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गीतकार इरशाद कामिल की कहानी, जज्बात और शायरी; खुद उनसे ही सुनें आजतक पर
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00:00शब्दों के ऐसे जादुगर हैं जिनके अलफाज दिल के तारों को छूकर संगीत पैदा कर देते हैं
00:05इर्शाद कामिल हमारे बीच आ रहे हैं
00:07स्वागत कीजिए तालियों के साथ उनका
00:09दरसल कुछ चेहरे
00:13तू पास है मेरे पास है
00:18ऐसे मेरा कोई एहसास
00:22है जैसे तू पास है मेरे पास
00:52आपका श्वेता जी और आज तक का मुझे यहां बुलाने के लिए और आप सिबसे मिलवाने के लिए
01:05सैयारा इतनी बड़ी हिट होगी इतना घर-घर में गुनगुनाई जाएगी आपको यकीन था
01:11यकीन था मुझे लगता है एक आर्टिस्ट का सबसे जादा जो क्रेटिव पार्ट होता है वो उसका डर होता है वो डर इस वज़े से के वो वो सब कुछ उसमें डाल देना चाहता है जिससे यह यकीन आजाए कि अब यह इतना बड़ा हिट हो जाएगा लेकिन उसके बावज�
01:41चूट जाती है और जब कोई चीज निशाने पर लग जाए तब क्या वो उस समय उससे संतुष्ट हो गया खुश हो गया कि हो गया मैं हिट हो गया मुझे जीवन भर के लिए एक ऐसा काम मिल गया है या फिर उससे आप और ज्यादा जोश के साथ और ज्यादा उर्जा के सा
02:11आप उसमें फर्स्ट आजाते हैं उसके बाद फिर उसी क्लास में दाखिल हो जाते हैं अब अगली पिक्चर आजाती है अगली पिक्चर में आपको उस तरह का काम करना होता है जिस तरह का काम की आप से उम्बीद की जाती है एक जिम्मेदारी आती है एक काम याभी के साथ
02:41सबसे पहले गुजारिश करूँगी, चुकि हमारे सभी दर्शक यहां पर आपके काम को सुनकर समझ कर यहां बैठे हैं, आप से कुछ सुनाने के लिए सबसे पहले गुजारिश करूँगी, आपकी जो सबसे पसंदीदा रचना, कुछ होता है, कुछ शब्द हमेशा दिमाग
03:11मैं जी रहा हूं किसी आज के धुंदलके में, मैं ला पता हूं किसी नाजनी के हलके में, तूट जाये ये मेरी बेहोशी, मोड ऐसा भी झा आये कोई, मैंने खोया है खुद को मुश्किल से, या खुदा ढूंग ना लाए कोई,"
03:38क्या बात है धूंड न लाए कोई वह वो इस वहम में जिये के नहीं किसी की वो मैं इस यकीं पे मरूं मैं सिरफ उसी का हूँ
03:50वह वो इस वहम में जिये के नहीं किसी की वो मैं इस यकीं पे मरूं मैं सिरफ उसी का हूँ
03:58वो अपने आप में सिम्टे जमीन हो जाए मैं उसके खुष्न पर लिखा दिवान हो जाऊं जहन की गैद से छूटूं जहान हो जाऊं
04:11बहुत खुबसूरत यूही नहीं आपको शैलेंदर और साहिर की पीड़ का कि उस जॉनर कागीतकार कहा जाता है
04:20कैसा लगता है जब आपको ये कॉंप्लिमेंट मिलता है
04:23जैसल, मैंने कहा अच्छा तो लगता है लेकिन साद साथ ये भी लगता है कि कुछ वैसा काम करना एक जिम्मेदारी भी है
04:32और जिस तरह से साहिर साद या शलेंदर साद काम कर रहे थे अपने दौर में
04:38आज के समाने में मुझे लिगता है उस तरह काम करना एक अलग से ज़ादा मेहनत मांगता है।
04:44वो इस वज़ा से शायद उन दिनों उस तरह उतना कॉमर्स हावी नहीं था फिल्मों पे।
04:51कला और कॉमर्स का जो एक ताल मेल था वो बड़ा सही ताल मेल था।
04:56अभी में भी थोड़ा सा इस तरह से हुआ है कि आपको बहुत सारी चीजें ध्यान में रखनी पड़ती है।
05:03मतलब उनको साहिर साब को यह नहीं प्रेशर होगा कि अरे कुछ ऐसा लिखो जिसकी रील भी बन जाए।
05:14यह प्रेशर आज है।
05:15यह इस वज़े से प्रेशर है क्योंकि यह एक बड़ी जो होना भी चाहिए।
05:20जो जरूरी है क्योंकि आपको पहुँचना है।
05:24आपको अपनी बात पहुचानी है।
05:26अभी बात पहुचाने के जरिये बदल गए हैं।
05:29बदल गए हैं, अभी बात पहुंचाने के तरीके बहुत ज़्यादा हो गए हैं, इसलिए वो जिम्मेदारी और वो मेहनत और वो क्या कहते हैं आपका, ज़्यादा जोर ज़्यादा लगता है.
