"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
🔹 वीडियो की खास बातें: ✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी ✅ हर उम्र के लिए अनुकूल ✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता
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00:00गाउं वाली बहु का पुश्टैनी वर्सेज शहरी बहु का एक्सपेंसिव फैंसी लहंगा
00:05आह इतना घटिया ब्राइडल मेकप कर रखा है मेरी देवरानी ने गाउं की गवार लग रही है
00:10बैडी बहु तेरे मुगा श्रिंगार तो बहुत सुन्दर लग रहा है
00:14लगेगा क्यों नहीं माजी पूरे पचास हजार का मेकप करवाए है मैंने शहर के सबसे बड़े महंगे आर्टिस्ट से
00:20हाँ सच्मी बड़ी दीदी का मेकप कितना अच्छा लग रहा है वो कितनी सुन्दर लग रही है
00:26मैंने तो श्रिंगार के नाम पर सिर्फ काजल और बिंदी लगा रखा है चोटी बहुत भी बहाद खुबसूरत लग रही है
00:32सच मी मा जी मैं भी खुबसूरत लग रही हूँ
00:35हाँ मेरी दोनों बहु बहुत खुबसूरत लग रही है
00:38चलो आओ अब गर के अंदर ग्रह प्रवेश करो
00:41अगले दिन सुबह मीनाक्षी अपनी पहली रसोई का खाना बना रही होती है
00:44अब जहां मीनाक्षी खाना बना रही थी
01:07वहीं दृष्टी मीनाक्षी के हाथ को टच करके वहां से चली जाती है
01:11कुछ देर बाद मीनाक्षी सभी परिवार वालों के लिए खाना परोस्ती है
01:15क्या बात है पकवान तो कई तरह का बनाया है
01:18और खाने में खुश्बू भी बहुत अच्छी आ रही है
01:21सभी लोग खाना शुरू करते हैं
01:24वाः खाना तो बहुत अच्छा बनाया है
01:26वैसे इतने सारे खाने में दृष्टी तुमने कौन सी डिश बनाया है
01:30सुदेश इसमें से मैंने कुछ भी नहीं बनाया है
01:32और ये सारा पकवान मेनाक्षी ने बनाया है
01:34क्या बात है मेरी चोटी बहु ने इतना सारा पकवान अकेले ही बनाया है
01:38खाना तो अच्छा बनाया है पर दृष्टी भावी को भी कुछ बनाना चाहिए था आगर आपके भी तो पहली रसोई थी ना
01:44तो क्या हो गया अनंद जी आप मेरे हाथ से खाना कभी और खा लीजेगा
01:48तबी खाना खाने के बाद सब लोग अपने अमने काम में लग जाते हैं वहीं गंगोत्री अपनी दोनों बहू से कहती है
01:53बहू शाम में तुम्हारी अंगूठी ढूनने की रस्म है इसलिए दोनों ही सुन्दर से तयार हो जाना
01:59माजी आप टेंशन मत लो मैं सुन्दर ही तयार होंगी बाकि इस गाउं की गवार का मुझे नहीं पता
02:05मैं क्या पहनूंगी मेरे पास तो सुन्दर साड़ी नहीं है
02:08क्या हुआ बहू दास क्यों हो गई बोलो मैं कुछ पूछ रही हूं तुम से
02:12वो माजी मेरे गरीब परिवार वालों ने मुझे शादी पर दो से तीन साड़ी नहीं दी थी
02:17इसलिए मेरे पास कोई सुन्दर साड़ी नहीं है
02:20अरे तो क्या हो गया मेरी अलमारी में कई साड़ी रखी है तो उन में से कोई एक पहन लेना
02:25अब शाम रिंग वामिंग की रस्म होती है
02:30भया भया गेम पर फोकस कीज़े भावी जीतनी नहीं चाहिए
02:34हाँ हाँ छोटी तु चिंता क्यों करती है इस गेम में तो तेरा भाई ही जीतेगा
02:39तभी मीनाक्षी के हाथों में अंगूठी आती है
02:42दूसरी तरफ सुदेश भी अंगूठी को अपने हाथों में लेका
