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नई दिल्ली में 'नेहरू केंद्र भारत' के उद्घाटन कार्यक्रम में कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित और गांधीवादी चिंतक अनिल नौरिया ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ चलाए वाले तथाकथित प्रोजेक्ट और उसके पीछे की ताकतों पर बात की। साथ ही अनिल नौरिया ने बाबरी मस्जिद को लेकर नेहरू के संदर्भ में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा फैलाए झूठ का पर्दाफाश किया और उपस्थित जनसमूह को सही जानकारी दी।
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00:00आज नेहरु जी को हमारे बीच से गए हुए सच्छॉंसट से अगर आप मानें तो एक साथ एक साथ साल हो गई है जिस साल उनका उनका धिहान हुआ उसी साल मैं भी पैदा हुआ तो मैं अपनी उमर से हमेशा समझ लेता हूँ कितने वर्ष हुए नेहरु जी क्यों गए हुए
00:30याद होती है उनकी क्या लेगसी सर्वासि बारे में उसकारात्मक भी कुछ उतनी सकारात्मक नहीं कुछ।
00:56भावना है लेकिन होगी लेकिन नहरुजी का एक बड़ा अधुद सा है आज की सरकार तो मुझे समझ में नहीं आता है कि आगर 365 देन एक साग में रखे तो कम से कम 200-200 बार वो या उनके मंत्री या उनके तमाम लोग नहरुजी का किसी दे किसी तरह याद करते मैं ऐसे शब्�
01:26फिर मैं चाहता था कि यह भाशा के इस्तमार करूं लेकिन कभी ऐसा लगता कि हो जाता ना कभी-कभी एक किसी के अंदर में एक एक साइकिक दिकत कि उस नाम की बिना ना सवेरे होती है ना शाम होती है उस तरीके का एक नहरुजी का भजन करने लगती है और जी मैं आप से �
01:56और इसे ऐसे पहली हों से उसके बारे में समझ ही हम लोगों को देते हैं तो बहुत कम लोग को दे पाते हैं अन्जी मैं चाहता है यह ऐसा क्या रहा है कि 61 साल बाद भी यह व्यक्ति अगर किसी के आद सबसे ज़्याना चर्चा होती है तो बड़े नहरु की होती है
02:12सबसे पहले तो मैं आपको शुक्रिया अदर करना चाहता हूं और आपको बारत बात देना चाहता हूं कि इतना बड़ा इनिशिटिव आपने नेरु सेंटर बदाने का कदम लिया यह बहुत पहले पहले इस किसम के इनिशिटिव की ज़रूद थी
02:38आपका जो सवाल है उसको दो तरीके से में जवाब देने की पुशिश करते हैं एक तो यह है कि जब कोई सरकार में होता है प्रधान मंत्री जब जब जबाला जी थे तब जो जो कदम वो लेते थे या कॉंग्रेस पार्टी लेती थी उनके नेत्रतों में
03:06उसका जो रभाव कुछ सेक्शन को पड़ता था वो कुछ रिस्पॉंस तो करते थे
03:18जब फिर्स्ट अमेंडमेंट हुआ सम्थान का तो वो स्पीच जवानाजी की अगर आख पढ़ें तो उसमें वो यह कहते हैं कि
03:30There are some settled relationships in the country, which are protected by the fundamental rights, but the directive principles, part of the constitution, seeks to create new relationships in society.
03:59And unsettle some of the old parts. And we have set up a transform. The transformation of society is our objective. Samaj mein tabdili lana.
