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लेखिका, अर्थशास्त्री और IIT दिल्ली की प्रोफेसर रीतिका खेरा ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा मनरेगा को रद्द किए जाने के बाद नवजीवन से बात करते हुए कहा कि मनरेगा में सिर्फ गड्ढे नहीं खोदे गए। परसेप्शन से परे हमें देखना होगा कि जल संचयन और बागबानी को लेकर मनरेगा में कितने काम हुए। सड़कों का कितना निर्माण हुआ और पलायन के संकट के साथ सूखे की स्थिति में मनरेगा कितनी कारगर रही। उन्होंने कहा कि मनरेगा थी, है और रहेगी... देश के मजदूर किसानों की तरह लंबी लड़ाई लड़ पाएंगे, यह कहना मुश्किल होगा, लेकिन जब उन्हें पता चलेगा कि मनरेगा को खत्म कर दिया गया है, वह संगठित होंगे।
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00:00कि पूरा स्मार्टफोन के द्वारण अब प्रक्रीया चाल रही है, तो लोन लेकर करदा के लोगों ने फोन
00:12कभी टावर आ रहा है कभी टावर नहीं आ रहा अब पिछले दोजार पारिस में सरकार्मी यह कर दिया कि आपको कारिस्थत पर सिर्फ हाजरी देने से काम नहीं चलेगा कारिस्थल पर मेट को खड़े होके मजदूरों का फोटो अपलोड करना पड़ेगा अब जहां पर सिग
00:42पर मनरेगा पर काम किया है राइट-वेस्थ कानूनों पर काम किया है और जिस तरीके से नरेंदर मोधी की सरकार ने मनरेगा को एक तरीके से रिपील कर
01:00में प्रदर्शन की बाते हो रही है डियम के जो है तमिलाडो में प्रोटेस्ट करने जा रही है और जंतर मंतर पे कुछ लोग आज
01:08सिंबोलिकली जुड़े जुड़े थे और उसमें ज्यांद्रेज और तमाम लोग हैं सवाल यह है कि जो मानौ अधिकार कारे करता हैं वो क्यों इसको लेकर चिंतित हैं और इसके साथ ही मजदुरू की जो अधिकार है उन पर किस तरीके असर पड़ेगा इसके बारे में हम रि
01:38जुड़ों को रोजगार में तो यह क्यों चिंता जनक है सरकार द्वारा इस कानून को रद किया जाना तो देखे नरेगा जो कानून था वो एक आदिहासिक कानून है रहेगा हमेशा चाहें वो रहे नहीं अभी ना सिर्थ भारत में लेकिन दुनिया भर में आज आपने द
02:08सरकार को कहा है कि यह गलती ना करें इस कानून को हटाने की वेगिए इससे देखकर अन्य देशों में भी एक पहल जैसी है कि यहां पर भी क्यों नहों क्यों यहां भारत के संदर्व में यह इतिहासिक था और ज़रूरी भी है क्योंकि एक तूर इसके डिजाइन की बात है �
02:38और लोगों के पास रोजगार के अच्छे अफसर है जहां पर धंग से वो कमाई कर सकते हैं, तो खुद बखुद नरेगा में रूची नहीं रखेंगे, लेकिन जब कोई भी आर्थिक आपदा आती है, जैसे कोविड लॉपडाउन हुआ, या दोजार आठनो में लीवन प्र
03:08कि कम से कम भूखे ना सोना पड़े, और अपना सम्मान से वो अपनी कुछ ना कुछ कमाई कर सके, तो इस बज़े से इसका महत्व बहुत है, दूसरा जैसे आपने कहा, पिछले साल केवल एक ही वर्ष में लगबग 12-13 करोड लोगों ने इस पर काम किया, लेकिन पंजीकरि
03:38दूरूरत ही, लेकिन काम नहीं कर पाये क्योंकि बज़ेट नहीं था या जो सारी पेचीत गया है, इसके ख्रियान रियन में उसकी बज़ेट से वो छूट गये, तो वास्तव में अगर आप देखा जाए, तो ये एक ऐसा कानून है, जो कम से कम 26 करोड लोगों के लिए एक
