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नई दिल्ली में 'नेहरू केंद्र भारत' के उद्घाटन कार्यक्रम में बोलते हुए प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा कि नेहरू इस बात को बखूबी समझते थे कि भविष्य में 'कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग और स्प्रिचियुअल प्रेयर' साथ-साथ चलेंगे। वे जानते थे कि तकनीक के चलते समाज में जो आध्यात्मिक खालीपन पैदा होगा, उससे निपटना होगा और उसके रास्ते खोजने होंगे। प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि नेहरू की आध्यात्मिक समझ उतनी भोथरी नहीं थी, जितनी की कुछ लोग समझते हैं। उन्होंने कहा कि आज दुनिया के सामने जो चुनौतियां हैं, उसमें नेहरू के लोकतांत्रिक समाजवाद की प्रासंगिकता पहले से कहीं ज्यादा है और बर्लिन सेंटर जैसे 'थिंक टैंक' भी मानते हैं कि ट्रंपशाही जैसी चीजों का जवाब लोकतांत्रिक समाजवाद ही है।
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00:00ईजवाए बुदारिषकरूंगा, प्रुफेसर पुल्शूता मगरवाद भीसे, चिवागँ सबागों सबोदेथ करें, प्रुफेसर पुल्शूता मोरवादू
00:09आणा रही है सम्भीया जी जी सवावार मोजने साथ इस संचित वक्त पे मैं एक सवाल इसे का सामना करना चाहता हूं आप सब के साथ
00:34के नहरू का तेव लेदया से विहती रहे या सवादी निक्रासाने इस सवावा इस सिर्व इस ने इस तरी बली और इस इस तिल डेवन इस साथ में आजके का आटेख करदीया से वाद करते हूं जो कहा था उस्समयक्नि बासुन करते हूं
00:53that spiritual approach is necessary and good
00:57I have always shared it with Gandhi
01:01probably more so today when we are in need of finding the answer to spiritual emptiness facing our technical technological society
01:16आज जिस टेक्नलोजिकल से बीजेसन और जिससे उत्पन्न इस्पिछ और एम्टीनेस की बात नहीं संसार्टन कर रहे थे वाज हमारे सामने कई गुना अधिक विक्राल रूप में मौच गोगे आज टीजिसल इंटेलिएंस मनुष्य की सजनात्मक्ता को रिप्रेस करने के द
01:46सामने सचाही के रूप में सामते हैं ऐसी इस्तिफी में ये बात इसलिए की ध्याम रखने की जरूरत है कि बहुत से लोगों कोई लगत पहनी है और दुरबादी से इसको लगत पहनी का विजवत परचार किया गया है कि नहरू जो है वो बहुत ही कुरूड सेंस में मैटे�
02:16और रियालिटी, मैटेरियल रियालिटी इनके बीच में भिरोध का नहीं बलके एक तरह का गुंदाग्मक संबन है आप अतना कीजिए कि किसी नहुजवान के सरपर अगर अनिस्चिता की तल्राग रखती है उसे सपने में प्रेंका की जगे बिंक स्रिप की तस्मीर नहरा ह
02:46कि महातमा गांधी जो जो उन से पा गया कि आपको महातमा है जाएगे हमाले में तक अस्या कीजे तो वन गागार मेरा हमाले वहाँ है जरुस
03:09पीछे-पीछे मैं भी चलते जबहारदा नहरु ने भी अपने नंग से इस बाद को डिया कि इस प्रीच्वल एंप्टीनेस को धूर करने के लिए जरूरी है
03:26कि समाज में एक वुनियादी नियायक और सम्ता संभाव परने वाली विवस्ता हो नहरु इस बाद को जानते थे कि आध्यात्मिक श्वांती और सामाजी को सम्ता को एक जिस्त नहीं कर सकते
