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साहित्य आजतक के मंच से मशहूर शायरों से सुनें- ग्रैंड मुशायरा

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00:00:00चले अब मैं चाहता हूँ कि बिल्कुल खामोशी से आप इस मुशारे का आगास करें और शेरों का लुट्फ लें
00:00:05तो जिन पहले शायर को मैं बुलाने जा रहा हूँ
00:00:08जिन्दगी यूभी गुजारी जा रही है
00:00:12पता नहीं लोगो देखकर भी मुझे लग रहा है
00:00:14कि जिन्दगी यूभी गुजारी जा रही है
00:00:18जैसे कोई जंग हारी जा रही है
00:00:21जिस जगा पहले के जखमों के निशा थे
00:00:25फिर वहीं पर चोट मारी जा रही है
00:00:28जनाब अजम शाकरी साहब के साथ इस मुशारे का आगास करना चाहता हूँ
00:00:34शाकरी साहब
00:00:36जोर्दार तालियों के साथ आप अगर करेंगे तो अच्छे शेर सुनने को मिलेंगे
00:00:45शुरू हो जाएगे
00:00:55सुनिएगा मैं कुछ शेर सुनाना चाहता हूँ
00:01:06दिल के च्छालों को हथेली पे सजा लाया हूँ
00:01:19दिल के च्छालों को हथेली पे सजा लाया हूँ
00:01:27गौर से देख मेरी जान मैं क्या लाया हूँ
00:01:30गोर से देख मेरी जान मैं क्या लाया हूँ
00:01:38मैंने एक शहर हमेशा के लिए छोड़ दिया
00:01:44मैंने एक शहर हमेशा के लिए छोड़ दिया
00:01:50लेकिन उस शहर को आखों में बसा लाया हूँ
00:01:53बात खूब
00:01:55लेकिन उस शेहर को आँखों में बसा लाया हूँ
00:02:09सुनिएगा कि सुबों तक कैसे गुजारी है ये अब पूछती है
00:02:15सुबों तक कैसे गुजारी है ये अब पूछती है रात तूटे हुए तारों का सबब पूछती है
00:02:31तू अगर छोड़ के जाने पे तुला है तो जान भी जिस्म से जाती है तो कब पूछती है
00:02:39जान भी जिस्म से जाती है तो कब पूछती है
00:02:48सुनिएगा एक बदला और एक शेर और सुने
00:02:51निजामे जुल्फे गिरागीर तोड़ डालते हैं
00:02:58निजामे जुल्फे गिरागीर तोड़ डालते हैं चलो
00:03:04ये आखरी जंजीर तोड़ डालते हैं
00:03:08बाओ अभी शेर सुनाना है सुनूईगा आज तक चलो ये आखरी जन्जीर तोड़ डालते हैं
00:03:15च मारा अक्स उभरता है जब्ही पाणी में वो पाउं मार के तस्वीर तोड़ दालते हैं
00:03:26वह पाओ मार के तस्वीर दोन दालते हैं कुछ तरन्नम से सुना दूँ आपको
00:03:36उस्से मिलने की जुस्त जूबी है उस्से मिलने की जुस्त जूबी है
00:03:54उस्से मिलने की जुस्त जूबी है और वो मेरे रूबरू भी है
00:04:10और वो मेरे रूबरू भी है
00:04:23हमने सोचा था दिल जला डाले
00:04:30हमने सोचा था दिल जला डाले फिर ख्याल आया दिल में तू भी है
00:04:45भी है उस्से मिलने की जुस्त जूबी है
00:05:03इसी लहजे में दो तीन शेर और सुनें
00:05:06अब ना रोएंगे हम खुशी के लिए
00:05:11गम ही काफी है जिन्दगी के लिए
00:05:26गम ही काफी है जिन्दगी के लिए
00:05:33जो हमें जखम दे के छोड़ गया
00:05:40जो हमें जखम दे के छोड़ गया
00:05:47हम तरपते रहे उसी के लिए
00:05:53और ये शेर शायद याद रह जाए आपको सुनें
00:05:58हम तरपते रहे उसी के लिए
00:06:03जहर भी लग गया दवा बनकर
00:06:09जहर भी लग गया दवा बनकर
00:06:16हमने खाया था खुदकुशी के लिए
00:06:22हमने खाया था खुदकुशी के लिए
00:06:32जहर भी लग गया दवा बनकर
00:06:43हमने खाया था खुदकुशी के लिए
00:06:49उम्र भर जिसका इंतजार किया वो मिला भी तो दो घड़ी के लिए
00:07:09आखरी दो शेर और सुनाता हूं टाइम मेरा खायर है
00:07:15सुनिए गार है को चपीट है दिल में हसरत कोई बची ही नहीं आग ऐसी लगी बुझी नहीं
00:07:31मैं जिसे अपनी जां समझता था सच तो ये है वो मेरी थी नहीं
00:07:45सच तो ये है वो मेरी थी
00:07:51मैं जिसे अपनी जां समझता था सच तो ये है वो मेरी थी ही नहीं
00:08:07जैसे इस बार खुलके रोए हम ऐसी बारिश कभी हुई ही नहीं
00:08:25ऐसी बारिश कभी हुई ही नहीं
00:08:32और ये शेर सुन लें उसने जब खुद को बेनकाब किया उसने जब खुद को बेनकाब किया फिर किसी की नजर उठी ही नहीं
00:08:53जिन्दगी को गले लगाते क्या जिन्दगी को गले लगाते क्या
00:09:13जिन्दगी उम्र भर मिली ही नहीं
00:09:20और आखरी शेर जिन्दगी उम्र भर मिली ही नहीं
00:09:29सुनिएगा आखरी शेर सारे लोग शरीक हो जाएं
00:09:32मुंतजर कबसे चांद बैठा है कोई खिड की अभी खुली ही नहीं
00:09:51बहुत खुब बहुत खुब शाकरी साहब बहुत बहुत शुक्रे आपका लगता है यहां आशिकों की तादाद ज्यादा है और वो भी दिल जले आशिकों की
00:10:05अब मैं जिने बुलाना चाहता हूँ
00:10:09असल में वो नौजवानों में यतने मशूर मकबूर है
00:10:12कि कल को चुनाव में खड़े हो जाए तो मुझे शक नहीं होगा
00:10:16कि रास्ते जो भी चमकदार नजर आते हैं
00:10:21रास्ते जो भी चमकदार नजर आते हैं
00:10:24सब तेरी ओढ़नी के तार नजर आते हैं
00:10:27ताविश चाहता हूँ कि चोड़दार तालियों के साथ
00:10:31जुबैर अली ताविश का स्वागत करें
00:10:34बहुत शुक्रिया
00:10:44मकामे इश्क पर कहते हो तुम
00:10:50चल लौट चलते है
00:10:54मकामे इश्क पर कहते हो तुम
00:10:59चल लौट चलते है
00:11:02तो लाओ बैग मेरा पहनो चपल लौट चलते है
