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'मेरे घर में मेरी पहली पिटाई आजतक की बदौलत हुई, स्मृति ईरानी ने साझा किया दिलचस्प वाकया
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00:00हमारे साथ एक बेहत खास महवान है, जिनको किसी पहचान की जरूरत नहीं है, लेकिन इनकी जिन्दगी के कुछ हिस्से, कुछ पुरानी इते मैंने भी देखी हैं, बहुत करीब से, तो आज उसके बारे में बताते हुए शुरुआत करना चाहती हूँ, जिस मकान में ये रहत
00:30है, राजनीती में आपकी पूरी जिन्दगी किसी स्क्रिप्ट से कम नहीं है, मतलब सब कुछ है, आप सोचे कि पॉलिटेक्स में आती हैं, अमेठी से लड़ने को कहा जाता है, राहूल गांधी को हरा कर आती है, फिर एक भगवान ने नया चालेंज दिया, कि इस बार राह
01:00कि पॉलिटेक्स के साथ साथ उस परिवार को वापस रीकलेम किया जाए, तो मैं वहीं से शुरुवात करना चाहती हूँ, आपकी जिन्दगी के स्मिती रानी जी, मतलब आपने बड़े-बड़े मंतराले संभाले, अपने टीवी पे एक परिवार संभाला, घर-घर का हाउ
01:30दूसरा है समर्पन और तीसरा है संभाद, संभर्ष जिसका एक शायद आपने छोटा सा अंश देखा, संभाद जो मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलबधी है, कि चाहे कितना भी करकश हो सत्य, संभाद कभी छूटना नहीं चाहिए, और जहां तक संभर्पन की बात है, त
02:00संभर्ष से अर्ष तक और वापिस कई उतार चड़ाव देख चुकी हूँ, जब तक भगवान के प्रती समर्पन की भावना ना हो, तब तक तपिश सहने की क्षमता इंसान में होती नहीं है, तो संभर्ष, समर्पन और संभाद, ये तीन शब्ध, किताब भी लिख दाली �
02:30आपका तो एक-एक स्पीच वहां का वाइरल होता है, तो ये जो आपके जहवा पर अचानक से एकदम सरस्वती जी सवार होती है और आप जिस मोड में आती है, दुरगा जी का अवतार ले लेती है, मतलब क्या है, मतलब politics आपके लिए क्या है, what inspires you, आप कई बार बहुत अ�
03:00तो आपको समर्थक कम आलोचक जादा मिलेंगे, अगर आप आलोचनाओ कि उन पत्थरों के दबाव में दब जाती है, तो कभी भी शिखर को छू नहीं पाती, तो मेरा ये मानना है कि और चाहे कहीं से भी हो, किसी भी भाशा को वो बोलती हो, चाहे किसी भी भव्य इमारत म
03:30के लिए वो औरत भी तैयार रहती है, जहां तक राजनीती में मैं आक्रमक क्यों हूं, तो जब-जब असत्य से सामना होता है, तो जिनके पास सत्य का प्रमान होता है, उनका आक्रमक होना स्वभाविक है, यही से मैं क्रिटिसिजम पर आना चाहती हूं, यह आरोप आपकी स
04:00प्रमियत आप भी जानती होगी.
04:30कुछ लोग का पेशा बन चुका है, कि आपको रिजिस्ट करना है, क्यूंकि आपको दिखाना है, कि हम सरकार के विरोधी हैं, तो ऐसे विश्यों पर विशेष्टा आप जिस शो को होस्ट करते हैं, कुछ लोग शोर मजाते हैं, कुछ लोग सोच बदलने आते हैं, कुछ ल
05:00मुख्या जीत रहा है इसका मतलब उसके साथ सत्य भी खड़ा है और सत्य के प्रती समर पे जनता भी खड़ी है
05:07मैं वापस अब आपकी जिंदगी पर आना चाहती हूँ क्योंकि ये मैंने सोचा कि
05:11इस वान बेल उफ जल्दीश को कर लिया जाए इस पर एक सवाल जरूरी था
05:15आपका पूरा जो रूट्स और कनेक्शन से उससे आप कैसे मतलब आपकी मा अगर मैं सहीं हूँ वो बंगाली थी
05:23मेरे नाना बंगाली है मेरी नानी जब भारत का विभाजन हुआ तब वो असाम में आके धूबडी में बसी मेरे दादा जी जो जब भारत का विभाजन हुआ तो वो आकर दिल्ली में बसे फिर गए उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश में रहे
05:41मेरी दादी महराष्ट से हैं, मेरे पती गुजराती हैं, पारसी हैं, तो
05:45कोई कोना छोड़ा नहीं है इनोंने भारत का
05:48अभी तक तो कोई कोना छूटा नहीं है क्योंकि एक बहू हमारे खानदान में दक्षिन भारत की भी है
05:52अब ये बताईए कि और जितना मुझे पता है फिर कि आपके पिता की विचारधारा आपसे बिलकुल विपरीत तो गढ़ा किस चीज ने आपको
06:04मुझे लगता है कि माता पिता सबसे बड़ी जो एक सौगात अपने बच्चे को दे सकते हैं वो ये कि वो हर सत्य को जाने हर विचारधारा को सुने समझे और फिर अपने निर्णे पर खुद पहुंचे
06:17तो मेरे माबाप की काबलियत को ये सबसे बड़ा सलाम है कि मेरे पिता भले ही कॉंग्रसी है लेकिन मैं संगपरिवार से मेरी माता जी संबंदित है इसलिए मेरी विचारधारा जो है दोनों पक्षों को सुनने के बाद मैंने खुद देगी
06:32आप लोगों को पता थी ये बात कि इनके पिताजी का कॉंग्रस पार्टी से लेना देना था नहीं पता थी आपने देखा हैं वो साधारन एक समर्थक हैं उनकी विचारधारा वो है ने घर में नेतागीरी सुर्फ मैंने की है घर में पहली नेता आप ही निकली हाँ तो उस
07:02सामाजिक कारियों के माध्यम से कर सकते हैं, नेता बनने की जरुवरत नहीं है.
