Hare Krishna 🙏 आज का श्लोक — भगवद गीता अध्याय 1, श्लोक 33 अर्जुन का हृदय द्वंद्व में है… जिनके लिए राज्य, सुख और भोग की इच्छा की थी, वही अब रणभूमि में सामने हैं। क्या ऐसा युद्ध जीतना भी सुख दे सकता है? यह श्लोक हमें सिखाता है कि — धर्म से बड़ा कोई सुख नहीं होता।
भावार्थ: "जिनके लिए मैंने राज्य और सुख की कामना की थी, वे ही आज मेरे सामने शत्रु बनकर खड़े हैं। अब क्या अर्थ रह गया युद्ध का?"
🌿 हर दिन एक श्लोक समझिए, आत्मा को शुद्ध कीजिए — Mission Bhagavad Gita | Hare Krishna Bhakti Vibes जय श्रीकृष्ण! 🙏
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00:00हरे कृष्ण दोस्तों, मिशन भगवत गीता श्लोक दिवस चौनतीस, अध्याए एक, श्लोक तैनतीस, ये शामर्थे कांग्षित नो राज्य भोगाय सुखानी चा, तो इमेवस्थिताय युद्धे प्रानास्त्यक्त्वा धनानी चा, भावार्थ, हे कृष्ण, जिन के लि
00:30पर अब यही मेरे शत्रू बनकर अपने प्रान और धन त्यागने को तैयार है, कैसे उठाओ शस्त्र इन अपनों पर, कैसे लू वो सुख जो इन्हें खोकर मिलेगा, ये युद्ध जीत कर भी क्या मिलेगा, अगर अपने ही न रहेंगे, अगर आपको अर्जुन की ये पी
01:00अगर आपको ये ज्यान प्रेरक लगा हो, तो इसे अपने अपनों तक जरूर पहुँचाएं, जै श्री कृष्ण, जै धर्म की विजय,
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