05:41पर कभी कोई ऐसी फर्माईश आप से की गई, लिखते हुए, कि मुझे ऐसा चाहिए, जो आपको लगे कि मैं ये मेरी कलम से कहां से निकालूँ।
05:51आप एसी फर्माईश होती नहीं है, ऐसी फर्माईश इस वज़े से नहीं होती कि आप उस दुकान पर जाते हैं जिस वे आपको पता होता है कि यहां यही सामान मिलता है.
06:01तो मुझ तक जो Directeur पहुँचते हैं जितने भी Director है यह जिन Music Directors के साथ मैं काम करता हूँ, Producers उनको पता है के इर्षाद कामिल का Flavor है ए हरुऊज जहाद कामिल Rockstar दे सकता है इर्षाद कामिल pros отर्ट कामिल जब भी मेड़ दे सकता है इर्षाद कामिल राज्छना दे सकता ह
06:31अच्छना तो मुश्किल है यह बताना बड़ा मुश्किल है कि कौन सी चीज सबसे मुकमल है पर यह है कि मैं अपना गाना कौन सा सुनता हूँ मैं करने के बाद लिखने के बाद कई बार जनरली क्या होता है आपको अपने काम में बहुत खामिया नजर आने लगती है कि अरे �
07:01शेयर यहाद आगया इर्शाइब बिन लफजों के बाद सयानी करता है बिन लफजों के बाद सयानी करता है चुप रहके हालात बयानी करता है मैं तिनकाबन दरिया में गर जाता हूँ बाकी जो करता है पानी करता है तो उसमें मेरी कुछ उस तरह से नहीं के मैं मुकमल कर �
07:31आप जब ही मैट की बात कीजिए, जब ही मैट पिक्चर आई तो पिक्चर हम जिस तरीके से काम कर रहे थे, महनत कर रहे थे, हमें नहीं पता था कि वो गाने आप लोगों को इतने पसंद आजाएंगे, गाने पसंद आगे और हम सब लोग डर गए, डर गए अरे अब तो यह �
08:01प्रीतम्दा और जो डिरेक्टर थे इंतियास, हम बैठे उसके मुजिक सिटिंग के लिए दुबारा से, आप यकीन मानिये हमने उस काम्याभी का इतना जादा प्रेशर ले लिया, कि हम तीन चार दिन पांच दिन बैठे रहे बंबई से दूर जाएंगे, और हम से नकुछ
08:31आप अपना काम कर दिजिए, अगर काम में दम होगा तो वो अपने आप बढ़ हो जाएगा।
08:39यह भवर बढ़ मुश्किल है अगर फंस जाए इंसान की इससे बढ़ा, उससे अलग ही होगा।
08:46कभी जैसे सामान आप में कहा नए आपका तिनका गिरा और पानी उससे बहा ले गया तिनके की कौलिटी होती है, सब के तिनके गिरते हैं तो पानी उस दिशा में बहा कर ले नहीं जाता है।
08:58पर राइटर्स ब्लॉक जिसको हम सब कहते हैं कि समझ ही नहीं आता है कि हम पहला शब्द क्या लिखें, पहला शब्द लिख दिया तो कहां पर जा कर भंच जाए, वो आपके साथ भी होता है।
09:10मुझे ऐसा लगता है, खाली कागस जो होता है ना श्वेता जी वो एक कैनवस की तरह होता है।