07:06और जब बहु का सीरियल में टीवी का उपर आया था?
07:09तो जब मेरे पिता जी को मेरे पहले आंदोलन करने के गुण दिखाए दिये, उसका भी एक संबंध आज तक के परिवार के साथ है.
07:17एक जमाने में आपके चैनल से, आपके गुरुप से संबंधित एक कारिक्रम होता था, न्यूस ट्रैक.
07:23तो दिल्ली की सडकों में मैं किसी आंदोलन में थी, मेरे घर में किसी को पता नहीं था, कि मैं स्टूदेंस के मध्ध में आंदोलन करती हूं.
07:31न्यूस ट्रैक के कैमरा वहां था, मुझे पता नहीं था, जब मेरी पिटाई कर रहे थे, पुलीस वाले, मेरे पिताजी ने देख लिया चैनल पे आपके.
07:38और उसके बाद घर में अलग से पिटाई हुई, क्योंकि पिताजी ने गा, तुमको नेता बनना है क्या?
07:42तो हाँ, मेरी पहली घर में जो सुताई हुई है पिताजी के हाथों से, वो भी आज तक की बदॉलत हुई है, धन्यवाद.
07:51अज बड़ा रास खोला है इनोंने, मतलब ये रिष्टा पुराला है.
07:55बहुत जखम आज तक ने दिये हैं, पहला जखम पिताजी को हाथों मिला है.
07:59अब वापस आते हैं उस दौर में जब आप भी दिल्ली में एक परिवार में जहां पर आपने बहुत स्ट्रगल देखा, एक रूम का कमरा, उसमें पहले उसके पहले आपके माता-पिता और भी.
08:14मेरे पिताजी सड़क पर किताबे बेचते थे, तो जब मैंने पहली बार किदाब लिखी, तो मैंने अपने पिताजी को वो कौपी पकड़ाई और मैंने का पढ़कर बताइए, कि अगर आपकी दुकान पर एक किताब आती, तो आप कितने फक्र से लेखक के आधार पर इस क
08:44मुझे देख के ऐसा लगता नहीं, और इसलिए मैं गई थी कि आप हमेशा एक कमरे का घर बताती है, आप मुझे वो घर दिखाएए, तब मैं मानूँगी, तो मैं आपकी विटनेस हूँ, मैंने जा के देखा है, मुझे इस बात की खुशी है कि हर बार अगर किसी नेता या
09:14मुझे ऐसा लगता है कि मैंने अपना मुख्य राजनीतिक जो कारेकाल ने भाया, उसमें मुख्यत अपने सरकार, अपनी संगठन, अपने नेतृत्व के बारे में इतनी चर्चा की कि स्मृति रानी कॉन है, उसकी जानकारी बहुत कम लोगं के पास थी, तो उसका दर्शन �
09:44के से मिलने ही, अपने पिता जी के साथ गए थी, तो उनकी विचारधारा अभी भी वही है, कॉंग्रेसी, या आपने वोच, मैं जीवन के वोच्छन भी याद करते हूं, जब मेरे स्कूल में पेरंट टीचर मीटिंग जाने के लिए मेरे माता-पिता के बीच में टॉस होत
10:14में जाओंगा या मैं जाओंगी? तो मैं प्रधान मंतरी जी की अभारि हूँ, कि वनोंने मेरे पिता जी को समय दिया, और यह जानते हुए समय दिया, कि मेरे पिता जी मेरे विचारधारा से संबंध नहीं रखते, और मुछ लगता है, देश के प्रधान सेवक का ये स्व�
10:44क्योंकि PM भुछ बाते करते हैं, तो उनों ने पूचा ही होगा कुछ ना कुछ
10:48नहीं, लेकिन पिम को मेरे पिता जी का कद काथी और वजन एक्पर समझ आ गया कि मेरा वजन क्यू नहीं घड रहा है
10:54इस पर शचा होई
10:58नहीं इस पर चर्चा नहीं होई लेकिन मैं देखकर समझ गई थी कि पिता जी को देखकर प्रीम ने कहा कि अब समझ आ रहा है
11:05तो मुझे ऐसा लगता है कि किसी भी व्यक्ति के लिए एक सुखद पल होता है
11:10जब आप एक दूसरे की आइडियोलोजी से मुखातिब नहीं होते अथवा आप एक दूसरे की आइडियोलोजी को सुपोर्ट नहीं करते
11:17लेकिन फिर भी आप ये इच्छा जाहिर करते हैं कि मैं देश के प्रधान मंतरी को मिलना चाहता हूं
11:24प्रधान मंत्री आपको समय देते हैं,
11:26मैं प्रधान मंत्री जी के साथ गट 18 से 20 वर्ष काम करें।
11:29मैंने जीवन में पहली ही बार उन से निवेदन किया।
11:32मेरे पिता जी की एक ही इच्छा थी कि वो देश के प्रधान मंत्री को मिल के धन्यवाद दें।
