दोहा: खसम उलटि बेटा भया, माता मिहरी होय । मुरख मन समुझै नहीं, बड़ा अचम्भा होय ।। (संत कबीर)
प्रसंग: पुरुष और स्त्री का मूल संबंध क्या है? कैसे जाने को जो हम कर रहे है वो उचित हैं या नहीं? ममत्व का क्या अर्थ है? उचित कर्म क्या है? कर्ताभाव का त्याग कैसे करें?
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