09:16कोई भी पेंटर होता है वो पहले ये सोचता है कि मैं कौन सा ब्रश उठाऊं और कौन सा रंग चुनूं कि ये पहली लाइन लग जाए।
09:24पहली लाइन और पहली लाइन नहीं होती सबसे बड़ी बात ये समझने की होती है पहला डॉट होता है एक डॉट लाइन बनता है एक बिंदू रेखा बनता है तो एक शब्द है जिस शब्द उसे कहानी बनती है वो पहला शब्द क्या हो और वही पहला शब्द हो ये कौन
09:54धीरे धीरे कत्रा भी हो सकता है, आग का दरिया धीरे धीरे कत्रा भी हो सकता है, साथ तुम्हारे रहने वाला तन्हा भी हो सकता है, यार की आदत चाहत में बदली-बदली हो सकती है, यार की आदत चाहत में बदली-बदली हो सकती है, यार की आदत चाहत में ही बदला भी हो स
10:24वान से लवस से कहाँ बात निकलेगी और कौन का चौन सा शब्द आगे जल के अपने माइने बदल लेगा आपको उस वक्त नहीं पता होता, लेकिन वही बात होती है कि जब आप तिनका बनके बैहते हैं, तो आपको पता जलता है कि कौन सी लहर उंची जाने वाली है और कौन
10:54आप खुद होते हैं, उसको कोई आपको सिखा नहीं सकता है, डिरेक्शन शायद लोग दे सकें, और इसलिए जब AI का ये दौर आ रहा है, बहुत सारी चीजे बदल रही है, आपको लग रहा है कि शब्द को कभी AI, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस उठा पाएगा?
11:10जी नहीं, ऐसा मुझे बिल्कुल नहीं लगता, मुझे इस वज़े से नहीं लगता, बहुत सारी चीजें होती हैं, जैसे में आप लग्खने को लेके रहूंँ, अभी आप लेख, AI से कहिए, के इर्शाद कामिल जैसा गाना लिखते हैं, इर्शाद कामिल जैसा गाना, वह ज
11:40तर्तीब दे के आपके सामने पेश कर देगा,
11:43लेकिन एयाई यह नहीं कर सकता कि आज इर्शाद कामिल क्या सोच रहा है,
11:48और वो कैसा लिख सकता है,
11:51यह लिखे हुए को आपके सामने पेश कर रहा है,
11:53वो जो अनकही घजलों का एक अधूरी आर्जू का दिल में मेरे दर्द है,
12:02एक अधूरी आर्जू का दिल में मेरे दर्द है,
12:05अनकही घजलों का मेरे जहन में दीवान है,
12:08वो जो अनकही घजलों का,
12:10वो जो अनकही घजले हैं,
12:12वो इर्षाद कामिली लेके आएगा, वो AI नहीं लेके आएगा.
12:17पर लिखने के लिए पढ़ना कितना जरूरी है?
12:21मतलब आप से पहले जो आए, उनको पढ़ना कितना जरूरी है?
12:27बहुत जरूरी है.
12:29ये प्रैक्टिक्स की बात है, आप अपने घर में बैठे, दुनिया के सारे लोगों से नहीं मिल सकते.
12:38आप मानते हैं इस बात को कि अगर आप अपने घर में बैठे हों, दुनिया के सारे लोगों से आप नहीं मिल सकते.
12:46दुनिया की सारी जगे नहीं गूम सकते.