03:39कि युज गैनॉट एवर्य इस्प्रीच्वल सप्रीच्वली इस तो साइटी इन एंट इक विस्ति इन एंट इक विस्त असमांता के साथ आध्यादिक नहीं चल सकती
03:52इसलिए सभावेक है और व्यक्तिकत रूप से भी मुझे ताज्यू होता है स्रीश्वसी खरूर ने पुस्तक लेती है नहरू दाइमें सब्सक्राइब लिखा है कि नहरू यह नहीं देख पाई कि आने वाले वहिस्य में
04:09कंप्यूटर प्रोग्वेंग और स्प्रीचुलिटी प्रोग्रेयर नहीं वह ने इस ने इस इस वह नुट देख पाते ते इस प्रीचुल जो एंप्रिमियस प्यादा होगी इंद आए सिट्नलोजिकल शॉसाइटी के चलते रेंशं के चलते उस से निवटना होगा उसके रा
04:39विदा सभी है कि नहरू की स्प्रीपिलिटी की समझ उतनी दूप होत्वी थी नहीं कि इतनी सभी स्वस्थी तरूर को स्वस्थत मजब लेगा है
04:47कि इसका पिया इंडिया में नहरू ने साइंस फिलासफी कर रिलीजिया सुखी कर गहरा विचा की
04:56और यह रेखांकित किया है कि इन तीनों के बीच में जो स्वस्थ संबन थे उसके ना होने से हमारी फ़ुसारी समस्यां करता हूँ और इसी क्रम्यों ने अपनी निजी आस्ता का चिक्ट किया है और वो कहते हैं कि जो धर्म के परचलित रूप हैं उनसे मेरी विरक्ती है वो म
05:26अध्याइब के अपने अपको निकट मैसूस करता हूँ अध्याइब मोटे अर्थ में यही है कि सारा अस्तित्व एकसरे से आपका विस्तार है और आपके अंजल सारे अस्तित्व का सार्व घ्याद है और इसलिए ये संभाव नहीं है कि दुनिया जाए भाड़ में हम बै�
05:56इसलिए दोस्तों आज जिस सब्सक्राइब से दुनिया बुजट रहे हैं आप देखें कहा जाता है कि मेहम की बातें पुरानी पड़तें वास्ति नहीं है ना केवर हमारे देश में बलके दुनिया बड़ते हैं अमिरकान अगर ट्रम्प साहित अपनी प्रटिवाज है तो
06:26अगर पूंजी बार की अमान जी रवस्था का और उसके द्वारा रची जाने वाली स्प्रीच्वल एंप्रिनेस का कोई विकल्प है तो वो केवल और केवल डेमोग्रिटिक सोब्सक्राइब
06:37और नहरू का सोशलिज्म इसी अर्थ में अनौका था इसी अर्थ में वो
06:43तीसरे विकल्प की बाद करते थे और सही मानिन नहीं है एक कि दुनिया में रास्त्य दो नहीं है एक एकरिम इस तरह का एक विस्तर नहीं हो
06:53इसलिए नहरून भारती अपनप्रा के सर्वतान को सम्यक्ति कोच करते हैं
07:05और सम्यक्ति कोच सन 64 में जितनी प्रासंविक नहरू के निधन के समय उससे कई गुना आगि प्रासंविक द्वायाद परचीज में
07:18इस बात को अगर हम ध्यान में रखें तो अपना भी बता करेंगे नहरूजी का तो अनौब भला कर सकते हैं यह लगवाद है कि कुछ लोगों के लिए नहरू का बूद सबसे मजबूत वाली इस्तिती बड़ी हुई है
07:29कि अगर भारत को नहीं दुनिया और सोचल क्राइसिस से निकलना है तो नहरू के विचारों की योड़ आपको जाना होगा नहरू से सीखना होगा
07:47करेंगे और नहरू जी के विचारों के प्रती नहरू जी के काम के प्रती एक सही गहरी आलूच नात्मकृष्टी लोगों के बीच में खास करते नौजवान के पहुचाने की सफ़ल कोशिस करेंगे
08:07मेरी सुकामनाएं हैं मैंने सेंटर के मित्रों और सभी साथीयों को और आप नोगों के बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत जाने बाद
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