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  • 58 minutes ago

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00:00एक के साथ अगर एक्स्ट्रीम पे चले जाओगे तो दूसरी बाहर हो जाएगी, काम से बहुत प्यार हो गया तो घर तूट गया, क्यों? क्योंकि तुमारी नौकरी ने बस तुमारा ब्रेन देखा था कि इसको स्किल्स कौन सी आती है, और तुमारी पत्नी ने तुमारे ब्र
00:30हमारी कटी फटी जिंदगी में ये सब करना पड़ता है, इसको इतने घंटे देदो, इसको इतने घंटे देदो, इसको इतने घंटे देदो, अभी मौका है राइट एक्साइटमेंट का, अभी मौका है अतियों को तलाशने का, तराशने का, उसके बाद तो बहुत सुरक्
01:00जो बात गलत है उसको महों पे गलत बोलना भी सीखो ये थोड़े, कि हम अति में नहीं जाते हैं.
01:05इस तुम किनको सुमते रहते हैं, हमेशा एक्स्ट्रीम बाते करते हैं.
01:08सत्य एक्स्ट्रीम ही होता है.
01:10अचारिय जी, एक्स्ट्रीमिस्ट वर्ड थीन-चार साल पहले सोना था, और जब से, तो मैं जब कुछ समझ नहीं आता तो गूगल कर लेता हूं, तो जब मैंने इसकी डेफिनिशन समझी, उसके बात से हर जगा चारोर एक्स्ट्रीमिस्ट्रीम दिखता रहता है, जैसे ये �
01:40जब भी, ऐसा लगता है जैसे एक्स्ट्रीमिस्ट लोगों से घिरा हूँ मैं, जिसमें से एक मेरी लाइफ में भी आ गया है, उसका ऐसा होता है कि या तो ये चीज, मतले, पसंद होना और पसंद ना होना एक रीजन हो गया है, जैसे हर आर्गुमेंट का, है न, कि मैं ऐसे
02:10मेबी वो मेरे लिए इंपोर्टन्ट है या फिर मुझे वो करना है, बट क्योंकि मेरे पार्टनर को वो पसंद नहीं है, तो फिर मुझे ऐसा लगता है कि ये वही वाली बात कुछ हो रही है कि उसकी पसंद ना पसंद की वजह से मेरी जिंदगी ज्वना अफेक्ट होने ल
02:40वो हमारे लिए अच्छा नहीं होता
02:43लेकिन फिर भी
02:48कामना है
02:53और
02:58मजबूरी है, आदत है
03:01जिसको हम लोग प्यार कहते हैं, उसकी बेबसी है
03:07उसको जिन्दगी में रखना है फिर भी
03:11तो बैलेंस्ट रहना या सेंटर्ड रहना
03:20गलत चीज़ को जिन्दगी में बनाई रखने की एक विधी होता है
03:26प्यार कोई घटिया गाम करते हो
03:37तुम कर सकते हो
03:39वसे एक्स्ट्रीम्स पर मत करो
03:42एक्स्ट्रीम्स पर क्यों ना करें
03:49क्यों एक्स्ट्रीमिजम बुरा है
03:53इसलिए बुरा है क्योंकि वो काम ही गड़बड है
03:57वो काम होना ही नहीं चाहिए था
04:00वो विशे भी जीवन में होना ही नहीं चाहिए था
04:02पर इतनी हिम्मत है नहीं क्यों खाड़ फेको
04:05तो फिर उसका एक सस्ता समाधान निकाला जाता है क्या
04:22एक्स्ट्रीम्स में मत जाना
04:25एक्स्ट्रीम्स में मत जाना बाकी
04:30मैं कहा रहा हूँ जो चीज है जीवन में
04:33अगर उस सचमुद जीवन दाई नहीं है तो क्यों न जाएं एक्स्ट्रीम्स में
04:37एक और वज़ा है कि एक्स्ट्रीम्स पर आप उन न जाने की सला दी जाती है