00:11:07जुरी तलवार बम बंदूग
00:11:23गोली और मिजाईल चुरी तलवार बम बंदूग गोली और मिजाईल अगर यही तरक्की है तो जंगल लौट चलते हैं
00:11:35बहुत जब से एक चहरा खोया है
00:11:47है जब से एक चहरा खोया है हर मंजर खोया खोया है देखो मुझको गौर से देखो देखो मुझको गौर से देखो देखो तुमने क्या खोया है
00:12:06देखो मुझ 거 गौर से देखो, देखो तुमने क्या खोया है, कानहा में दुनिया खोई है, राधा में कानह खोया है
00:12:25बहुत खूप बहुत खूप तामिश्ट बहुत शुक्रे जल्दी यल्दी शेर सुनाने पड़े वक्त कम है
00:12:32कुछ बोलो तो लहजा समझूं
00:12:38कुछ बोलो तो लहजा समझूं
00:12:42खामोशी को मैं क्या समझूं
00:12:45तुम भी कच्चे मैं भी कच्चा
00:12:49तुम भी कच्चे मैं भी कच्चा तो मैं रिष्टा पक्का समझू
00:12:55बात हो बात हो बात हो बात हो बहुत शुक्र एक बिल्कुल ताजा गदल के कुछ शेर सुने
00:13:01कि उस सितमगर को भी तो एक दिन सताना चाहिए
00:13:08बात हो उस सितमगर को भी तो एक दिन सताना चाहिए
00:13:14जब कहे वो पास आ तो दूर जाना चाहिए
00:13:19उस सितमगर को भी तो एक दिन सताना चाहिए
00:13:24जब कहे वो पास आ तो दूर जाना चाहिए
00:13:29और ये भी क्या कोई कमाई है के बस चूला जले
00:13:33ये भी क्या कोई कमाई है के बस चूला जले
00:13:39चार दुश्मन भी जले इतना कमाना चाहिए
00:13:43अरे क्या बात है बहुत खूब
00:13:46बहुत खूब
00:14:02जी भाई जी भाई उस सितमगर को भी तो एक दिन सताना चाहिए
00:14:07जब कहे वो पास आ तो दूर जाना चाहिए
00:14:12और ये भी क्या कोई कमाई है कि बस चूला जले
00:14:16चार दुश्मन भी जले इतना कमाना चाहिए
00:14:24और जंग लड़नी चाहिए पूरी दिलेरी से
00:14:30मगर
00:14:32जंग लड़नी चाहिए
00:14:35पूरी दिलेरी से
00:14:37मगर सामने महभूब हो
00:14:40तो हार जाना चाहिए
00:14:41जंग लड़नी चाहिए पूरी दिलेरी से मगर सामने महभूब हो तो हार जाना चाहिए
00:14:56उसका जुम्ला याद आया
00:15:00जान सिग्रिट छोड़ दो
00:15:02उसका जुम्ला याद आया
00:15:07जान, सिगरेट छोड़ दो
00:15:09और फिर याद आया
00:15:11अगला कश लगाना चाहिए
00:15:12वाह
00:15:13अरे बहुत फूप, बहुत फूप
00:15:15और ए खुदा
00:15:18सुन, तेरी दुनिया
00:15:21हो गई बिल्कुल खराब
00:15:23ए खुदा
00:15:25सुन, तेरी दुनिया
00:15:27हो गई बिल्कुल खराब
00:15:29मुझको लगता है इसे फिर से बनाना चाहिए
00:15:33हकीकत दीदे तर के अलावा भी बहुत कुछ है
00:15:40समुन्दर में समुन्दर के अलावा भी बहुत कुछ है
00:15:50अब अगली बार आना तो बदन को छोड़ कर आना
00:15:55मेरे कमरे में बिस्दर के अलावा भी बहुत कुछ है
00:16:04और सुहागन भी बता देगी मगर तुम पूछो विध्वा से
00:16:19ये मंगल सूत्र जेवर के अलावा भी बहुत कुछ है
00:16:29और ये क्या एक मगबरे को आखरी हद मान बैठे हो
00:16:35महबबत संगे मरमर के अलावा भी बहुत कुछ है
00:16:44हर्फे आखिरे गजल के कुछ चेर फिर अपनी जगा लूँगा
00:16:48मतला समात फरमाएं कि सूट में बैठा शक्स कोई देहाती है
00:16:53सूट में बैठा शक्स कोई देहाती है
00:17:01लहजे से मिट्टी की खुश्बू आती है
00:17:05सूट में बैठा शक्स कोई देहाती है
00:17:14लहजे से मिट्टी की खुश्बू आती है
00:17:18तितली के जैसी है मेरी हर खाहिश
00:17:23हात लगाने से पहले उड़ जाती है
00:17:30और तुम दुनिया को अपना मान के बैठे हो, ये औरत तो सबसे हाथ मिलाती है
00:17:44और इस गजल का आखरी शेर, शायर अपने मतलब से शेर कहता है, समझने वाले अपने मतलब से शेर समझते है
00:17:53बेरहाल मैं दिल्ली मैं ये शेर पढ़ने की मत कर रहो, शेर सुनेगा
00:17:56कि सूट में बैठा शक्स कोई देहाती है, लहजे से मिट्टी की खुश्बू आती है
00:18:03वक्त का पहिया घूमता रहता है ताबिश
00:18:08जाडू एक दिन खुद कचरा बन जाती है
00:18:17बहुत अच्छे, बहुत खुब, बहुत खुब, बहुत खुब, बहुत खुब, बहुत खुब, बहुत खुब, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे
00:18:25ताबिश शाब के शेर की एक लाइन ने मुझे मुस्कान और सूनम की याद दिला दी ते
00:18:31दिल की गली में चांद निकलता रहता है
00:18:38वाँ वाँ ऐसी दाप देते रो यार
00:18:41दिल की गली में चांद निकलता रहता है
00:18:45एक दिया उमीद का जलता रहता है
00:18:48जैसे जैसे यादों की लोग बढ़ती है
00:18:52वैसे वैसे जिस्म पिगलता रहता है
00:18:55अज़र अखबाल साहब बोलने की जरुवत है नहीं है आपके सामने अगले शायद
00:19:00मजजिस समयन अड़ाब
00:19:11बगार किसी तमहीद के क्योंकि वक्त की पबंदिया पेशे नज़र है
00:19:17कप में मजूद रही उसके चुवन की खुश्बू
00:19:24कप में मौजूद रही उसके चुवन की खुश्बू
00:19:31चाए पीता हूं तो आती है बदन की खुश्बू
00:19:35मेरी मिटी का बदन जब से चुवा है उसने
00:19:42उठ रही है मेरी मिटी से गगन की खुश्बू
00:19:52और खुश्बूएं और भी अच्छी है बहुत दुनिया में
00:19:59खुश्बूएं और भी अच्छी हैं बहुत दुनिया में
00:20:03सबसे अच्छी है मगर मेरे वतन की खुश्बूएं बहुत शुबूएं बहुत शुबूएं बहुत शुबूएं चैंशिर और समात कर लें कि