04:08देने की ज़रूरत है, लेकिन जो इस पे काम नहीं करते हैं, जो सिर्फ अगबार देखते हैं, उन में ऐसी मंच्शा है, एक आवधारना है, कि नरेगा में सिर्फ गड़े खोदना और उनको भर देना, या ऐसी सड़कें जो हमेशा धुल जाती है, इसे ही बिलकुल फालत�
04:38निजी और सार्वजनेक, कच्ची सड़क अगर नरेगा से कटती है, तो � बाद में उसका डामरी करंड दूसरे किसी बजेट से हो जाता है, तो कम से कम वो पहल यहां से हो जाती है, अगर वैसे भी अगर आप डामरी करंड की बाद करें, उस तरह की सड़कों की बारें, तो
05:08तो वो बिदकोल निकम्मी है और जो साथ वजयानिक जैसे मैंने कहा सड़के है या तालाब है उसके अलावा निजी में हुए बने है जहारखन में हुआ बनने से जो शुखे के टाइम में जो सुखे महीने हैं उसमें लोगों के पास थोड़ा पानी का संसाधन हो जाता है तो
05:38हमारे लिए पेंशन योजना की तरह है कि जब हम बुड़े हो जाएंगे खेतों में काम नहीं कर पाएंगे तो यह जो आम के पेड़ लगे है नरिगा के द्वारत वह हमको आमदनी का साधल बनेंगे बुड़ापे में उसके अलावा मचली के तालाब है बहुत सारे अच्छे
06:08में उनके लिए भचाख का काम किया है महिलाओं का सशक्तिकरन हुआ है पचास प्रतिशत से जादा मजबूर नरिगा मजबूर महिलाएं हैं और महिलाओं के लिए रोजगार जिसमें वो नकर्ड कमाएं वो बहुत कमभूआ करते थे गाउं गरावीर चेत्रों में तो इसम
06:38कहानिया भी है हमने पार्लियमेंट में देखा कॉंग्रेस अधिस कड़गे साब ने कहा कि आप इसको जिन वजहों से रिप्लेस कर रहे हैं रिपील कर रहे हैं उनको आप बता नहीं रहे हैं और मैंने यह सवाल जांदरेश से भी किया कि आखिर सरकार ने ऐसा क्यों किया तो �
07:08बजट कम किया गया लेकिन को वीड आ गया तो थोड़ा सा जो है अमांट बढ़ाया गया लेकिन अचानक से फिर दोजर पच्चीस में आप इसको रिपील कर दे मैं यह सब दी यूज क्यों कर रहा हूं कि जैंद्रेश ने जो है यह प्रेस कॉंफरेंस में बताया था जंतर
07:38बी कॉंसल्टेशन होता है आप विचार विमर्ष करते हैं अलग-अलग वर्ग से ना सिर्फ अर्थ शास्त्री से मैं कह रहे हूं लेकिन जो मजदूर है जो उसको चला रहे हैं अर्थ शास्त्री रिसर्चर भी लेकिन हमें नहीं पता कि इस तरह की कोई विमर्ष हुआ के
08:08प्रड़ तो उसके बहुत ही मुश्किल है कि हम उसरे शामिल नहीं है कि सी भी तरह से और डुकि यह भी है
08:17कि ठीक है आपने बहले नहीं किया यह जिनसे किय उसकी अमاعरी अर्ट्रों कने के आप
08:36बोलना चाहते हैं जिनका पक्ष नहीं अभी तक आया उनको भी एक अफसर मिलें लेकिन वह भी नहीं करने की लग रहा है ऐसे कोई गुंज्राइश नहीं है और क्या क्या उनकी सोच है अब जो साविल जानिक वक्तव है उससे थोड़ा बहुत आप सब को याद होगा 2015 में जो
09:06तो पहले से हमें बता है कि वह इसके पक्ष में बहुत नहीं थे और क्यों यह हमें नहीं बता और उसके बाद भी पिछले दो साल पहले भी एक कुछ आववा चली थी कि जो सिक्स्टी-फॉटी रेशियो लाने की बात कर रहे अभी क्या है कि केंद्र सरकार प्रतिशक खर्