04:54हम जीवन में ऐसी चीज़े रखते हैं अपनी वेहोशी में जो आपस में बेमेल होती है
05:02mutually incompatible
05:06या mutually exclusive
05:11एक के साथ अगर एक्स्ट्रीम पर चले जाओगे तो दूसरी बाहर हो जाएगी
05:22काम से बहुत प्यार हो गया तो घर तूट गया
05:24क्यों क्यों क्योंकि जीवन में जो नौकरी लेके आए थे और जो साथ ही लेके आए थे पती या पतनी
05:38ये दोनों mutually exclusive और incompatible थे
05:45तूमारी नौकरी ने बस तूमारा ब्रेन देखा था कि इसको skills कौन सी आती है
05:51और तूमारी पतनी ने तूमारे ब्रेन के लावा बाकी साब कुछ देखा था
06:03कमतरा हो दो exclusive हिस्से जिंदगी के
06:06एक पे एक्स्ट्रीम पे जाओगे कि बहुत काम करने लग गए तो घर से पतनी भाग जाएगी या पती भाग जाएगा
06:15तो इसलिए का जाता है एक्स्ट्रीम नहीं क्या
06:19balance रखो ताकि दोनों ही दो अलग अलग तरह के जहर है
06:24दोनों ही बचे रहे
06:26हर चीज असली आदमी की जिंदगी तो
06:38आउटराइट एक्स्ट्रीम में चलती है
06:42और क्यों न चले
06:45कौन होता है हम पे बंदिशें वर्जनाई लगाने वाला
06:51हम जिंदगी में लाते ही
06:54उसको है जिसके साथ अतियों पर जाया जा सके
06:59जिसके साथ कहीं जाकर सीमा खीचनी पड़े
07:06बाउंडरी खीचनी पड़े उसको जिंदगी में लाएं क्यों
07:13यह नियम रोटी पर लागव हो सकता है
07:16कि साहब तीन या चार रोटी से आगे मत जाईए
07:18सीमा खीश दीजिए
07:20पर ये नियम प्रेम पर
07:23और काम पर तो नहीं लागू होना चाहिए न
07:25बहुत सारे रिष्टे हैं आप जाएंगे
07:31ये रिलिशन्शिप काउंसिलर्स के पास
07:33इस रिष्टा बहुत अच्छा चलेगा हफ़ते में
07:35एक बार मिला करो बस
07:36एक बार स्यादा मिलोगे तो रिष्टा तूट जाएगा
07:47असली आदमी होता है हो काम ऐसा चुनता है कि
07:4924 घंटे कम पढ़ जाएं
07:51और साथी भी ऐसा चुनता है कि 24 घंटे कम पढ़ जाएं
07:58जब दोनों को ही 24 घंटे कम पढ़ रहे हैं
08:02तो वो 48 से यादा घंटे कहां से लाएगा, क्या करेगा फिर वो, वो काम कोई साथी बना लेता है, या साथी कोई काम बना लेता है, या साथी ऐसा बनाता है, जो काम में भी साथ हो,
08:18हमारी कटी, फटी, सेगमेंटेड, फ्रेगमेंटेड जिंदगी में ये सब करना पड़ता है, राशनिंग, इसको इतने घंटे देदो, इसको इतने घंटे देदो, इसको इतने घंटे देदो,
08:34पापा जी काम से वापस आते हैं
08:40तो पहले आधे घंटे बाहर वाले कमरे में दादा जी के साथ बैठ जाते हैं
08:44उनका कोटा निप्टा दिया
08:46उसके बाद जाकर एक दो घंटे चाचा और तावलों के साथ बैठ के कुछ कर लेते हैं
08:55और फिर दस बजे के बाद किवाड कुंडी लगा के माता जी के साथ सब का कोटा निप्टा देते हैं
09:02सुबह उठते ही भगवान जी का कोटा निप्टा आते हैं
09:1020 मिनिट में पूजा प्रार्थना आरती सब कर डालते हैं
09:14बिल्कुल बैलेंस्ड लाइफ है