00:20:12दिल ये कहता है अगर आप हमारे होते अब भी प्यारे हैं मगर और भी प्यारे होते
00:20:26मेरी आखों में चमक्ते हुए गत्रे देखो ये अगर अष्क न होते तो सितारे होते को बहुत शुगे और
00:20:51बाद खूब बाद खूब बाद खूब बाद खूब बाद अच्छे और देखकर उसको हमेशा ये ख्याल आता है देखकर उसको हमेशा ये ख्याल आता है काश शादी नहुई होती कमारे होते बाद खूब बाद खूब बाद खूब बाद खूब बाद खूब बाद खूब �
00:21:21बहुत दिन बाद घर अच्छा लगा है।
00:21:51समझ लेते हैं, देह को प्रेम का आधार समझ लेते हैं, लोग इस पार को इस पार समझ लेते हैं, और एक ही वक्त में दो लोगों से हो जाए अगर,
00:22:07बहुत अच्छे, एक ही वक्त में सब समझ गया है, एक ही वक्त में दो लोगों से हो जाए अगर हम उसे प्रेम का विस्तार समझ लेते हैं
00:22:24आपकी वाद सब तक पहुंच रही है
00:22:25एक ही वक्त में दो लोगों से हो जाए अगर
00:22:30हम उसे प्रेम का विस्तार समझ लेते हैं
00:22:35जो पत्थर थी कभी अब फूल होती जा रही है
00:22:39जो पत्थर थी कभी अब फूल होती जा रही है
00:22:45वो लड़की प्रेम के अनुकूल होती जा रही है
00:22:49जब पत्थर थी कभी अफूल होती जा रही है, वो लड़की प्रेम के नुकूल होती जा रही है, वो जब कॉलेज में आई तो बहुत शालीन सी थी, वो जब कॉलेज में आई तो बहुत शालीन सी थी, हमारे साथ रहकर कूल होती जा रही है, बहुत अच्छे, बहुत अच्�
00:23:19चंशिर और सुन लें, जी, चंशिर और सुन लें कि ये शाम साथ में वैतीत करके देखते हैं, जो वेदना है उसे गीत करके देखते हैं, ये शाम साथ में वैतीत करके देखते हैं, जो वेदना है उसे गीत करके देखते हैं,
00:23:47हमारे सामने आती है जब वो म्रगनाईनी हम उसको और भी भैभीद करके देखते हैं
00:23:59हमारे सामने आती है जब वो म्रगनाईनी हम उसको और भी भैभीद करके देखते हैं
00:24:10और नजाने कब से है वीरान मेरे मन का सदन
00:24:15किसी को इसमें मनोनीत करके देखते हैं
00:24:24बहुत अथे बहुत शुक्रिया
00:24:28राचे सबा हो गया सरी ये शत्रुता
00:24:31ये शत्रुता ये तिरसकार कब तलक अजहर
00:24:37उसे कहो के चलो प्रीत करके देखते हैं
00:24:45बहुत अच्छे बहुत शुक्रिया
00:24:47और बस चंद शिर जी
00:24:50अच्छा मैं किसी के होने का एहसास होने लगता है
00:24:57किसी के होने का एहसास होने लगता है
00:25:03ये दर्द अब तो नायास होने लगता है
00:25:06उसफ सरा को अगर आँख भर के देखे कोई
00:25:12उसफ सरा को अगर आँख भर के देखे कोई
00:25:17खुदा के होने पे विश्वास होने लगता है
00:25:21बाल अथे बाल अथे बाल अथे
00:25:23उसफ सरा को अगर आँख भर के देखे कोई
00:25:28खुदा के होने पे विश्वास होने लगता है
00:25:31कुछ एक दिन को बुरी लगती है ये तनहाई
00:25:35फिर उसके बाद तो अभ्यास होने लगता है
00:25:44बहुत अच्छे बहुत अच्छे
00:25:45बहुत शुग्रिया
00:25:47और खुदी को पाने का मतलब ही ग्यान है अजहर
00:25:51घरों में रहके भी सन्यास होने लगता है
00:25:59बहुत शुग्रिया जर और बस आखरी चंद शेर सुना के इजाज़त भाई
00:26:05के अपनी मिटी पे ही आजार समझते हैं मुझे
00:26:12अपनी मिटी पे ही आजार समझते हैं मुझे
00:26:17हूं तो एक फूल मगर खार समझते हैं मुझे
00:26:21बहुत शुक्रिया और नेक लोगों के सबामाल पता हैं मुझको
00:26:27नेक लोगों के सबामाल पता हैं मुझको
00:26:32फखर हैं लोग गुनहगार समझते हैं मुझे
00:26:35बहुत अच्छे और मुझे पढ़िये तो किताबों की तरह से पढ़िये
00:26:41मुझे पढ़िये तो किताबों की तरह से पढ़िये आप तो सुभों का अखबार समझते हैं मुझे
00:26:50मुझे पढ़िये तो किताबों की तरह से पढ़िये आप तो सुभों का अखबार समझते हैं मुझे
00:27:00और 4-6 मिस्रों की एक नजम के एक दिन ऐसा आएगा लोगों के तुम
00:27:08एक दिन ऐसा आएगा लोगों के तुम जिसको कहते हो गंगा वो भागी रती
00:27:15मुक्ष की प्राप्ती का जो एक मार्ग है ग्रहन करते हुए पाप ठक जाएगी
00:27:28शुद्धता की कसाटी से हट जाएगी
00:27:31और हिमाले को बेरंग करके
00:27:33वो फिर जाके शिव की जटाओं में सो जाएगी
00:27:37और वापस धरा पर नहीं आएगी
00:27:39और वापस धरा पर नहीं आएगी
00:27:41बहुत शुक्रिया
00:27:42थैंकी सो मैं
00:27:43बहुत अच्छे अधर साथ
00:27:44बहुत अच्छे बहुत खूब
00:27:46बहुत अच्छा सुन रहे हैं आप लोग भी
00:27:47थोड़ी सी
00:27:50क्या कह रहे हैं
00:27:58थोड़ी सी वर्ट की कमी है
00:28:01हर तरफ घात में बैठे हैं यहां दुश्यासन
00:28:05हर तरफ घात में बैठे हैं यहां दुश्यासन
00:28:09वीर अर्जुन सा लड़या नहीं आने वाला
00:28:13खुद तुम्हें दुर्गा के अवतार में ढलना होगा
00:28:17घोर कल्यूग है कनहिया नहीं आने वाला
00:28:21दया अगर लिखने बैठूं
00:28:26दया अगर लिखने बैठूं
00:28:30होते हैं अनुवादित राम
00:28:33दया अगर लिखने बैठूं होते हैं अनुवादित राम
00:28:39रावन को भी नमन किया ऐसे थे मरियादित राम
00:28:44बस एक मुक्ता का और सुना के कि इतना संगीन पाप कौन करे
00:28:52इतना संगीन पाप कौन करे मेरे दुख पर विलाब कौन करे
