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  • 2 months ago
"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!


🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता

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Transcript
00:00मा कितनी गर्मी ओर ये रसोई में आप कैसे खाना बना रही हो इतनी गर्मी में मुझसे तो कभी न बन पाए
00:05पीहर में तो किसी लड़की से नहीं बन पाता, जब ससुराल जाएगे न, तो वहाँ पर तुझे भी ऐसे ही खाना बनाना पड़ेगा जैसे मैं बना रही हूँ, किसी कीमत पर नहीं बनाओंगी, एक बार खाना बना कर रख दूँगी, वही खाएंगे पूरा परिवार
00:20अगले दिन सुभा मिष्टी अपनी पहली रसोई का खाना बनाने के लिए रसोई में आती है
00:37अब जैसे तैसे मिष्टी अपनी पहली रसोई का खाना बना कर सस्राल वालों को परूस्ती है
00:55बहु, खाना तो बहुत साधिश्ट बनाया है तूने
01:01हाँ, मिष्टी खाना तो बहुत अच्छा बना है
01:04उदया और अभिनव खाना खतम करके ऑफिस चले जाते हैं
01:08वहीं सुआती अपनी भावी से कहती है
01:09भावी मेरे कॉलेज को लेट हो रहा है आपने मेरे लंच पैक कर दिया क्या
01:14क्या लंच पर खाना तो खत्म हो गया और इतनी गर्मी हो रही है कि मुझसे दुबारा कुछ नहीं बन पाएगा
01:19मैंने एक बार सुबा बना दिया था खाना अच्छा एक काम करो कुछ पैसे रखो बाहर से कुछ खा ले ना
01:26बाहर से तो वैसे में भावी कभी खाती नहीं हो पर ठीक है आज खा लूंगी
01:31इतनी गर्मी में सुबा सब के लिए खाना बनाते बनाते मिश्टी बहुत परेशान हो जाती है
01:37देखते ही देखते दोपहर के दो बज जाते है
01:39बाहू दोपहर के दो बज गये हैं और अबी तक तुने दोपहर का खाना नहीं लगाया
01:44हाँ बहु मुझे भी अब हलकी हलकी भूक लगनी शुरू हो गई
01:48अब खाना लगा दो फटा फट
01:50पर मा जी पापा जी मैंने तो खाना ही नहीं बनाया दोपहर का
01:54और गर्मी भी तो लिए रसोई में इतनी
01:55गर्मी में दोपहर के दो बजे
01:57गैस के पास खड़े होकर खाना बनाना
02:00मेरे बस की बात नहीं है
02:02मैंने सुबह जो खाना बनाया था
02:03उसमें से कुछ सबजी और कुछ रोटी रखिए
02:05वही ला देती हो आप लोग वही खा लीजे
02:07बहु हलके चावल ही बना ले
02:09सुबह की रोटी दोफार में कैसे खाई जाईगी
02:12माफ करना पापा जी पर सुबह तो खुद
02:15मैंने इतनी गर्मी में परिशान होकर
02:16एक टैम खाना बना दिया था
02:17और मुझसे एक टैम का ही खाना बन पाएगा
02:19दोबारा मेरे बस की बात नहीं है खाना बनाना
02:22सुभा का रखा हुआ खाना खाना है
02:23तो बताइए वरना मैं जारी हो आराम करने
02:26मुझे बहुत गर्मी लग रही है
02:27ठीक है बहु जा वही ले आ वही खा लेंगे
02:31मिश्टी रसुई में आकर सुभा की रखी रोटी
02:33और सबजी अपने सास ससुर के आगे परोस देती है
02:36मिश्टी के बूढ़े सास ससुर से
02:38वो सुखी रोटी तूटती ही नहीं है
02:40बहु कब से कम ये सुभा की रोटी तवे पर ही सेख देती
02:44दान से तूट तक नहीं रही
02:46ये रोटी तो
