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Transcript
00:00है कही या कही धड़कन
00:04मैं बस सब कुछ कहूँगा जो तुम सुनना चाहती हो
00:07आतिया
00:12मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ
00:18और सिर्फ
00:22सिर्फ तुमसे महापत करता हूँ
00:26मैं तुम्हें कहा था अजर
00:29इन इंसानों पर भरोसा मत करो
00:31लेकिन तुम मेरी कोई बात ही नहीं मानते
00:33थोका देना छोड़ दें भाजी
00:39आपकी कोई भी बात मेरी मुहबत को कम नहीं कर सकती
00:43तो तुम ये वीडियो देखकर भी यही कहोगी
00:45मैंने तुम्हारा भी मेरे वाल है
00:55तिन्हेने वल का है?
00:59दिल नहीं भढूता नहीं नहीं भड़ता..
01:03किस चीज से दिल नहीं भढ़ता नादिया ..
01:06तुम्हें.. अकेले दर नहीं दवेगा..
01:08दाहिए लिगम देस नवसियाती ही कमजोह है..
01:10और अब मैं कमजोड़ नहीं हूँ..
01:11वहार कोई नहीं है नादिया
01:18सुबा सुबा क्यों जाग गई हो रात पर सो ही नहीं
01:24रात में पहले ही बार इतने अर्से के बार मुझे चैन की नींद आई है
01:31ओ अली मैंने दूसरी पाहिरी हल कर ले जिनने मेरी शकल में जाकर हो से कहा है
01:40लेकिन इस हवेली के जन्नों का तुम्हारी लव लाइफ में कैसा इंटरस्ट
01:44चमकी ये जरूर चमकी ने मेरी शकल में जाकर उससे जूट बोला है
01:49तो तुम्हारी कहने का मतलब ये है
01:52कि चमकी ये चाहती है कि नादिया तुम से फ्री हो जाए
01:56और खुशी का दिल तुम से खराब हो जाए
01:58जाहर है इसके लब और क्या मकसद हो सकता है
02:01जानता हूँ
02:03मैंने इसे खुदाजाद किया
02:06क्या लेकिन क्यों
02:08बड़े मकसद को हासल करने के लिए
02:12अक्सर चोटी मोटी कुर्बानिया देने पड़ती है
02:14क्या मतलब मैं समझी नहीं
02:17इसे कसी इस कितनी खुशी हो रही है
02:22लिया
02:44वो कई दिनों तक वहां रहे
02:50दुन्या भर की किताबें च्छानी
02:53जिन्नात के मौदूब पर हर मजब की तसानीफ और तहकीक का मतालिया किया
03:00और फिर गुरानी आयाक की रोश्णी में
03:04उन्हें वो तरीका मिल गया
03:06जिसकी बदूलत
03:09वो आजर और उसके खांदान से हमेशा के लिए जान चुडवा सकते थे
03:15लेकिन वो जानते थे कि आजर को उनके अमल का इत्राक हो जाएगा
03:20लेहादा उन्होंने उस तरीके को चार पहलियों में चुपा दिया
03:26ये पहलिया उस मुकद्स के रामाती हथिया तक पहुंचने के लिए बनाई गई है
03:32जिस हथिया की मदद से हमारे पुर्खों की इस हवेली का हसे हमेशा के लिए चला जाएगा
03:40लेकिन अली के घरवाले अली की शादे एक जिन्जादी से क्यों करवाएंगे
03:45सारा बाबी तो अली के लिए नादिया को पसंद भी कर चुकी है
03:50तुम बस यहीं खड़ी देखती रह जाओगी खुशी
03:54और तुम्हारा अली नादिया का हो जाएगा
03:58क्या है
04:05क्या हादर ने हमारे खांदान की रूएंगे उस कमरे में कैद कर रखी है
04:10परसों से था चुपा जो हमारे दर्मियां
04:17अब जाके है कहीं वो राज है कुला
04:24ये कैसा भेद था तेरे में आरे है
04:30वो मुझे मिस क्यों नहीं कर रहे
04:31तो वो रिष्टा भेजने वाली बात मजाग थी
04:35आँ वो लड़की नादिया
04:37वो आँ मखा चिपक रही ये अली से
04:40दोस्त है तो हद में रहे ना
04:42नहीं ये सिफ दोस्ती नहीं है
04:44कमस कम उसकी तरफ से तो बिलकुल नहीं है
04:47तो ये कीनन अली को जाती है
04:49लेकिन अली क्या जाते है
04:52वीवर्ज महरीन एक चोटे से गाओ के तालीमी अपता
04:56खुदार और सुल्जी हुई लड़की थी
04:59जिसने शेहर आकर अपनी मेहनत से
05:02एक स्कूल्ट्री में टीचर की नवकरी हासिल की
05:05वो खुआप तो देखती थी
05:06मगर हकीकत का सामना करना भी जानती थी
05:10अली एक बड़े बिजनसमेन का बेटा