00:29:01चेतना मर चुकी है लोगों की पाप पर पश्चाता कौन करे
00:29:07बहुत हूँ बहुत हूँ
00:29:09अज़र साहब की एक लाइन प्रेम के विस्तार को और आगे विस्तार कर देता हूँ
00:29:17कि आईने का साथ प्यारा था कभी
00:29:21यह उस दौर की बात है जब प्रेम का विस्तार नहीं हुआ था शायद
00:29:24कि आईने का साथ प्यारा था कभी
00:29:27एक चेहरे पर गुजारा था कभी
00:29:30अब तो पता नहीं कितने चेहरे हैं
00:29:32आज सब कहते हैं जिसको ना खुदा
00:29:35हमने उसको पार उतारा था कभी
00:29:38शुक्रियार संजीब भाई
00:29:41शारिक कैफी साथ जोरदार तालियों के साथ
00:29:44और इसके बाद याद रखेगा शबीना अदीब जी
00:29:46और हमारे आजमी साथ भवी वाजिद जी
00:29:49या बिल्कुल आई है आप ही का है
00:29:51तोड़ी सी मैमोरी की परिशानी है
00:29:56गजल का मतला देखिए
00:30:01अजर की बात कोई आप लाते हैं
00:30:06प्रेम का विस्तार
00:30:08हुआ भी इश्क तो हमको बहुत दुश्वार वाला
00:30:14हुआ भी इश्क तो हमको बहुत दुश्वार वाला
00:30:20उसे कुछ रोज वाला है हमें एक बार वाला
00:30:25हुआ भी इश्क तो हम को बहुत दुशवार वाला
00:30:33उसे कुछ रोज वाला है हमें एक बार वाला
00:30:39बहुत चोटा था मैं तब से दुका पर बैटता हूँ
00:30:45बहुत छोटा था मैं तब से दुका पर बैखता हूँ
00:30:50सो घर में भी रवया है वही बाजार वाला
00:30:55हमारा काम तो बस सिर्व खबरें बेचना है
00:31:15कहाँ अखबार पढ़ता है कोई अखबार वाला
00:31:29हमारा काम तो बस सिर्व खबरें बेचना है कहाँ अखबार पढ़ता है कोई अखबार वाला
00:31:38छिड़ी जब गुफ्टगू तो रात तक चलती रही फिर
00:31:43छिड़ी जब गुफ्टगू तो रात तक चलती रही फिर
00:31:48न वो इतवार वाला था न मैं इतवार वाला
00:31:56छिड़ी जब गुफ्टगू तो रात तक चलती रही फिर
00:31:59न वो इत्वार वाला था, न मैं इत्वार वाला
00:32:04हुआ भी इश्क तो हमको बहुत दुश्वार वाला
00:32:08उसे कुछ रोज वाला है, हमें एक बार वाला
00:32:13और एक घ्झल का मतल़ा देखिये
00:32:16मतलब देखिए कि सफर हाला के तेरे साथ अच्छा चल ला है
00:32:27सफर हाला के तेरे साथ अच्छा चल ला है
00:32:31बराबर से मगर एक और रस्ता चल ला है
00:32:46बहुत देर समझ में आया आप लो है
00:32:48सफर हाना के तेरे साथ अच्छा चलहा है
00:32:57बराबर से मगर एक और रस्ता चलहा है
00:33:01जबानी खेल बन कर रह गया है इश्क अपना
00:33:06जबानी खेल बनकर रह गया है इश्ग अपना
00:33:11जहां वादे के बदले सिर्व वादा चलहा है
00:33:16जबानी खेल बनकर रह गया है इश्ग अपना
00:33:22जहां वादे के बदले सिर्व वादा चलहा है
00:33:28हमें ये बीज जगड़े में अचानक याद आया
00:33:33हमें ये भी जगड़े में अचानक याद आया
00:33:38कि इसके साथ तो जगड़ा हमारा चलहा है
00:33:42हमें ये भी जगड़े में अचानक याद आया
00:33:51कि इसके साथ तो जगड़ा हमारा चलहा है
00:33:57जवा लोगों की महफिल में कहां ले आए मुझको
00:34:00जवा लोगों की महफिल में कहां ले आए मुझको
00:34:07जिदर देखो अधर कोई इशारा चल लहा है
00:34:11जवा लोगों की महफिल में कहां ले आए मुझको
00:34:22जिदर देखो अधर कोई इशारा चल लहा है
00:34:27गलत क्या है जो मेरे हाल पर हस्ती है दुनिया
00:34:33गलत क्या है जो मेरे हाल पर हस्ती है दुनिया
00:34:39बुड़ापा आ गया और इश्क पहला चल रहा है
00:34:43गल्ट क्या है गल्ट क्या है जो मेरे हाल पर हस्ती है दुनिया
00:35:03बुढ़ापा आ गया और रिष्ट पहला चलहा है
00:35:07सफर हाला के तेरे साथ अच्छा चलहा है
00:35:12बराबर से मगर एक और रस्ता चलहा है
00:35:17अब आखिर में चंशेर और छोटी सी बहर देखिए के
00:35:27रोना हो आसान हमारा
00:35:31रोना हो आसान हमारा
00:35:35इतना कर नुकसान हमारा
00:35:39बात नहीं करनी तो मत कर
00:35:52बात नहीं करनी तो मत कर
00:35:56चहरा तो पहचान हमारा
00:35:59बात नहीं करनी तो मत कर
00:36:05चहरा तो पहचान हमारा
00:36:10और ये शेर देखिए, खुश्पहमी हो जाएगी हमको, खुश्पहमी हो जाएगी हमको, मत रख इतना ध्यान हमारा, पहली चोट में जान गए हम,
00:36:35पहली चोट में जान गए हम, इश्क नहीं मैदान हमारा, पहली चोट में जान गए हम, इश्क नहीं मैदान हमारा,
00:36:56जीत गया तेरा भूलापन, जीत गया तेरा भूलापन, हार गया शेतन हमारा,
00:37:16अब बहुत सीरियस नोट में गजल खत्म हो रही है, कि मौत ने आकर बान लिया था, मौत ने आकर बान लिया था, पहले ही सामान हमारा, रोना हो आसान हमारा, इतना कर नुखसान हमारा,
00:37:37चलिए, दो तीन शेर के लिए और कहा या रहा है बस से, अब ये जो सामने हैं वो सुन लीजिए फिलाल, देखें, मतला देखें कि खुदा होने की चाहत भी नहीं है,
00:38:01खुदा होने की चाहत भी नहीं है, सो छुपने की जरूरत भी नहीं है,
00:38:19और ये शेर खास तौरते देखिए, ख्याली इश्क मत करना केस में, ख्याली इश्क मत करना केस में, बिच्छने की सहूलत भी नहीं है,
00:38:34ख्याली इश्क मत करना केस में, बिच्छने की सहूलत भी नहीं है,
00:38:44तसली से भी आ सकते हो मिलने, अभी मरने की नौबत भी नहीं है,
