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पुराण से विज्ञान तक कैसे फैला कहानियों का असीम संसार, देखें आजतक पर पर‍िचर्चा

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00:00साहित्या आज तक के इस मंच पर आप सभी का बहुत स्वागत है और आज का हमारा ये जो सत्र है कहानियों का असीमित संसार पुराण से विज्ञान तक
00:16देवियों का लोक गीता जी कैसी हैं आप बहुत आनन दाता है जब भी आप साथ होती हैं राजीव ने परिशे हमारे तीनों महवानों का आप से करवा दिया है लेकिन एक बार फिर से अनिमेश हमारे पुराने साथी वरिष्ट बत्रगार अब साहित्य के दुनिया में हैं और
00:46बहुत बड़ी साहित्यकार डॉक्टर महरवान वैज्ञानिक हैं साहित्य सेवा कर रहे हैं विज्ञान को जन जन तक पहुंचाने का कारिया कर रहे हैं कैसा कारिया जो बहुत महत् START होते हैं
01:03हलांकि मेरी तीन बेहने, मेरी मा, तो इस्त्रियों के लिए तो उन्होंने मुझे, मैंने कभी जूटी प्लेट नहीं उठाई गर में, तो उठाने दी मेरी माने, मेरी बेहने छोटी से भी, खीच के मारती थी, चपल, जूता, बेलन, जो था, चिम्टा, तो खुब पिटा हू
01:33जो काम आपने किया है, उनके सपने, उनकी आखांक्षाएं, उनकी उम्मीदें, उनकी पीड़ा, सी, आदिवासीों, आदिवासी महिलाओं पर आपने काम किया, फेलोशिप ली, जाकर रही, रिसर्च किया, धेर सारी तारीष हैं आपको, लेकिन, आप कहां पहुँच गई
02:03का लोग, क्या है ये?
02:33पर लिखते हैं, या इतिहास पर उनकी तोहमत है कि वो पीछे की तरफ लोट जाते हैं, मैं इसलिए वहां तक गई, कि एक स्त्री होने के नाते, आपने जैसा कहा कि मैं किस्त्री हूँ, मुझे अपनी परंपरा की तलाश थी, मुझे अपनी उन जड़ों की तलाश थी, जह
03:03हाशिये पे हमें भेज दिया गया, मैं इतिहास में भी गई हeffective, यहाँ भी बातचीत के दौर में इतिहास की भी चर्चा होगी कि मैंने इतिहास में किस कालखंड में गई, लेकिन जिस पुरान की बादा आप कर रहे हैं, मैं ये दापरी कॉग में गई, मैं लोक की
03:20खोजी हूँ, शोध करता हूँ, मैं लोक में इस्त्रियों की भूमिका, इस्त्रियों की दशादिशा, इस्त्रियों के योगदान, और इस्त्रियों की क्या, किस तरह से उन्होंने अपने समूची संस्कृती को और लोक को बचा रखा है, मैं उसको ढूरती हूँ, तो ढूरते
03:50मैं लोग से सुत्र उठाती हूँ और इस तरी के उस रोप को ढूलती हूँ
03:56जो अभी तक किसी ने उस पे बात नहीं की, आज आप इको फेमणिर्ज्म की बात करते हैं,
04:01आज आप पड्यावरन की बात करते हैं आज आप भाई बहन या ऐसा पुरुष्ट चाहते हैं जो इस तरी को सपोर्ट करता हो या आप जंगल बचाने की बात करते हैं पिता-पुत्री संबंध जो जैन जी आई उसके जो संबंध चेंज हुए है और ब्रोप हो गया है पापा
04:31मैं पीछे इसलिए ले जाती हूं मैं यह दिखाना चाहती हूं कि हमारी जड़ों में पीछे बहुत पहले भी इस्त्रियों कि क्या हालत थी इस्त्रियों ने क्या किया कैसे जंगल बचाया प्रेम और पड्यावरन कैसे इस्त्रियों ने बचाया और कैसे पिता-पुत्री के
05:01क्षमा किसाथ क्या आप सामा चक्वा की बात कर रही हैं तो यह तो इस तरह की बात गीता जी यह तो देखे भगवान श्रीक्रिष्न मा राधा रानी उनकी पुत्री के बारे में आप इस तरह की बात कर रही हूँ
05:24मैं लेखक हूँ मेरे लिए कोई भगवान हुई नहीं सकता
05:28मैं जब लिखती हूँ उस वक्त मैं इश्वर हो सकती हूँ
05:32मेरे लिए कृष्ण एक किरदार की तरह है
05:35एक पिता की तरह मैं एक संसार रच रही हूँ
05:37मैंने कृष्ण को रचते हुए नहीं देखा
05:40लेकिन मैंने खुद को रचते हुए देखा है
05:42लेकिन इश्वर को तो किसी ने नहीं देखा
05:44हाँ तो एक फील है कि हिसास है