02:48हाँ भया सही कहा एक तरफ भया एक तरफ भावी जीती है इस गेम में भाई मज़ा आ गया
02:57अमर और सुदेश दोनों ही अपनी अपनी पत्नी को मीठी कीर खिलाते हैं
03:05और मेठी कीर के साथ वो रस्म खत्म हो जाती है
03:08कुछ दिर बाद मीनाक्feltी रात का खाना रसोय में बना रही होती है
03:11भाई, दृष्टी सोफे पर बैटकर फोन चला रही थी
03:14वहीं रसोई में मिनाक्षी खाना बनाते हुए
03:34कुछ दिर बाद मिनाक्षी खाना डाइनिंग टेबल पर परोस्ती है
03:41क्या बाद है मिनाक्षी बहु तुम तो हाद दिन मेरी पसंद काही खाना बनाती हो
03:45चहीका पापा आपने भाबी युवर दी बेस्ट भाबी इन दी वाल्ड आप अमारा बहुत अच्छे से ख्याल रखती हो
03:51इस गाओं की गवार लड़की की तारीफ कुछ ज़्यादा ही नहीं कर रहे है मेरे ससुराल वाले
03:55खाना ही तो बना कर खिला रही है वो तो एक नौकर भी बना कर खिला देता है
03:59इन्हें अपनी शेहरी बहु का जरा भी खयाल नहीं है
04:02आज तक मेरी तो कभी तारीफ नहीं की
04:04इसी तरह रात में गंगोत्री अपनी दोनों बहु को अपने कमरे में बुलाती है
04:08गंगोत्री के हाथ में एक पुष्टैनी लहंगा होता है
04:11मा जी आपने इस तरह से हम दोनों को अपनी कमरे में क्यों बुलाया और आपके हाथ में ये कैसा कपड़ा है
04:16बहु ये हमारे परिवार का पुष्टैनी लहंगा है और इस घर की हर बड़ी बहु ने अपनी मूँ दिखाई की रस्म को इसी पुष्टैनी लहंगे को पहन कर किया है
04:24हमारे घर का रिवाज है इस पुष्टैनी लहंगे को पहनना
04:27इसलिए मैं चाहती हूँ कि जब कल तुम्हारी मूँ दिखाई की रस्म हो
04:31तो मेरी बड़ी बहु दृष्टी इस पुष्टैनी लहंगे को पहन कर अपनी मूँ दिखाई की रस्म में बैठे
04:36ये लो बहू जरा इस पुष्टैनी लहंगे को खोल कर देखो और बताओ कैसा है
04:40द्रिश्टी अपने हादों में लहंगे को लेकर अलग पलट के देखती है
04:45लहंगा काफी पुराना होता है और कुछ मोतियों भी जमीन पर तूट कर गिरने लगती है
04:50इतना कहने के बाद द्रिश्टी पैर पटकती हुई वहाँ से चली जाती है
05:15और गंगोत्री का मन उदास हो जाता है
05:18मा जी आप उदास मत हो ये पुष्टैनी लहंगा पहनने का रिवास मैं पूरा करूँगी इस घर का
05:23और मैं पहनूँगी आपके इस पुष्टैनी लहंगे को मोदिखाई की रस्म में
05:26रही इनकी सिलाई तूटने और मोती जणने की बाद तो मैं उन्हें सुई धागे से खुद ठीक कर लूँगी
05:31शुक्रिया मेरी प्यारी बहु तुमने इस घर के पुष्टैनी लहंगे को पहनने के रिवास को बरकरा रखा
05:36अब रात में मीनाक्षी अपने कमरे में पुष्टैनी लहंगे के टूटी फूटी मोती सिलाई को सिलती है
05:41मीनाक्षी आराम कर लो बहुत रात हो गई है
05:43जी बस हो गया आ रही हूँ
05:46अगले दिन मू दिखाई के रस्म पर मीनाक्षी अपनी सास के दे हुए पुष्टैनी लहंगे को पहनती है
05:51वहीं शहरी बहु एक बहुत expensive और fancy लहंगा पहनती है जिसके blouse का neck बहुत जादा deep होता है
05:57blouse के strap भी बहुत पतले होते है
06:00लहंगे का गाउन दोनों तरफ से कटा होता है जिससे उसकी टांगे भी पूरी तरीके से दिख रही होती है