05:13जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
05:15महरीन से उस वक मिला
05:17जब उसकी कवनी ने गावमी स्कूल सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
05:21अली पहली नजर में ही महरीन की साथगी और वकार फर दिल हार बेटा
05:25मगर महरीन ने कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
05:29उजने अली को सखती से नजर अदास किया
05:32मगर अली बाहज नाया वो बार बार स्कूल आता
05:36बच्चों किले किताबे लाता
05:38और हर मोका पर महरीन की इज़त से बात करता
05:41अहिस्ता इस्ता महरीन का दिल भी नरम पढ़ने लगा
05:44मगर वो जानती थी
05:45कि दोनों की दुनिया अलग है
05:48और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
05:50एक दिन अली ने भाकेदा तोर पर निकाह की पेशक्ष की
05:53तो महरीन ने सच्चाई से कहा
05:56मैं सिर्फ तब मानूंगी
05:58अगर तुम मेरे गाओ के लिए कुछ कर दिखाओ
06:00सिर्फ मेरे ले ने ही
06:02इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
06:05अली ने ये चिलन्ज कबोल किया
06:07और ची महीनों में गाओ में एक लाइबरीरी
06:10वाटर पल्ट्रेशन प्लांट और एक चोटा साकले ने कॉल दिया
06:14महरेन ने जब ये सब देखा
06:16तो इसके आंके नम हो गई
06:18उसने पहले बार किसी अमीर शख्स को
06:21बगएर किसे दिकावे के खलूस से कुछ करते देखा
06:25वो रिश्टा कबोल करने पर राजी हो गई
06:27मगर अब अली के वालदें ने इंकार कर दिया
06:30अंके ले महरेन सिर्फ गाओ की लड़की थी
06:32जिनके बेटे के लिए मौजू नहीं थी
06:35अली ने बगएर जजग कहा
06:36अगर वो मेरे साथ नहीं तो कुछ भी नहीं
06:40और अपना बिजनिस चोड़कर गाओ में रहने लगा
06:42एक साल गुजर गया
06:45महरेन के वालदीन भी
06:46अली के कुरबाने को देखकर
06:48हिरान रहे गए
06:49आखिरकार अली के वालद के एसास हुआ
06:51कि उनका बेटा सिर्फ महबत नहीं
06:53इनसानियत का सबक दे रहा है
06:55वो गावाए सब के सामने
06:57बेटे के महबत को तसलिम किया
06:59और महरेन के इज़त से
07:02बहु बना लेकर गया
07:04और ये कहानी साबित कर गी
07:06कि महबत जब खुलूस से हो
07:08तो कोई परक कोई देवार उसे रुख नहीं सकती
07:11विवर्ज महरेन एक चोटे से गाव के तालिमी अपता
07:15खुदार और सुल्जी हुई लड़की थी
07:18जिसने शेहर आकर अपनी मेहनत से
07:21एक स्कूल्टी में टीचर की नवकरी हासिल की
07:24वो खुआप तो देखती थी
07:25मगर हकीकत का सामना करना भी जानती थी
07:29अली एक बड़े बिजनसमेन का बेटा
07:32जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
07:34महरेन से उस वक मिला
07:36जब उसकी कवनी ने गाव में स्कूल सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
07:40अली पहली नजर में ही महरेन की साथगी और वकार फर दिल हार बेटा
07:44मगर महरेन ने कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
07:48उसने अली को सखती से नजर अंदास किया
07:51मगर अली बाजनाया वो बार बार सकूल आता
07:55बच्चों के ले किताबे लाता
07:57और हर मोका पर महरेन की इज़त से वाद करता
08:00अहिस्ता इसने महरेन का दिल भी नरम पढ़ने लगा
08:03मगर वो जानती थी
08:05कि दोनों की दुनिया अलग है
08:07और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
08:09एक दिन अली ने भाकाईदा तोर पर निकाह की पेशक्ष की
08:12तो महरेन ने सच्चाई से कहा
08:15मैं सिर्फ तब मानूंगी
08:17अगर तुम मेरे गाओ के लिए कुछ कर दिकाओ
08:19सिर्फ मेरे ले ने ही
08:21इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
08:23अली ने ये चिलन्ज कबोल किया
08:26और ची महीनों में गाओ में एक लाइबरिरी