05:46लेकिन मेरे लिए कृष्ण एक किरदार है
05:48और एक ऐसा किरदार
05:50जिसके उस चरिद्र के बारे में बात ही नहीं हुई
05:53क्रिशन का मतलब प्रेम, क्रिशन का मतलब लीला, क्रिशन यही सब कुछ नहीं थे, क्रिशन किसी के सिर्फ पती रुकमिनी और यहीं नहीं करते थे, क्रिशन किसी के पिता भी थे, साम्ब के पिता थे, सामा के पिता थे, प्रदियुमन के पिता थे, बहुत सारी बच्चों के
06:23जो जिनके बच्चे जंगल में पले बढ़े जब हम लेखक लिख रहे होते हैं उस समय किसी दिवत के परभाव में नहीं होते हैं
06:45कोई नहीं होता है
06:47गीता जी की मित्रों यही विशेष्टा है वो बेबाकी से बोलती हैं निडर होकर बोलती हैं लिखती हैं और जब भी वो बात करती हैं तो उनका जो excitement है उसे देखकर आपको लगता है कि वो कितनी गहराई तक अपने उस पात्र से जुड़ती हैं अपनी उस कथा से जुड़त
07:17पत्रकार हैं विभिन चैनलों में उन्होंने काम किया है अवोर्ड विनिंग डॉक्यमेंटरी बनाई है और आज ठाकुर बाड़ी को लेकर बड़ी चर्चा में हैं एक साहतिकार के दौर पर अनिमेश आपने हमारा परिछे गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर की उस �
07:47इतना वैभव शाली और इस तरह का हो सकता है कि जो चीजे आज हम देखते हैं समझते हैं वो आज से बरसों पहले उन्होंने आत्मसाथ कर ली थी और दुनिया के सामने रख दी थी कैसे जिस तरह से गिता जी ने भी कहा कि एक व्यक्ति या महापुरुश करम कर ले भगवा
08:17भाई भी है तो जब हम रबिना टैगोर महात्पा गांधी किसी महापुरुश की बात करते हैं भारत में क्या है मुझे लगता है हर व्यक्ति को हमें बचपन से एक नंबर की तरह समझा दिया आता है कि ये दो नंबर का सवाल है ये चार नंबर का है कबीर जो है वो दुस्त
08:47के बारे में तो ये कहा जा सकता है कि उनकी वजह से उनका परिवार नहीं बना अपने परिवार की वजह से वो बने और खासतोर से उनकी स्त्रियों की वजह से चाहे उनकी भावी हों क्यानदा नंदनी देवी चाहे उनकी दादी हो चाहे उनकी बेहन हो जो हम बेस सेलर की ब
09:17तो वो पहले ही बहुत लोगप्री हो चुकी थी वो सारी चीज़े पीछे छूट जाती हैं धीरे-धीरे आपके लिए हमारे लिए कोर्स में पढ़ता है समय एक सवाल बन जाते हैं कि उन्होंने राश्रगान लिखा और उनको नोबेल पुरुसकार के सन में मिला उससे परे ज
09:47जहां जहां जाते थे वहां से मेन्यू कलेक्ट करते थे रसिपी कलेक्ट करते थे घर पे भिजवाते थे अपने कि और वो ठाकुर बाड़ी में एक पुरा सस्टम बनाया गया था कि जिससे वो रसिपी डवलप हो उनको रिकॉर्ड किया जाए वो अभी भी किताबे हैं उस
10:17बहुत सारे विश्व पर पढ़ाई हुई है तो उन सारी जीजों को एक समय पर पढ़ना शुरू किया स्वजम में है कि यह सारी चीज़े आनी चाहिए बाहर तो इस तरह से ढूरते जाएए आप तो आपको मिलता जाएगा बहुत सारी कहानिया हमें आपको विदेश जाने की
10:47मेहरवान हैं, वैग्यानिक हैं, लेकिन इनकी पुस्तकों के जो शीर्शक हैं, वो बड़े प्यारे हैं और आपको आकर्शित करते हैं, सूफी साइंटिस्ट, बहुत बढ़ी हैं ना गिता जी, विनम्र विद्रोही, बहुत सुंदर हैं, क्या ये आप साइंस वाले साहित में
11:17मज़दार सवाल है, बेसिकली, एक बहुत जाने-माने फिलोसोफर हुए हैं, उनका नाम है सीपी स्नो, उन्होंने किताब लिखी है, दा टू कल्चर्स, जिसमें उन्होंने ये डिसकुशन किया है, कि वैग्यानिक एक तरह से सोचने वाले लोग होते हैं, और जो साहितिका
11:47और उनकी फिलोसोफी कुछ इस तरह से है, उस किताब में उन्होंने लिखा है, कि जो समस्याएं हैं दुनिया की, वो इसलिए हैं कि क्योंकि ये आपस में एक दूसरे से इनका कम्मुनिकेशन नहीं है, और ये बात काफियत तक सच भी है, आप बता रहे हैं, और एक पर्श