11:37मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक साधारन घर से आई हमारी बेटी जिसको हमने कहा था कि तुमारे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्दी होगी कि तुमको किसी अच्छे घर में ब्या देंगे।
11:48वो देश में क्याबिनेट मंत्री बनें तो जिस व्यक्ति ने उनको इस लायक समझा और बनाया मैं जाकर उस व्यक्ति को आभारवंदन करना चाहता हूं।
11:56तो मेरे पिताजी की भी एक क्यात्रा हो रही तो मुझे इस बात का बहुत ही सुकून है और गर्व है कि मेरे पिताजी एक साधारन व्यक्ति देश के प्रधानमंत्री से मिल सके।
12:06कोई भी हो मतलब जितने भी यहां पर एक के बाद एक लोग आ रहे हैं।
12:12विचारधारा कुछ भी हो अगर आपकी शक्सित से किसी को प्रेड़ना मिले तो जो पीछे जैंजी वाले मुझे दिख रहे हैं।
12:18जैंजी बोलकर ही आजकल सब के कान खड़े हो जाएं। देखिए वो बच्चा उदर से आप जो पीछे वो बच्चा है जो हाथ उठा रहा है।
12:26आप जो पॉलिटिशन आप कैसे कनेक्ट करते हैं।
12:28किसे लोगे जो हाथ उठा रहे हैं पीछे से।
12:31यह देखिए।
12:32जैंजी बाहर जो खड़े हैं।
12:50आप नहीं पीड़ी कितना विचारधारा से नहीं भारत के संसकार से बंधा है।
12:57उसका सबसे बड़ा प्रमान ये है कि कुमार विश्वास का जब आपका कारिक्रम चल रहा था तो पूरा परिसर खचा कच बरा हुआ था
13:04तो जब वो संसकार की बात करें, धर्म की बात करें, स्वभाव की बात करें और हर पीड़ी यहां उपस्तित हो
13:12तो इससे बड़ा प्रमान क्या होगा कि आज तक हमारी जो यंग जेनेरेशन है वो हमारी देश की संस्कृति से कितिनी जुड़ी हुई है।
13:42सारे लोग ये ऐसे भी हैं जो स्क्रिप्ट राइटर बनना चाहते हैं या फिल्मों में जाना चाहते हैं उनके लिए क्या बताइए कहानी में ताकत होनी चाहिए मुझे लगता है आज तक का सबसे बड़ा योगदान साहिती की दुनिया में ना सिर्फ साहित्य आज तक है बल
14:12में इंगित करना चाहते हैं उनसे मेरा एक निवेदन है कि तीन ताल का वो कारिक्रम जरूर देखे हैं जिसमें वो मुहावरों पर चर्चा करते हैं या प्रादेशी कहानियों पर चर्चा करते हैं जब जब हमारी स्क्रिप्ट्स हमारी आपबीती को बया करती है या हमारे स
14:42तो आज का ये कारिकाल जो है या काल खंड जो है वो एक लेखक के लिए बहुत ही अच्छा है लेकिन हां लेखक को भी एक पुब्लिशर की एक प्लाटफॉर्म की ज़रुवत पढ़ती है तो आज तक वो प्लाटफॉर्म दे रहा है यह आपकी खुश नसीबी है बिल्कुल �
15:12लाली जो लीला करना चाहेगी उसके माइक का क्या नाम है श्लैश लाली पॉइंट टेकन वेल रेस्ट अब आते हैं उस हिसे पे जहां पर आप सीरिल में आई तब पेरेंट्स का रियाक्शन कैसा था मतलब ये ये युवापलेडी कुई भी नहीं देखा है कभी नहीं दे�
15:42असली कि स्मृति इरानी इतनी भारी बढ़ती है कि कालपनिक देखने की जरूरत नहीं पड़ती ये आपने सही बाद बुलिए एक दाम तो उनका रियाक्शन तो होगा क्योंकि कई बच्चे ये भी फेस करते है इरानी के साथ इतनी प्रताड़ना होती है कि वो विरानी का ह
16:12तुमको इसलिए मना नहीं करते क्योंकि उन्हे तुम्हारा मोल नहीं पता, तुम्हारी प्रतिभा का वो सम्मान नहीं करते, पैरंस हमेशा माबाप तब बीच में कोई प्रशन उठाते हैं क्योंकि वो नहीं चाहते जीवन में उन्होंने जो संगर्ट देखा, वो तुम द
16:42लगता है कि जो भी यहाँ पर नौजवान है जिनको लगता है उनके पेरंस उनको समझ नहीं रहे, कही ना कहीं उनको थोड़ा चश्मा बदलना चाहिए और पूछना चाहिए क्या आप अपने पेरंस को समझ रहे हैं, तो अगर वारता की किसी परिवार में जगा नहों, तो �
