तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में NGO की मदद से थमिराबारानी नदी को प्रदूषण से बचाने की कोशिश की जा रही है. थमिराबारानी नदी पोथिकाई हिल्स से निकलती है और जंगलों से होती हुई. पुन्नईकयाल में समुद्र से मिलती है. थमिराबारानी नदी को पोरुनई मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. इसी नदी के किनारे करीब 3000 साल पहले पोरुनई सभ्यता का विकास हुआ था. यह नदी करीब 86 हजार एकड़ जमीन की सिंचाई करती है और तीन जिलों को पीने का पानी देती है. वो नदी हाल के सालों में गंदी होती जा रही है. पापनाशम मंदिर में आए श्रद्धालु यहां स्नान कर पूजा पाठ करते हैं. वो पूजा-पाठ की साम्रगी और पुराने कपड़े नदी में फेंक देते हैं.. जिससे नदी में कई टन कपड़े जमा हो जाते हैं. स्थानीय लोगों ने एक एनजीओ बनाकर नदी को साफ करने का बीड़ा उठाया. सरकार के सहयोग से यहां से जमा कपड़ों को इकट्ठा कर उसे रिसाइकिल किया जाता है हर महीने करीब 10 टन कपड़े नदी से निकाले जाते हैं. उन्हें यहां से बंडल बनाकर अरुणाचलपुरम ले जाया जाता है.. इन कपड़ों से हर महीने पांच हजार मैट तैयार किए जाते हैं.. जिन्हें आसपास के सुपर मार्केट में बेचा जाता है.
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