12:17लिखना शुरू किया, तो मुझे ऐसा लगा, कि ऐसा सच में है नहीं, मैं कुछ एक्जामपल्स देता हूँ, अभी हम जवीना टेगोर जी की बात कर रहे थे, उनीस सो तीस के दशक में उनकी एक किताब आई, जिसका नाम था विश्व परिचय, और विश्व परिचय जो क
12:47इतने प्यारे तरीके से समझाने की कोशिश की है, लगता है जैसे आप कविता पढ़ रहे हों, और वो साइंस समझा रहे होते हैं, और मुझे लगता है उन्होंने इसको लिखने के लिए बहुत सारा कुछ पढ़ा होगा, तो टेगोर तो साहितिकार थे, और आर्टिस थे,
13:17बहुत समय तक मैं भी नहीं जानता था, सन 1875 में उनकी किताब आई, उसका नाम था विज्ञान रहे से, आज से 150 साल पहले, और उसके उन्होंने दुनिया भर की चीजों के बारे में लिखा है, दूल के विज्ञानिक पक्ष पर लिखा है, उन्होंने हवाई यात्रा के बा
13:47बांगला में लिखी जो विश्वपर्चा है, अब बात करते हैं, विज्ञान और साहित की दोस्ती की, तो जो टेगोर हैं, वो जगदीशन्द बोस से कुछ साल चोटे थे उम्र में, लेकिन उनकी दोस्ती बड़ी प्रगार थी, अगर आप जगदीशन्द बोस और रविन
14:17कि ये इतना प्यार और इतना अपसी जो उनका अलगाव है और दुनिया धारी के बारे में बहुत सारे बिश्यों के बारे में, तो विज्ञान और साहित दूर नहीं हैं, बहुत बहुत नजदीख हैं, पर हमने एक धारणा बनाई है और मुझे भी लगता है कि इस धारणा
14:47से लेकर ना आए और इस बात के लिए मैं आज तक को भी शुक्रिया बोलता हूँ
14:52मैं बहुत-बहुत धन्यवाद कहता हूँ आज तक की टीम को कि उन्होंने
14:55साहिति के सेशन में विज्ञान का सेशन अलग से ना रखे
14:59बीच पर लखा और ये बहुत ही सागतियों कदम है
15:02आप आप इसे एक जरूर डॉक्टर वान मान रहे हैं लेकिन हमें यह लगता है
15:07गीता जी अनिमेज जी कि ये दो संसार की तरह हम आम मनुश्य हम लोग आप और हम सब इसे देखते हैं
15:16पुरानों को और साइंस को विज्ञान को पुरान हमें ब्रह्मान की याद दिलाता है
15:23हमें देवी देवताओं की याद दिलाता है रिशी मुनियों की याद दिलाता है यक्ष यक्षणियों की याद दिलाता है
15:29और हम द्वापर युग में आप ले चली, वो याद दिलाता है
15:34पुरान सिर्फ देवी दिवताओं को ही याद नहीं दिलाता है
15:37वो अगनी की याद दिलाता है, वो बनस्पतियों की याद दिलाता है
15:40वो आपको बादल की याद, बारिश की याद, धर्ती की याद, फसलो की याद, हम याद वही रखना चाहते हैं, जो हमें याद रखना चाहिए, हम याद नहीं रखते हैं, रिगवेद का पहला मंत्र, स्लोक नहीं बोलते हैं, पहला मंत्र ही अगनी की आराधना है, कि अगनी म
16:10उपनिशत सिर्फ इश्वर और भगवान और देवताओं की अराधना ऐसा नहीं है
16:16उसमें इस्त्रियों को सभा सिमिनारों में सभाओं गोस्ट्रियों में जाना चाहिए
16:25बहस करना चाहिए वो तो मनुई स्मृती ने कबाडा किया वरणा अगर वेद को थीक से पढ़े
16:31तो बहुत प्रोग्रेसिव चीजें उसमें मिलेंगी इसलिए एक दम भ्रम हटाये और किर्पया वेद वैसी चीज है जिसको पढ़ा कोई नहीं बाते सब लोग करते हैं उसके बारे में यह वेदों का दुरभाग गये है कि उसके बारे में बात सभी करते हैं पढ़ा किसी नह
17:01प्रकृती के लिए चिंतित था पर्यावरण की चिंता करता था क्या था वह करदार कैसे आपको इस करदार ने आगर्शित किया और उसका प्रकृति से क्या सम्मंदित है
17:10में बताती हूं मिथिला बिहार में एक एरिया है मितला प्रबाद रंजन बैठें उसी इलाके से हैं और में भी उसी इलाके से हूँ
17:20मिथिला में एक लोग कथा है
17:23जिस दिन चटड़ खतम होती है
17:25चटड़ पूजा आप सब लोग जानते है
17:26पूरी दुनिया जान गई है
17:27इस बार से चटा और और बढ़ गया है