17:12तो आपको अपने माबाप से बात करनी पड़ेगी, क्योंकि माबाप हैं पराय नहीं है, दुश्मन नहीं है, मतलब गुस्सा थोड़ा कम करना होगा सब को परिवारे करना, गुस्सा कहीं न कहीं एक रियाक्शन होता है जीवन के विफलताओं का, गुस्सा कहीं न कहीं एक
17:42मैं तो सोच रही हूं कि एक टेलिविजन एक्टर, एक राइटर, एक पॉलिटिशन और अगर एसे मोटिवेशनल स्पीकर भी आप मतलब कुछ छोड़ना नहीं है
17:53नहीं, मुझे ऐसा लगता है कि जिन्दगी एक मिली है, अनुभाव कहीं है, लेकिन इच्छाएं और आकांग्शाएं भी बाकी है, तो जब तक जिन्दा हूं, आप कहरे हैं मेरे जीवन पर स्क्रिप्ट लिखी जानी चाहिए, लेकिन मैं कहूंगे पिच्चर अभी बाकी है
18:23करने गई थी, मुझे मेरे पिताजी से मैंने पैसे उधार लिये थे और शर्त उनकी ये थी कि अगर पैसे जो उधार लिये वो वापिस नहीं किये, तो जहां कहेंगे वहां तुमारा ब्या हो जाएगा, तो मैं तो जद्धु जहद में थी कि भई, पैसे दो जान चुडव
18:53सिनमाटिक अंदाज में, उस वक्त मेरे दिल में जो बीत रही थी, मैं आपको बता नहीं सकती, क्योंकि मुझे दिखा कि अच्छी खासी नौकरी तबाह हो गई, पता नहीं कौन महिला है, उन्हों ने मुझे फिर कॉंट्राक्ट दी और कहां अगले दिन आजाना अपना ट
19:23ने मेरा टेस्स लेने से इंकार कर दिया, का आपकी शकल ऐसी दिखती नहीं है, तो थोड़ा बहुत मिननते हाथ पैर जोड़ते जोड़ते जोड़ते, एक अच्टिंग की एक अउडिशन दिया, जिसमें फेल हो गई, फिर भी एक अडिग रहीं कि नहीं, तूलसी तो यही
19:53उनसे एक अगरा किया था, कि अगर आप चाहती हैं कि यह किरदार दिल को छुए, तो इसकी कोई ग्लैमरेस बिंदी नहीं होगी, इसके कोई बाल ऐसे नहीं होगे, जिसको वो पकड़के मटकाती हो अपने आपको, और जब रोएगी तो इसका चेहरा पूरा का पूरा डिस
20:23ञाल श्कुए है, तो धर्ती फड़ जाती है, आश्मान गर जाता है, मैंने का अगर ऐसा किरदार चाहिए तो बताइजे, तो मनने का मुझे ऐसा ही किरदार चाहिए, तौकि मेरा या अनुभव है कि औरते अपने परिवार में, अपने रिष्टों में कई बार जान भूच
20:53किया तो पलट कर बच्चे
20:55पती जवाब देता है पूछा
20:57किसने था तुम से कहा किसने था
20:59तो मैं लगता है कई ओरते यहाँ है
21:01जो इस वक्त मुझे ऐसे करके बोल रहे हैं कि
21:03हाँ इस दौर से वो गुजरती है
21:05तो मैं चाहती थी वो किरदार
21:07उस भावना को उस अनुभाव को
21:09प्रतिमेंबित करें वही मैंने किया
21:12बिल्कुल और थांक यू फ़ाट
21:13क्योंकि कई बार
21:15जिस तरह से पोट्रेल होता है ओरतों का
21:18उनको सूपर यूमन दिखाते हैं
21:20बतलब वही बात जो आपने कहीं ना कि
21:21होते हुए भी खुबसूरत लगो
21:22इंसान में फ्लॉज हैं यह हमें स्विकार करना पड़ेगा
21:26फर्क इतना है कि आदमी की जो कमजोरियां है
21:29आदमी की जो गलतियां उसको
21:31चौराहे पर बया नहीं किया जाता
21:33औरत की गलती ना भी हो तो भी
21:35चौराहे पर उसको नगनी किया जाता है
21:37यह फरक है
21:38पॉलिटिक्स अब आते हैं उस फेज में
21:42जब आपने यह तै किया कि भई हमको तो करनी है राजनी थी
21:45अपने तै किया या कहां से मतला
21:47तै किया तै किया बिल्लकुँ
21:49और अड़ अड़ कॉस्ट उफ
21:51आपने जब तै कर लिया जिंधिगे में तो हर चीज की क Currently की मत होती है
21:56इसकी कीमत यह कि आप पर एर दिन तौहमत लगाई जाएगी
22:01इसकी कीमत यह कि आपको हर दिन लाद्षित किया जाएगा
22:04लेकिन अगर आप अड़िग है
22:06मुझे अपने देश में इतिहास बदलना है, अपने देश में कुछ लोगों का स्वभाव बदलना है, अपने देश में कुछ ऐसे मोड हैं जहां पर आकर
22:17constitutionally कुछ कॉंट्रिब्यूट करना है, तो आपको इन चीजों के लिए तैयार रहना पड़ेगा.
