उत्तराखंड के रहने वाले कमल सिंह बिष्ट, इन्होंने कभी जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में फिश एंगलिंग से अपनी पहचान बनाई. साल 2000 से 2016 तक रामगंगा और कोसी नदी में देश-विदेश के सैलानियों को फिश एंगलिन का रोमांचक अनुभव कराया. लेकिन बिष्ट एंगलिन बंद होने के बाद बेरोजगारी की मार छेल रहे हैं.वन्य जीव प्रेमी संजय छिमवाल एंगलिंग को बंद करने के लेकर कहते हैं कि इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निगेटिव संदेश जाता है और इससे पर्यटन पर असर पड़ता है.ये सरकार को ठोस नीति बनाने की सलाह देते हैं.यहां के पर्यटक कारोबारियों की सरकार से मांग हैं कि कोसी नदी में एंगलिंग की दोबारा परिमिशन दी जाए. जिससे कमल बिष्ट जैसे लोगों को रोजगार मिलेगा.जिन्होंने एंगलिन को पहचान दी.रामनगर के डीएफओ से ईटीवी भारत की टीम ने इसको लेकर बात की. तो उन्होंने कहा कि एंगलिन की परमिशन देने से पहले इसका विस्तृत अध्ययन करना जरुरी है. क्योंकि कोसी नदी जिम कार्बेट से सटा हुआ क्षेत्र है.
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