17:30तो चटड़ा जिस दिन किसमापन अ होता है
17:32उस दिन साथ दिन मिधिला में खेल खेला जाता है देखिए लोग कितना सुंदर चीज है कि पर्व को भी खेल समझता है उसको धोने धोने जिसने कि उसको धोने खेलते हैं पर्व से खेलते हैं तो सामा चकवा पर्व है जिसको खेलते हैं साथ दिन और यह भाई बहन के प्रे
18:02क्यों कई यूगों तक रहेंगे, तो रीच कन्या, अब आदिवासी लड़की, देखिए, मेरा तो माधा ठंका की, कृष्णन शादी की, आदिवासी कन्या से, आप देखे, आदिवासी डिस्कौर्स कैसे आता इस कहानी मे, आदिवासी कन्या जाम होती, कृष्णन शादी की �
18:32यह पर्तिकातमक पर्तिरोध है एक छोटी सी बच्ची का,
18:36बिरिंदावन के आसपास बहुत जंगल था,
18:38और उसमें एक आज जैसे विरपन का एक आउतार था उस जमाने में,
18:43चूरक, चूरक, उसको लोक में चुगला बोलते हैं, चूरक,
18:47जंगल में शिकार करता था, जैसे तसकरी होती है, और पेड़ों को काटता था जंगल को,
18:53तो उस समय सामा को जंगल से बहुत प्रेम था, वो जंगल बचाने के लिए,
18:58रिशी पुत्रों से उसकी मित्रता थी, तो उसको चूगला जो था, चूरक,
19:03वो जानता था कि इसके रहते हुए जंगल, हम लोग जंगल में कुछ नहीं कर पाएंगे, तो वो भड़काता है कृष्ण को, अब देखिए, यहां कृष्णिक पिता के रूप में कितने कमजोर अरलाचार नजर आते हैं, और कृष्ण को यह पता है कि उनके समय की सारी चीज
19:33यह है, मैं आगे बढ़के, सामा कहती है अपने पिता से, कि आप मुझे शराब मुक तो कर रहे हैं, लेकिन मुझे फिर से शराब दीजिए, जो वर्दान की तरह हो, मैं चिडिया ही रहना चाहती हूँ, क्योंकि आप लोगों ने सुना होगा विहंगम द्रिष्टी, चिड
20:03वह द्रिष्टी दी है, कि से मैंने चिपको अंदोलन से प्रेह ना ली, कि चिपको अंदोलन में कैसे इस्त्रिया पेडों से चिपक गई थी और उन्हों हो बचाया था, तो इस तरह की योगदान को बहुत महत्तु नहीं दिया जाता, बहुत जगह नहीं जी जाती, बहुत
20:33प्रेम भी बचाती है और कैसे जंगल भी बचाती है तो यह कहने को सिर्फ लोग कथा है अगर पढ़ेंगे तो आज-ाज के समय को आप देख सकेंगे मैं पीछे की ओर नहीं ले जाती हूँ पुरानों का मतलब यह नहीं होता है कि आप पीछे की तरफ जा रहे हैं पुरान का म
21:03मैं एक लेखक हूँ एक वीजन के साथ नई सदी के ट्रेटमेंट के साथ एक नई इस तरी के आउतार के साथ मैं इस पुरा कथा को लेती हूँ
21:14बहुत दिल्शिस्प होगा यह देखना कि सामा और आज की इस्तरी में गीता जी क्या समानिता देखती हैं
21:24आज की इस्तरी में और सामा में किस तरह का अंतर वो देखती हैं हम जरूर पूछेंगे
21:30लेकिन अनिवेश आप प्लीज ही बताईए गुरुदेव रवेंदर नाड टैगोर के घर की जो महिलाएं थी
21:38वो विज्ञान को कितना मानती थी विज्ञान का उन पर कितना प्रभाव था और उनके करदारों में
21:48और उन्होंने जो चीजे उस समय शुरू की जो आज आपने लिखा मियोनी क्या कहते हैं क्या खाते हो मोमो खाते हो बच्चों आप खाते हो उसके साथ वाइट वाइट क्या होता है क्या है
22:04पहले मैं एक चीज़ इसमें जूड़ना चाहूंगा जो गीदा जी बोल रही थी और सबके लिए कि हमारे जो भी पुरान है हमारे जो भी कहानिया है उसमें अगर आप विज्ञान और स्टोरी डेलिंग देखें को बहुत कमाल की है उतना कहीं नहीं देखें से रमायन का ए
22:34हार जाएगा लक्षमन को शक्ती लगती है वो बेहोश है राम दुखी है कोई चमतकार नहीं होता दवाई आती है डॉक्टर आता है तब ठीक होते हैं तो स्टोरी डेलिंग के लिए हास से बहुत कमाल की चीज़ है और वो भी नहीं है कि आपने चमतकार दिखा दिया और हो
23:04बांगला में लिखने की जो कोशिश कर रहे थे रविना डेगोर के बड़े भाई थे उसके अलावा साइन्स के बहुत सारे अनुवाद किये हैं सुरंड कुमारी देवी ने और एक बहुत प्रचलित शब्द है ज्वाला मुखी तो संस्कृत का एक शब्द था अगनी गिर