22:22आप अगर खुद को अबला नारी के रूप में प्रस्तुत करती हैं, तो आप दूसरी औरतों को या समाज को कैसे सहरा दे पाएंगी.
22:30तो मैं बहुत स्पष्ट थी पहले दिन से, कि मुझे स्पष्ट रूप से, जमीन से लेकर अपनी राजनीती की शुरुआत करनी है, मैं बहुत ही क्लियर थी अपनी मन्शा में, कि मैं तुलसी विरानी का पात्र करती हूँ, इसलिए मुझे आसान सी कोई डगर मिल जाएगी
23:00तो मैं ने वो किया, जो शायद मेरी पार्टी में कोई ना कर पाया, जाकर राष्ट्री अध्यक्ष कॉंग्रेस पार्टी को हराया।
23:30मैं इतना ही कहूंगी कि जब मुझे अमेठी से लडने का आदेश प्राप्त हुआ, तब आपको पता होता है कि आपको एक ऐसी जगा भेजे जा रहा है, जहां पर जीत की कोई संभावना नहीं है। तब यह अपेक्षा होती है कि आपके चेहरे पर शिकन होगी, मुस्कुर
24:00अमेठी में मेरे जाने के पीछे एक मंशा या एक विशेश अभिलाशा ये भी थी कि वहाँ पर कई लोगों के मध्य में ये भावना थी कि लोगतंत्र का धाचा चाहे कुछ भी हो, अमेठी के गरीब तक लोगतंत्रिक न्याय नहीं पहुँच रहा था। तो मेरी ये खु
24:30एक लाग से जादा गरीब परिवारों के घर बनवाये, साड़े तीन लाग से जादा किसानों को प्रदानमंत्री की योजना से जुडवाया, पहला अमेठी का दोसो बेट का अस्पताल बनवाया, अमेठी का पहला मेडिकल कॉलेज बनवाया, अमेठी की पहली पुलीस ला
25:00मतलब पहला सीटी स्कैन की मशीन लगाने से लेकर पहला डायलेसिस का सेंटर, पहला पासपोर्ट के इंदर, मैं चाहती थी कि जनता के बीच में इस बात को प्रमानित करूं, पात साल काफी होता है, एशिया का सबसे बड़ा कोका कोला का प्लांट वहां लगा और एके 302 की फ
25:30यही मैं पूछने वाली थी, आपने अपना घर भी वहां बना लिया, कि आब यहां रहना है, तो अपने ही घर में मैं सांसत के तौर पर रहा हूँ, लेकिन फिर अमेठी ने हरा दिया, वो लोकतंत्र का सबसे बड़ा स्वभाव का प्रतीक है, मुझे इस बात की खुशी है
26:00मुझे सुक्य अनुभूती है कि आज एक लाग परिवार ऐसे अमेठी में, जिनके सर के ओपर छत मात्र इसलिए है क्योंकि मैं उनकी सांसती, आज अमेठी का गरीब डायलेसिस के लिए लखनाओ नहीं जाता, और हजारों रुपे नहीं फूगता क्योंकि मैं उनकी सांसती
26:30पक्की बनी क्योंकि मैं उनकी सांसती अज यहां पर बैठे कितने लोगों के मन में यह बात आ रही है कि समिती जी तो वैसी एक दम नहीं है जैसी मतलब वैसी हूँ आप लोग जलत फेहमिया दूर मत कीजिए तो मिष्टी मिष्टी बोल चेग दम मिठा हमें खूब भालों
27:00चलते है दूर चलते हैं तो मैं आपकी चेहरे पर शिकन क्यों लाओं वैसे ही महिलाओं को इतनी जीवन में संगर्शों का सामना करना पड़ता है कम सेखम एक औरत के मुस्कुरहाट का कारण तो मैं बनूँ आपस पॉलिटिक से टीवी पर मुझे लोगों के घरों में फिर