00:38:55लुटाया भी तो हमने प्यार किस पर, लुटाया भी तो हमने प्यार किस पर, जिसे इसकी जरूरत भी नहीं है,
00:39:15खुदा होने की चाहत भी नहीं है
00:39:19सुछुपने की जरूरत भी नहीं है
00:39:23बहुत शुक्रिया बहुत भाफो भाफो भाफो
00:39:26इन्होंने बगल का रास्ता भी दिखा दिया आप लोगों को अच
00:39:33अपनी शाहरी के जरीए
00:39:35तो आप कोई बराबर वाला रास्ते के बारे में बात करें
00:39:37तो समझ जाएगा बात कहां जा रही है
00:39:39अब जिन्हें मैं बुलाने जा रहा हूँ
00:39:42उससे पहले उनसे एक
00:39:43कहना चाहता हूँ डारेक्ट उनी को आज
00:39:46मेरी मतलब खुशनसीगी है कि मेरे सामने बैठी है
00:39:49इन्होंने एक लाइन कही और मेरी जिन्दगी की
00:39:51वो सबसे आहम लाइन बन गई
00:39:52और मज़ाग नहीं कर रहा हूँ
00:39:54उसके बास से यह हुआ कि मैं किसी भी महफिल में
00:39:56किसी प्रोग्राम में किसी फंक्शन में जाता हूँ
00:39:58मैंने तौबा कर लिया कि मैं पहली सफ
00:40:01यानि आगे की रो में नहीं बैठूँगा
00:40:02हाला कि जो आगे के रो में बैठे हैं उसे दिल पे न लें
00:40:06बट इनकी एक लाइन की वज़ा से मैंने ये फैसला किया
00:40:10और आप समझ जाएंगे मैं ऐसा क्यों सोच रहा हूँ
00:40:13कि जरा सा कुदरत में क्या नावाजा
00:40:16वो आके बैठे हैं पहली सफ में
00:40:21अभी से उड़ने लगे हवा में
00:40:24अभी ये शोहरत नहीं नहीं है
00:40:26शबीना अदीब जोरदार तालियों के साथ मैं चाहता हूँ
00:40:32बिलकुल सुनाएंगे
00:40:47वक्त कम है अगर मुझे इजाज़त मिली तो मैं जरूर पढ़ूंगी
00:40:53पलहाज़ा कीजेगा मैं कुछ पढ़ने की कोशिश करती हूँ
00:40:59अपनगम इस तरह थोड़ा कम कीजिए
00:41:07ने हद्क हूँ
00:41:10अपनगम इस तरह थोड़ा कम कीजिए
00:41:15दूसरों के लिए आँख नम कीजिए
00:41:22बारेखे लिए आँख नम कीजिए
00:41:26कुछ गरीबों के दिन भी सबर जाएंगे
00:41:33कुछ गरीबों के दिन भी सबर जाएंगे
00:41:42आप अपनी जरूरत को कम कीजिए आप अपनी जरूरत को कम कीजिए शुक्रिया इश्क भी लोग सियासत की तरह करते हैं
00:42:05इश्क भी लोग सियासत की तरह करते हैं हम यही काम इबादत की तरह करते हैं
00:42:22हम यही काम इबादत की तरह करते हैं जिन को दोलत से जियादा नहीं प्यारा कुछ भी
00:42:42वो महाबत भी तिजारत की तरह करते हैं
00:42:59वो महाबत भी तिजारत की तरह करते हैं
00:43:03और आपने कल बही देखा होगा कि एक सिंगर सहाब मेरी इस घजल को गाखर भी गए हैं
00:43:08हैं तो बहराल दो तीन शेर के लिए मैं चाहती हूँ मुझे इजाज़त मिले उसके
00:43:12बाद एक अपनी मर्जी से अगर वक्त रहा तो वह गजल सुनने के लिए आप सोचिए उर्दू का ये शायरी का ये जादू होता है
00:43:32कि वो उस मुशारी को सुनने महराष्ट से आयुए है ये बड़ी बात है
00:43:35खमोश लब है जुके है पलकें दिलों में उल्फध नही नही है
00:43:42अभी तकल्प है गुफतबु में अभी महाबत नहीं है
00:44:02अभी तकल्फ है गुफ्टगो में अभी महाबत नई नई है खमोश लब है अभी ना आएगी नीद तुमको अभी ना हमको सुकू मिलेगा
00:44:24अभी ना आएगी नीद तुमको अभी ना हमको सुकू मिलेगा अभी तो धर्केगा दिल जियादा अभी ये चाहत नई नई है
00:44:40खमोश लब है जो कि है पलकें दिलों में उल्फत नई नई है आज का ये अदबी संगम और शबी ना दीब का ये शेर
00:44:51कि बहार का आज पहला दिन है चलो चमन में तहल के आए
00:45:02आज पहला दिन है चलो चमन में तहल के आए फजा में खुश्बू नई नई है
00:45:11नई नई है
00:45:13गुलों में रंगत
00:45:15नई नई है
00:45:18हमोश लब है
00:45:20जुकी है पल के
00:45:21दिलों में उल्फत
00:45:23नई नई है बहुत जब रिकॉर्डिंग
00:45:26होने लगती है, लोगों के हाथ में बूबाइल होते है
00:45:28तो इस घु्जल को ऐसा ही सुना जाता है
00:45:30ऐसा ही ढूब के सुना जाता है जिस तरा आज इस वक्त ढूबे हुए है आप हिम्मत अफजाई करें और शेयर पढ़ते हूँ
00:45:35जो खांदानी रईस है वो मिजाज रखते है नर्म अपना
00:45:50तुम्हारा लहचा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई नई है
00:46:07बहुत फूकूल से इसक्राइब बहुत महर्बानी बहुत बहुत बहुत थे जो खांदानी रईस है वो मिजज रखते है नर्म अपना
00:46:30तुम्हारा लहजा बता रहा है
00:46:34तुम्हारी दौलत नई नई है
00:46:38खमोश लब है जुकी है पलके दिलों में
00:46:42उल्फत नई नई है
00:46:45वो शेर जो बहुतरम ने पढ़ा था
00:46:48अब मैं सुनाती हूँ
00:46:49के जरा सा खुद्रत ने क्या नवाजा
00:46:53के आके बैठे हो पहली सफ में
00:46:58जरा सा खुद्रत ने क्या नवाजा
00:47:03के आके बैठे हो पहली सफ में
00:47:07अभी से उडने लगे हवा में
00:47:10अभी तो शुहरत नहीं नहीं है
00:47:15बहुत अच्छे
00:47:16बहुत शुकरिया घजल का मकताब तो रिखास पेश करती हूँ
00:47:23के अभी मैं कैसे
00:47:25कहुं शबीना
00:47:31वफा निभाएंगे वो हमेशा
00:47:37के में कैसे
00:47:38कहुं शबीना
00:47:40वफा निभाएंगे
00:47:42वो हमेशा
00:47:44कि मेरे दिल की जमी पे उनकी अभी हुकूमत नहीं नहीं है
00:47:53बहुत अच्छाए, बहुत समीना लिखे।
