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  • 4 days ago
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00:00मुहब्बत हुई तो सीखा मैंने
00:05जिस साले को गम सेना नहीं आता
00:08वो कभी मुहब्बत न करे
00:12गम को सेना आजाए तो
00:15शराब से ज्यादा सरूर मिलता
00:30अजे जाए तो
00:41जाए, क्या जाए?
00:51तो से अजाए, क्या एक जाए?
00:56असामली तुव
00:58Walaikumal..
01:02आलिया पाप
01:04में बहुत ठक गई उँँ एऊ
01:07नीद आ हlorी है, मुझे ज़र आप सोना चाहती होगी
01:13आप ते मुझे छाओ, तै कि आप मेरी परशानीए और मेरा साथनी देते
01:16मैंने वह बात मान भी थे आप
01:18वोगर इस तरह करके कम असके मेरी परिशानियों में इदाफा मत लिए
01:22अगर आप खाना नहीं खाएं
01:25तो मुझे परिशानी लेगे रहे
01:28तरवाजा खोर दो
01:46क्या कहूंगी मैं
02:10कि मेरी शादी हो रही है
02:11जब मेरी मापापी मेरी बात नहीं समझ रहे तो कोई और क्या मदद करेगा
02:17मेरी मेरी मेरी जब खाना नहीं
02:24जब मुखबत एजिली अवेलिबल होती है नहीं सची महबद के लिए तो
02:38जो महबद एजिली अवेलिबल होती है तो सची नहीं लगती सची महबद के लिए तो सख्ती मेदाश करने पड़ती है
02:54इंतजार करना पड़ता है बहुत कुछ सेहना पड़ता है
03:01उसे कहते हैं असम महबद
03:08भी वो महबद महबद थोड़ी रहती है
03:10जब महबद की जवर नफ़त को पालेंगे तो दुम तो होगा ना
03:16महबद करने हमें खुद नहीं आती है और इलसाम महबद पे लगाते हैं
03:21इंसान जिससे महबद करता है सिर्फ उसी से महबद करें तो अच्छा है
03:24महबबत में पातों से जादर महबबत निपाना अच्छा लगता है
03:28अपने मेरे लिए भी दुआ करनी है
03:44कि मेरे अच्छे से नंबर आए
03:46और मेरा मेर्डिकल कॉलिज में दाखला हो जाए
03:48को पता है ना
03:51टॉक्टर बना
03:53वे जिन्दगी की सबसे बड़ी खायश है
03:56तुम पताओ बैसे में हमें क्या करना चाहिए
04:00बस अपने अपने हिस्से की महबबत करनी है और क्या
04:05तुमें नहीं लगता कि महबबत के इचे दिन बहुत महदूद होते हैं
04:08और वो हम जी चुके
04:11इसलिए मजीद अचे दिनों के लिए हमें खुद कुछ करना पड़ेगा तुमें बही बस करना ये पड़ेगा अपनी महबबत के लिए अपना करना करना पड़ेगा
04:19उसके लिए द्वा करूंगी
04:21हेलो वीवर्ज माहा एक बावाकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी जो कराची के एक गरीब तपके से तालुक रुकती थी
04:31इसका खौब था कि वो खुद मुदार बने अपने बल होते पर जिन्दगी गुजारे
04:38मगर इसके गरवाले उसे शादी के बंदन में बांद कर जल्लस जल्लस रुकस्त करना चाहते थे
04:44जोसी तरफ पवाद एक पुरकशर सुल्जा हुआ और तालीमी अपता नुजवान था जो अमीर बिजनसमेन का बेटा था
04:53मगर इसके लिए अपनी सोच अपनी खन्दान से मुक्तलिब थी
04:57इन दोनों के पहली मुलाकात एक शादी की तकरीब में हुई जहां एक मामूली गलत पहमी
05:04दोनों के दरमयां तलखी के सबब बनी मगर किसमत नहें दुबारा इसी आपस में मिला दिया
05:10जहां माहा ने हाल ही में जहाब शुरू की थी अप्तिदा में के दरमयान चब करश रही मगर इस तह इस ता वो एक दूसर की इखलाक आदतों और सच्चाई से मतासिर होने लगे
05:21माहा पवाद की साथगी और इस्थ करने के अंदास को महसूस करने लेगी जबके पवाद माहा की मजबूत शख्चियत और खलूस के सामने जुकने लगा
05:32मगर जिसे हिनके रिष्टे में कुर्बत आने लगी पवाद का वाला को इसके तालुक का पता चल गया
05:38और वो शदीद मुखालिपत पर उतर आये
05:41उनके लिए माहा की हिसियत खानदान और पसमनजर ना कबली कबूलता पवाद माहा की इज़त में खामोश रहा
05:48मगर माहा ने खुद पासला इफ्तियार कर लिया ताके पवाद को खनदान से दूर ना होना पड़े
05:55हालात ने पल्टा काया जब माहा की मंगनी उसके कजन से ते हो गई
06:00जिसे माहा कभी कबूल नहीं करना चाहते थी लेकर माबाप के दबाव में आगी
06:05पवाद ने जब ये खबर सुनी तो पहले बार खामोशी तूरी मा के सामने कड़ा हो गया
06:12और कहा कि अगर मैंने जिन्दगी के पेसले खुद नहीं लिये तो ये दवलत और कारूबार मेरे किस काम का