27:30इसके बारे में बताए कि यह डिसिशन क्यों था कई लोग यह बोलने लगे कि भई आप मंत्री नहीं है तो आप यह सोच रही है कि वापस टीवी में काम करते हैं लेखे अब देश की राजनीती में भिन पोलिटिकल परिवारों के साथ साथ भिन प्रोफेशन्स के लोग भ
28:00इसे बड़ा नुकसान जनता को होगा मुझे इस बात की खुशी है कि अज़ प्रोफेशनल मैं दो छेत्रों में शिखर पर पहुँच पाई हूं टेलिविजिन में और राजनीती में अज़ प्रोफेशनल अडिनिस्ट्रेटर एक शिखर मैंने प्राप्त किया है अगर मैं
28:30वो मीडिया से है संबंधित और मेरी जो राष्टर के प्रति सेवा है उसका माध्यम मेरे देश की राजनीती है और इसलिए आपने वापसी का फैसला लिया कि मैंने कभी भी राजनीती में तुलसी का स्वरूब धारन करके डायलोग नहीं बोला और कभी भी तुलसी के सेट
29:00सबके बहुत ही प्रियकवी है तो उनकी कुछ ऐसी लाइन जो आपको अभी मुझे लगता है वह अगर उनका वो जो उनने कहा देश के संसद में वही दोहरा दूं तो मेरे लिए बहुत बड़ी वो उपलब्दी है जीवन की कि ये वंदन की भूमी है अभिनन की भूमी है �
29:30हमारी अस्ति को को एक लगा कर सुनेगा तो एक ही आवास आएगी भारत माता की क्या है यह अगा अचिक अचिए अचिंद मेरे नहीं है अटल जी के है और आज भी रॉंग्टे खडे कर देते हैं क्योंकि यही शब्द मार्ग प्रशस्त करते हैं क्या आप चाहे देश की र
30:00इस देश की माटी पूजनिया है और भारत मा का जैकारा है तब तक ये देश धन्या है।
30:07जो युवा पीड़ी है, आपने चुकि ऐसी प्रेणा की बाते की कई बार पॉलिटिक्स से दूरी बना कर रखना चाहते हैं।
30:13उनको लगता है पॉलिटिक्स बहुत गंदा खेल है और आजकल चर्चाएं भी बहुत होती है। बहुत पैसा चहिए अगर आपको सक्सेस्फुल पॉलिटिशन बना है।
30:20कितना सच है इसमें।
30:22देखें मैं देश की सबसे बड़ी राजनितिक परिवार के सबसे बड़े यूवराद से जब टक्कर लेने गई तो मुझसे हजार गुना साधन उनके पास है। मेरे पास नहीं है।
30:32उनके पास मैं अकेली और कुछ चंद कारेकरताओं के साथ अपना चुनाव लड़ रही थी।
30:39उनकी पूरी पार्टी उनके समर्थन के लिए वहाँ पर एक जुट हुई थी। कितने मुख्यमंत्री वहाँ आए थे।
30:46आप स्वयम इस बात की साक्षी है।
30:48मेरे मानना है देश की युवापिडी और साधारण नागरिक को बार-बार इस भ्रह्म में बांधा जाता है कि राजनीती से दूर रहे।
30:56राजनीती का मतलब क्या है? क्या सिर्फ देश की संसद ही देश की राजनीती है? क्या सिर्फ एक राजनीतिक दल ही राजनीती है?
31:18अगर उस अधिकार से आपको कोई वंचित करता है तो उसके खिलाफ क्या कानूनी करवाई है वो भी राजनीती है प्रशासनिक अधिकारी अगर अपनी मर्यादा का उलंगन करता है तो जनता के पास यह ताकत है कि वो उस प्रशासनिक अधिकारी को भी सुधारे वो भी राज
31:48राजनीती का मतलब सिरो वो नेता जो संसद में है, राजनीती का मतलब वो भी जो साधारन है, सड़क पर है, लेकिन संसद को अपने सामने जुकाने की ताकत रखता है, वो राजनीती है.