12:48लेकिन किताबें वो सरमाया है, वो लिखा हुआ, वो सरमाया है
12:54कि आप बैठे बैठे, वो सब कुछ देख सकते हैं, जहां आप नहीं पहुन सकते
12:59आप आप ने जो कुछ लिखा हुआ है पुराने लोगों ने, किसी ने भी लिखा हुआ है
13:05उनके तजरुबात आपको बैठे बैठे मिल जाते हैं
13:11वो आपको जीने के लिए उस जगह उस गली से गुजरना नहीं पड़ता
13:16यह जरूरी बात पढ़ाई वहाँ जरूरी है
13:18पढ़ाई आपको कम समय में जादा तजरुबे के लिए जरूरी है
13:23आप एक आप बहुत सीमित हैं लिम्टेट हैं आपनी जीने की अब जिस जिन्दगी में जिस रूटीन में हैं तो वो आप अगर पढ़ते हैं आप बहुत अलगग लोगों को पढ़ते हैं अलगग तरीके का पढ़ते हैं अलगग जगों के बारे में पढ़ते हैं तो आप वो
13:53इर्षाद कामिल, तो उनका mental space क्या है? यह एक spiritual ऐसा गीत है जो जोडता है, मुझे लगता है कि अपने अराध्य से अपने अपने अपने जी, यह इन दिल्ली की बात थी,
14:09रॉक स्टार शूट हो रहा था, यह composition बनके आ चुकी थी, कुन भाय कुन, और मैं उस पर यहीं बैठा लिख रहा था, एक hotel में, और यहीं जो डिरेक्टर थे, उसको शूट कर रहे थे, रॉक स्टार दिल्ली में, आप तो जानते हैं, काफी सार पोर्शन दिल्ली में शूट ह
14:39कि चीज हो रही है, जो कहीं पहुंच सकती है जिसके बारे में कgoing सा चाह आप पूचलन, आपको पूुछा था के
14:49आपको मुकम्मल क्या चीज लगती है।
14:51मैं अगर कभी अपना कोई गाना सुनता हूँ जब मैं कहीं लोज में होता हूँ अपने थोड़ा
14:58ऐसे जिंदगी में बहुत ऐसे मोमेंट्स होते हैं जब आपको लगता है के
15:02कर दो राज कुछ मन ठीक नहीं है भारी भारी सा मन होता है।
15:08तो मैं कुन पाय कुन सुनता हूँ और ये मैं जब लिख रहा था तब ही मैंने महसूस किया
15:15अब लिखने के बाद क्योंके डिरेक्टर यहां पे शूट कर रहे थे उन्होंने का कि अब इस सब कुछ हो गया, सारी चीजे आप जा के चिन्नाई जाओ और गाना रिकॉर्ड कर लो, मैं चिन्नाई गया, रह्मान साहब के साथ यह गाना राद मजही याद है, कि रात को दो �
15:45बयान करना बड़ा मुश्किल है, एक एहसास होता है ना कि कुछ हो गया, कुछ हो रहा है, कुछ आपके अंदर एक इस तरह का एहसास हा रहा है, जो आपको एक बड़ी चीज के साथ, कुद्रत के साथ जोड रहा है, वो हमें हुआ, और मैंने निकलने के बाद, पून किया �
16:15जोड़ी है, मुझे लगता है कि तुम्हें आके यहां उसका मजा लेना चाहिए, और वो आय चिन्नाई, गाना सुना उन्होंने यह कवाली सुनी, और यह कवाली हमें इनिशली बहुत लंबी कवाली लगी थी, कि फिल्म में इतनी लंबी कवाली रखना बड़ा मुश्किल
16:45जो चीज आपको छू जाती है, जो चीज आपको कनेक्ट कर जाती है, उसके लिए आपके पास वक्त होता है, जिससे आप महबबत करते हैं, उसके साथ बात करने बैठते हैं, तो कैसे दो घंटे निकल जाते हैं, पता ही नहीं नहीं चलता, जिसको आप पसंद नहीं करते है
17:15कमाल का लिखना है, कमाल का नहीं लिखा जाता है, कमाल का कभी नहीं लिखा जाता है, उस मुम्मेंट में बह जाना है, अपने आपको डेडिगेट कर देना है, समर्पित कर देना है, अगर आपका समर्पन स्वीकार हो गया, तो आप वहां पहुंच गए, नहीं स्वीकार हु�
17:45ये ऐसे ऐसे चीजें दर्शकों को देगा जो टाइम्लेस हो जाएंगे
17:53नय ये बिलकुल हमें अ� findsास नहीं था
