00:00तरब खेंच लिए आहस्ता इस्ता दूनों की मुलाकाते बढ़ने लगी हेना की दिल में भी आज़र के लिए जजबाद जागने लगी मगर उसे हमेशा ये खौप रहता कि हमारी दुन्या आलग रहे
00:10वक गुज़रता किया आज़र ने हेना से शादी के खौइश रहार किया एना पहले तो खामोश रही मगर पिर भी और अपनी माँ को सब बता दिया माने सोच मैं डूप कर कहा बेटी हमेर लोग हमारे जीसे गरीबों को कब अपनाते हैं इनका खाम बलग होते हैं लिकिन अगर
00:40खौद को खानी की खाम है हम का रुपार लोग है तूम्हारे शादी मुल्क के बडए बिजनस बाडनार के बैटी से होगी ये बिसलता तुमारे जिनदगी ही नही pressingा बलकि का हमारे ख evil बाप को ।कह आजरने बाप के बिसलह के खिला आजर यृद के कोशिश की मगर हर तर
01:10मिलने लगे हेना ने एक दिन हिम्मत करके आजर को कहा मैं चाहती हूँ तुम अपने प्रेमिले के साथ खुश रहो मेरा और तुमारा साथ
01:20शायद बस इतना ही लिकता महबत का मतलब गुर्बानी है और ये गुर्बानी मैं दूंगी
01:25अजर टूड़ गया मगर हेना अपने मा के पास आकर खमोशी से जिन्देगी उजानने लेगी कुछ महीनों बाद अजर की शादी जबरदस्ती किसी और से कर दीगी
01:37लेकिन वो शादी भी खुश ना रही क्योंकि अजर का दिल में हेना कियाद जिन्दा थी
01:44इदर हेना अपने खौबों को खतम ना होने दिया उसने स्कूल के बच्चों के लिए एक लाइबरेरी काहिम की
01:50माहले के बच्चे जो कभी सलकों पर खेलते या वक्त जाया करते थे
01:55जब उसी लाइबरेरी में बैठकर पढ़ने लगे हेना की मेरत रंग लाई और स्कूल की प्रेंसिपल बना दी की
02:02इसकी मा के आँकों में विखी फखर आया जिसके लिए हेना ने सब कुर्बान कर दिया था
02:07ट्रामा सेल की हवाले से अपने राई की ज़हा लाजमी के मन करें साथ में हमारा येटूब का चेनल सबस्क्राइब करना मत भूलिए तेंस पार वाचिंग आला हाफिज
02:16लोबी वर्स कराची के पुराने मगर गुंजान महले में एक आम सी लड़की हेना रहती थी हेना एक स्कूल टीचर थी खुआप देखने वाली नरम दिल और दिसों की दुख दर्ब में शरीक होने वाली
02:27इसकी सबसे बड़ी खुआशी थी कि इसकी मा को एक दिन पखर होके बीटी ने कुछ हासल किया है
02:35वालिद के इंतिकाल बच्पन में ही हो गया था माने सलाई के उड़ाई करके गर को संबाला
02:40हेना के कंदो पर भी जमदार या थी मगर दिल में खुआब भी कम ना थे
02:44महले के करीब एक बड़ी हविली थी जहाँ बेजनेसमें पयाज़ामत का खनदान रहता था
02:49इनका बेटा आजर लंदन से पढ़कर वापस आया था
02:53अजर ने पहली बार हेना को स्कूल जाते देखा
02:56तो दिल में अजीब सा सकून महसूस हुआ
02:59हेना की साथगी शर्म हया और नरम गुपतारी ने अजर को अपनी तरफ खेंच लिए
03:03आहस्ता इस्ता दूनों की मुलाकाते बढ़ने लगी
03:06हेना की दिल में भी अजर के लिए जजबाद जागने लगे
03:10मगर उसे हमेशा यह खौप रहता कि हमारी दुनिया अलग है
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