00:47:56जुकी है पलकें दिलों में उल्फत नहीं नहीं है वक्त है भी
00:48:02यह बाद बताईए मुझे कि मुझे आपके ख्यूट पने शेयर पूने चाहिए
00:48:07बहुत शुक्रिया बहुत महरबाने एक गजल मेरी पसंदीदा गजल है और इतने अच्छे सच्छे जब सुनने वाले बैठे हो आप सब का इतराम करती हूं गजल का मतला आपके खिद्मत में हाजिर है
00:48:18अच्छा ये बढ़anda चलिए मैं आपके एमर्जी के मताविक चलते ओर इसवक्त मैं ही समझ रही हूं जो आप समझ रहे हैं
00:48:25पेश करते हूं मिलाज़क ने गजल के लिए हुक्म है मैं अपनी मर्जी से ना चलकर आपकी मर्जी के मताबिक चलती हूं तो और जादा खुशी महसूस होती है
00:48:32तुम जहां हो मैं वही हूं तुम समझते क्यों नहीं
00:48:51तुम जहां हो मैं वही हूं तुम जहां हो मैं वही हूं तुम समझते क्यों नहीं
00:49:07मैं अकेले कुछ नहीं हूँ
00:49:13तुम समझते क्यों नहीं
00:49:18मैं अकेले कुछ नहीं हूँ
00:49:24तुम समझते क्यों नहीं
00:49:28आप सबको नज़ करती हूँ ये शेर
00:49:30जहां जहां तक मेरी आवास पहुच रही है सुने
00:49:33एक को हो सकते नहीं
00:49:37हम सामने रहते हुए एक हो सकते नहीं हम सामने रहते हुए
00:49:52तुम फलक हो मैं जमी हूँ तुम समझते क्यों नहीं
00:50:02तुम फलक हो मैं जमी हूँ तुम समझते क्यों नहीं साथ हो दोनों तो रिष्टों का मजा कुछ और है
00:50:27तुम कहीं हो मैं कहीं हूँ तुम समझते क्यों नहीं
00:50:47तुम कहीं हो मैं कहीं हूँ
00:50:53क्यों भटकते फिर रहे हो मुझको पाने के लिए
00:51:03दिल टटोलो मैं वहीं हूँ तुम समझते क्यों नहीं
00:51:22तुम जहां हो मैं वहीं हूँ तुम समझते क्यों नहीं तुम जहां हो मैं वहीं हूँ
00:51:42ये जो मुझे पर नूर है ये नूर है इमान का
00:51:54मैं कहां इतनी हसी हूँ
00:52:12तुम समझते क्यों नहीं
00:52:18मैं कहां इतनी हसी हूँ
00:52:23माफ कीजिएगा वक्त इतना है कि इतनी देर में तो मेरा महाल भी नहीं बन पाता पढ़ने का लेकिन आपने मुझे सुन लिया इसके लिए बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत शुक्रिया
00:52:33सभीना जी थोड़ा वक्त बढ़ गया आप दो मिनट और सुना सकती है
00:52:38नाजमे महफिल में जब आवास दे दी है तो फिर क्यों ना आपकी खिदमत की जाए
00:52:46शुक्रिया बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत महरबानी एक खजल के दो तेंशे ये तैह हुआ था अरे क्या बार ये देखिए मैं भी आपकी आपके तामिल करती हूँ अपनी मर्जी से कुछ नहीं
00:52:59और आज जरूरत भी है इस घजल की मुझे जरूर पढ़ना चाहिए जिम्मेदारी समझ कर और आज का मैसिज देना चाहती हूँ आज तक का ये खुबसूरत साहित उत्सों महुत्सों और ये अदब की खुबसूरत शाम जो सजाई है आज तक ने एक बार मुबारक बात के �
00:53:29दॉा करेंगे ये तै हुआ था हमेशा एक दूसरे के हक में दॉा करेंगे ये तै हुआ था
00:53:46मिलें के पिछडें मगर तुम ही से वफा करेंगे ये तैह हुआ था
00:53:56मिलें के पिछडें मगर तुम ही से वफा करेंगे ये तैह हुआ था
00:54:06हमेशा एक दूसरे के हकों में दुआ करेंगे ये तैह हुआ था
00:54:14यही है हमारे देश की खुबसूरती
00:54:16छेर पेश करती हूँ
00:54:44करेंगे यह तै हुआ था हमेशा एक दूसरे के हक में दूआ करेंगे यह तै हुआ था
00:54:56शेर सुनाती हूँ के उदासियां हर घड़ी हो लेकिन
00:55:02हायात काटों भरी हो लेकिन
00:55:21खुतूत फूलों की पतियों पर लिखा करेंगे यह तै हुआ था
00:55:29हमेशा एक दूसरे के हक में और जाते जाते एक शेर
00:55:35के जहां मुकदर मिलाएगा अब वहां मिलेंगे यह शर्त कैसी
00:55:48जहां मुकदर मिलाएगा अब वहां मिलेंगे यह शर्त कैसी
00:55:58जहां मिले थे वही हमेशा मिला करेंगे यह तै हुआ था
00:56:05जहां मिले थे वही हमेशा मिला करेंगे यह तै हुआ था हमेशा एक दूसरे के
00:56:20के हकों में दूआ करेंगे यह तै हुआ बहुत बहुत खूप बहुत अच्छे वक्त की कमी है तुम समझते क्यों नहीं
00:56:33वरना मैं और पड़वा ले था बहुत बहुत शुक्रिया शबीना जी और क्या खूपसूरत आपने अंदाज में पेश किया
00:56:41हमारे पास आखरी हमारे शायर आज की इस महिफल के
00:56:45और मुझे लगता है मुझे ज़दा उनके बारे में बताने की जरूत नहीं है
00:56:49हर घड़ी चश्म खरीदार में रहने के लिए
00:56:53कुछ हeration चाहिए बाजार में रहने के लिए
00:56:57शकील आग्मी साहब जोरदार तावियों के साथ तभी आप इनके शेर सुनेंगे
00:57:03और इनके शेर के साथ जो इनका अंदाज है बस क्या कहने है उसके
00:57:10शुक्रिया शंस भाई
00:57:15दुनिया वर के क्रिमिनल्स की कहानियों के साथ दिंधात रहते हैं और यहां रोमैंटिक शेर सुनार है
00:57:24तो भाई साहब यहां तो सब नौजवान बैठे हैं सब पहली महबद वाले बैठे है
00:57:32पहली महबद वाली बिल्कुल फ्रेश ताजा गजल सुनाता हूँ मैं
00:57:37मन्दी भाई आप आगए अच्छा पांडे जी सुनिये गाप
00:57:45छोटी बहर में है पहली महबद की जो फीलिंग्स हैं मज़ा लीजिए गजल का
00:57:52के दिल बसे थे मगर उजड रहे थे
00:57:58बहुत अच्छे
00:58:00दिल बसे थे मगर उजड रहे थे हम महबद की जंग लड रहे थे
00:58:08वाह क्या बात है क्या बात है