08:29वाटर पल्ट्रेशन प्लांट और एक चोटा साकले ने कॉल दिया
08:33महरेन ने जब ये सब देखा
08:35तो इसके हांके नम हो गई
08:37उसने पहले बार किसी अमीर शख्स को
08:39बगएर किसे दिकावे के खलूस से कुछ करते देखा
08:43वो रिश्टा कबोल करने पर राजी हो गई
08:46मगर अब अली के वालदें ने इंकार कर दिया
08:49उनके लिए महरेन सिर्फ गाओ की लड़की थी
08:51जो उनके बेटे के लिए मौजू नहीं थी
08:54अली ने बगएर जजग कहा
08:55अगर वो मेरे साथ नहीं तो कुछ भी नहीं
08:59और अपना बिजनिस चोड़कर गाओ में रहने लगा
09:01एक साल गुजर गया
09:04महरेन के वालदीन भी
09:05अली के कुरबाने को देखकर
09:07हिरान रह गए
09:08आखिरकार अली के वालद को इसास हुआ
09:10कि उनका बेटा सिर्फ महबत नहीं
09:12इनसानियत का सबक दे रहा है
09:14वो गावाए सबके सामने
09:16बेटे के महबत को तसलिम किया
09:18और महरेन के इज़त से
09:21बहु बना लेकर गया
09:23और ये कहानी साबित करगी
09:25कि महबत जब खुलूस से हो
09:27तो कोई परक कोई देवार उसे रुख नहीं सकती
09:29विवर्ज महरेन एक चोटे से गाव के
09:33तालिमी अपताग खुदार
09:35और सुलिह हुई लड़की थी
09:37जिसने शेहर आकर
09:39अपनी मेहनत से
09:40एक स्कूल्टी में टीचर की नवकरी हासिल की
09:43वो खुआप तो देखती थी
09:44मगर हकीकत का सामना
09:47करना भी जानती थी
09:48अली एक बड़े बिजनसमेन का बेटा
09:50जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
09:53महरेन से उस वक मिला
09:55जब उसकी कवनी नगाव में स्कूल सपोर्ट प्रोग्राम शूरू किया
09:58अली पहली नजर में ही महरेन की साथगी
10:01और वकार फर दिल हार बेटा
10:03मगर महरेन ने
10:04कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
10:07उजने अली को सखती से
10:09नजर अन्दास किया
10:10मगर अली बाहज नाया
10:12वो बार बार स्कूल आता
10:14बच्चों के ले किताबे लाता
10:16और हर मोका पर महरेन की इज़त से वाद करता
10:18अहिस्ता हिस्ता महरेन का दिल भी नरम पढ़ने लगा
10:22मगर वो जानती थी
10:24कि दोनों की दुनिया अलग है
10:26और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
10:28एक दिन अली ने बाकेदा तोर पर निकाह की पेशक्ष की
10:31तो महरेन ने सच्चाई से कहा
10:34मैं सिर्फ तब मानूंगी
10:35अगर तुम मेरे गाओं के लिए कुछ कर दिखाओ
10:38सिर्फ मेरे ले ने ही
10:40इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
10:42अली ने ये चिलन्ज कबोल किया
10:44और चे महीनों में गाओं में एक लाइबरीरी
10:48वाटर पल्ट्रेशन प्लांट और एक चोटा साकले ने कॉल दिया
10:52महरेन ने जब ये सब देखा
10:54तो इसके आंके नम हो गई
10:56उसने पहले बार किसी अमीर शख्स को
10:58बगएर किसे दिकावे के खलूस से कुछ करते देखा
11:02वो रिश्टा कबोल करने पर राजी हो गई
11:05मगर अब अली के वालदें ने इंकार कर दिया
11:08उनके लिए महरेन सिर्फ एक गाओ की लड़की थी
11:10जो उनके बेटे के लिए मोजू नहीं थी
11:13अली ने बगएर जजग कहा
11:14अगर वो मेरे साथ नहीं तो कुछ भी नहीं
11:18और अपना बिजनिस चोड़कर गाओ में रहने लगा
11:20एक साल गुजर गया
11:22महरेन के वालदीन भी
11:24अली के कुरबाने को देखकर
11:26हिरान रह गए
11:27आखिरकार अली के वालद के एसास हुआ
11:29कि उनका बेटा सिर्फ महबत नहीं
11:31इनसानियत का सबक दे रहा है
11:33वो गावाए सबके सामने
11:35बेटे के महबत को तसलिम किया
11:37और महरेन के इज़त से
11:40बहु बना लेकर गया
11:42और ये कहानी साबित कर गई
11:56जिसने शेहर आकर
11:58अपनी मेहनत से
11:59एक स्कूल्टी में टीचर की नवकरी हासिल की
12:02वो खौब तो देखती थी