17:56क्योंकि इमतियास को मैं तब से जानता हूँ
18:00या इमतियास मुझे जानता है जब इमतियास बहुत इमतियास अली नहीं था
18:04और इर्शाद भी इर्शाद कामिल नहीं था
18:06बड़े
18:08अब जो चीजें हुई
18:11जो काम हुए
18:12या जो शायद हम एक दूसरे को समझते
18:15उस जो आपकी
18:17संघर्श के दिनों की
18:19दोस्ती होती है ना वो बड़ी
18:20अलग किसम की दोस्ती होती है
18:22जो जब जो जान पहचान आपकी संघर्श के दिनों में होती है
18:26वहाँ वो बेबाकी होती है
18:28जहां ना डिरेक्टर डिरेक्टर रहता है ना राइटर राइटर राइटर रहता है
18:33आप उस लेवल पर बात करते हैं कि
18:35आरे नहीं, ऐसा कैसे होगा, ये तो बात होई ही नहीं सकती, आरे यहां तो गाना आना चाहिए, औरे क्यों नहीं आएगा गाना, इस तरह की बात चाहिए, जैसे मैं आपको एक्जम्पल दूँ, पहली लवाजकल में एक गाना था आज दिन चड़िया तेरे रंग वरगा, मा
19:05ही गाना है, तो अभी पिक्चर फर्स्ट कट हो गया, हम पिक्चर देख रहे हैं, पिक्चर देखने के बाद मुझे और जो म्यूजिक डिरेक्टर थे प्रीतम उनको लगा कि यार पिक्चर का नाम लव आजकल है, इसमें कोई लव सॉंग तो है नहीं, तो काते चलो देखत
19:35जम प्रक्षार से हैं, एक डेड़ मिनट है, वहां पे हम यह गाना एक गाना बना सकते हैं, चलिए ठीक है, हम ड मुझेख करते हैं, ड मुझे अज़े ठीक है हम डिरेक्टर से बात करते रहे हैं, पिक्चर लाद कर दिया भई, मेरा शूट खतम होगया है, अब मतलब कैसे �
20:05कि अपके देख लूँगा यार अधर्वाइस I don't think कि अपने को गाना चाहिए और हमने गाना बनाया और गाना बनाने के बाद वो गाना वहां पे लगा गाना लगने के बाद तब यह ऐसास गए कि यह जो मुझ्टाज मुजिकल जा रहा था गाने की वज़े से कहां पहुंच
20:35अपनी बात कह पाते हैं या अपनी जिद कर पाते हैं अपनी बात तो वो शायद हम दोनों के बीच में एक दूसरे को समझने की भी कुबत है और शायद एक दूसरे के काम को स्पोर्ट करने से योग देने की कुबत यह क्या कोई प्रोसेस होता है ऐसा कि मतलब melody पर शब्द
21:05कि मतल शायद है का सही है थात्तर कई दुनों पे इद आप सब लोग जानते और शानफ़ कि एप मिदा नाइं परसंट काने जोब कर रहा हम वे
21:25कौन से है वो आपको ध्यान है जी जैसे एक गाना भी थोड़ी देर पहले एक फिल्म आई थी अतरंगीरे उसमें तुम्हे मोहबत है एक गाना है जो पहले मैंने लिख लिया था और लिखने के बाद वो इसलिए क्योंके जब आप फिल्म के बारे में सोचते हैं या रांचना
21:55अब उसमें से कितना portion रखा जाता है या कितना portion नहीं रखा जाता, वो अलग बात है
22:03बasive अपने इनस्पार करना होता है music director को या director को कि यह आपकी picture की बात है
22:09जैसे ऐसे ना देखो, मैंने लिखा कैसे मैं आपको पता रहा हूं, ऐसे ना देखो, जैसे पहले कभी देखा ही नहीं,
22:17मंदिर की सीड़ी जैसा हूं मैं, ऐसे ना देखो, जैसे पहले कभी देखा ही नहीं,
22:25मंदिर की सीड Vater Thomas मैं
22:28मंदिर की हिस्जा हू, मंदिर नहीं
22:31पेड की चाया जैसा हू, मैं
22:33पेड के साथ हू, नहीं तुम दूर से आ रही
22:37शहनाई की आवास मैं उन लोगों का गी जो गीत नहीं सुनते
22:44पज़र का पहला पत्ता
22:46रेगेस्तान में खोया आसू नहीं मिलूंगा.