06:21इसी दिन पवाद की माने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन अगले वो खुद माहा के गर रिष्टा लेकर आये
06:28माहा जो हमेशा समझती थी कि सचा प्यार सिर्फ किताबों और रामों में होता है
06:33अब हकीकत में अपनी आँखों के सामने देख रही थी
06:36कि जब जब जब खालिस हो तो जमाना भी जुग जाता है
06:40यू इन दुने के महबब जो मुखालिपत समाजी फरक और खामोशी के पर्दों में चुपी हुई थी
06:45आखिर कार चीद गी और महबबत ने एक बार पिर थाबिद किया
06:50कि वो हर रुकावट को पार कर सकती है
06:52ड्रामसील के हवाले से अपने राए की इज़ार लाजमी केमेंट करें
06:57साथ में हमारा यूट्यूब का चीनल सबस्क्राइब करा मत बोलिए
07:00तेंस पर वाचिंग अला हाफिस
07:02हेलो वीवर्स माहा एक बावाकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी
07:07जो कराची के एक गरीब तब किसे तालुक रुकती थी
07:11इसका खौब था कि वो खुद मुखतार बने अपने बल होते पर जिन्दगी गुजारे
07:18मगर इसके गरवाले उसे शादी के बंदन में बांद कर जलस जलस रुकसत करना चाहते थे
07:25दुसी तरफ पवाद एक पुरकशर सुलजा हुआ और तालिमी अपता नवजवान था
07:30जो अमीर बिजनिसमेन का बेटा था मगर इसके लिए अपनी सोच अपनी खनादान से मुक्तलिब थी
07:38इन दुनों के पहली मुलाकात एक शादी की तकरीब में हुई जहाँ एक मामूली गलत पहमी
07:44दुनों के दर्मयान तलखी का सबब बनी मगर किसमत ने नहें दुबारा इसी आपस में मिला दिया
07:50जहां माहा ने हाल ही में जहाँ शुरू की थी अब्तिदा में के दर्मयान चपकलश रही
07:56मगर एस्ता हिस्ता वो एक दुस्ते की इखलाक आदतों और सच्चाई से मतासिर होने लगे
08:02माहा पवाद की साथगी और इज़त करने के अंदास को महसूस करने लगी
08:07जबके पवाद माहा की मजबूत शख्शियत और खलूस के सामने जुकने लगा
08:12मगर जिसे हिनके रिष्टे में कुर्बत आने लगी
08:15पवाद का वाला को इसके तालुक का पता चल गया
08:18और वो शदीद मुखालिपत पर उतराए
08:21उनके लिए माहा की हिस्यत खानदान और पसमंजर ना कबली कबूल था
08:26पवाद माहा की इज़त में खामोश रहा
08:28मगर माहा ने खुद पासला इफ्तियार कर लिया
08:31ताके पवाद को खनदान से दूर ना होना पड़े
08:35हालाथ ने पल्टा काया जब माहा की मंगनी उसके कजन से ते हो गई
08:40जिसे माहा कभी कबूल नहीं करना चाहती थी
08:44लिकर माबाप के दबाओ में आगी
08:46पवाद ने जब ये खबर सुनी तो पहले बार खामोशी तूरी
08:50माह के सामने कड़ा हो गया
08:52और कहा कि अगर मैंने जिन्दगी के पेसले खुद नहीं लिये
08:58तो ये दवलत और कारूबार मेरे किस काम का
09:01इसी दिन पवाद की माह ने कोई जवाब नहीं दिया
09:05लेकिन अगले वो खुद माहा के गर रिष्टा लेकर आये
09:08माहा जो हमेशा समझती थी
09:10कि सचा प्यार सिर्प किताबों और रामों में होता है
09:13अब हकीकत में अपनी आँखों के सामने देख रही थी
09:16कि जब जब जब खालिस हो तो जमाना भी जुग जाता है
09:20यू इन दुने के महबच जो मुखालिपत समाजी फरक और खामोशी के पर्दों में चुपी हुई थी
09:25आखिर कार जीत गी और महबच ने एक बार पिर थाबत किया
09:30कि वो हर रुकावट को पार कर सकती है
09:33ड्रामसियल के हुआले से अपने राए की इजहार लाजमी केमेंट करें
09:37साथ में हमारा यूटूब का चीनल सब्सक्राइब कर ना मत भूलिए
09:40तेंस पर वाचिंग अलाहाफिस
09:42हेलो वीवर्स माहा एक बावाकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी
09:48जो कराची के एक गरीब तब किसे तालुक रुकती थी
09:51इसका खौब था कि वो खुद मुखतार बने अपने बल होते होते पर जिन्दगी गुजारे
09:58मगर इसके गरवाले उसे शादी के बंदन में बांद कर जल जल जल रुकस्त करना चाहते थे
10:05दुसी तरफ पवाद एक पुरकशर सुलजा हुआ और तालीमी अपता नुजवान था
10:11जो अमीर बिजनिसमेन का बेटा था मगर इसके लिए अपनी सोच अपनी खनादान से मुखतलिब थी
10:18इन दोनों के पहली मुलाकात एक शादी की तकरीब में हुई
10:22जहां एक मामूली गलत पहमी दुनों के दर्मयान तलखी का सबब बनी
10:27मगर किसमत ने नुहे दुबारा इसी आपस में मिला दिया
10:30जहां माहा ने हाल ही में जाप शुरू की थी