09:36अच्छे से लागू करें तो उन्हें लगभग पूरा खर्च केंद्र सरकार की तरफ से मिलता है अगर आपको इसको बदलना भी था जैसे कुछ लोगों ने कहा है कि जो दक्षिन के राज्य है वहां पे इसका ख्रियान्विन जादा अच्छे से हुआ है हाला कि यहां पे �
10:06में इसको कुछ संशोधन करके या कुछ सुधार लाके और यह समझ के कि जो उत्तर के राज्य है वहां पर क्यों नहीं वो खर्च कर पा रहे इस पे कभी कि उन्होंने कोई अपना ठिपणी नहीं की और जो अभी नया कानून आया उससे भी यह जो दिक्कत है वो जाने नही
10:36कि कब और कहां लागू होगा और लेकिन स्विच ऑफ की गैरेंटी है उसमें कहां गया सेक्शन छे में कि साथ दिन वर्ष के जो आई और कटाई के हैं तब वो नहीं लागू रहेगा तो यह थोड़ी अजीब तरह की गैरेंटी पता नहीं क्या कहें योजना से जादा हम न
11:06से कोई भी नए कानून में ठीक होने की गुंजाईश नहीं है एक यह दिक्कत है और दूसरा के जो पुराने कानून में लोगों के हक है काम का जो हक स्थापित हुआ था वो बिल्कुल खतम हो गया तो मेरे क्या से हम 20 साल पीछे जा रहे हैं जी बतारे हैं बिल्कुल एक स�
11:36किये हैं और मैं अपने दस्कों के लिए भी जो हिंदीवासी चेत्रों के हैं समझना चाहूंगा जैसे हम देखते थे कि मनरेगा में फिंगर प्रिंट नहीं लग रहा है इन्होंने आधार बेज़ जब किया था तो पेमेंट में परिसानिया आती थी काम करने के बावजु�
12:06उसे लागो भी कर लेंगे तो अगर आप इसे थोड़ा सा एक्स्प्लेइन करना चाहिए देखे ब्रश्टाचार की जो दिक्कत है वो सिर्फ नरेगा में नहीं है वो सब जगह है और नरेगा में हमने बहुत शुरू से इसमें काफी ध्यान गया है क्योंकि हमें पता था कि
12:36और उन सीखों को नरेगा कानून में शामिल किया गया था जैसे कि मस्टर रोल है जिस पे अटेंडेंस लिया जाता है उसको आपको कारिस्थल पे रखना होगा ताकि सब देख सके कि किसका नाम चल रहा है कि फरजी नाम ना चले दूसरा कि जब पेमेंट होगा तो पेमें�
13:06बीस दिन काम किया थो उन्होंने उसको पचास दिन कर दिया बीस दिन मुझे दे दिया और जो बाकी तीस दिन निकाला वहां से सैंक्शन हुआ वह बाकी लोग शेर कर रहे थे तब यूपे के टाइंगी में बात कर रहे हूँ तब यह आया कि हम डीबीटी करेंगे टारिक �
13:36हुआ था जिससे पता चला कि काफी हद तक जो यह जो सरकारी आंकड़े हैं और जो लोगों का वक्तव यह है वो दोनों मैच करने लगा था लगबद दस प्रतिशत से भी कम फरक था लेकिन उसकी बाद फिर आधार लाया गया वह भी यूपे टू की टाइम की बात है और उ
14:06से पारदर्शिता बढ़ेगी लेकिन इन योजनाओं में काफी हद तक इन इस तहां के प्रयोगों से पारदर्शिता कम हुई है और दूसरा उसको करने में भी बहुत दिक्कते आई है जिसकी वजह से मेरे ख्याल से बिहार उत्तरब्रदेश जैसे राचे इसको अच्छे स
14:36स्मार्ट फोन है लोगों ने करजा लेके स्मार्ट फोन हरी दे था की वो मेत की नोकरी कर सके ठीव यूप पुरा
14:42प्रक्रिया चल रही है तो लोन लेकर करजा उठाके लोगों ने फोन खरी दिया फिर भी वहां पर उन्हें दिख्कत आती है क्योंकि कभी टावर आ रहा है कभी टावर नहीं आ रहा है अब पिछले 2020 में सरकार्मी ये कर दिया कि आपको कारिस्थल पर सिर्फ हाजरी देने से क