23:34चीजों हैं उन्होंने बद लिए क्योंकि विज्ञान विदेश में जिसे कुछ तूणा गया हमारे भाषा के लिए हमको नए शब्द चाहिए होते हैं वरना फिर वही होगा कि उसके लिए को हिंदी शब्द नहीं है या फिर जिसा कॉमेडी हो जाती है कि क्रिकेट के लि�
24:04जाते रहते थे अलग-अलग समय बर अलग-अलग सदसे विदेश गया वहां से वो मेन्यू और रेसिपी कलेक्ट करते थे भेजते थे वहां पर डिवलप करते थे तो एक प्रग्या सुंदरी देवी उनका नाम है तो प्रग्या ने बहुत सारे जो कुक बुक है भारत की प
24:34बहुत सोच समझ के लिखी गई किताब है कि रात में क्या नहीं खाना चाहिए किस चीज के साथ क्या नहीं खाना चाहिए ऐसी 1903 का जो उनका मेन्यू है उसमें मेयोनीज का जिक्र है मतलब हमने मेयोनीज बहुत दशक दो दशक पहले लोगपरी होते देखी जब मोमोज ही �
25:04तो रबिद्नाथ देगोर के मामले में वो सनक जो थी वो खाने आथा अच्छा हा उनको किसी ने बोल दिया किल है लहसन कहाना चाहिए छो ठीक रहता हैसे दोपहर शाम लहसन के पकोड़े लहसन की कचाऊड़ी लहसन की चटनी एक समय पर बोल दिया कि गच्चा खाने से ब
25:34उन्होंने वो पीते रहे जक्टीशन बोस को पूछा तक नहीं बोस आपको बड़ा बुरा लग गया बाद में पता चला वो गिलास भरके नीम का जूस पी रहे थे
25:41तो इस तरह का बहुत कुछ आप अगर ढूडने जाएंगे तो आपको हर जाप मैं पहले ही बोला कि आप अपने आसपास ही अगर ढूड़ेंगे तो आपको बहुत कुछ मिलेगा वो जो निदावाज़ी का शरुत घर से निकलोगे तो दुनिया खुब सूरत है तो अपने आ
26:11आपने इन दो महान लोगों के बारे में लिखा तो उन्हें सूफी क्यों कहा ये तो किताब पढ़ने से ज्यादा बेदर समझ में आएगा
26:22किताब पैंक्विन ने पर प्रकाशित की है और मुझे लगता है कि आप सबको किताब पढ़ने चाहिए
26:29किताब इसलिए नहीं कि एक लेखक कह रहा है किताब का लेखक कह रहा है पर मुझे ऐसा लगता है कि हमें अपने
26:37देश के जो महान लोग हैं, उनके बारे में और जानना चाहिए
26:41और उन महान लोगों में से बहुत सारे जो महान लोग हैं, उनमें से एक जगदी शन्द बोस भी है
26:47कुछ लोगों ने अपने समय क्या सबसे महान भारती भी कहा है
26:52इस पर चर्चा हो सकती है
26:54वो एक महान पॉलीमेट थे
26:56लेकिन कम सकम हमारी पीडी को
26:59उन सब के बारे में जानना चाहिए
27:01जो संक्षित में अगर मैं बोलूँ
27:04तो वो इसलिए मैंने उनको साइन्टिफिक सूफी कहा
27:06क्योंकि वो पूरी जिंदगी सिर्फ और सिर्फ ग्यान के लिए
27:10ग्यानारजन के लिए
27:12लगे रहे
27:13उन्हें उस बीच में इतने सारे अफर्स मिले
27:17और वो फर्स सिर्फ उनकी हाँ कहने तक थे
27:19और उनकी तमाम पीडियां
27:22बैटे बैटे खाती
27:24यो और ऐसे
27:25बहुत सारे ओफर्स उन्हें लगातार मिलते रहे कई सालों तक, लेकिन उनने कभी हा नहीं कहीं, सिर्फ एक, वो हमेशा यह कहते रहे कि मैं ग्यान की खोज में भटकता हुआ एक क्यात्री हूँ, और मेरा पैसे कमाने से मेरा कोई इंटरेस्ट नहीं है मेरा, तो वो किताब �
27:55और मुझे लगता है कि जगदीश शंद बोस ने संगर्स चुना था, और पूरी जिंदीगी चुनते रहे वो, तो इसलिए मैं उनकी बड़ी इज़त करता हूँ, और मैं उनके बारे में बात करता हूँ, तो मेरे रोंग्टे खड़े होने लगते हैं, आज भी किताब लेक
28:25ड्राफ्ट हमने डिलीट किया है, वो इसलिए क्योंकि रामानजन की जिंदगी में दो ही चीज़ें पर मुख हैं, एक तो फ्रस्टेशन, और दूसरा मैथपेडिक्स, और इतनी कॉंप्लेक्स मैथपेडिक्स कि उस जमाने से लेकर कि आज के जमाने तक कि बहुत सारे, मतल