32:00कभी एक मंत्री के रूप में, आपको लगा कि दो पक्ष है इस सवाल के, क्योंकि मुझे पता है कि एक लीगल मैटर भी आप लंबे वक्त तक लड़ती रही और उसके लिए आप खुद कोड़ जाती थी, सब कुछ आपको खुद करना पड़ता था, लोगों को लगता है कि ए
32:30दिलवाई जाती है, कि अगर आप एक बार ओदा पा लें, तो आपकी जीवन का संगर्ष कम हो जाता है, संगर्ष के माइने बदल जाते हैं, तोहीन का अंदाज बदल जाता है, क्योंकि कई लोग ओदा नहीं देखते वो सिर्व औरत देखते हैं, तो यह हमें कभी नहीं ब
33:00जाता शादेरी ग्रूप से, उस जज के सामने मैसे फिक औरत थी, और वो केश 2011 से चल रहा है, आज 2025 है, चौदा साल से, जब-जब कोट तलब करता है, तब-तब जाती हूं, चौदा साल से, तो ऐसा नहीं है कि नहीं का इंतजार उसके लिए खतम हो जाता है, जो संसद की �
33:30इसलिए आज खास तौर पर मैं यह चर्चा यहां चेरना चाहती थी, क्योंकि इन मुद्धों पर भी चर्चा बहुत जरूरी है, मतलब अगर स्मृती इरानी जैसे एक पाफुल वोईस देश में, आज भी उनको अदालत जाकर और बार-बार, मतलब 14 साल से केस चल जाता है
34:00लांगी उसका वकील आप से सरयाम कोट में जब त�ftीश करते हैं, जब वद विवाद करते हैं, तो उनको फरक नहीं पड़ता है कि आपके इंद्रिय मंत्री हैं यह स्नृती रानी हैं, वो आपकी क्यारेक्टर के तार-तार करते हैं, ताकि वो अपना केस प्रूफ कर सकें, �
34:30वरत को देखते हैं, ओहदे को नहीं देखते हैं, क्या एक महिला के लिए पूरा एफ़र्ट, पूरी महनत, सब कुछ, आज भी इतनी परस्थितियां बदली हैं, इतना प्रतेनिधित्व हैं, इतने मौकें मिल रहे हैं, बावजूद इसके डबल एफ़र्ट करना पड़ता
35:00करते हूं, तो किसी महिला को इसकी डिक करने हो, क्योंकि या तो आप अपनी किसमत पर रोने के लिए वक्त जाया करें, या किसमत लिखने के लिए अपने वक्त का इस्तमाल करें, तो मैं किसमत लिखने के लिए अपने वक्त का इस्तमाल करती हूं, सृती इरानी की सबसे ब�
35:30यह मेरी खुबी है, यह मुझ में है, यह मुझे औरों में नहीं दिखता है
35:34मैंने बहुत जीवन में, कम उम्र में यह सीख लिया था कि भगवान को अभी चुनौती नहीं देते
35:40जब हम छोटे होते हैं तो हम भगवान से कई बार तैश में आकर कहते हैं, और तो कितना कर लोगे, सहलेंगे, अब मैं नहीं कहते हूं
35:48ऐसा क्या हुआ? यह सुझभूज ही शायद मेरी ताकत है
35:54मुझे ऐसा लगता है कि हमें यह सिखाया जाता है बहुत ही छोटी उमर में
35:59कि भगवान परिक्षा लेते हैं और कई लोग जो
36:04मध्यमवर्गे परिवार से हैं या निम्नमध्यमवर्गे परिवार से हैं गरीब परिवार से हैं वो अकसर यह पूछते हैं
36:09हमारी ही ले रहे हैं परिक्षा, उसकी नही ले रहे हैं जिसके पास करोडो हैं जो मेबाक्स हो उतर रहा है।
36:16तो इसलिए मैंने बगवान को चुनोती देना छोड़ दिया कि और तो कितना होगा संगर्ष मैं सहलूगी।
36:21मैं कहती हो बगवान आपने बहुत दे दिया संगर्ष अब आराम से नहीं।
36:26मुझे ऐसा लगता है कि अगर हम धार्मिक साहित्य को देखें तो मेरे धर्म के बारे में एक चीज मैंने सीखी।
36:37माभारत के युद्ध देखें तो सार्थी स्वेम बगवान थे।
36:42लेकिन भगवान उस युद्ध के मध्य में अभिमन्यू की मृत्यू नहीं रोक पाए।
36:50अर्जुन का खुद पर संदेह नहीं रोक पाए।
36:54दृपदी का चीरहरन नहीं रोक पाए।
36:58मेरा धर्म यह बतलाता है कि मेरे साथ जो हुगा वो मेरे कर्मों का परिणाम है।
37:04भगवान मार्ग प्रशस्त करते हैं, दिखाते हैं।
37:08लेकिन नियती नहीं बदलते, प्रकृती नहीं बदलते।
37:13तो जो मेरे धर्म को समझता है वो जीवन के लिए तयार रहता है
37:17स्मृति इरानी जी की नजर में स्मृति इरानी की सबसे बड़ी कमजोरी
37:23एमोशनल होना
37:26तो वो एक ताकत भी है वो कमजोरी भी
37:30क्योंकि अगर पक्की नेता होती
37:35तो एमोशन कपका त्याग देती
37:38तो इसका मतलब देश की राजनीती में इतना भी
37:42मैं घुली मिली नहीं कि मेरे अंदर का इंसान मर जाए
37:47अमेठी वाला जब रिजल्ट आया उस दिन कुछ आशू, कुछ प्रमोशनल
37:53मैंने उस दिन मेरे घर में प्रभू की कृपा से एक चोटा मंदिर है
37:57माँ भगवती की वहाँ पर मूर्ती है
38:00मैं अकेली ही व्यक्ती थी जो उस प्रांगण में मुस्कुरा के माँ को देख कर कह रही थी
38:05जो हुआ तुने अच्छा किया
38:06और आस पास के लों को लगा कि मुझे सद्मा पहुंचा है
38:11क्योंकि वो रो रहे थे
38:13तो मैंने उनको याद दिलाया
38:15मैंने का दो हजार चार में मैं चांदी चौक का चुनाव हारी थी
38:18तब लोगों को लगा था खतम
38:21मैंने का आज जिलनों को ये खुश्वेमी हो रही है
38:24क्या पता बीस साल बाद
38:26वो फिर आएं लोट कर सलाम करने के लिए
38:28एक तुलसी जी का भी पॉधा अपने अमेठी वाले घर में बीच में लगाया हुआ है
38:34तुलसी का पॉधा लगाने का जिन जोगों के पास सौभाग्या है
38:38वो अपने घरों के सामने लगाते हैं
38:39मैं कोई अलग काम नहीं कर रहे हुए
38:42बहांसे में तुलसी विरानी पर आरही थी कि वो अब आप जब मतल यू रीच रिश्टन ए रई लाइफ तो तुलसी विरानी वाल रूप अपको जाद आद हा लगता है या स्मृती विरानी वाल पॉलिटिशन वाल रूप अच्छा लगता है Я मतलब आप का अप खुद का फ
39:12एक एक बार फोन किया था था एक कारिकरम सुननने के बाद, उनको लगा आकरमक्सृति इरानिय है तो जरूर जगड़ा करने के लिए फोन कर रही होगी.