09:15सोचो ये एक्स्ट्रीम में चले जाएं कहीं दिन भर भजन करूँगा
09:18सब खत्म हो जाएगा
09:21सब खत्म हो जाएगा
09:24ये चालाकी हमें करनी इसलिए पड़ती है क्योंकि हमारी निष्ठा कहीं पर भी शत्प्रतिशत नहीं होती
09:34जो एक का नहीं होता उसे सौ का होना पड़ता है तो फिर अपने आपको सौ जगह टुकडा टुकडा उसको बाटना भी पड़ता है
09:44तो फिर सौ जगह उसको रेखाई भी खीचनी पड़ती है कि तुम्हारे हिस्से में बस इतना ही दे सकता हूँ
09:49तुम्हे इतन ही दे सकता हूं
09:51you know every second Saturday
09:59I take out two hours
10:01to spend quality time with my kids
10:07बती हुई सिंटगी
10:09hmm
10:16बहुत सारे बहुत सारे वर्क प्लेसे ऐसे होते हैं
10:28जहां आप अगर एक सीमा से ज्यादा अपने काम को भी डेडिकेशन दिखाओ
10:34तो ये गड़बड़ बात हो जाती है
10:36तो ये इस से आदा मत करो
10:39पुरे डिपार्टमेंट के लिए खतरा आ जाएगा
10:44सब कुछ ल्युकवाम होना चाहिए
10:52सब कुछ बिलकुल औसत मीडियोकर होना चाहिए
10:57चार तरफ से तुम बंधे रहो और उन बंधनों के बीच में जो दाइरा है
11:07उसमें तुम घूम फिर सकते हो यहां तक कि नाच भी सकते हो
11:11और किसी भी दिशा में बेलगाम होके मत भाग जाना
11:17और अगर बच्पन से यही आपके साथ हुआ है तो इसकी आदत भी पढ़ जाती है
11:23सुरक्षा लगने लग जाती है
11:25अच्छा है कि धर को भी एक्स्ट्रीम में नहीं जाना है
11:28जो लोग अतियां कर देते हैं न वो उपर उपर से खतरनाक होते हैं
11:37वो कुछ छोटा मोटा नुक्सान कर देंगे क्योंकि अतियां कर रहे हैं
11:41पर वो भीतर से प्राण देने वाले लोग होते हैं
11:51लाइफ गिविंग प्राण दायक
11:57वो जो लोग अतियां नहीं करते हैं वो उपर से बड़े सुरक्षित लगते हैं
12:06अपर ऩो भीतर या जान ले लेंगे आपकी
12:11एक्स्ट्रीम्स में जीने वाला आदमी
12:15उपर से खतरनाक लगेगा
12:18और जो ये वेल बैलेंस जिंटलमेन होता है
12:21ये भीतर से जहरीला होता है
12:24एक्स्ट्रीम्स से याद आया
12:37ये चोड़िया
12:41एक्स्ट्रीम्स का मतलब जानते हो क्या होता है
12:46एक्स्ट्रीम्स होता है ऐसे
12:47ये हो भी इस दुनिया के
12:54और नहीं भी हो
12:57हमेशा छोड़ने को
12:59से यार भी हो
13:07कोई
13:08ऐसा आग्रह नहीं है कि
13:11यहां बीच में बैठे हैं
13:13सेंटर में
13:14डेरा जमा के
13:18अड्डा मार के
13:19यहां पर हैं
13:21एक्स्ट्रीम में हैं
13:24जब बोलोगे
13:25चल देंगे
13:27जब बोलोगे चल देंगे
13:33आप अगर किसी रिष्टे की
13:40सीमाओं
13:41का परीक्षन नहीं कर सकते
13:45रिष्टे में
13:48सीमाओं को टटोलने की अनुमती ही नहीं है
13:52रिष्टे में
13:53बाउंडरीज को आप एक्स्प्लोरी नहीं कर सकते
13:56तो रिष्टा थोड़ी है
13:59क्याद है न
13:59अधात रिष्टे ऐसे ही होते हैं
14:04ये है एक गोल, वृत, घेरा, दाइरा