10:33अब्तिदा में के दर्मयान चपकर श्रही मगर एस तह ता
10:37वो एक दूसर की इखलाक आदतों और सचाई से मतासिर होने लगे
10:42माहा पवाद की साथगी और इज़त करने के अंदास को महसूस करने लगी
10:47जबके पवाद माहा की मजबूत शख्शियत और खलूस के सामने जुकने लगा
10:52मगर जिसे हिनके रिष्टे में कुर्बत आने लगी पवाद का वाद को इसके तालुक का पता चल गया
10:58और वो शदीद मुखालिपत पर उतराए
11:01उनके लिए माहा की हिस्यत खनदान और पसमंजर ना कबली कबूल था
11:06पवाद माहा की इज़त में खामोश रहा
11:09मगर माहा ने खुद पासला इफ्तियार कर लिया ताके पवाद को खनदान से दूर ना होना पड़े
11:15हालाथ ने पल्टा काया जब माहा की मंगनी उसकी कजन से ते हो गई
11:20जिसे माहा कभी कबूल नहीं करना चाहते थी लिकर माबाप के दबाओ में आगी
11:26पवाद ने जब ये खबर सुनी तो पहले बार खामोशी तूरी माह के सामने कड़ा हो गया
11:34और कहा कि अगर मैंने जिन्दगी के पेसले खुद नहीं लिये तो ये दवलत और कारूबार मेरे किस काम का
11:42इसी दिन पवाद की माने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन अगले वो खुद माहा के गर रिष्टा लेकर आये
11:48माहा जो हमेशा समझती थी कि सचा प्यार सिर्फ किताबों और रामों में होता है
11:53अब हकीकत में अपनी आँखों के सामने देख रही थी
11:56कि जब जब जबे खालिस हो तो जमाना भी जुग जाता है
12:00यू इन दोने की महबच जो मुखालिपत समाजी फरक और खामोशी के पर्दों में चुपी हुई थी
12:06आखिर कार चीद गी और महबच ने एक बार पिर थाबद किया
12:10कि वो हर रुकावट को पार कर सकती है
12:13ड्रामसियल के हवाले से अपने राए की ज़ार लाजमी केमेंट करें
12:17साथ में हमारा यूटूब का चीनल सबस्क्राइब करा मत बोलिए
12:21तेंस पर वाचिंग अलाहाफिस
12:22हेलो वीवर्स माहा एक बावाकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी
12:28जो कराचि के एक गरीब तबकी से तालुक रुकती थी
12:32इसका खौब था कि वो खुद मुखतार बने अपने बल होते पर जिन्दगी गुजारे
12:38मगरिस के गर वाले उसे शादी के बंदन में बांद कर जल जल जल से उकस्त करना चाहते थे
12:45दुसी तरफ पवाद एक पुरकशर सुलजा हुआ और तालीमी अपता नुजवान था
12:51जो अमीर बिजनिसमेन का बेटा था मगरिस के लिए अपनी सोच अपनी खनादान से मुक्तलिब थी
12:58इन दुनों के पहली मुलाकात एक शादी की तकरीब में हुई जहां एक मामूली घलत पहमी दुनों के दरमयां तलखी का सबब बनी मगर किसमत ने नुहे दुबारा इसी आपस में मिला दिया जहां माहा ने हाल ही में जाप शुरू की थी अब्तिदा में के दरमयां चब कर
13:28माहा की मजबूत शख्शियत और खलूस के सामने जुकने लगा
13:32मगर जिसे हिन के रिष्टे में कुर्बत आने लगी
13:35पवाद का वाला को इसके तालुक का पता चल गया
13:39और वो शदीद मुखालिपत पर उतराए
13:41उनके लिए माहा की हिसियत खानदान और पसमनजर ना कबली कबूल था
13:46पवाद मा की इज़त में खामोश रहा
13:49मगर माहा ने खुद पासला इफ्तियार कर लिया ताके पवाद को खानदान से
13:54दूर ना होना फड़े हालाथ ने पल्टा काया
13:58जब माहा की मंगनी उसके कजन से ते हो गई
14:01जिसे माहा कभी कबूल नहीं करना चाहते थी
14:04लेकर माबाप के दबाव में आगई
14:06पवाद ने जब ये खबर सुनी तो पहले बार खामोशी तूरी
14:10मा के सामने कड़ा हो गया
14:13और कहा कि अगर मैंने जिन्दगी के पेसले खुद नहीं लिये
14:18तो ये दवलत और कारूबार मेरे किस काम का
14:22इसी दिन पवाद की माने कोई जवाब नहीं दिया
14:25लेकिन अगले वो खुद माहा के गर रिष्टा लेकर आये
14:29माहा जो हमेशा समझती थी
14:30कि सचा प्यार सिर्फ किताबों और ड्रामों में होता है
14:34अब हकीकत में अपनी आँखों के सामने देख रही थी
14:37कि जब जब जबे खालिस हो तो जमाना भी जुग जाता है
14:40यू इन दोने के महबत जो मुखालिपत समाजी फरक और खामोशी के पर्दों में चुपी हुई थी
14:46आखिर कार जीत गी और महबत ने एक बार पिर थाबत किया
14:50कि वो हर रुकावट को पार कर सकती है
14:53ड्रामसियल के हवाले से अपने राए की इजहार लाजमी केमेंट करें