39:20तो मैंने कमलेश जी को कहा कि मैं बहुत ही कम शब्दों से आपका अभारवन दन करूंगी और मैंने फोन रख था.
39:28हाल फिलहाल में एक लेखक को मैंने फोन किया जो खुद भाइबीत थे कि मैंने फोन किया तो जरूर मेरा कोई जगड़ा होगा.
39:34मनु जोसफ उनका नाम है, वो लेफ्टिस्ट है, वो अपने आपको ऐसा बोलते हैं लोग उनके बारे में, मुझे कनफर्म नहीं है ये नियूस.
39:42तो मैंने उनकी एक किताब पड़ी तो मैंने फोन किया उनको कॉम्पलिमेंट देने के लिए कि अच्छी किताब लिखी है, तो वो भी थोड़े सक्ते में थे, थोड़े सदमे में थे, तो मुझे वो छण अच्छे लगता हैं, जब मैं शांती से कुछ पढ़ पाऊं, कु�
40:12यहां पर कलेवा नाम की एक दुकान है, गोल्ड़ खाने के पास, जब बहुत लोगों की लोटरी लग रही है स्टेज से, वो कलेवा वाले के पास, सामने है, बंगाली स्वीठाउस के वास, बाहर वो लेडी हाडिं के सामने उसकी चोटा सा एक खुमचा लगता है, वो मेर
40:42यहां पर, कि शुदी हट्टी है, वहां जाकर छोले काईए, अच्छे से समोसे के साथ, गरम-गरम और डोडा काईए, जीवन इतना कॉंपलिकेटिड नहीं है, हम कॉंपलिकेट कर देते हैं, जीवन में सुक एक अच्छी प्याली चाय से भी मिल सकती है, और जो रोटी पक
41:12चाय वाले की प्रधान सेवक के नाते सेवा पा सकते हैं, कोई मलाल जो आपके मन में रह गया हो, कि यह, कोई नहीं, कोई नहीं, कोई नहीं, एक अजीव सा सुख आपके चेहरे बिदे, संतोश ही कर ले, हाँ, मुझे समझ नहीं आता कि लोग इस बात से इतना विचलित क्य
41:42आसपास के लोग जादा दुखी हैं, इससे बड़ा आशिरवाद प्रभू आपको दे नहीं सकता, कि लोग आपकी खुशी में इन्वेस्टेड हैं, जीवन की कितनी बड़ी उपलब्दी होगी, अंजना, कि जिसका पिता आज से पेंतालिस साल पहले धौलकवा में किताब
42:12उपलब्दी है, वो ही बहुत बड़ी अनुभूती है, तो एक किताब वाले की बड़ी को साहित्य के मंच पर बुलाए है, इससे बड़ा, क्या सौभागिया होगा? आपको लगता है, आइडिया नहीं कि समितिरानी किती बड़ी चीज है? देखें, मैं ये ब्रहम कभी नह
42:42किती हो जाएगी, तो जब अपने ही खाग कर देंगे, फिर व्यक्ति को सारवेजनिक मंच पर घमंड किस बात का?
42:50मुझे लगता है, आप सब खुश होंगे आज, तालियों के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद स्मितिरानी जी, आपकी जीवन से और जो प्रेणा आपके बातों से निकलती है, वो बहुत लड़कियों को, बहुत बच्चों को प्रेणिक करेगी आगे बढ़ने के लिएएग
43:20एक जुठ हो जाए, उस देश के ख्शमता दिन पर दिन बढ़ती रहती है, तो देश के भविष्य के लिए साहित्य को हमेशा जिन्दा रखें, ये मेरा अग्रह है इस मंच पर। बहुत-बहुत धन्यवाद आपका, शब्द और शब्द को पिरोने में आपका कोई सानी न
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