22:52पज्जड का पहला पता रेगेस्तान में खोया
22:55नहीं मिलूंगा.
22:58मुझे अपने आपको जंद़ार्खना है
23:00ताकि तुम तक पहुंछने का ज़रिया
23:03बन सको..."
23:07अब यह किरदार ख़तम हो रहा था
23:11किसी मनलब ये जो कुंदन का करदार था राजना में वो खत्म हो रहा था जोया के लिए लेकिन मुझे खुद को जिन्दा रखना है ताकि तुम तक पहुचने का जरिया बन सको
23:23अब ये बात में लिख ली अब लिखने के बाद रह्まन साब ने ऐसे ना देखो एक उठाया और उसके बाद उसका पूरा ना बना दिया और गाना बनाने के बाद जो दुन बनती ये पर उस दुन के हिसाब से शब्द बन गए
23:41और कई बार शब्द ऐसे जो आम बोलचाल में नहीं है, लोग जानते नहीं है, मैं सायारा की तरफ इशारा कर रही हूं, कि वो गीच सुनने के बाद, फिल्म देखने के बाद, लोगों को समझना पड़ा कि सायारा क्या, जी, मुझे लगता ये हमारे दौर का बहुत अच्छ
24:11को के बाद मेंन मतर अच्छिती के बारे में जानकारी थी, उससे जानकारी हूए, इवन जब कुन वाया कुन आया था, तो कुन-वाया कुन के लिए बहुत गूगल Guidा कि Goku如何 की अब ये सईयरा आया तो साया, ह hago
24:12जानकारी नहीं थी उस्से जानकारी भी ईवन
24:16जब कुणभ आया कुणभ आया था तो कुणभ आया के लिए बहुत
24:19Google wasn'tила कि यह कुणभ आया कैः
24:21अब यह सияरा आया तो सय नहीं होता च्वे इसह हुर्था क्या है
24:25के कोई भी नई चीज हमें अच्छी लगती है
24:28जब हम उनका मतलब जान लेते हैं कि यह चीज का मतलब यह है और मतलब अगर अगर अच्छा लग जाए तो हमारे साथ रह जाती है
24:36अब यह सैयारा जैसे लफजिया कुन पाया कुन जैसे लफजिया मत्रगष्टी जैसे जो भी शब्द हैं
24:43यह आपको अपने लेखन में एक नया पड़ाव लाने के लिए एक नई अपरोच लाने के लिए उस तरह के लफजों का इस्तमाल करना बहुत सदूरी होता है
24:53इर्षाद कामिल जी हमें समझाएए जो जिसने लिखा उसके लिए सैयारा शब्द वो कैसे एक्स्प्लें करें का फिल्म देखकर और उसके बाद जो आप थोड़ा गूगल करके जो समझते हैं वो अलग चीज यह शब्द आपके लिए क्या था
25:07मेरे लिए जैसे मेरे öटकेर जब शुरू होती हा
25:11कि आपने सैयारा बहुत से लोगों ने लोगो ने लोगों देखी होगी पिक्चर मेरे ने वज major
25:16यह भूरा यकिन है
25:17तो सैयारा, सैयारा मतलब वो ताहरः
25:21यह पिक्चर वहीं से शुरू होती है, जब सैयारा की पोईटरी शुरू होती है, कि सैयारा मतलब वो तारा, अब सैयारा एक ग्रह का मतलब एक इंसान का, हम सब ग्रह हैं, अपने अपने और्पिट में हम घूम रहे हैं, हम सब टापू हैं, अपनी एक बहुत सारे बड़े सम
25:51जो दूर का टापू होता है, उससे हमारी बात नहीं होती,