14:57साथ में हमारा यूटूब का चीनल सब्सक्राइब करा मत बोलिए
15:01तेंस पर वाचिंग अलाहाफिस
15:03हेलो व्यूवर्स माहा एक बावकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी
15:08जो कराची के एक गरीब तबकी से तालुक रुकती थी
15:12इसका खौब था कि वो खुद मुक्तार बने अपने बल होते होते पर जिन्दगी गुजारे
15:19मगरिस के गरवाले उसे शादी के बंदन में बांद कर जल्ल जल्ल से रुकस्त करना चाहते थे
15:25दुसी तरफ पवाद एक पुरकशर सुलजा हुआ और तालीमी अपता नुजवान था
15:31जो अमीर बिजनिसमेन का बेटा था मगरिस के लिए अपनी सोच अपनी खनदान से मुक्तलिब थी
15:38इन दोनों के पहली मुलाकाथ एक शादी की तकरीब में हुई जहां एक मामूली घल्ट पहमी दोनों के दरम्यान तलखी का सबब बनी मगर किसमत नहीं दुबारा इसी आपस में मिला दिया
15:51जहां माहा ने हाल ही में जहाब शुरू की थी अप्तिदा में के दरम्यान चप करश रही मगर एस्ता हिस्ता वो एक दुस्ते के इखलाक आदतों और सच्चाई से मतासिर होने लगे
16:02माहा पवाद की साथगी और इस्त करने के अंदास को महसूस करने लेगी जबके पवाद माहा की मजबूत शख्चियत और खलूस के सामने जुकने लगा
16:12मगर जिसे हिनके रिष्टे में कुर्बत आने लगी पवाद का वाला को इसके तालुक का पता चल गया
16:19और वो शदीद मुखालिपत पर उतर आये
16:22उनके लिए माहा की हिस्यत खानदान और पसमनजर ना कबली कबूलता पवाद माहा की इज़त में खामोश रहा
16:29मगर माहा ने खुद पासला इफ्तियार कर लिया ताके पवाद को खनदान से दूर ना होना पड़े
16:36हालात ने पल्टा काया जब माहा की मंगनी उसके कजन से ते हो गई
16:41जिसे माहा कभी कबूल नहीं करना चाहते थी लिकर माबाप के दबाव में आगी
16:46पवाद ने जब ये खबर सुनी तो पहले बार खामोश ही तूरी माह के सामने कड़ा हो गया
16:54और कहा कि अगर मैंने जिन्दगी के पेसले खुद नहीं लिये तो ये दवलत और कारूबार मेरे किस काम का
17:02इसी दिन पवाद की माने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन अगले वो खुद माहा के गर रिष्टा लेकर आये
17:09माहा जो हमेशा समझती थी कि सचा प्यार सिर्फ किताबों और रामों में होता है
17:14अब हकीकत में अपनी आँखों के सामने देख रही थी
17:17कि जब जब जबे खालिस हो तो जमाना भी जुग जाता है
17:20यू इन दुने की महबच जो मुखालिपत समाजी फरक और खामोशी के पर्दों में चुपी हुई थी
17:26आखिर कार चीद गी और महबच ने एक बार पिर थाबिद किया
17:30कि वो हर रुकावट को पार कर सकती है
17:33ड्रामसील के हवाले से अपने राए की इजहार लाजमी केमेंट करें
17:38साथ में हमारा यूटूब का चीनल सबस्क्राइब करा मत बोलिए
17:41तेंस पर वाचिंग अला हाफिस
17:43हेलो वीवर्ज माहा एक बावाकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी
17:48जो कराची के एक गरीब तपके से तालुक रुकती थी
17:52इसका खौब था कि वो खुद मुखतार बने अपने बल होते पर जिन्दगी गुजारे
17:59मगर इसके गरवाले उसे शादी के बंदन में बांद कर जलस जलस रुकस्त करना चाहते थे
18:05दुसी तरफ पवाद एक पुरकशर सुलजा हुआ और तालिमी अपता नवजवान था
18:11जो अमीर बिजनिसमेन का बेटा था मगर इसके लिए अपनी सोच अपनी खनदान से मुक्तलिब थी
18:18इन दुनों के पहली मुलाकात एक शादी की तकरीब में हुई जहाँ एक मामूली गलत पहमी
18:25दुनों के दर्मयान तलखी का सबब बनी मगर किसमत नहें दुबारा इसी आपस में मिला दिया
18:31जहां माहा ने हाल ही में जहाँ शुरू की थी अप्तिदा में के दर्मयान चप करश रही
18:37मगर एस्ता हिस्ता वो एक दुस्से की इखलाक आदतों और सच्चाई से मतासिर होने लगे
18:42माहा पवाद की साथगी और इज़त करने के अंदास को महसूस करने लगी
18:47जबके पवाद माहा की मजबूत शख्चियत और खलूस के सामने जुकने लगा
18:53मगर जिसे हिन के रिष्टे में कुर्बत आने लगी पवाद का वाला को इसके तालुक का पता चल गया
18:59और वो शदीद मुखालिपत पर उतर आए
19:02उनके लिए माहा की हिसियत खानदान और पसमंजर ना का बली कबूल था
19:06पवाद माह की इज़त में खामोश रहा
19:09मगर माहा ने खुद पास लाइफ तयार कर लिया ताके पवाद को खानदान से दूर ना होना फड़े