14:11उसके भीतर भीतर सब कुछ अच्छा है
14:14नाइस, स्वीट, पॉलाइट
14:18और जैसे ही आप उसकी लिमिट्स को बाउन्डरी उसको टेस्ट करना शुरू करिये
14:24वैसे ही everything comes coming down
14:30रिष्टा कितना मजबूत है
14:36ये बात उसकी सीमाओं की मजबूती से तै होती है
14:49क्या आप सीमाओं से छेड़ चाड़ करने के लिए सुतंत रहें
14:54और नहीं है तो
15:00रिष्टा होता है आपको limitless तक ले जाने के लिए है न
15:08अच्छे संबंध का यही औचित्ते होता है न
15:13कि वो आपको असीम तक ले जाए limitless तक
15:16रिष्टा होता है आपको limitless तक ले जाने के लिए
15:20और रिष्टे में आपको दिन में पांच बार सुनना पड़ता है
15:22रिमेन इन यूर लिमिट्स
15:23तो ये रिष्टा किस काम का है
15:28असली रिष्टा
15:34तो आपके पागलपन को और प्रोथसाहित करने के लिए होना चाहिए
15:39ये वो रिष्टा है जहां हम उतने पागल हो सकते हैं
15:45जितना अन्ने जगहों पर अन्ने लोगों के सामने नहीं हो सकते
15:48यहां
15:55वो जो बेचैनी है भीतर हमारी
15:59वो पूरी उड़ान ले सकती है
16:02यहां हमारी बेचैनी पूरी अभिव्यक्ति पा सकती है
16:09यह होता है सार्थक रिष्टा
16:14यह होता है सार्थक काम
16:16वह इसलिए जो
16:19साधारन संसारी होता है
16:23वो कितना घवराता है एक्स्ट्रीम से
16:26अतियों से
16:27बाप्रवाप
16:30उसका तो ऐसा है जैसे गदहवा
16:35चार दिशाओं से लदा हुआ चल रहा है
16:39इतना उसने बोज उठा रखा है
16:42तो तो एक एक कदम समाल समाल के रखता है
16:47यह जरा सा कुछ कमपन हुआ नहीं
16:50कि कुछ गिरेगा
16:52अपनी एक्स्ट्रीम्स को तो
16:57कोई जनथन ही टेस्ट कर सकता है न
17:02या फिर कोई उनमुक्त गोड़ा
17:07जिस पर कुछ लदा हुआ नहीं है
17:08वो कहेगा मुझे एक्स्ट्रीम्स पर जाना है
17:11बोज उठाने वाला गदहा थोड़ी
17:14एक्स्ट्रीम्स को टेस्ट करेगा
17:17वो तो जेंटलमेन है
17:19वो तो
17:21दौनरेबल, रिस्पेक्टिबल हाउस होल्डर है
17:25वो पागलपन जिसे हम आम जिन्दगी कहते हैं
17:33उससे मुक्ति पाने के लिए
17:36हमको
17:42सिनिटी नहीं
17:44शानती नहीं
17:46एक और उच्छे दरजे का पागलपन चाहिए
17:51और वो पागलपन आपकी जिन्दगी में नहीं है
17:56तो जिसको आप अपनी
17:58साधारन
17:59संतुलित
18:02सेन और बैलेंस्ड
18:05नॉर्मल लाइफ बोलते हो
18:07वो है
18:10नार्गी ये पागलपन
18:12नाम मतलो
18:21क्रिष्णो लर्जुन का
18:22मत बताओ
18:25नाम बस मतलेना ठीक है
18:26ऐसे ही कहना
18:28कि एक व्यक्ति है जो किसी दूसरे व्यक्ति को कह रहा है
18:32कि सच्चाई की खातेर तू अपने घर परिवार दोस्तियार
18:35जा इनसे सबसे भिड़ जा तो लोग क्या बोलेंगे पागल है क्या
18:40वहता ही पागलपन चाहिए
18:43जिसके पास उपागलपन नहीं है
18:47नरक उसी की जिन्दगी का नाम है