15:12क्या करना शुरू किया वो जब कोई भी छोटा मोटा जेपाइग फाइल डाल देते हैं तो वह एक्सेप्ट कर लेता है तो अभी जुलाइ 2025 में भी ग्रामी विकास मंत्राले ने एक सर्कुलर निकाला जिसमें उन्हें कहा कि किस तरह से ये टेक्नीकी करेंट से भी पाइद
15:42हट आगर लखी है तो उसको धरी से मिल जाती है और अनलखी है तो उसको मिलती ही नहीं क्योंकि अगर उसका फोटो दो बार दिन में अप्लोड नहीं हुआ तो नहीं होगा सैंक्शन पैसा और दूसरा जो इंप्लीमेंट कर रहा है जो लागू कर रहे हैं जमीन पर उन्की �
16:12मैं एक सवाल यह करना चाह रहा था कि जो पंचायत के अस्तर पर तैय करने वाली बात है कि कि इस पंचायत में काम होगा यह सरकार अप्तै करेगी
16:21डाइलाक से ज्यादा पंचायते हैं हमारे हां और आपको लगतेगी जो प्रावधान है जो पूरी स्कीम को सेंट्रल ने अपने कंट्रोल में कर लिया है तो सिर्फ इसलिए नहीं कि आपका फंड साथ और चालिस के परसेंटेज में हो गया क्या ऐसा हो सकता है कि जो विपक्�
16:51इप्लिमेंटेशन बहुत अच्छा है बंगाल में बहुत बिमांड है उत्तर प्रदेश में भी जो सरकार को हम देख रहे हैं कि तीन अजार करोन से ज्यादा जो है मनरेगा के लिए फंड निकालना पड़ेगा अगर यह स्कीम लागू हो जाती है आपको क्या लगता है इस
17:21यहां स्विच अन नहीं पता है उसकी कोई गारंटी नहीं औहीं कि जैसे मैंने का स्विच आख की गैरंटी है कि साल में दू महीने नहीं चलेगा और यहीं पेपक्ष के लोग
17:48पर जादा पैसा मिलेगा और बहुं पर लागू होगा और जहां इस कानून में ऐसा कोई गारंटी
18:01नहीं है कि पूरे देश में ये इस तना का काम चल पाएगा और अपने ψरकार
18:10तो देखते हैं राजे सरकार इस पे किस तरह की प्रक्रिया देती हैं आपने जब शुरू किया था तो कहा था कि मनरेगर रहेगा
18:32देखते हैं एक साम्मिन वापस लेने पड़े थे लेकिन वापस लेने के लिए
18:59किसानों ने एक साल पूरा बकाइदा डेरा जमा के रखा और जो किसान बर्ग है वो ऐसे कर सकता था
19:08वो लोगों के पास थोड़ी सी स्टेंग काफैसिटी है कि वो साल भर अपना यहां पे और संगठित हो पाए और इस तरह से आ पाए
19:17नरेगा के जो मजदूर है जो चाहिए आप 13 करोड लें या 26 करोड लें वो जादा बहुत सारे उसमें से भूमी हीन होंगे फुली मजदूरी करने वाले लोग होंगे तो उनके लिए इस तरह से संगर्श करना शायद मुश्किल होगा लेकिन हमें यह लेकिन उनकी संख्या ब
19:47लेकिन अगर यह नहीं होता तो मेरे ख्याल से जो हमारा आखरी जैसे कहते है नो जो आखरी इनसान है उसकी जिन्दगी में और दिक्कते बढ़ेंगे और यह किसी के लिए भी अच्छा नहीं है
20:15ना सरकार के लिए ना विपक्ष के लिए ना उस मज़्दूर के लिए ना हमारे जैसे लोगों के लिए क्योंकि आखिट में हम सब एक ही तेश के लोग है
20:24और सबकी जिंदगी में सुधार हो उसमें हम सब का ही फाईदा है
20:28थेंक यू सो मच मैं और हमने इस पर मुझे लगता है अच्छी बात्चीत की और लोगों को थोड़ा समझ में आएगा कि यह क्या मुद्दा है और क्यों यह जरूरी है इस पर बात करना आई तिंग काने वाले दिनों में हम आप से फिर समपर करेंगे इस पर बात्चीत करने क
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