04:14ये हमारा एक बहुत बड़ा objective है. समाज में और अर्थ के वस्त है. और इसके लिए जो भी कदम हम उठाएंगे, उसके लिए हमें कुछ सम्विधान में भी कभी-कभी तब्दिली करनी पड़ सकते हैं. ये तो फिर्स्ट अमेंडमेंट के टिवेट में उन्होंने कहा था. और
04:44हिंदू law reform हुआ, इन सब चीजों का जो जिन लोगों को लगता था कि उनके interests affect हो रहे, वो एक opposition जवालाब जी की तरफ और Congress की तरफ भी
04:58build-up होते गया, तो वो तथा ही. फिर 1962 की जब war हुई तो international forces भी कुछ इस में शरीक होने लगे. उसके कुछी वर्षों बाद एक किताब निकली,
05:23Maxwell की जिसने सारा blame war का इंडिया पे ही और जवालाब जी पे खास्त और से डालने की कोशिश की. तो इन चीजों का जवाब देना ज़रूरी था और ये build-up हो रहा था. और इन चीजों का इस्तमाल फिर और forces ने हिंदुस्तान में भी किया. तो एक level पे तो यह है. दूसरा यह
05:53कुछ ऐसे forces जिनको पूरा हिंदुस्तान की जो जो विजन था जवालाब जी का और गांडी जी का गौपाल कृष्णा गोखले का और दाधभाई नारूजी का उससे परिशान होती. तो जो कुमार कीटकर जो हमारे जनलिस्ते महराश्ते के
06:23उन्होंने कहीं दिखा है कि जवालाजी पे जो अटेक्स शुरू हुए वो तब शुरू खास्तोर से हुए जब गांधी जी ने उन्होंने अतना successor किया कि जवालाजी माइन
06:36तो तब से वो अटेक्स जवालाजी पे बढ़ने चुरू है और जब यह प्रेजिन डूलिंग डिस्पेंसेशन आ गया गांधी जी का तो असेसिनेशन हो चुका था अब इनको लगा कि वो जो लाइन थी दादा भाई नारोजी से जो चलती है उसको अगर तोड़ना है
07:06लोगों पता उससे हमें इन लोगों को परिशानी है और उनकी लड़ाई उस पूरे नजरे से तो आप जवालाजी को जब अटेक किया जाता है तो पूरे फीडम स्ट्रगल की लीगसी को अटेक किया जाता है यह आपको मालूम होगा बंगाल के बहुत बड़े फिगर थे �
07:36उन्होंने लिखा है के गांधी जी के गुरू गोखले थे और गोखले है दादा भाय नाहरऑ जी थे और हम तो जानते हैं कि झावालाजी के गूरू गांधी जी ते?.
07:58इस्वा मैं हो मैं दादअवाय नरोंजी से वह नजरिया भॉता है
08:03कि उन्हों नीटीरी पॉवाइन करना को सब्सक्राइब का ने ज AMY
08:11उन्हुन ticking चुब कि
08:15हुए हुसमें उन्होंने दिखाया की है अंड्रेजों का शासन अर्ध �शा पहले जो शासन है
08:22उन्हें क्या फरक है क्योंकि उन्होंने यह दिखाया कि उससे पहने जो शासन होते थे वह वो पुछ लोग आते थे लूप करके चले जाते थे एकॉनमी रीजनरे थे फिर एक शासन आया जो कि यहां के शासन करने लगा और यहां से ड्रेन
08:40तो यह उन्होंने कहा यह बिटिश रूल की खासियत यह है कि वो ड्रेन करता है इससे पहले जो शासनाय वह यहां के बस गई हैंके हो गए लेकिन बिटिश रूल यहां के रिसोर्स इस तो इससे हमारी नेशन पॉमेशन की अंडरस्टैंडिंग
09:07है हमारा कि यह थैंड। अलों कि हमारे नेशन क्या और और रूशन और वही अन्डेस्टैंड यह यह जो भाध करने की कोशिश करने तो यह से नान पर जाहां कि कि आम अंडूशिटी अवारे नेशन परूमेशन पर
09:37पूरा प्रिटंग स्ट्रगल की लिगसी इंडियन नेशन क्या था उसकी लिगसी उच्छे मोल लड़ और ये अटैक केवल गांधी, नहेरू दादा भाई पे नहीं है अभी आपने देखा होगा बंगाल में ये एक धार्णा शुरू हुई कि तगोर
10:07एक इंपोजिशन है बंगाल की साइकी पर जो की डेफ कल्चिनल सिंथेस्स ने क्रियेट किया है उनको प्रोगेट किया है और लोगों की बनिस्पश जैसे बंके तो अब अटैक ऑल राउंड है और तुझे पिड़न सब्सक्राइब की लिगसी और पिड़न सब्सक्राइब क
10:37कि अगर हम आजादी के लोलन की लेगसी के बारे में बात करते ही तो देश क्या चला देश में अच्छा हुआ पुरा हुआ वो अलग बात है उस पर केवल चर्चा नहीं होती जैसे मैंने का नहरू जी पर या इस पूरी लेगसी पर जो हमला होता है वो कोई क्रिटी क्रिट