12:03मगर हकीकत का सामना
12:05करना भी जानती थी
12:07अली एक बड़े बिजनसमेन का बेटा
12:09जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
12:12महरीन से उस वक्त मिला
12:13जब उसकी कवनी नगाव में स्कूल
12:15सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
12:17अली पहली नजर में ही महरीन की साथगी
12:20और वकार फर दिल हार बेटा
12:22मगर महरीन ने
12:23कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
12:26उसने अली को सक्ती से नजर अंदास किया
12:29मगर अली बाहज नाया
12:31वो बार बार स्कूल आता
12:33बच्चों के ले किताबे लाता
12:35और हर मोका पर महरीन की इज़त से वाद करता
12:37अहिस्ता हिस्ता महरीन का दिल भी नरम पढ़ने लगा
12:41मगर वो जानती थी
12:42कि दोनों की दुनिया अलग है
12:45और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
12:47एक दिन अली ने बाकईद तोर पर निकाह की पेशक्ष की
12:50तो महरीन ने सच्चाई से का
12:52मैं सिर्फ तब मानूंगी
12:54अगर तुम मेरे गाउ के लिए कुछ कर दिकाओ
12:57सिर्फ मेरे लेने ही
12:59इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
13:01अली ने ये चिलन्ज कबोल किया
13:03और ची महीनों में गाउ में एक लाइबरिरी
13:06वाटर पल्ट्रेशन प्लांट और एक चोटा साकले ने कॉल दिया
13:11महरीन ने जब ये सब देका
13:13तो इसके आंके नम हो गई
13:15उसने पहले बार किसी अमीर शख्स को
13:17बगएर किसे दिकाओे के खलूस से कुछ करते देगा
13:21वो रिश्टा कबोल करने पर राजी हो गई
13:24मगर अब अली के वालदें ने इंकार कर दिया
13:26उनके ले महरीन सिर्फ एक गाओ की लड़की थी
13:29जिनके बेटे के लिए मौजू नहीं थी
13:31अली ने बगएर जजग कहा
13:33अगर वो मेरे साथ नहीं
13:35तो कुछ भी नहीं
13:37और अपना बिजनिस चोड़कर गाओ में रहने लगा
13:39एक साल गुजर गया
13:41महरीन के वालदीन भी
13:43अली की कुर्बाने को देखकर
13:45हिरान रहे गए
13:46आखिरकार अली के वालद को इसास हुआ
13:48कि उनका बेटा सिर्फ महबत नहीं
13:50इंसानियत का सबक दे रहा है
13:52वो गावाए सब के सामने
13:54बेटे के महबत को तसलिम किया
13:56और महरीन के इज़त से
13:59बहु बना लेकर गया
14:00और ये कहानी साबित कर गी
14:03कि महबत जब खुलूस से हो
14:04तो कोई परक कोई देवार उसे रुख नहीं सकती
14:07विवर्ज महरीन एक चोटे से
14:10गाव के तालीमी अपता
14:12खुदार और सुजिह हुई लड़की थी
14:14जिसने शेहर आकर
14:17अपनी मेहनत से
14:18एक स्कूल्ट्री में टीचर की नवकरी हासिल की
14:20वो खुब तो देखती थी
14:22मगर हकीकत का सामना
14:24करना भी जानती थी
14:26अली एक बड़े बिजनसमेन का बेटा
14:28जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
14:31महरीन से उस वक्त मिला
14:32जब उसकी कवनी ने गावमी स्कूल
14:34सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
14:36अली पहली नजर में ही महरीन की साथगी
14:39और वकार फर दिल हार बेटा
14:41मगर महरीन ने
14:42कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
14:45उजने अली को सक्ती से नजर अंदास किया
14:48मगर अली बाहज नाया
14:50वो बार बार स्कूल आता
14:52बच्चों के ले किताबे लाता
14:53और हर मोका पर महरीन की इज़त से वाद करता
14:56अहिस्ता इस्ता महरीन का दिल भी नरम पढ़ने लगा
15:00मगर वो जानती थी
15:01कि दोनों की दुनिया अलग है
15:03और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
15:06एक दिन अली ने बाकईदा तोर पर निकाह की पेशक्ष की
15:09तो महरीन ने सच्चाई से का
15:11मैं सिर्फ तब मानूंगी
15:13अगर तुम मेरे गाउ के लिए कुछ कर दिकाओ