02:47पापजी मैंने कहा तो आपसे कितनी गर्मी में मुझसे चूले पर एक गलास पानी भी गर्म नहीं होगा
02:52एक टैम का खाना बना दिया न वही बहुत बड़ी बात है अब जो है जैसा है खा लिजे
02:56ठीक है बहू खा लेते हैं
02:59अब साथ ससुर को सूखी रोटियां देकर मिष्टी अपने कमरे में आराम करने चली जाती है अब रात में अभिनाव और स्वाती घर लोटते है
03:06भाई ट्राफिक में घंटों का सफर खतम करके घर आते आते तो मुझे बहुत गर्मी लग रही है
03:13मिष्टी तुम्हें काम क्यों नहीं करती आज खाने में लौकी कर आये था पालक के बराठे और पुदीनी के चट्मी क्यों नहीं बना ले थी तोड़ा ठंदा खाना खाने का मन कर रहा था
03:22आँ भाईया मेरा भी बहुत मन कर रहा है
03:25हाँ बहु दुपहर में तो तूने कुछ बनाया नहीं अब रात में ही कुछ अच्छा बना ले
03:31क्या दुपहर में खाना नहीं बनाया तुमने
03:34भाबी अभी पैसे नहीं है बस इसलिए घर की बनावट कुछ इस तरह से है पर इसका मतलब ये नहीं कि आप खाना बनाना ही छोड़ दो
03:40आपने दुपहर में भी खाना नहीं दिया मम्मी पापा को और अब आप फिर मना करी हो खाना बनाने से
03:46ये मेरी प्रॉब्लम नहीं है इतनी भूख लगी है तो बाहर से मंगा लो
03:49मिश्टी पैर पटकती हुई वहाँ से अपने कमरे में चली जाती है और सारा परिवार भूखे ही सो जाता है
03:54अब इसी तरह मिश्टी गर्मी में पूरे दिन में एक बार खाना बनाती
03:59ये सब देख परिवार के सदसे भी कभी पानी तो कभी जूस और फल फ्रूट खाकर अपना दिन निकाल रहे थे
04:05ऐसे ही कुछ दिन गुजरते हैं और एक दिन मिश्टी के घर में उसकी बड़ी नंद अदिती अपने पती और बच्चों के साथ घर आती है
04:11अरे दामा जी आप आप लोग आओ ना आओ ना अरे बंटी तु तो इतना बड़ा हो गया बेटा
04:18जी नाना जी वैसे नाना जी मुझे बहुत तेज भूख लग ये कुछ खाने को दीजे ना
04:23नाना को परिशान मत करो बंटी जाओ मामी से मांगो खाना
04:27दूर खड़ी सिंहती अपनी बहु को समझाती हुई
04:41बहु देख मेरे दामाद और बेटी और उसके बच्चे आए हैं
04:46तो अभी यहाँ पर कोई तमाशा मत करियो खाने को लेकर और कुछ ना कुछ जरूर बना ही दियो
04:52मा जी
04:55अब जैसे तैसे करके मिष्ठी गर्मी में खाना बना रही होती है
04:58और बार-बार फ्रिज को खोल कर पानी की बोतल से पानी पी रही होती है
05:02अब पसीने से तर बतर मिष्ठी पूरे परिवार का खाना परोस्ती है
05:16अरे भाबी मेरे हस्बन की प्लेट की रोटिया खत्म हो गई है वो बोलते नहीं है उन्हें ज़रा दो फुलके दे दीजे
05:22क्या दो फुलके यहां आधा फुलका नहीं है इन्हें दो फुलके चाहिए
05:26मैंने तो गिनके 20 रोटिया बनाई थी और वो भी खत्म हो गई
05:29नंद जी, रोटी तो अब नहीं है
05:31कोई बात नहीं, अगर रोटिया नहीं है तो सब के लिए थोड़े थोड़े चावल बना दो
05:36चावल भी नहीं है जी, बहुत गर्मी लग रही थी
05:39तो मैंने फटा-फट कुछ रोटिया और सबजी ही बनाया था
05:42इतनी भी क्या गर्मी भावी की अपने परिवार के सदस्यों के हिसाब से खाना ही नहीं बनाया
05:47हाप आधों का पेट तो भरा है और आधे भूके ही है
05:50मेरा भी पेट नहीं भड़ा, मम्मी मामी ने बहुत कम खाना दिया था में थाली में