00:58:11दिल बसे थे मगर उजड रहे थे
00:58:14हम महबद की जंग लड रहे थे इसक के हाथ बुन रहे थे हमें
00:58:23मावा, क्या गहराई, क्या गहराई
00:58:25मेरी चान शायरी का मसाले
00:58:28गजब गहराई
00:58:29इश्क के हाथ बुन रहे थे हमें
00:58:35शक के हाथों से हम उधर रहे थे
00:58:37वाँ, क्या खूब, क्या खूब शकिल सा, बहुत अच्छे
00:58:41इश्क के हाथ बुन रहे थे
00:58:44मुकर्र, मुकर्र
00:58:44इश्क के हाथ बुन रहे थे हमें
00:58:49शक के हाथों से हम उधर रहे थे
00:58:52बहुत नायग बात ऐसी के कोई बात न थी
00:58:59देखिए सब मुखबत में सब होता है ना
00:59:03और सब पहली मुखबत वाले बैठे हैं
00:59:05कोई बिछड रहा हुआ है कोई मिल रहा है सब ऐसी पोजिशन वाले हैं इसके हाथ बुन रहे थे हमें सक्क के हाथों से हम उधर रहे थे
00:59:15बात ऐसी के कोई बात न थी हम उसी बात पर जगड रहे थे
00:59:21बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छे, बहुत अच्छ
00:59:51सब नहीं हुआ खत्म हम कई रोस से बिचड रहे थे
00:59:57एक ही दिन में सब नहीं हुआ खत्म हम कई रोस से बिचड रहे थे
01:00:16गाउ में बारिशों का मौसम था और हम मचलियां पकड़ रहे थे और तेरा चौदा बरस की उम्र थी वो
01:00:42तेरा चौदा बरस की उम्र थी वो हम उसी उम्र में बिगड रहे थे
01:00:50भूल का शाख पे आना भी बुरा लगता है
01:01:10पूल का शाख पे आना भी तूर नहीं है तो जमाना भी बुरा लगता है
01:01:19उब जाता हूँ खमोशी से भी कुछ दियर के बाद दियर तक शोर मचाना भी बुरा लगता है
01:01:33देर तक शोर मचाना भी बुरा लगता है
01:01:36और मैंने रोते हुए देखा है अली बाबा को
01:01:40मैंने रोते हुए देखा है अली बाबा को
01:01:44बाज अवकाद ख़जाना भी बुरा लगता है
01:01:47मैंने रोते हुए देखा है अली बाबा को
01:01:55बाज आवकाद खादाना भी बुरा लगता है
01:01:59इतना खोया हुआ रहता हूँ तेरी यादों में
01:02:03इतना खोया हुआ रहता हूँ तेरी यादों में
01:02:08पास मेरे तेरा आना भी बुरा लगता है
01:02:11पास मेरे तेरा आना भी बुरा लगता है
01:02:18और देखिए मुहबत में ये कैफियत भी आती है
01:02:20पास मेरे तेरा आना भी बुरा लगता है
01:02:24जाइका जिस्म का आँखों में सिमटाया है
01:02:28जाइका जिस्म का आँखों में सिमटाया है
01:02:34अब तुझे हाथ लगाना भी बुरा लगता है
01:02:37बहुत अच्छे
01:02:37क्या बात है
01:02:41क्या बादर्शकील बाद मुकर्रक बहुत अच्छा किया शेख बढ़ा कि बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत अच्छा कि अमें डाटों मत भाई फिर से सुमा रहा हूं
01:02:59आरे बहुत बहुत बहुत खुश रहा है खुश रहा है जाइका जिस्म का आखों में सिमट आया है अब तुझे हाथ लगाना भी बुरा लगता है और ये कैफियत भी आती है महबत में ये शिर जो आ रहा है अब तुझे हाथ लगाना भी बुरा लगता है अब बिछड़ जा
01:03:29अब बिछड़ जा कि बहुत देर से हम साथ में हैं पेट भर जाए तो खाना भी बुरा लगा
01:03:37किया बात है सँ अब बिछड़ बहुत धश्ड़ अब बिछड़ जा के बहुत देर से हम साथ में हैं पेट भर जाए तो खाना भी बुराएफ भूब
01:04:07प्रवा लगता है देखि therapies सा वांगर रास्ते में छोड़ देती है रास्ते में छोड़ देती है
01:04:33जरासा साथ चलकर
01:04:35महबब दिल बनाती है मगर फिर तोड़ देती है
01:04:41बहुत हो बहुत हो बहुत हो बहुत है बहुत है
01:04:48जरा सा साथ चलकर रास्ते में छोड़ देती है
01:04:51महबब दिल बनाती है मगर फिर तोड़ देती है
01:04:55कहानी में मेरी एक छोटा सा किरदार है उसका
01:05:00कहानी मेरी एक छोटा सा किरदार है उसका
01:05:07मगर वो जब भी आती है कहानी मोड देती है
01:05:11क्या बात है
01:05:26कहानी मेरी एक छोटा सा किरदार है उसका
01:05:30मगर वो जब भी आती है कहानी मोड देती है
01:05:35निगाह देर से उलजी हुई केवाड में है
01:05:40निगाह देर से उलजी हुई केवाड में है
01:05:47वो जा चुकी है मगर थोड़ी सी दराड में है
01:05:51निगाह देर से उलजी हुई केवाड में है
01:05:55बहुत शुपिया, बहुत इनायर
01:06:01निगाह देर से उल्जी हुई केवाण में है
01:06:07वो जा चुकी है मगर थोड़ी सी दराण में है
01:06:12वो जा चुकी है मगर थोड़ी सी दराण में
01:06:16देखी ये शेर भी अजीबों गरीब है
01:06:18किसे हटाऊं, कोई उसके आस पास नहीं
01:06:23किसे हटाऊं
01:06:27अरे छुपी हुई वो खुद अपने बदन की याड में है
01:06:33किसे हटाऊं कोई उसके आस पास नहीं
01:06:46छुपी हुई वो खुद अपने बदन की याड में है
01:06:51करीब आते हुए इतने पास हो गए थे
01:06:58करीब आते हुए
01:07:02कि फिर बिछड़ते हुए हम उदास हो गए थे
01:07:07करीब आते हुए इतने पास हो गए थे
01:07:13कि फिर बिछड़ते हुए हम उदास हो गए थे
01:07:17और मेरी जान दिल्ली ये शेर सुने
01:07:19कि फिर बिछडते हुए हम उदास हो गए थे
01:07:22हवस को इश्क में शामिल नहीं किया हम
01:07:27वाँ वाँ वाँ वाँ वाँ बहुत खुबसूरा
01:07:30हवस को इश्क में शामिल नहीं किया हम ने है
01:07:35वो जब भी जिस्म बना हम लिबास हो गए थे
