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Bhagavad Gita's Modern Relevance – भगवद्गीता की आधुनिक प्रासंगिकता

भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है। यह हमें सिखाती है कि आधुनिक जीवन की भागदौड़, तनाव और प्रतिस्पर्धा के बीच हम कैसे संतुलन, आत्म-नियंत्रण और आंतरिक शांति पा सकते हैं।

इस वीडियो में जानिए —

कर्मयोग का रहस्य: बिना फल की चिंता किए कर्म कैसे करें

मन का प्रबंधन और आत्म-नियंत्रण का महत्व

भौतिक और आध्यात्मिक जीवन में संतुलन

संघर्षों में शांति और आत्म-साक्षात्कार की शक्ति

गीता के शाश्वत संदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने 5000 वर्ष पहले थे।
👉 इस वीडियो को अंत तक देखें और जानें कि कैसे गीता के ज्ञान से आपका जीवन बदल सकता है।

जय श्री कृष्ण 🙏

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Transcript
00:00भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बलकि यह जीवन जीने का एक गहन मार्गदर्शक है।
00:08यहाँ हमें बताती हैं कि हम अपनी भौतिक इच्छाओं, आध्यात्मिक खोज और जीवन के गहरे अर्थ के बीच संतुलन कैसे बना सकते हैं।
00:17क्या आप सोचते हैं कि यह 5000 साल पुराना ग्रंथ आज की व्यस्त और तनाव पूर्ण दुनिया में प्रासंगिक हो सकता है।
00:27इस वीडियो में हम देखेंगे कि गीता के संदेश आधुनिक जीवन में क्यों और कैसे लागू हो सकते हैं।
00:35तो बने रहिए और जानिये कि कैसे यह प्राचीन ग्रंथ हमारे जीवन में क्रांती ला सकता है।
00:43इसका अर्थ है कि हमारा अधिकार केवल कर्म करने में हैं न कि उसके फल पर।
00:49आधुनिक जीवन में हम सभी अपने काम के परिणामों को लेकर अत्यधिक चिंतित रहते हैं।
00:55चाहे वह करियर हो, परीक्षा का परिणाम हो या हमारी व्यक्तिगत उपलब्धियां, हम हमेशा इस बात पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि अंत में हमें क्या मिलेगा।
01:07लेकिन गीता सिखाती है कि यह सोच सिर्फ तनाव और अस्फल्ता की ओर ले जाती है।
01:14अगर हम केवल अपनी मेहंत पर ध्यान दें और परिणाम की चिंता छोड़ दें, तो हम बहतर तरीके से अपना सर्वश्रिष्ट दे सकते हैं।
01:24यह सिध्धान्त सिर्फ कार्यस्थल पर ही नहीं, बलकि हमारे रिष्टों, स्वास्थ्य और हर क्षेत्र में लागू होता है।
01:32आज का समय तक्नीक और सोशल मीडिया से भरा हुआ है।
01:37हम सभी का ध्यान हर समय भटकता रहता है।
01:42क्या आपने कभी सोचा है कि हर छोटी-छोटी बात पर ध्यान केंद्रित करना क्यों इतना मुश्किल है।
01:49भगवत गीता के अनुसार मन को नियंत्रण में रखना सबसे बड़ा युद्ध है।
01:55भगवान कृष्ण कहते हैं।
01:58उद्धरेदात्मनात्मान आत्मान अवसाद्ये।
02:02इसका मतलब है कि हमें अपने मन को खुद ही नियंत्रित करना होगा।
02:07अन्यथा यह हमें नीचे गिरा सकता है।
02:10ध्यान और योग जैसी प्रखाएं हमें मन पर नियंत्रण पाने में मदद कर सकती हैं।
02:17आप दिन में कुछ मिनट ध्यान करके अपनी उत्पादक्ता बढ़ा सकते हैं।
02:23गीता हमें सिखाती है कि जब मन स्थिर होता है तो हम अपने विचारों को सपश्टता के साथ देख सकते हैं और सही निर्नय ले सकते हैं।