28:55आखिरकार इस किताब को फिर क्यों पढ़ना चाहेगा कोई, और क्यों हम पढ़ाएं ये किताब हमारे अपने जो युवा हैं उनको, तो फिर हमें ऐसा लगा कि कुछ एक ऐसा तार है, वो जो जो जोड़ता है उनके पूरी जिंदगी को है संगश, वो जो एक महान आदमी ह
29:25प्रबल है वे द्रोहे कि उसको हर किसी को पढ़ना चाहिए, जब मैं देखता हूँ कि हमारे युवा अकसर बोलते हैं कि मैं फरस्टेशन में हूँ, मैं परेशान हूँ, मैं मानसी ग्रूप से, मैं ठीक नहीं हूँ, मुझे लगता है कि हमें अपने लोगों को पढ़ना च
29:55बहुत कटीन सवाल है, सईद ऐसा नहीं करना चाहिए था आपको, ऐसा सवाल पूछ के लेखा को फसाना नहीं चाहिए कि
30:06एक समानता बता देती हूँ, देखो अंतर तो मुझे नहीं लगता कि कोई अंतर है क्योंकि
30:16सामा बागी थी, मैं भी बागी हूँ, सामा प्रेम करना जानती थी समुची, स्रिष्टी से, काइनात से, मुहबबत मेरा भी पैगाम है जहां तक पहुचे
30:30सामा एक सामंती परिवेश में पली बड़ी एक लड़की थी
30:35मैं भी बिहार के एक सामंती परिवेश से आती हूँ
30:39तो सामानताएं ही सामानताएं हैं
30:42बस अंतर एक ही है कि उसे मुनी कुमार पसंद आया
30:45हमें सामंत कुमार पसंद आया
30:47यही फर्क है क्योंकि हमें जंगल न मिला हमें कंक्रीट के जंगल मिले उसे सचमुच का जंगल मिला तो जंगल जंगल का फर्क था लेकिन समंताय बहुत कुछ है और समंताय इसलिए भी होती है लेखक के मुख्य किरदार के साथ कि लेखन का गुर बता रही हूं आपको कि को�
31:17जब किसी दूसरी स्त्री को हिरोईन के रूप में खड़ा करती है तो वो उसी में समाज आती है क्योंकि वो अपना सब कुछ उसको देती है अपना ताप, अपना तेवर, अपनी अगनी, अपनी शितलता, सब कुछ दे कर एक स्त्री जो मेरी छाया उतनी विराठ नहीं हो सकती
31:47करती हूँ, तो मैं न बढ़ हूँ, मेरा, मेरा किरदार बढ़े, तो सामा को मैं बहुत लंबी चाया देखती हूँ, सामा की.
31:56अनिमेश, बहुत सुंदर बात गीता जी ने आपर गही, क्या ठाकुर बाड़ी का कोई ऐसा करदार है, जिसे आप अनन्त देखते हैं, और वो भी उस चड़िया की तरह विहंगम, द्रिश्य, नहारना चाहती थी, उसके सपने, उसके आकांक्षाएं, आपको नजर आईं?
32:26ठाकुर की जो भावी थी, और क्योंकि लोग का मानना है ऐसा बहुत सारे लोगों का, कि उन दोनों के बीच में प्रेम था, और उन्होंने रबिनाठ ठाकुर की शादी के कुछ समय बाद ही आत्महत्या कर ली थी, तो एक वो किरदार है जिसको लेके बहुत सारी बाते होती
32:56और समझते हुए लगा कि एक विक्ति इतने सारे बदलाव हमारे आपके रोज के जीवन में कैसे कर सकता है, हम जो साड़ी पहनने का जो तरीका है, ब्लाउज, पेटी कोट, ब्रोच, पिन, जैकेट, यह सारे अंग्रेजी के शब्द हैं, इनका कोई हिंदी शब्द नहीं ह
33:26कि केक काट के हभी वर्डेगा के बर्थडे मनाना शुरू किया, रबिना टेगोर को उन्होंने बहुत पुश किया, बहुत प्रेशर बनाया कि वो बाल साहित लिखे, कि बच्चे जब पढ़ेंगे तो, और यह जो सोच दिखाता है, उन्होंने खुद भी कुछ एक कहानिय
33:56पांच साल बाद भारती है, जो इंडियन नेशनल कॉंग्रेस है, उसकी स्थापना हुई, तो वो इतना दूरदर्शी व्यक्ति है, जो हम एक उसमें फूटनोट में समेट देते हैं, कि यह रमिना टेगोर की भावी थी, वो काफी कुछ उन्होंने किया, काफी कुछ उन्ह
34:26फैसिनेटिंग करेक्टर लगता है, जो सबसे जरूरी चीज़ में भूल गया बदा न, नुक्लियर फैमिली, शादी के बाद हस्बेंड वाइफ सा अलग रहेंगे, जॉइंट फैमिली वो उन्होंने शुरू किया, जो आज हम देख रहे हैं, आज नुक्लियर फैमिली का �
34:56कठिन भी लगता है, समझना मुश्किल होता है, आप साहित्ति के माद्यम से, इस कठिन विज्ञान को आम जंजन तक सरल भाशा में किस तरह से पहुँचा रहे हैं?