01:07:38वाँ वाँ वाँ क्या बादे से लिए बहुत खूँग बहुत खूँग
01:07:43खवस को इश्क में शामिल ही लिए लिए
01:07:45बहुत खूँग
01:07:48शमस भाई बता देना नहीं तुम पढ़ते ही जाओंगा मैं
01:07:57अच्छा इन सब के अलावा मानोगे नहीं आप लोग
01:08:11मैं सब नया सुना रहा था आप लोगो अच्छा मैं वो सुना चली अब आप लोग जो कहेंगे वो सुना देता
01:08:20आ हाँ
01:08:25हाँ हाँ वही सुनाता हूँ मेरी जान वही सुनाता हूँ
01:08:30हाल दिल का उसे सुनाते हुए है
01:08:36हाल दिल का उसे सुनाते हुए हाल दिल का उसे सुनाते हुए
01:08:50रो पड़ा था मैं मुश्कुराते हुए
01:08:53हाल दिल का उसे सुनाते हुए
01:08:59रो पड़ा था मैं मुश्कुराते हुए
01:09:03आग मेरी थी ना धुआ मेरा
01:09:07मैं जला था उसे बुजाते हुए
01:09:13आग मेरी थी ना धुआ मेरा
01:09:18मैं जला था उसे बुझाते हुए और कभी-कभी शेर में पेंटिंग बन जाती है देखे इस शेर में
01:09:26मैं जला था उसे बुझाते हुए भीगती जा रही थी एक लड़की
01:09:33भीगती जा रही थी एक लड़की बारिशों में नशा मिलाते हुए
01:09:42भीकती जा नहीं थी एक लड़की बारिशों में नशा मिलाते हुए हार हो जाती है यह आपकी गदल आई हार हो जाती है जब मान लिया जाता है
01:09:57हार हो जाती है जब मान लिया जाता है जी तब होती है जब ठान लिया जाता है
01:10:12बहुत शुक्रिया, खुश रहें, सलामत रहें
01:10:14हार हो जाती है जब मान लिया जाता है
01:10:17जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है
01:10:21एक जलक देखके जिस शक्स की चाहत हो जाए
01:10:26ये जो पहली महब्बत है ना उसमें जो एक जलक है ना
01:10:31बड़ी कीमती है
01:10:3240 किलो मीटर जाता था साइकल चला कि मैं एक जलक देख ले
01:10:36मैं अपनी वाली जी बात करना हूँ आप लोग अपना अपना समझे
01:10:40हार हो जाती है जब मान लिया जाता है
01:10:44जी तब होती है जब ठान लिया जाता है
01:10:47एक जलक देखके जिस शक्स की चाहत हो जाए
01:10:52उसको पर्दे में भी पहचान लिया जाता है
01:10:54जिस शक्स की चाहत हो जाए
01:11:01उसको पर्दे में भी पहचान लिया जाता है
01:11:04और परों को खोल
01:11:06जमाना उलान देखता है
01:11:11समस भाई टाइम है या ख़दब करूँ
01:11:14मुझे बता दे ना आखिर में एक नजब भी महुनी सुनाने वाला हूँ
01:11:22परों को खोल
01:11:25जमाना उलान देखता है
01:11:29जमी पे बैट के क्या आस्मान देखता है
01:11:32बहुत खूब बहुत खूब शकिल साब
01:11:37परों को खोल जमाना उलान देखता है
01:11:40जमी पे बैट के क्या आस्मान देखता है
01:11:44यही वो शहर जो मेरे लबों से बोलता था
01:11:47यही वो शहर जो मेरी जबान देखता है
01:11:52मैं जब मकान के बाहर कदम निकालता हूं
01:11:58अजब निगाह से मुझको मकान देखता है
01:12:00घटाएं उठती हैं बरसात होने लगती है
01:12:05जब आँख भर के फलक को किसान देखता है
01:12:08मिला है हुस्न
01:12:11तो इस हुस्न की हिफाज़त कर
01:12:14मिला है हुस्न
01:12:16मिला है हुस्न
01:12:17तो इस हुस्न की हिफाज़त कर
01:12:20संभल के चल तुझे सारा जहान देखता है
01:12:24संभल के चल तुझे सारा जहान देखता है
01:12:30और कनीज हो कोई या कोई शाहजादी हो
01:12:34कनीज हो कोई या कोई
01:12:38सेर सुनो भी और देखो भी
01:12:41कनीज हो कोई या कोई शाहजादी हो
01:12:46जो इश्क करता है कब खानदान देखता है
01:12:49बहुत हो बहुत हो बहुत हो
01:12:51शकील सहाब बहुत हो
01:12:54जो इश्क करता है कब खांदान देखता है
01:12:58अब यह सब सुना लोगे
01:13:00वक्त की कमी है और अब शोर म्यूजिक का आपके कारण पको रहा है
01:13:05हाँ यह आखरी उसके बाद एक नजब सुनाओंगा रामायन से मैं
01:13:09अब वो फरमाईश कर दिया वो बच्चे ने आखरी से वक्त की कमी थी
01:13:15म्यूजिक का शोर आज़ा अचा जल्दी से जल्दी से जल्दी से जल्दी से
01:13:18जो रंजिशें थी उन्हें बरकरार रहने दिया
01:13:25जो रंजिशें थी उन्हें बरकरार रहने दिया
01:13:30गले मिले भी तो दिल में गुबार रहने दिया
01:13:33गले मिले भी तो दिल में गुबार रहने दिया
01:13:38ना कोई खाब दिखाया ना गम दिया उसको
01:13:41बस उसकी आँखों में एक इंतजार रहने दिया
01:13:45बस उसकी आँखों में एक इंतजार रहने दिया
01:13:49और गली के मोड से आवाज दे के लोट आए
01:13:52देखें इश्क जिद्दी भी होता है
01:13:55गली के मोड से आवाज दे के लोट आए
01:13:59तमाम रात उसे बेकरार रहने दिया
01:14:02तमाम रात उसे बेकरार रहने दिया
01:14:09उसे भुला भी दिया
01:14:11याद भी रखा उसको
01:14:13उसे भुला भी दिया
01:14:15याद भी रखा उसको
01:14:17नशा उतार दिया और
01:14:19खुमार रहने दिया
01:14:20आरे एक थो नजमिया सुना लगते ने
01:14:27आजे थी
01:14:29वक्त की कमी है
01:14:32तुम समझते क्यों नहीं हो
01:14:33इसलिए बहुत बहुत शुक्रिया आप तमाम लोग का
01:14:36जिन्हों ने इतने प्यार से सुना
01:14:37और हमारे तमाम शुरा का
01:14:39जिन्हों ने एक खुबसूरत इस शाम को बना है
01:14:42बहुत बहुत शुक्रिया आप तमाम लोग का
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