पड़ गए, और खुद चल कर वह तोते के भिंजडे के पास आये, महाराज तुरण समझ गए कि तोता तो मर गया है, तो उन्होंने तीनाली राम से कहा, अरे तीनाली राम, मैं तो तुम्हें अकलमन्त और हो
03:31यह तोते के बारे में बोरा सवाचार सुनाएगा, उसे कड़ी सजा दी जाएगी, अब तोते को भी कभी न कभी कुछ न कुछ तो होना ही था, पर इस तोते के मरने की बुरी खबर आपको सुनाकर, इस तोते के लिए अपनी जान कोई क्यों गवाता?
03:46तेनाली राम की यह बात सुनकर समराथ कृष्णदेव राय बहुत प्रसंद हुए, उन्होंने कहा, अरे तेनाली राम, मेरे आग्या का तात पर यह इतना ही था, कि इस तोते का ठीक से ख़यार रखा जाए, पर मेरी आग्या के शब्दों का चेयन मुझे ठीक से करना चाहि
04:16को भी संदेश मिला, तो ऐसा था होशियार तेनाली राम.