19:16हालात ने पल्टा काया जब माहा की मंगनी उसके कजन से ते हो गई
19:21जिसे माहा कभी कबूल नहीं करना चाहते थी लिकर माबाप के दबाव में आगई
19:26पवाद ने जब ये खबर सुनी तो पहले बार खामोश ही तूरी
19:31मा के सामने कड़ा हो गया
19:33और कहा कि अगर मैंने जिन्दगी के पेसले खुद नहीं लिये
19:39तो ये दवलत और कारूबार मेरे किस काम का
19:42इसी दिन पवाद की माने कोई जवाब नहीं दिया
19:45लेकिन अगले वो खुद माहा के गर रिष्टा लेकर आये
19:49माहा जो हमेशा समझती थी
19:51कि सचा प्यार सिर्फ किताबों और ड्रामों में होता है
19:54अब हकीकत में अपनी आँखों के सामने देख रही थी
19:57कि जब जब जबे खालिस हो तो जमाना भी जुग जाता है
20:00यू इन दुने के महबच जो मुखालिपत समाजी फरक और खामोशी के पर्दों में चुपी हुई थी
20:06आखिर कार चीद गी और महबच ने एक बार पिर थाबत किया
20:11कि वो हर रुकावट को पार कर सकती है
20:13ड्रामसियल के हवाले से अपने राय की ज़ार लाजमी केमेंट करें
20:18साथ में हमारा यूटूब का चीनल सब्सक्राइब कर ना मत बोलिए
20:21तेंस पर वाचिंग अला हाफिस
20:23हेलो वीवर्स माहा एक बावाकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी
20:28जो कराची के एक गरीब तब किसे तालुक रुकती थी
20:32इसका खौब था कि वो खुद मुक्तार बने अपने बल होते होते पर जिन्दगी गुजारे
20:39मगरिस के गर वाले उसे शादी के बंदन में बांद कर जल जल से रुकस्त करना चाहते थे
20:46दुसी तरफ पवाद एक पुरकशर सुलजा हुआ और तालीमी अपता नुजवान था
20:51जो अमीर बिजनिसमेन का बेटा था मगरिस के लिए अपनी सोच अपनी खनादान से मुक्तलिब थी
20:59इन दोनों के पहली मुलाकात एक शादी की तकरीब में हुई
21:03जहां एक मामूली गलत पहमी दुनों के दर्मयान तलखी का सबब बनी
21:07मगर किसमत ने नुहे दुबारा इसी आपस में मिला दिया
21:11जहां माहा ने हाल ही में जाप शुरू की थी
21:14अब्तिदा में के दर्मयान चब कलश रही
21:17मगर एस्ता हिस्ता वो एक दुस्से की इखलाक आदतो और सच्चाई से मतासिर होने लगे
21:23माहा पवाद की साथगी और इज़त करने के अंदास को महसूस करने लगी
21:28जबके पवाद माहा की मजबूत शख्शियत और खलूस के सामने जुकने लगा
21:33मगर जिसे हिनके रिष्टे में कुर्बत आने लगी
21:36पवाद का वाला को इसके तालुक का पता चल गया
21:39और वो शदीद मुखालिपत पर उतराए
21:42उनके लिए माहा की हिस्यत खानदान और पसमंजर ना कबली कबूल था
21:47पवाद माहा की इज़त में खामोश रहा
21:49मगर माहा ने खुद पासला इफ्तियार कर लिया ताके पवाद को खनदान से दूर ना होना पड़े
21:56हालात ने फल्टा काया जब माहा की मंगनी उसकी कजन से ते हो गई
22:01जिसे माहा कभी कबूल नहीं करना चाहती थी लिकर माबाप के दबाओ में आगी
22:07पवाद ने जब ये खबर सुनी तो पहले बार खामोशी तूरी माह के सामने कड़ा हो गया
22:15और कहा कि अगर मैंने जिन्दगी के पेसले खुद नहीं लिये तो ये दवलत और कारूबार मेरे किस काम का
22:22इसी दिन पवाद की माने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन अगले वो खुद माहा के गर रिष्टा लेकर आये
22:29माहा जो हमेशा समझती थी कि सचा प्यार सिर्फ किताबों और रामों में होता है
22:34अब हकीकत में अपनी आँखों के सामने देख रही थी
22:37कि जब जब जबे खालिस हो तो जमाना भी जुग जाता है
22:41यू इन दुने की महबब जो मुखालिपत समाजी फरक और खामोशी के पर्दों में चुपी हुई थी
22:46आखिर कार चीद गी और महबबत ने एक बार पिर थाबद किया
22:51कि वो हर रुकावट को पार कर सकती है
22:54ड्रामसील के हवाले से अपने राए की इज़ार लाजमी केमेंट करें
22:58साथ में हमारा यूटूब का चीनल सब्सक्राइब करा मत बोलिए
23:01तेंक्स पर वाचिंग अला हाफिस
23:03हेलो वीवर्ज माहा एक बावाकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी
23:09जो कराची के एक गरीब तबकी से तालुक रुकती थी
23:12इसका खौब था कि वो खुद मुखतार बने अपने बल होते पर जिन्दगी गुजारे
23:19मगर इसके गरवाले उसे शादी के बंदन में बांद कर जलस जलस रुकस्त करना चाहते थे