18:50कोई अच्छा काम बिना उस उस इनसेनिटी के पागलपन के बिना उस एक्स्ट्रीम स्टेट के नहीं हो सकता
19:06दस बीस चालीस साल एक्स्ट्रीम्स में रह लीजिए
19:19उसके बाद तो करोडों साल मिलेंगे शांत पड़े रहने के लिए
19:23अभी मौका है राइट एक्साइटमेंट का
19:30अभी मौका है अतियों को तलाशने का तराशने का
19:40उसके बाद तो बहुत सुरक्षा रहती है
19:52मुर्द्यों कोई खत्रा
19:53एक बाद ताबूत में कीले गड़ गई
20:03उसके बाद कोई खत्रा
20:06तो अभी खत्रा उठाना सीखिए
20:10लोक भाशा के चक्कर मत आजाया करिए
20:23लोक भाशा में ये गाली की तरह होता है
20:25अरे यार वो आदमी बेकार है एक्स्ट्रीम समय रहता है
20:28ये तुम किन को सुमते रहते हैं हमेशा एक्स्ट्रीम बाते करते हैं
20:34सत्त्य एक्स्ट्रीम ही होता है
20:37और जिसको लोक भाशा एक्स्ट्रीमिस्म कहती है
20:44वो extremism है यह नहीं वो अज्यान है बस
20:46कोई कटरपन्ती हो जाए
20:51बिगॉट्री वगारा को क्या बोल देते हैं
20:53extremism वो extremism नहीं है
20:55वो तो अज्यान है
20:58उसे क्यों extremism बोल रहा है
20:59बड़े गलत शब्द है extremism, fundamentalism
21:02fundamentalism तो अपने आप में अच्छी बात होती है
21:04क्योंकि fundamental वाने बुनियादी
21:12अगर कोई religious fundamentalist है
21:14तो इसका शुद्ध अर्थ तो यह होना चाहिए
21:16मानलो सनातन को लें
21:17शुद्ध अर्थ तो यह होना चाहिए
21:18कि वो फिर उसका धर्म वेदान से आ रहा है
21:21पर लोग भाशा में ऐसा नहीं है
21:23उनके हिसाब से यह गड़बड शब्द है
21:24fundamentalist
21:25तो अच्छा अगर कोई fundamentals पर ना चले तो फिर किस पर चले
21:28इमारत fundamentals पर ना खड़ी हो तो किस पर खड़ी हो
21:32fundamentalist होना बुरा कैसे हो गया
21:34और विज्ञान में तो तुम
21:40सब तरह कि extremes को तलाश रहे हो
21:43कितने खुश हो जाते हो
21:44जब बोलते हो कि अभी France में ने
21:47experiment किया and there we could accelerate
21:49a photon to 99.99999999%
21:53of light यह extreme नहीं है
21:56यह extreme नहीं है
21:58वहाँ extreme चल रही है
22:02पर मैं अपनी
22:04जिंदगी में सच्चाई के लिए
22:05extreme लाना चाहूं तो मैं insane हो गया
22:08कैसे
22:10photon में कोई और particle था
22:15photon तो light पे ही चलता है
22:17मजब आरी ही बात कुछ
22:20सबसे बना के चलो
22:31बीच का रास्ता पकड़ो
22:35अच्छा ही सब करोगे तो क्या होगा
22:41मरोगे नहीं
22:43सब के साथ अच्छी अच्छी रखोगे
22:47तो क्या बचा के ले जाओगे
22:50और जनके साथ अच्छा अच्छा रिष्टा रख रहे हो
22:59इसमें से तो आधे
23:01तो महरे साथ शम्शान भी ना आए
23:04तो इस सब के साथ अच्छा अच्छा रखना
23:10अच्छे हो तो किसी के साथ बुरा बुरा रखना भी सीखो
23:24अब के साथ अच्छा अच्छा रखोगे तो बुरे हो जाओगे