11:07को तोड़ना वरोणा इसके पहले के सेशन में बात की जारे थी कि दो-तीन दिन पहले रक्षा मंतरी जी को पता चला बाबरी बच्चत के बारे में कुछ नया ज्यार कुछ सेवे पहले कुछ और चीज पर नया ज्यार पता चल जाता है कभी कश्मीर में कुछ मालू पढ़ �
11:37चार-पांच चीजे मुख्य आए जो एक तरीके से धरोहर की रूप में हमको मिलती हैं राश्ट निर्माण में जो एक गाइड की एक दिशा दिखानी की एक तो लोगतंग डिमोक्रसी के वल नहीं जो आज की सरकार ये मीडिया समझता है कि एलेक्शन हो गए तो डिमोक्रसी �
12:07तो इस तरीके की जो एक तरीके की लोगतांत्रिक सोच में विश्वा सकना एक जो शब्द इसका आज कर खास विशेश इस्तमाल किया जाता है सेक्लोरिजम या धर्म निर्पेक्श या सर्वधर्म संभाव जिस तरह आप उसको कहना चाहें जहां हम मालते हैं कि जो भी भार
12:37जाती है न आशा से जोडी जाती है एलाके से जोडी जाती है वल्क्य हमारी गुवॉलिक चुसे जोडी जाती है वो है एक और बाती कि जिसको काई जाता पर सोश्णिजम नहीं लेकिन हां उस व्यत्ति के फ्रति थी एक लीजादा Heart त्टेना जो सबसे गरीब है
12:57धंब WiFi सवर्वारा है इसको इ Gerald अखरी का खड़ा विक्ति है अरना
13:01सप्राइब करती में आलेकंता है कहीं आरहित गर्लूप से गरीब होगा कहीं सामाज गर्फ
13:07रूप से सोशित होगा कहीं व्योंसल्था में सोशित होगा है इसके लिए काम करना वो काम उनले
13:15तरीके से कजये इसकी शुरुवात आपने बताई ब्लैंड टू फोक्स गरें एक शुरुनिती प्रभुस्रत्ता हुए और हमारी प्रभुसरत्ता ऐसी हो तो किये 200 साल की गुलामी के बाद हमने देखाता हो नहीं दो अंतराश्टी परिस्थितिया भनरहे थे कि वो हमारी प्
13:45तो ये तीन-चार-पांच जो मूल चीजें हैं, इसमें कुछ चीजें छोड़ की होगी, वह आप और जोड़ सकते हैं, ऐसी कौन सी है जिसमें सबसे ज़्यादा इनको भैल लगता है, जब आप कहते हैं उस लेगसी को यह तोड़ना या बरबाद करना या कमजोर करना चाहते
14:15तो इसमें जब मैंने सोचना शुरूर किया तो मुझे लगा कि यह तो आप्यास है कि लाहर सेशन
14:3629 दिसम्बर 1929 जब सौराज की बात हुई
14:43एक कराची सेशन 1931 जो कराची रेजिदूशन गांदी जी तिंडूलकर्ट में लिखा है कि कैसे वो गांदी जी और जवाला जी ने में क्यों इसको ट्राइब
14:55कराची सेशन एक नेशनल कंसेंस बना जो बाते हैं आपने कहीं आर्थिक सुधार सेक्यृरिजम शब्द आपने इस्तरों किया उसमें वहीं चीज है उसको कहा गया रिलिजिस न्यूट्रैलिटी व दिस्टेट
15:09तो यह अंडिस्टैंडिंग में मौला नाजाथ सदार पटेल जवार लाजजी आचारे नेरे लिफ सब शामित नौर्ट सब इलिजिन के लोग इस कलाची रिजिशन के अंडिस्टैंग और उससे भी पहले आप जाए तो उनीस सो उनीस में जब जल रावलाइड लेजिस्�
15:39तब उसके बाद फिर नरसिंगार होता है चलियावाला बाग होता है गुज्रावाला में ऐर बंबिंग हो थी तो उसके बाद जो कमिटी बनी उसको इंक्वायर करने के लिए मौतिलाज जी की सियादास महत्मागादी अबास तहिर जी इस सब लोग उस कमिटी में थे इनों
16:09जाते हैं और जलियावाला बाग जाते हैं और दिवारों पे बुलेट्स गिनते हैं और लिखते हैं कि एक दिवार पे 67 बुलेट्स बगल के घरों में गिनते हैं
16:32कि उनकी दिवारों पे एक किस्सा सुनाते हैं कि एक आत्मी पे पड़ा हुआ उसको वूंडिट था उसको पानी दिया गया एक
16:49एक मुसल्मान ने उसको अपने टोपी में पानी माउग रहता है, उसको अपनी टोपी में पानी रखे उसको पानी दिया, इतनी हिम ताकत उसको आ गई कि वो बोल सके कि मेरी परवा मत करो, मेरे नाल जो है उसकी जान बचा और हिंदू उ मुसलिम जिन्दाबाद की नरा लग
17:19तो जो ये ट्रिस्ट की बात जो जावाल जी करते हैं, I think it goes back to 1919. और all other things that he does, Lahore, Karachi, ट्रिस्ट with destiny speech, objective to revolution 1946, First Amendment की speech, ये सब और इकनोमिक सवरेंटी.