02:33क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि भौतिक सुख और सफलता के बावजूद आपके जीवन में कुछ अधूरा है।
02:43यह सवाल हम में से कई लोगों के मन में आता है।
02:47गीता के अनुसार हमें दोनों पहलूँ भौतिक और आध्यात्मिक के बीच संतुलन बनाना चाहिए।
02:54भगवान कृष्ण कहते हैं योगस्थ कुरु कर्मानी संगन त्यक्प्वा धनन जय।
03:01इसका मतलब है कि हर कार्य को योग की भावना से करना चाहिए बिना किसी आसत्ती के।
03:08आज के समय में हमें यह समझने की जरूरत है कि पैसा, प्रतिष्ठा और अन्य चीजे जरूरी हैं, लेकिन ये सब कुछ नहीं है।
03:18अगर हम आध्यात मिक्ता को अपनी दिन्चर्या का हिस्सा बनाएं, तो हम इन भौतिक उपलब्धियों का सही तरीके से आनंद ले सकते हैं।
03:29आज की दुनिया तनाव, चिंता और प्रतिसपर्धा से भरी हुई है।
03:34क्या आपने कभी सोचा है कि इतने संघर्षों के बावजूद कुछ लोग कैसे शांती से रह पाते हैं।
03:42गीता हमें सिखाती है कि सच्ची शांती हमारे अंदर है, बाहरी चीजों में नहीं।
03:48भगवान कृष्ण कहते हैं।
03:51श्री भगवान वाच।
03:53अशांत से कुछ सुखम।
03:55यह वाक्य हमें याद दिलाता है कि अगर मन अशांत है तो सच्चा सुख असंभव है।
04:02गीता हमें सिखाती है कि हमें अपने मन को शांत करने और खुद को बाहरी समस्याओं से अलग करने की कला सीखनी चाहिए।
04:11यह सिर्फ ध्यान और प्रार्थना से संभव है।
04:15अगर हम अपने जीवन की हर घटना को एक सीख के रूप में लें और परिनाम की चिंता छोड़ दें तो हम अशांती के बीच भी शांत रह सकते हैं।
04:27हम कौन हैं?
04:29हमारा उद्देश्य क्या है?
04:32यह सवाल हमेशा हमारे मन में आते हैं।
04:36गीता हमें इन सवालों के जवाब देने की प्रक्रिया सिखाती है।
04:42आत्मसाक्षात्कार यानि अपनी आत्मा को पहचानना।
04:46भगवान कृष्ण कहते हैं।
04:49देहिनोस्मिन्यथा देहे कौमारं योवनजरा।
04:53इसका अर्थ है कि हमारी आत्मा अजर्मर है।
04:57यह शरीर केवल एक माध्यम है।
05:01जब हम इस सत्य को समझते हैं, तो हमारे सारे डर और भ्रम समाप्थ हो जाते हैं।
05:08गीता हमें सिखाती है कि हम केवल शरीर और मन नहीं हैं।
05:13हम उससे कहीं अधिक हैं।
05:15जब हम इस ज्यान को अपने जीवन में अपनाते हैं, तो हम अपने डर और दुखों से मुख्थ हो जाते हैं
05:23भगवद गीता हमें जीवन की हर परिस्थिती में मार्क दर्शन करती है
05:28यह केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि हमारे लिए एक गाइड है
05:33चाहे वह जीवन के संधर्श हो, रिष्टों की समस्याएं हो, या करियर में असफलता, गीता हमें यह सिखाती है कि कैसे संतुलन बनाये रखें और अपने सच्चे उद्देश को प्राप्त करें
05:47आज के समय में गीता का संदेश और भी प्रासंगिक है
05:52अगर हम इसके ग्यान को समझें और अपने जीवन में लागू करें, तो हम न केवल एक बहतर इनसान बन सकते हैं, बल्कि अपने आसपास के लोगों को भी प्रेरित कर सकते हैं
06:05तो आए गीता के इन संदेशों को अपने जीवन में अपनाएं और इसे और भी अर्थपूर्ण बनाएं
06:13वीडियो देखने के लिए धन्यवाद
06:16अगर आपको यह वीडियो पसंद आया हो, तो इसे लाइक करें और कमेंट्स में अपनी राय जरूर दें
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