23:26दुसी तरफ पवाद एक पुरकशर सुलजा हुआ और तालीमी अपता नवजवान था
23:32जो अमीर बिजनिसमेन का बेटा था मगर इसके लिए अपनी सोच अपनी खनदान से मुक्तलिब थी
23:39इन दुनों के पहली मुलाकात एक शादी की तकरीब में हुई जहाँ एक मामूली गलत पहमी
23:45दुनों के दर्मयान तलखी का सबब बनी मगर किसमत नहें दुबारा इसी आपस में मिला दिया
23:51जहां माहा ने हाल ही में जहाँ शुरू की थी अप्तिदा में के दर्मयान चब करश रही
23:57मगर एस्ता हिस्ता वो एक दूसर की इखलाक आदतों और सच्चाई से मतासिर होने लगे
24:03माहा पवाद की साथगी और इज़त करने के अंदास को महसूस करने लेगी
24:08जबके पवाद माहा की मजबूत शख्शियत और खलूस के सामने जुकने लगा
24:13मगर जिसे हिनके रिष्टे में कुर्बत आने लगी
24:16पवाद का वाला को इसके तालुक का पता चल गया
24:19और वो शदीद मुखालिपत पर उतर आये
24:22उनके लिए माहा की हिस्यत खानदान और पसमनजर ना कबली कबूल था
24:27पवाद माहा की इज़त में खामोश रहा
24:30मगर माहा ने खुद पासला इफ्तियार कर लिया ताके पवाद को खनदान से दूर ना होना फड़े
24:36हालात ने पल्टा काया जब माहा की मंगनी उसके कजन से ते हो गई
24:41जिसे माहा कभी कबूल नहीं करना चाहते थी लेकर माबाप के दबाओ में आगी
24:47पवाद ने जब ये खबर सुनी तो पहले बार खामोशी तूरी मा के सामने कड़ा हो गया
24:55और कहा कि अगर मैंने जिन्दगी के पेसले खुद नहीं लिये तो ये दवलत और कारूबार मेरे किस काम का
25:03इसी दिन पवाद की माने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन अगले वो खुद माहा के गर रिष्टा लेकर आये
25:09माहा जो हमेशा समझती थी कि सचा प्यार सिर्फ किताबों और रामों में होता है
25:14अब हकीकत में अपनी आँखों के सामने देख रही थी
25:17कि जब जब जब खालिस हो तो जमाना भी जुग जाता है
25:21यू इन दुने के महबब जो मुखालिपत समाजी फरक और खामोशी के पर्दों में चुपी हुई थी
25:27आखिर कार चीद गी और महबबत ने एक बार पिर थाबिद किया
25:31कि वो हर रुकावट को पार कर सकती है
25:34ड्रामसील के हवाले से अपने राए की इज़ार लाजमी केमेंट करें
25:38साथ में हमारा यूट्यूब का चीनल सबस्क्राइब करा मत बोलिए
25:42तेंस पर वाचिंग अलाहाफिस
25:43हेलो वीवर्ज माहा एक बावाकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी
25:49जो कराची के एक गरीब तबके से तालुक रुकती थी
25:53इसका खौब था कि वो खुद मुखतार बने अपने बल होते पर जिन्दगी गुजारे
25:59मगर इसके गरवाले उसे शादी के बंदन में बांद कर जलस जलस रुकस्त करना चाहते थे
26:06दुसी तरफ पवाद एक पुरकशर सुलजा हुआ और तालिमी अपता नवजवान था
26:12जो अमीर बिजनिसमेन का बेटा था मगर इसके लिए अपनी सोच अपनी खनदान से मुक्तलिब थी
26:19इन दुनों के पहली मुलाकात एक शादी की तकरीब में हुई जहां एक मामूली गलत पहमी
26:25दुनों के दर्मयान तलखी का सबब बनी मगर किसमत नहें दुबारा इसी आपस में मिला दिया
26:31जहां माहा ने हाल ही में जहाब शुरू की थी अप्तिदा में के दर्मयान चप करश रही
26:37मगर एस्ता हिस्ता वो एक दुस्से के इखलाक आदतों और सच्चाई से मतासिर होने लगे
26:43माहा पवाद की साथगी और इज़त करने के अंदास को महसूस करने लगी
26:48जबके पवाद माहा की मजबूत शख्चियत और खलूस के सामने जुकने लगा
26:53मगर जिसे हिन के रिष्टे में कुर्बत आने लगी पवाद का वाला को इसके तालुक का पता चल गया
26:59और वो शदीद मुखालिपत पर उतर आए
27:02उनके लिए माहा की हिसियत खानदान और पसमंजर ना का बली कबूल था
27:07पवाद मा की इज़त में खामोश रहा
27:10मगर माहा ने खुद पासला इफ्टिया ताके पवाद को खानदान से दूर ना होना फड़े
27:17हालात ने पल्टा काया जब माहा की मंगनी उसके कजन से ते हो गई
27:22जिसे माहा कभी कबूल नहीं करना चाहते थी लिकर माबाप के दबाव में आ गई
27:27पवाद ने जब ये खबर सुनी तो पहले बार खामोश ही तूरी
27:31मा के सामने कड़ा हो गया
27:34और कहा कि अगर मैंने जिन्दगी के पेसले खुद नहीं लिए
27:39तो ये दवलत और कारूबार मेरे किस काम का
27:43इसी दिन पवाद की माने कोई जवाब नहीं दिया