35:05मुझे ऐसा लगता है कि इस बीच में ऐसा हो गया है कुछ सौ सालों में कि हमने विज्ञान को बहुत ही कठिन विशे की रूप पर प्रसुत किया है, पर मुझे ऐसा लगता है कि अगर मैं साइंटिस्ट नहीं होता, तो शायद मैं जासूस होता, और मुझे ऐसा लगता है क
35:35कि हम अलग तरह के जासूस हैं, वो इसलिए है क्योंकि हम लोगों के बारे में कम इंट्रेस्ट रखते हैं, हम नेचर की जासूसी करते हैं, हम वो चीज़ें खोज के लाते हैं, जो नेचर ने छुपा रखी हैं, मतलब, और ये बहुत ही इंट्रेस्टिंग और बहुत ही रोम
36:05और बहुत ही औरिजिनल तरीके से
36:07अपने अपने हतियारों के साथ
36:09जसुसी करने का जो आनंद है
36:11वो विज्ञान में संभ़ है
36:13मुझे जो अभी महलाओंके बारेमी
36:18बहुत बाचीत हो रही थी
36:19मुझे लगता है था
36:21कि मैं कुछ बात करूँ
36:23science fiction की हम
36:25कुछ बात करने वाले थे
36:26Mother of Modern Science Fiction
36:29Mary Shelley को कहा जाता है
36:31और
36:32Science Fiction की जो Modern Science Fiction है
36:35वो Mary Shelley के Frankenstein के बाद
36:37बात शुरू होता है
36:39और उसके बाद
36:40असल में हाँ
36:43एक बात और किया Science Fiction आखिरकार है क्या
36:46Fiction ही क्या है
36:48मतलब Fiction क्या है
36:49ऐसा होता तो क्या होता
36:52बस ये सवाल पूछ लीजे आप
36:54दो लोगों की बीच की स्टोरी है
36:56प्रेमी और प्रेमिका की बीच की
36:58और प्रेमी तो
37:00तयार है प्रेमिका की मन में कुछ संशय है
37:02अगर ऐसा हो
37:04संशय है तो कहानी बन जाती है
37:06या
37:07प्रेमिका की पिता की मन में कुछ संशय है
37:10कहानी बन जाती है
37:12science fiction में भी कुछ इसी तरह का
37:15मामला है, सारी चीज़ें
37:16what if से शुरू होती है
37:18कि अगर ऐसा होता
37:20तो क्या होता, science fiction
37:22basically
37:23history of future है
37:25जो भाविश है उसका
37:28भूत है
37:29तो science fiction को
37:32अगर हम categorize करते हैं, तो हम
37:34चार तरह के, जो main category है
37:37जो मिलाते हैं, एक होता है
37:39speculative fiction, मतलब कि
37:41आप कुछ सोचते हैं
37:43कि अगर ऐसा होता
37:44फिर एक है fantasy
37:46और फिर एक है
37:48मूलभूत science fiction
37:50और उसके बाद आती है
37:53mythology, तो हम मूल तरह से
37:55चार तरह से हम science fiction
37:57को उसमें बाटते हैं, और
37:59जब हम अपने देश में
38:01science fiction की बात अगर करें
38:03तरविना टेगोर की बात हो रही थी
38:05और साहित्य की बात हो रही है
38:08तो
38:09जगदीशन बोस की बारे में भी एक बात
38:11सबको जाननी चाहिए, स्पेशलिए जैन जी को
38:13कि भारती भाषाओं की
38:16जो पहली science fiction कहानी है
38:18ऐसा माना जाता है कि वो
38:19जगदीशन बोस ने लिखी थी
38:21सन 1896 में ये कहानी चाहपी थी
38:25निर्देशेर कहीनी के नाम से
38:28और बाद में
38:301920 में इसका नाम उन्होंने
38:32बदल के एक किताब चाहपी थी
38:34तो उसमें उनका नाम उन्होंने
38:36पला तक तूफान रख दिया था
38:37तो भारत में भी साइंस फिक्शन की
38:39पूरी एक परंपरा है
38:42और जिसके बारे में हम अकसर
38:44नहीं जानते हैं और बहुत ही प्यारे साइंस फिक्शन