05:56कोई बात नहीं बेटा ये लो तो मेरी रोटी खालो
05:59अब सभी लोग एक दूसरे की प्लेट से आधा-धा खाना एड़्जस्ट करके खारे होते हैं
06:04इतना सब कुछ देखने के बाद भी मिष्टी की आँखों में पानी नहीं आता
06:07वो धीट की तरह सारा नजारा देख रही होती है
06:10अच्छा हुआ इन लोगों ने एक दूसरे की थाली से खाना एड़्जस्ट कर लिया
06:14अब इतनी गर्मी में मुझे खाना नहीं बनाना पड़ेगा
06:16तबी रात में अभिनाव मिष्टी से कहता है
06:19मिष्टी ये सब क्या है? मैं जानता हूँ तुम्हें बहुत ज़्यादा ही गर्मी लगती है
06:23और तुमसे एक बार से ज़्यादा खाना नहीं बनाय जाता
06:26पर दीदी और जीजा जी के सामने तो कम से कम खाना बना लेती ना
06:28क्या बना लेती और क्यों बनाओं क्या दीदी जीजा जी के आने से गर्मी कम पड़ गई है क्या
06:33या रसोई में एसी लगवा दिया आपने
06:35मुझसे जितना बना एक बार में मैंने बना दिया
06:38बस अब मुझसे ना लड़ू अपनी दीदियों जीजाजी के चक्कर में
06:41मुझे आराम करने तो मैं बहुत थक गई हूँ
06:43ऐसे ही कई दिन गुजरते हैं
06:45लेकिन मिश्टी के इस अडियल बरताओं में कोई परिवर्तन नहीं होता
06:49वो परिवालों के साथ साथ
06:50चोटे बच्चे बंटी को भी time से खाना नहीं दे रहे थी
06:53भाबी मैं कई दिनों से देख रही हूँ
06:55आप पूरे दिन में सिर्फ एक बार खाना बनाती हो
06:57इसके बाद आप खाना तो क्या
06:58आप रसोई में जाना तक पसंद नहीं करती जिसके कारण मेरे पती, मेरे बच्चे भूग से परिशान रहते हैं
07:03हाँ नंदजी आप सही देख रही है हो
07:05मेरे से नहीं बनता दस-दस बार खाना इतनी गर्मी में
07:08और अगर आपको और आपके बच्चे और आपके पती को इतनी भूग लग रही है न
07:12तो आप रसोई में जाकर खुद बना लीजे खाना, मुझसे नहीं बनेगा
07:15मेरे कमर में दिक्कत है भाबी, मैं जादा देर तक खड़ी नहीं हो सकती, इसलिए आप पर निर्भर हूँ
07:20अच्छा बहाना है गर्मी में खाना ना बनाने का
07:23तब ही उस रात बंटी को बहुत तेज उल्टियां होने लगती है
07:27इतना सब कुछ होने के बाद में मिश्टी रसोई में जाकर खाना नहीं बना रही थी
07:41देखते ही देखते है आदिती के पती और उसकी वी तबियत बहुत जादा खराब हो जाती है
07:45अभी नब सबको अस्पतार लेकर जाता है
07:47टाइम से खाना नहीं खाने के वज़ा से इनके पेट में गर्मी हो गई है
07:51जिस वज़ा से इन्हें बार-बार उल्टिया और ये पेट में दर्थ हो रहा है
07:55और अभी ये कुछ टाइम खाना खा भी नहीं पाएंगे क्योंकि इन्हें सिर्फ लिक्विड पर लखिएगा
08:01अब तो बहुत खुश हो गई होगी ना भाबी आप आपकी लापरवाही की वज़े से मेरी दीदी जीजू और छोटे भांजे की तब्यत इतनी खराब हो गई डॉक्टर खुद खाना खाने के लिए मना कर रहे हैं
08:12ये जानकर आपको तो खुशी बहुत होई होगी ना
08:17उस दिन के बाद से मिष्टी अपने सस्राल वालों को टाइम से खाना बना कर खिलाने लगी और सस्राल की सभी जिम्मेदारियों को अच्छी तरीके से निभाने लगी
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