23:30जो बात गलत है उसको मुँपे गलत बोलना भी सीखो ये थोड़ी
23:42कि हम अति में नहीं जाते
23:44देखिए ये बात थोड़ी सी गलत है
23:47खोड़ी सी सही भी होगी
23:49सब कुछ थोड़ा सही और थोड़ा गलत होता है
23:53कोई भी पूरी तरह सही और पूरी तरह गलत नहीं होता
23:57तो ले देके हम पे कोई जिम्मेदारी नहीं है
24:01किसी को भी समर्पित होने की न किसी से भी संघर्ष करने की
24:07किसी से क्यों संघर्ष करें जब कोई पूरी तरह गलत ही नहीं होता
24:11और किसी को क्यों समर पढ़ दे
24:14जब कोई पूरी तरह सही नहीं होता
24:16तो ले देके हम में कुछ नहीं करना
24:17हम सुरक्षित बैठें लाओ सा मुसा
24:19किसको बेखूफ बना रहे हो
24:25रहमांड का भी
24:30सत्य है
24:33वो कभी भी
24:36मिडल रेंज में नहीं मिलेगा
24:41वो या तो कॉस्मोलोजिकल
24:43रेंजेज में मिलता है
24:45या फिर सब एटोमिक
24:48बीच में जो है वो माया है सारी
24:52जो न्यूटूनियन उनिवर्स है
24:54वही माया है
24:55क्योंकि इस उनिवर्स में
25:01स्पेस टाइम इंडिपेंडेंट है
25:04यह द्वयतात्मक है
25:06न्यूटूनियन थियोरी पूली
25:07वो कहती है
25:08आप अलग हो यह दुनिया अलग है
25:10स्पेस टाइम बैग्राउंड है
25:13जिसमें घटनाएं घट रही है
25:15आप उनके आप्जरोवर हो
25:16लेकिन जब आप यूनिवर्स की भी
25:24लिमिट्स तलाशने जाते हो
25:25तो पता चलता है कि मामला तो कुछ और है
25:28यह नहीं बात है कि स्पेस टाइम तो
25:35कॉंस्टेंट्स हैं और
25:38मैटर से इंडिपेंडेंट हैं
25:41ऐसा तो है नहीं
25:42यही बात जब भुस जाते हो बिलकुल
25:45नूकलियस के अंदर
25:46तो वहाँ भी पता चलती है
25:48अब दोनों एक्स्ट्रीम्स है
25:51यही दोनों एक्स्ट्रीम्स फिर
25:57modern physics कहलाती है
25:58इन दोनों एक्स्ट्रीम्स के बीच में
26:08आम संसारी की जिंदगी है
26:09और कुछ
26:24शी से सम्मन देता है
26:31नमस्ते साथ
26:38मुझे जैसे प्रिये की और जाते हैं
26:44उसे निरलिपते रहते हैं
26:46जैसे मुझे कोई कामना का विशे बुलाता है
26:49मतलब उसके तरफ अकर्शन होता है
26:50तो इसमें एक चीज जो मुझे हल्प करती है
26:53वो ही है कि मैं इतना छोटा नहीं हूँ
26:55कि वो मुझे बहुत चा जाए
26:56तो यहाँ पर मुझे एक वही बात
26:59जैसे अभी आपके हाली सत्व में आपने काता है
27:01कि बल करतव्वे है
27:02तो यहाँ पर वो बात मुझे सुनाई देती है
27:06कि किसी प्रिय की और जाते हो
27:08तो उसे निरलिप रहने का यह है
27:10कि उससे कुछ जोड़नी जाएगा
27:12और उसमें एक समझ हमेशा बना के रखनी पड़ती है
27:17कि कुछ बल है भीतर जो उससे जो प्रिय है
27:23उसके आगे जुकेगा नहीं
27:25तो यह बात मुझे यह व्लोग करना चाहता हूं
27:30कि यह समझ मुझे हल्प करती है किसी विशे की और जाने पर
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