27:46लेकिन अगले वो खुद माहा के गर रिष्टा लेकर आये
27:50माहा जो हमेशा समझती थी
27:51कि सचा प्यार सिर्फ किताबों और ड्रामों में होता है
27:55अब हकीकत में अपनी आँखों के सामने देख रही थी
27:58कि जब जब जबे खालिस हो तो जमाना भी जुग जाता है
28:01यू इन दुनों के महबच जो मुखालिपत समाजी फरक और खामोशी के पर्दों में चुपी हुई थी
28:07आखिर कार चीद गी और महबच ने एक बार पिर थाबत किया
28:11कि वो हर रुकावट को पार कर सकती है
28:14ड्रामसियल के हवाले से अपने राए की ज़ार लाजमी केमेंट करें
28:18साथ में हमारा यूटूब का चीनल सब्सक्राइब करा मत बोलिए
28:22तेंस पर वाचिंग अलाहाफिस
28:24हेलो वीवर्स माहा एक बावकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी
28:29जो कराचि के एक गरीब तबकी से तालुक रुकती थी
28:33इसका खौब था कि वो खुद मुक्तार बने अपने बल होते होते पर जिंदगी गुजारे
28:40मगर इसके गरवाले उसे शादी के बंदन में बांद कर जल जल से रुकस्त करना चाहते थे
28:46दुसी तरफ पवाद एक पुरकशर सुलजा हुआ और तालीमी अपता नुजवान था
28:52जो अमीर बिजनिसमेन का बेटा था मगर इसके लिए अपनी सोच अपनी खनादान से मुक्तलिब थी
28:59इन दोनों के पहली मुलाकात एक शादी की तकरीब में हुई
29:03जहां एक मामूली गलत पहमी दुनों के दर्मयान तलखी का सबब बनी
29:08मगर किसमत ने नुहे दुबारा इसी आपस में मिला दिया
29:11जहां माहा ने हाल ही में जाप शुरू की थी
29:15अब्तिदा में के दर्मयान चपकर श्रही मगर एस तह ता
29:19वो एक दूसर की इखलाक आदतों और सचाई से मतासिर होने लगे
29:23माहा पवाद की साथगी और इज़त करने के अंदास को महसूस करने लगी
29:28जबके पवाद माहा की मजबूत शख्शियत और खलूस के सामने जुकने लगा
29:33मगर जिसे हिनके रिष्टे में कुर्बत आने लगी पवाद का वाला को इसके तालुक का पता चल गया
29:40और वो शदीद मुखालिपत पर उतराए
29:43उनके लिए माहा की हिसियत खानदान और पसमंजर ना कबली कबूल था
29:47पवाद माहा की इज़त में खामोश रहा
29:50मगर माहा ने खुद पासला इफ्तियार कर लिया ताके पवाद को खनदान से दूर ना होना पड़े
29:57हालाथ ने पल्टा काया जब माहा की मंगनी उसके कजन से ते हो गई
30:02जिसे माहा कभी कबूल नहीं करना चाहते थी लिकर माबाप के दबाओ में आगी
30:07पवाद ने जब ये खबर सुनी तो पहले बार खामोशी तूरी माह के सामने कड़ा हो गया
30:15और कहा कि अगर मैंने जिन्दगी के पेसले खुद नहीं लिये तो ये दवलत और कारूबार मेरे किस काम का
30:23इसी दिन पवाद की माने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन अगले वो खुद माहा के गर रिष्टा लेकर आये
30:30माहा जो हमेशा समझती थी कि सचा प्यार सिर्फ किताबों और रामों में होता है
30:35अब हकीकत में अपनी आँखों के सामने देख रही थी
30:38कि जब जब जबे खालिस हो तो जमाना भी जुग जाता है
30:41यू इन दोने की महबद जो मुखालिपत समाजी फरक और खामोशी के पर्दों में चुपी हुई थी
30:47आखिर कार चीद गी और महबद ने एक बार पिर थाबद किया
30:51कि वो हर रुकावट को पार कर सकती है
30:54ड्रामसियल के हुआले से अपने राए की इजहार लाजमी केमेंट करें
30:59साथ में हमारा यूटूब का चीनल सबस्क्राइब करा मत बोलिए
31:02तेंस पर वाचिंग अलाहाफिस
31:04हेलो वीवर्स माहा एक बावाकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी
31:09जो कराचि के एक गरीब तबकी से तालुक रुकती थी
31:13इसका खौब था कि वो खुद मुक्तार बने अपने बल होते होते पर जिन्दगी गुजारे
31:20मगरिस के गरवाले उसे शाहदी के बंदन में बांद कर जल जल जल रुकस्त करना चाहते थे
31:26दुसी तरफ पवाद एक पुरकशर सुलजा हुआ और तालीमी अपता नुजवान था
31:32जो अमीर बिजनिसमेन का बेटा था मगरिस के लिए अपनी सोच अपनी खनादान से मुक्तलिब थी
31:39इन दोनों के पहली मुलाकात है एक शादी के तकरीब में हुए जहाँ एक मामूली घलत पहमी दोनों के धरंया तलखी कीस सबब बनी बगर किसमत नि nada दो बारा इसी आपस में मिला दिया जहां माहा निहां हाल ही में जाब शूरू की ती इफिदा में कि दरमियान चपकल ग