25:54या जो हम अपने अपने और्बिट में घूम रहे लोग हैं,
25:58तो हमें लगता है कि मैं घूम तो रहा हूँ,
26:00लेकिन मैं उस उस ग्रह को चाहता हूँ,
26:03वो मेरे पास हो, लेकिन वो नहीं हो पाता,
26:06तो ये आप देखिए कि मायने कैसे खुलते हैं,
26:10इसलिए मैंने कहा ना, जिसने लिखा उससे मैं समझना चाहती हूँ,
26:13जी, तो मायने किस तरह से खुलते हैं,
26:16यहां सहियारा उस ग्रह से नहीं है,
26:18आप सब सहियारा हैं, मैं भी हूँ, यह भी हैं, हम सब सहियारा हैं, हम अपने अपने अर्बिट में घूम्म रहे हैं, और उस अर्बिट में और भी बहुत सारे लोग हैं, किसी ग्रह के नजदीक जा के हमें अच्छा लगता है, हम पे रोशनी पड़ती है, किसी ग्रह के नज
26:48मतलब तारूं की बात की प्लानेट की लेकिन आपने भी दो अलग-अलग दूरूव के लोगों के बीच में बुझे अर रह्मान और पृतम जी दोनों मतलब दूरूव लगते हैं उन दोनों के साथ आपका कैसा अनुभव रह एका बहुत अच्छा अनुभव रह एका बहुत
27:18रुमेंटिक गाना हम कोई बना रहे हैं, तो उस पर्टिक्लर सिच्वेशन को कितने तरीके से देखा जा सकता है, ऐसे भी देखा जा सकता है, क्योंकि हर एक चीज को देखने का नजरिया अलग लग नजरिया होते हैं, तो इसी रुमेंटिक सिच्वेशन को ऐसे भी देखा ज
27:48कि यह चीजी हैं भाई यह तीन तरीकें यह चार तरीकें अपरोच करने के
27:52एज डिरेक्टर आप एक चूस कर लेते हैं कि मुझे इसके साथ जाना है
27:56रह्मान सब जब किसी सिचेशन पर काम करते हैं तो वो उसमें
28:02नजरिये के साथ साथ या नजरिये के अलावा उसकी गहराई में जाते हैं
28:09कि यह रोमेंटिक सिचेशन बहुत गहरी रोमेंटिक सिचेशन है
28:14या कितनी गहरी नहीं है अब जैसे हमने अगर तुम साथ हो अगर आपने गाना सुना होगा
28:22अगर तुम साथ वाप लोगों मैसे वो, वो situation इस तरह की होती गई या इस तरह की गहरी होती गई उससे पहले उसी situation पे हमने गाना बनाया था
28:32मैं ये बात समझाने के लिए आप लोगों को बता रहा हूं उस वो आप में पिक्चर देखी है वो आप में पिक्सराइजेशन देखी है हमने पहले गाना बनाया था उस पे अब तेरे प्यार की कुछ जरूरत नहीं मुझे ये भी नहीं के तुस्से मोहबबत नहीं मुझे ल
29:02तो फिर आया के तेरी नजरों है है तेरे सपने, तेरे सपनों में नाराजी गए मुझे लगता है बाते दिल की होती लखों की दोखे-बाजी तुम साथ हो या नहो
29:13क्या फَّर्क है बेदर्थ ती जिंदगी बेदर्थ है अगर तुम साथ हो
29:17तु इसी में मुझे फिर ले आया दिल, यादाता है, फिर ले आया दिल में जो दर्द है, वो अन्दर का दर्द है या फिर एक सिन की दिमांड है?
