बिहार के मुजफ्फरपुर का लाह की लहठी से बनने वाला चूड़ी बाजार, शादी का सीजन शुरू होते ही यहां देर रात तक लोगों की भीड़ रहती है. यहां की लाह की बनी चुड़ियों की डिमांड दिल्ली मुंबई से लेकर अमेरिका, कनाड़ा और नेपाल तक में हैं. शादी का सीजन शुरू होते ही ऑर्डर की बाढ़ आ जाती है. कारीगर दिन रात एक कर तपती भट्टी के सामने बैठकर ऑर्डर को पूरा करने में जी जान लगा देते हैं. शादी विवाह के मौसम में यहां लगभग 100 करोड़ का कारोबार होता है. लेकिन कारीगरों की स्थिति आज भी जस की तस है.इस काम में मेहनत ज्यादा और कमाई कम है. जिसके चलते बहुत से लोग ये काम छोड़ रहे हैं.इन चुड़ियों को बनाने के लिए नग और स्टीकर दिल्ली और जयपुर से आता है. लाह और एल्यूमिनियम पश्चिम बंगाल से मंगाया जाता है. लाह को पिघलाया जाता है. एक दर्जन चुड़ी को बनाने में 4 घंटे का वक्त लग जाता है. ये चुड़िया भारतीय संस्कृति में सुहाग का प्रतीक मानी जाती है. इस काम का इतिहास लगभग 100 साल पुराना है. डिजाइन बदल गई. कारोबार को तरीका बदल गया. बस नहीं बदली तो इन कारीगरों की माली हालत.
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