17:46अब इन लोगों को खत्रा यही तो है, क्योंकि इनकी alliance, ये जो communalism, sectarianism की alliance है, corporate और international capital से है, और हमारी resources कैसे available की जाए, international capital को, तो पूरा जवाला जी की जो लीगरसी है, that is an obstacle.
18:15in that project and in both, the sectarianization of society and the plundering of our resources.
18:29तो आप देखी रहे हैं कि क्या हो रहा है, कैसे हमारी public sector, जो build-up हुआ था, वो कैसे बेच बाच के dismantled हुआ है.
18:40to yeah, this is I think, and yeah, yeah alliance create karni ki hai, they find it most कर्गभि
18:51and to better to majority voting because it is, in the name of a majority you can immediately mobilise, hatred is easier to
18:58to mobilize sometimes so exact repetition virtually of
19:04the experience of Europe we are going through something similar and of course
19:14we resist your initiative is very
19:20तरीके से बहुत सरन तरीके से आपने इन बातों का उलेक किया वहां की बहुत समय नहीं है
19:33इसे हवाला देते हैं एक डाइरी है बने बेहन की
19:51सितंबर उन्यस्व पचास है इसका वो कह रहे हैं जवावाजी कह रहे थे कि बाबरी मस्जित का इनोवेशन हो अब ये कॉंटेक्स समझने की जरूरत है कि बाबरी मस्जित में एक आइडल रख दिया गया था डिसेंबर
20:181949 लोकल आइड्मिनिस्टेशन की कनाईवन से उसका रखता है को एसी बात की जो डामिज हो रखने में जो मस्जित में डामिज हुआ हो उसका कॉंटेक्स हो सकता है तो ये सोचके मैं ये घुंड़ने की कोशिश की है डाइरी और मैं उस देख पे गया जहां यह है ऐसा कु�
20:48प्रॉच विपर ये जिए प्रॉच इच्वारी नहीं है ये फिर्सी बाविजनल एडिशन है अधा इसा तो कुछ है निए? लिए बावरी में इरुप्रेट पंटजी से रखता इस अब्रेशन का तूब्स्टेशन का थिवारी संवेशन का इस एद्वरी से डशन की से अ�
21:18कि तेस देन के था जो बड़ु और देवा, घुझ सीताग्स, निसकार्पूर गोड़ी टेजर नहीं कर दो कि दो तौनिंगर का रहने टुम पयम कर दो सुछ घूर्फ लिई।
21:29तुझना पुछना है कि सभान जी रख रहे है कि रनोवेशन और इसकार कोई पैसा उसके लिए जाए जाए.
