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  • 2 hours ago
झारखंड के धनबाद के टुंडी का आदिवासी बहुल्य गांव जमखोर. जो आजादी के इतने साल भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है. पहाड़ी पर बसे गांव को जोड़ने के लिए सड़क तक नहीं हैं. करीब दो किलोमीटर ऊबड़-खाबड़ पथरीले रस्ते और नाले को पारकर लोग आते जाते हैं. इस गांव में कोई अपनी लड़की की शादी भी नहीं करना चाहता. इस गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो खाट पर लाद कर अस्पताल ले जाना पड़ता है. कई बार तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है. सबसे बड़ी परेशानी बच्चों को होती है. पैदल और बड़ी मुश्किल से साइकिल चला कर स्कूल पहुंच पाते हैं. गांव की महिलाएं बताती हैं कि यहां पानी की किल्लत रहती है. हैंडपंप तो है लेकिन पानी नहीं देता. जब कुआं सूख जाता है. झरिया का पानी लाकर प्यास बुझानी पड़ती है. ये कहानी सिर्फ जमखोर गांव की नहीं है. टुंडी प्रखंड के मछियारा पंचायत में दर्जनों गांव हैं, जो इस तरह की सुविधाओं से महरूम हैं. जब इसको लेकर जिम्मेदारों से बात की गई, तो ग्राम सभा बुलाने की बात कही.

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Transcript
00:00यह है धनबाद के टुंडी का आदिवासी बहुले गाउं जमखोर जो अजादी के इतने साल बाद भी बुनियादी सुईधाओं के लिए तरस रहा है
00:14पहाडी पर बसे गाउं को जोड़ने के लिए यहां सडक तक नहीं है
00:19करीब दो किलियोटर उबढ़ खाबड पत्रीले रस्ते से और नाले को पार कर लोग आते जाते हैं
00:26इस गाउं में कोई अपनी लड़की की साधी भी नहीं करना चाहता
00:30तो कभी कभी यह करके भी मना कर देते हैं कि यहां तो भाई
01:00गाड़ी आने जाने का रास्ता नहीं है यह एक बड़ी समस्या है
01:03इस गाउं में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो खाट पर लाद कर अस्पताल ले जाना पड़ता है
01:09और कई बार तो मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है
01:13सबसे बड़ी परिसानी बच्चों को होती है
01:41पैदल और बड़ी मुश्किल से साइकल चलाकर इसकूल पहुच पाते है
01:46गाउं की महिलाएं बताती हैं कि यहाँ पानी की किल्लत रहती है
01:56हैंड पंप तो है लेकिन पानी नहीं देता
01:59जब कुवा सुख जाता है तो छरिया का पानी लाकर प्यास बुझानी पड़ती है
02:05यह कहानी सिर्फ जमखोर गाउं की नहीं है
02:24तुंडी प्रखंड के मचियारा पंचायत में दरजनों गाउं हैं जो इस तरह की सुईधाओं से महरूम है
02:31जब इसे लेकर जिम्यदारों से बात की गई तो ग्राम सबह बुलाने की बात कही गई
02:37गाउं में गिने तो गाउं गिनत हैं
02:40सरकार भ्यान नहीं दे रहे हैं इसके उपर बोट देने के समय खले आती है
02:45जहां तक बात करें जान परती निदी का तो जान परती निदी में अभी कोई एग्रिसिन नहीं दिखाया है
02:52जहां तक विकास नहीं पहुचाया है
02:54जिनकी भी सरकारे बने उन्होंने जारखंड को उस परिप्रेक्ष में विक्सित नहीं किया
03:20उस परिप्रेक्ष में आगे नहीं बढ़ाया
03:23जिससे आदिवाशी समाज का उनके रहने वाले अस्थान का विकास हो सके
03:29नरंदर निशाद, ETV भारत, धनबाद
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