38:45लिखे हैं मुझे तो ऐसा लगता है कि जगदीशन
38:48बोस ने सिर्फ साहित लिखा होता साइंस
38:50नहीं की होती तो शायद उन्हें एक रवर प्राइज मिला होता है
38:52और ये बात मैं बहुत जिम्मिदारी से कह रहा हूँ
38:55क्यूंकि
38:56जो साइंस फिक्षन है फला तक तूफान
39:00उसमें उन्होंने जिस थियूरी की बात की है
39:03वो थियूरी को कहा जाता है
39:06बटरफ्लाई एफेक्ट
39:07और बटरफ्लाई एफेक्ट का जो टर्म है
39:10जो थियूरी है
39:11जो वो एक विज्ञानिक थे लॉरेंज उन्होंने
39:161922 में दिया
39:17उन्होंने कहानी लिगी थी 1896 में
39:21जो बाहर के
39:24बाहर जो लिटरेरी डिपिक्षन
39:26और फटरफ्लाई एफेक्ट है
39:27वो रे ब्रेडबरी एक बहुत बड़े कहानीकार हुए है
39:30उनकी एक कहानी थी
39:311905 में एक और महला कथाकार हुई है
39:48भारत में उनका नाम था
39:50बेगम रुक्या
39:51और
39:54उन्होंने एक
39:55साइन्स फिक्षन लिखा था
39:57उसका नाम था सुल्तानाज ड्रीम
39:59और ऐसा माना जाता है
40:01कि वो पहला
40:02फेमिनिस्ट साइन्स फिक्षन था
40:04उस पर उन्होंने ये
40:06इमेजिन किया था कि
40:08अगर मेल और फीमेल के
40:11रोल रिवर्सल हो जाएं
40:12तो दुनिया कैसी हो
40:25उन्होंने कहा कि वो साइन्स
40:27और टेक्नोलिजी के बल पर एक नई दुनिया रचेंगे
40:29ये उन्होंने अपनी उस कहानी में लिखा था
40:32ये तो सच्चाईब ये महिला हैं
40:34ज्यादा समवेदन शील होती है
40:36महिला मन जो होता है
40:39वो प्रेम से भरपूर होता है
40:41गिता जी जल
40:42जंगल, जमीन, सामा
40:45मद्य प्रदेश की भील, आदिवासी महिला
40:49एक घंटा बहुत कम है चर्शा आप लोगों से
40:52अनिमेश डॉक्टर वान चर्शा करने के लिए
40:54अब पिछले पांच मिनट से बोल रहे हैं
40:56खत्म करो, खत्म करो, खत्म करो
40:57हाँ, तो बताईए ना, लग रहा है कि बहुत सारी बाते हैं जो रही गई
41:02सामा के बारे में बहुत कुछ जानना था, रह गया
41:04देवियों का लोक, उसका लोकारपन हम यहां करेंगे
41:10बस कुछ इक्षणों में, लेकिन मैं चाहूँगा कि 30 सेकंड में, बताईए तो
41:14क्या है देवियों का लोक, क्या मिलेगा हमें उसमें
41:16मैं पहले बताया था कि मैं इस्तरी हूँ, तो मैं अपनी परंपरा को ढूट रही हूँ
41:22मैं इतियास ढूट रही हूँ, पुरानों में ढूट रही हूँ, ढूटते ढूटते देवियों की खोज की मैंने, पहले कुल देवी, फिर ग्राम देवी, फिर लोक देवी, जब आप पूजा करते हैं, तो पंडी जी एक मंत्र पढ़ते हैं, लोक देवी, ग्राम देवी,
41:52खोज में मैं देश के कई हिस्सों की देवियों की खोज की कुल देवियों की ग्राम देवियों की लोग देवियों की उनके किसे निकाले उनके नाम और उनकी परंपरा उनकी पूजा पद्धती और उनका कैसे कुल देवी अलग होती है लोग देवी अलग ग्राम देवी कैसे
42:22सर्ज किया तिन चार साल फिर मैंने किताब के रूप में मैं इसको लेकर आई हूं यह धार्मिक बुस्तक कता ही नहीं है यह समाजी के और इस तरी कि उस परंपरा की खोज है और इस तरित्तो का परंपरिक उत्सो है जिसको पढ़ने के बाद लगता है कि हम हमारे हमारे पास भ
42:52श्री जी आप तीनों का साहित आज तक कि इस मंच पर आने के लिए हमारे इस मंच की शोभा बढ़ाने के लिए हमें गर्मा प्रदान करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
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