21:51तो यह जो आपसलुट दिस्टॉर्शन विस्टॉर्टे इस बीन सब्सक्राइब और फीज इंग्लिश वर्जिन गुजराथी वर्जन वर्जिन अंजिक वर्जिक भी जब्टारिक आपके आपकेंटी इस व्पारिट है
22:17जो हम बात करें कि उससे तो जुड़ा दी है लेकिन क्योंकि हम बहुत लोग बैठें जो इसमें रखें हैं अगर इसमें हम सर्दार पटेल की चित्थी पढ़ते हैं जो वह विल्वल अपन जी को रुबुखी मंत्री उत्रपदेश उनको लिखते हैं तो खासकर जो आज की ल
22:47इसके बहुत दूरगावी परिणाम हो सकते हैं इसको बहुत सम्मेधन शीलता से हमें देखना चाहिए और इसको हम लोग बात जीत करके शालतीपूर तरीके से ही इसका हम भल निकाल सकते और कोई तरीका नहीं है और इसमें अगर कहीं भी हिंसा लिखती है तो देश का आहि
23:17के रक्षना और अन्य था कोई कोई चीज ना हो जाए यह आपकी और हमारी दोनों की जिम्मेवाली वो दूसरी बात है किसी पत्र के विप्री जो 6 दिसंबर 1992 को होता है जिसके करता धरता आज हमारे मालीजेव पठान मुंतरी या सरकार हैं बनते हैं और उसी सरदार पटेल को
23:47लेकिन वो लंबा है पर क्योंकि आपने ये बात कर दी और क्योंकि मैं थोड़ा बहुत अपने स्वार्थ का भी एक सवाल पूछना जाता था हम जैसे लोग या बहुत से हमारे लोग जो यहां आए हैं कई जिग्यासा से आए होंगे कई इस समर में खुद योता हैं कई ऐस
24:17उज्यासाब यक्ति जिसको एक मूल बिश्वास है कि जो आजादी के आंदोलन के मूल्य थे उन पर जब तक देश चलेगा एक बहतर रविश्य बनेगा हमारे लोगों का हमारे देश का दोगिया में हमारी सिती का जिन विचारों से जिन मूल्यों के साथ पंडित नहरों न
24:47सब्सक्राइब न कि इस इस लोग को सब्सक्राइब कर अधिम यकि करता है एक आख दूचिस बताए अंधिया कि क्योंकि
25:09कि लड़ाई मुझे लगता है कि जादा ही जटिल हो गई और कभी कभी कभी कम से कम मैं अपने आपको असमर्थ पाता हुए कि हम प्रयास तो कर लेंगे यह ठीक है बहुत अच्छा है सुनना कि एक दिया जलाए जाओ लेकिन आंधी कुछ जादा ही तेरी है और अभी तो हाथ
25:39है बल्द समझ में आता है कभी कभी एक समय था जब मैं टिवेक्ट पर जाया करता था तो कौन सी किताब उठा के लिया आते थे कहां से लिया थे कि हमें लगने लगता था कि आद हम ही आनपढ़ हैं तो बाद में पता चला कैं आदेभी मेरे उपर ऐसी आसी चीज आती थी म
26:09सबसे पहले सवाल आपने करा है जिसका हम सब को जबाब ढूंडना है
26:31तो मैं तो खाली कुछ सुझाव दे सकता हूं कि एक तो यह कि जगे जगे जगे में सम जबह सब Rjun हो जतीं है कि जगे हम महालना कमिटी बनाएं
26:43महालना कमिटी बने हर महाले में हर जिल्एमें । दस महिला ने दस आदमी मिनके या पाँच
26:54मिनके एक हर जिले में एक महला कमिटी बना लें एक जिला कमेटी बना लें इसका पर्टी से कोई संबनें इसका सिंपल कॉमिणर हामनी और
27:05कांटरिंग हेट और ऐसी कमिंटी पे उनको मालूम होगा जिस्टेट लेवल
27:13पर बी कैसे गठन कर सकते हैं और लोगों से मिलके और ये महुला कमिटीज का सुझाओ गाली जी ने भी दिया, शानवाज खान ने भी दिया, मौना अजाद ने भी दिया, जवालाल जी ने भी दिया, उन सब की राइटिंग्स में ये बात आपको मिलती है, ये कता ज़रूरी
27:43करें जैसे सुभाज गोज कि इस्तवाल किया जाता है, लेकिन सुभाज बोस की खुद की राइटिंग्स दूना, स्वाज बोस ने जवालाद पर रिकिया लिए, जैसे आप में बात लगाया हूए, जेपी, ये भी लगाया हूए, कि उन काट्रिब्यूट, जो जवालाद �
28:13मैं अपने मलाइनिंग केमपेंज में इस्तिमाल करते हैं उनी लोगों का एक तरीख से और इससे लोगों का एडुकेशन भी होगा और फॉब्रिकेशन से लोकॉस्ट फॉब्रिकेशन हो अखवार निकालना आजारी के अंधोलन में हर मेजर शख्स्यत का एक अखवार जरूर
28:43ठीक है, एक तरीकी से उसका रीच लंबा भी होता है, लेकिन एक तरीकी से लिमिटिट भी होता है, तो मैं समझता हूँ कि एक पर्चा, चार पीच का भी हो, दो पीच का भी हो, वो हमें ज़रूर जगे-जगे-जगे-जगे निकालना चाहिए, जिसमें हम अपना कुछ from time to time,
29:13झाल झाल
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