06:05कुछ देर में पड़ोस के सबी लोग घर में एकत्रित हो जाते है
06:08अरे बाप रे गंगोतरी की बहुत देख कैसे कपड़े पहने है मोदिखाई की रस्म में
06:13मोदिखाई से पहले तो यहां बहु की तन दिखाई की रस्म हो रही है
06:16हाँ सिट में कितनी बेकार लगरी चार तरफ से शरीर दिख रहा है इसका
06:20वहीं दूसरी बहु को देख उसने कितना सुन्दर लहंगा पहना है
06:23ऐसा ही सेम लहंगा मैंने भी अपनी शादी में पहना था
06:25मुझे इस बहु के लहंगे की पसंद बहुत अच्छी लगी
06:28अरे आपस में ही खुसर फुसर करती रहोगी बताओगी नहीं कि बहु कैसी लगी
06:32बहु तो तेरी ठीक है गंगोतरी पर तेरी चोटी बहु जादा सुन्दर लग रही है और इसका लहंगा भी हमें बहुत पसंद आया
06:38अरे पसंद के नहीं आएगा आखिर पुश्टैनी लहंगा जो पेना मेरी बहु ने
06:43हाँ तेरी बहु के उपर ये पुश्टैनी लहंगा बहुत जच्रा और बहुत-बहुत सुन्दर लग रही है
06:47हमारे गाउं की दुलन ऐसी होती है जैसी तेरी ये बहु लग रही है
07:08हम लोग चलते हैं मुदिखाई की रस्म तो हो गई है तेरी दोनों ही बहु अच्छी है पर सबसे ज़्यादा अच्छी वो है जिसने ये पुष्टैनी लहंगा पहना था तेरा
07:15अब सभी लोग मिनाक्शी और मिनाक्शी के पहने उस पुष्टैनी लहंगे की तारीफ करके वहां से चले जाते हैं
07:22अब इसी तरह आई दिन मिनाक्शी की घर में सभी लोग तारीफ करते थे क्योंकि उसने पूरे घर को बहुत अच्छी तरीके से संभाल रखा था
07:29भाबी मिनाक्षी भाबी मेरा लंच का है मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रहा है
07:32हाँ हाँ ये लो न काजल ये रहा तुम्हारा लंच बॉक्स
07:36मिनाक्षी जी मेरे कपड़े प्रेस कर दी है आपने
07:39जी जेट जी मैं अभी कर देती हूँ
07:41मेरे गाउं की बहु कितनी समझदार है, एक टांग पर पूरा घर संभाल रखा है, ऐसी बहु भगवान सब को दे
07:47गरवाले को जादा ही नहीं इस गाउं की गवार मिनाक्षी की तारीफ करते हैं, जिसके मुँपर देखो मिनाक्षी मिनाक्षी मिनाक्षी, अब मुझे ही कुछ करना होगा ताकि ये लोग मुझे भी पसंद करें जैसे इसे करते हैं
07:59ये सब देखकर द्रिश्टी भी घर के काम करना शुरू करती है और सब के लिए खाना बनाती है पर खाना खाते ही सब खाने को मूँ से थूखते हुए कहते है
08:06ची कितना गंदा खाना बनाया है
08:09राम राम राम मूँ खराब कर दिया सारा खाना खिला कर तो
08:14मैं कितना भी कुछ कर रही हूँ फिर भी मेरे ससुराल वालों को कुछ पसंद नहीं आ रहा है
08:22मुझे लगता है कि मुझे अब वो अपना शहरी attitude छोड़ देना चाहिए
08:25और उस गाओं की लड़की मिनाक्षी से सीखना चाहिए कि वो कैसे इस घर को संभाल रही है
08:29तब ही उसकी तरह सब मुझे भी पसंद करेंगे
08:32मिनाक्षी तुम इतनी अच्छी responsible लड़की कैसे हो मुझे भी बताओ ना
08:39मुझे भी सीखना है ताकि तुम्हारी तरह सब मेरी भी तारीफ करें
08:42इस दिन के बाद से द्रिष्टी जादा से जादा समय मीनाक्षी के साथ बिताने लगती है
09:02जिसके बाद हमारे गाओं की बहु मीनाक्षी शहरी बहु द्रिष्टी को घर के सभी काम को बहुत अच्छी तरीके से सिखा देती है
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