बिहार की राजधानी पटना का कुमार बुक सेंटर.....ये दुकान नहीं एक लंबे संघर्ष की कहानी है. जो IAS, IPS और प्रतियोगी परिक्षाओं के स्टूडेंट के सपनों को पंख दे रहा है. इसके मालिक अनिल कुमार, खेतिहर मजदूर के बेटे हैं. आंखों में IAS बनने का सपना लेकर नांलंदा से पटना आए. लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. इसके बाद 1986 साथियों के सहयोग से गुमटी में किताबों की दुकान खोली. छात्रों की भी़ड़ बढ़ने लगी.गुमटी में चलने वाली दुकान कुमार बुक सेंटर बन गई. लेकिन एक ऐसा मोड़ भी आया. जब उन्हें दिल्ली का रुख करना पड़ा. लेकिन हार नहीं मानी. अनिल कुमार संघर्षों के बीच खुद तो अधिकारी नहीं बन पाए. लेकिन जो सपना उन्होंने देखा. उस सपने को उनके बेटे, बेटी और बहू ने साकार किया.गुमटी से शुरू हुई दुकान पटना के बीचो-बीच सबसे वीआईपी बोरिंग कैनाल रोड में खुली. केबीसी के नाम से फेमस है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यहां से किताब लेते थे. इस दुकान की किताबों को पढ़कर दर्जनों छात्र IAS, IPS, PCS बन चुके हैं.कुमार बुक सेंटर ऑनलाइन ऑफलाइन प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए क्लास भी मुहैया करता है. अनिल के IAS बेटे, जो बेगुसराय में DIG हैं. बीच-बीच में आकर छात्रों का मार्गदर्शन करते हैं. इंटरनेट और ऑनलाइन के जमाने में भी किताबों की ये दुकान प्रतियोगी छात्रों की पंसद बनी हुई है.
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