32:09माहा की मजबूत शख्शियत और खलूस के सामने जुकने लगा
32:13मगर जिसे हिन के रिष्टे में कुर्बत आने लगी
32:17पवाद का वाल ला को इसके तालुक का पता चल गया
32:20और वो शदीद मुखालिपत पर उतराए
32:23उनके लिए माहा की हिसियत खानदान और पसमंजर ना कबली कबूल था
32:27पवाद मा की इज़त में खामोश रहा
32:30मगर माहा ने खुद पासला इफ्तियार कर लिया ताके पवाद को खानदान से
32:35दूर ना होना फड़े
32:37हालात ने पल्टा काया
32:39जब माहा की मंगनी उसकी कजन से
32:41ते हो गई
32:42जिसे माहा कभी कबूल नहीं करना चाहती थी
32:45लिकर माबाप के दबाव में आगी
32:47पवाद ने जब ये खबर सुनी
32:49तो पहले बार खामोशी तूरी
32:52मा के सामने
32:53कड़ा हो गया
32:54और कहा कि
32:57अगर मैंने जिन्दगी के पेसले
32:59खुद नहीं लिये
33:00तो ये दवलत और कारूबार मेरे किस काम का
33:03इसी दिन पवाद की माने
33:05कोई जवाब नहीं दिया
33:06लेकिन अगले वो खुद माहा के गर रिष्टा
33:09लेकर आये माहा जो हमेशा
33:11समझती थी
33:12कि सचा प्यार सिर्फ किताब और ड्रामों में होता है
33:15अब हकीकत में अपनी आँखों के सामने देख रही थी
33:18कि जब जब जबे खालिस हो तो जमाना भी जुग जाता है
33:21यू इन दुने के महबबच जो मुखालिपत
33:24समाजी फरक और खामोशी के पर्दों में चुपी हुई थी
33:27आखिर कार चीत गी और महबच ने एक बार पिर थाबद किया
33:32कि वो हर रुकाउट को पार कर सकती है
33:34ड्रामसियल के हवाले से अपने राए की इजहार लाजमी केमेंट करें
33:39साथ में हमारा यूट्यूब का चीनल सब्सक्राइब करा मत बोलिये
33:42तेंस पर वाचिंग अलाहाफिस
33:44हेलो वीवर्स माहा एक बावाकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी
33:49जो कराची के एक गरीब तबकी से तालुक रुकती थी
33:53इसका खौब था कि वो खुद मुक्तार बने अपनी बल होते होते पर जिन्दगी गुजारे
34:00मगर इसके गरवाले उसे शादी के बंदन में बांद कर जल्ल जल्ल से रुकस्त करना चाहते थे
34:06दुसी तरफ पवाद एक पुरकशर सुल्जा हुआ और तालीमी अपता नुजवान था
34:12जो अमीर बिजनसमेन का बेटा था मगर इसके लिए अपनी सोच अपनी खन्दान से मुक्तलिब थी
34:20इन दुनों के पहली मुलाकात एक शादी की तकरीब में हुई जहाँ एक मामूली घल्ट पहमी दुनों के दरमयान तलखी का सबब बनी मगर किसमत नुहे दुबारा इसी आपस में मिला दिया जहां माहा ने हाल ही में जाप शुरू की थी अप्तिदा में के दरमयान चपकल
34:50माहा की मजबूत शख्शियत और खलूस के सामने जुकने लगा मगर जिसे इन के रिष्टे में कुर्बत आने लगी पवाद का वाला को इसके तालुक का पता चल गया और वो शदीद मुखालिपत पर उतर आये उनके लिए माहा की हिसियत खानदान और पसमनजर ना कबली क
35:20माहा की मंगनी उसके कजन से ते हो गई जिसे माहा कभी कबूल नहीं करना चाहते थी लेकर माबाप के दबाव में आगी पवाद ने जब ये खबर सुनी तो पहले बार खामोशी तूरी मा के सामने कड़ा हो गया और कहा कि अगर मैंने जिन्दगी के पेसले खुद नही लि
35:50लेकर आये माहा जो हमेशा समझती थी कि सचा प्यार सिर्फ किताबों और ड्रामों में होता है अब हकीकत में अपनी आँखों के सामने देख रही थी कि जब जब जब खालिस हो तो जमाना भी जुग जाता है यू इन दोने के महबबत जो मुखालिपत समाजी फरक और खाम
36:20साथ में हमारा यूट्यूब का चीनल सब्सक्राइब करा मत भूलिए तेंस पर वाचिंग अलाहाफिस हेलो व्यूवर्स माहा एक बावकार खुबसूरत और तालिमी अपता लड़की थी जो कराची के एक गरीब तब किसे तालुक रुकती थी इसका खौब था कि वो खु�
36:50सुलजा हुआ और तालिमी अपता नवजवान था जो अमीर बिजनिसमेन का बेटा था मगर इसके लिए अपनी सोच अपनी खनदान से मुक्तलिब थी इन दोनों के पहली मुलाकात एक शादी की तकरीब में हुई जहाँ एक मामूली घलत पहमी दोनों के दर्मयान तलखी क
37:20वो एक दूसर की इखलाक आदतों और सचाई से मतासिर होने लगे माहा पवाद की साथगी और इज़त करने के अंदास को महसूस करने लगी जबके पवाद माहा की मजबूत शख्शियत और खलूस के सामने जुकने लगा मगर जिसे ही इन करिष्टे में कुर्बत आने लग

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