29:31मैं जब चीजने लिखी जाती है मुझे लगता है आप नहीं लिख रहे होते हैं ये जब लिखा जिन्होंने
29:43वो जब कोई भी गीतकार होता है किसी गाने के अपरोच करता है वो गीतकार नहीं कर रहा होता
29:53वो खिर्दार कर रहा होता है
29:56अब जैसे मैंने काँ कि रॉक्स्टार
29:58रॉक्स्टार जो गाने हmäß
30:01वो जॉड़न के गाने है
30:03जो टमाषा के गाने है
30:06वो वेद के गाने है
30:08इसाद कामिल एक जरिया बना है
30:11उन गानों को लिखने का
30:13कुंदन अगर रांचना में शायर होता, तो वो क्या लिखता, मेरी हर मन मानी बस तुम तक, ये लिखता वो, तो वो एक किरदार के जरीए, एक स्थिती पर स्थिती तक पहुँशने की कोशिश होती है, अगर वो जरिया गीतकार बन जाता है, बस इतनी सी बात है, आने वाले स
30:43जिसके आने की प्रतेक्षा आपEt कि यह लोगों के सामने आयं, उसके बारे में कुछ बताना जाहेंगागा।
30:47मैं आने वाले समय में तो मैं हर एक पिक्चर उतने ही कोशिश के साथ करता हूँ, उतनी ही मेहनत के साथ करता हूँ, बत बात यह है कि कुछ पिक्चर हैं जो आने वाली है जैसे इम्तियास के साथ ही पिक्चर आने वाली है या खेर वो उन पिक्चरों के बारे में बहुत मेहन
31:17पहुंचेंगी तब आपको आप खुद अंदाजा लगा लेंगे कि ये किस तरीके का काम है अगर मालीजे मैंने सयारा से पहले हमने ये काम
31:27इंट्रव्यू किया होता या हम मैं आप लोगों से मिला होता तो शायन मैं सयारा का भी जिकर ना करता कि कोई इस तरह की पिक्चर आने वाली है आपके भीतर का जो शायर है जो गीतकार है वो कभी खामूश बैठता है यह हमेशा भावनाएं उमरती है नहीं बहुत तकलीफ द
31:57परिस्थिती में डाल देती है जो आपके लिए बड़ी तकलीफे हो जाती है वो इस तरह से कहीं कुछ हुआ होता है उसका आपके साथ तालुक हो सीधे तोर पे या नहीं हो कहीं कुछ हुआ होता है लेकिन आप भावुक हो जाते हैं आपकी भावना आपको एक तकलीफ में
32:27एक संजीदा रहता है और हर वक्त कुछ न कुछ ढूंडता रहता है उसको नहीं पता कि उसका क्या खो गया है जिसको वो ढूंडता रहता है
32:38क्या बात है
32:39मैं इस सत्र के समाप्त होने से पहले, इसकी खत्म होने से पहले आपसे रिक्वेस्ट करना चाहूंगी, अगर हम सब के लिए, आप कुछ पढ़े, मतलब मैं सुनना चाह रही हूं आपको
32:53जी, मैं आपको.. सुनाता हूं
32:59अब मुझे चलिए मैं आपको एक बहुत पहले की लिखी हुई एक बड़ी रुमेंटिक सी चीज सुनाता हूं
33:08वो लड़की ना जाने कहा होगी
33:13जिसकी आखों में चाहत का मजधार था, अपना दिल जिसका बेहत बफादार था
33:20आज फिर याद आई अचानक वही जिसको भूले नहीं मेरे चौध है बरस, बात बनके जो निकली जवां से कभी अश्क बनके कभी जो गई है बरस, जहन के कागजों में जवां होगी, वो लड़की ना जाने कहा होगी
33:37ख़तादे अधूरे से लिखती थी जो जैसा चाहूं मैं वैशी ही दिखती थी जो
33:52खताधे अधूरे से लिखती थी जो
33:55जैसा चाहूं मैं वैसी ही दिखती थी जो
33:58खताधा थमा के जो हाथों में
34:01कह देती थी खुद पूरा कर लेना
34:03मेरे दिल में है क्या तुमको मालूम है
34:06दिल की बातों से कागस को भर लेना
34:09बाते मेरी तुम्हारी जवां होगी
34:22खाब थी, वो मेरा खाब ही रह गई, वो सरफिरी हवासी कहां बह गई, मेरे कमरे में बिकरी किताबों पे जो लिख देती थी उन सारे ही नामों को, जिनको लेके मैं उसको बुलाता था, उस पगली पे जब प्यार आता था, जाने किस अजनवी का जहां होगी, वो लड़की �
34:52बहुत बहुत शुक्रिया आपका, इर्शाद काविल जी, यहां पर आकर, बहुत सारी चीजें जो होती हैं, गीतों में सुरों में बंद कर हम सुनते हैं, लेकिन कुछ ऐसी ही, ऐसी ही जो शब्द होते हैं, वो एक शायर की जुबान से, अगर हम एक मंच पर सुन सकें, उस
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