“सीदन्ति मम गात्राणि, मुखं च परिशुष्यति। वेपथुश्च शरीरे मे, रोमहर्षश्च जायते॥”
जब अर्जुन युद्धभूमि में अपने अपने रिश्तेदारों, गुरुओं और मित्रों को सामने देखता है, तो उसका शरीर कांपने लगता है, मुख सूख जाता है और रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
यह केवल भय नहीं है — बल्कि उस मानसिक संघर्ष की शुरुआत है जहाँ धर्म, करुणा और मोह आपस में टकरा रहे हैं। यही वह क्षण है, जहाँ से शुरू होती है गीता की अमर यात्रा।
🌿 हर दिन गीता — हर दिन आत्मा का उत्थान। जय श्रीकृष्ण! 🙏
📌 Like | Share | Follow करें और Stars भेजकर समर्थन दें। Mission Bhagavad Gita – Day 30 | Chapter 1, Verse 29
Arjuna stands in the battlefield and sees his loved ones on the opposite side. His body trembles, his mouth dries up, and goosebumps rise — not out of fear, but from the deep inner conflict between duty, compassion, and attachment.
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00:00हरे एक कृष्ण दोस्तों, मिशन भगवत गीता श्लोक दिवस्तीस, अध्याए एक श्लोक उन्तीस, सीधनती ममगातरानी, मुखंचब परिशुशती, वेप्थुष्च शरीरे में रोम हर्शष्च जायते, भावार्थ, जब अर्जुन युद्ध भूमी में अपने ही रि�
00:30शिथिल हो जाते हैं, और रोंटे खड़े हो जाते हैं, सारांश, ये सिर्फ डर नहीं है, ये उस मानसिक द्वंद की जलक है, जहां धर्म, करुणा और मों आपस में टकरा रहे हैं, और यही से शुरू होती है, श्रीमत भगवत गीता की अमर्यात्रा, हर दिन गीता, हर दि
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