15:16सिर्फ मेरे लेने ही
15:18इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
15:20अली ने ये चिलन्ज कबोल किया
15:22और ची महीनों में गाउ में एक लाइबरिरी
15:25वाटर पल्ट्रेशन प्लांट
15:27और एक चोटा साकले ने कॉल दिया
15:29महरीन ने जब ये सब देका
15:32तो इसके हांके नम हो गई
15:34उसने पहले बार किसी अमीर शख्स को
15:36बगएर किसे दिकाओे के खलूस
15:39से कुछ करते देगा
15:40वो रिश्टा कबोल करने पर राजी हो गई
15:42मगर अब अली के वालदें
15:44ने इंकार कर दिया
15:45उनके लिए महरीन सिर्फ एक गाओ की लड़की थी
15:48जिनके बेटे के लिए मौजू नहीं थी
15:50अली ने बगएर जजग कहा
15:52अगर वो मेरे साथ नहीं
15:54तो कुछ भी नहीं
15:55और अपना बिजनिस चौड़कर गाओ में रहने लगा
15:58एक साल गुजर गया
16:00महरीन के वालदीन भी
16:02अली के कुर्बाने को देखकर
16:03हिरान रहे गए
16:05आखिरकार अली के वालद को इसास हुआ
16:07कि उनका बेटा सिर्फ महबत नहीं
16:09इनसानियत का सबक दे रहा है
16:11वो गावाए सबके सामने
16:13बेटे के महबत को तसलिम किया
16:15और महरीन के इज़त से
16:18बहु बना लेकर गया
16:19और ये कहानी साबित कर गई
16:21कि महबत जब खुलूस से हो
16:23तो कोई परक कोई देवार उसे रुख नहीं सकती
16:26विवर्ज महरीन एक चोटे से
16:29गाव के तालीमी अपता
16:31खुद्दार और सुल्जी हुई लड़की थी
16:33जिसने शहर आकर अपनी मेहनत से
16:36एक स्कूल्टी में टीचर की नवकरी हासिल की
16:39वो खुआप तो देखती थी
16:41मगर हकीकत का सामना करना भी जानती थी
16:45अली एक बड़े बिजनसमेन का बेटा
16:47जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
16:49महरीन से उस वक्त मिला
16:51जब उसकी कवनी नगाव में स्कूल
16:53सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
16:55अली पहली नजर में ही महरीन की साथगी
16:57और वकार फर दिल हार बेटा
17:00मगर महरीन ने
17:01कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
17:04उजने अली को सख्ती से
17:05नजर अंदास किया
17:07मगर अली बाज नाया
17:09वो बार बार स्कूल आता
17:10बच्चों के ले किताबे लाता
17:12और हर मोका पर महरीन की इज़त से वाद करता
17:15आहिस्ता इस्ता महरीन का
17:17दिल भी नरम पढ़ने लगा
17:18मगर वो जानती थी
17:20कि दोनों की दुनिया अलग है
17:22और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
17:25एक दिन अली ने भाकेदत और पर
17:27निकाह की पेशक्ष की
17:28तो महरीन ने सच्चाई से कहा
17:30मैं सिर्फ तब मानूंगी
17:32अगर तुम मेरे गाओ के लिए कुछ कर दिकाओ
17:35सिर्फ मेरे ले ने ही
17:37इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
17:39अली ने ये चिलन्ज कबोल किया
17:41और ची महीनों में
17:42गाओ में एक लाइबरीरी
17:44वाटर पल्ट्रेशन प्लांट
17:46और एक चोटा साक्ले ने कॉल दिया
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17:59वो रिश्टा कबोल करने पर राजी हो गई
18:01मगर अब अली के वालदे
18:03ने इंकार कर दिया
18:04उनके लिए महरें सिर्फ गाओ की लड़की थी
18:07जिनके बेटे के लिए मुदून नहीं थी
18:09अली ने बगए जजग कहा
18:11अगर वो मेरे साथ नहीं
18:13तो कुछ भी नहीं
18:14और अपना बिजनिस चोड़कर गाओ में रहने लगा
18:17एक साल गुजर गया
18:19महरें के वालदीन भी
18:21अली के कुर्बाने को देखकर
18:22हिरान रह गए
18:23आखिरकार अली के वालद को इसास हुआ
18:26कि उनका बेटा सिर्फ महबत
18:27नहीं इंसानियत का सबक दे रहा है
18:30वो गावाए सबके सामने
18:32बेटे के महबत को तसलिम किया
18:47महरें एक चोटे से गाव के तालीमी अपता
18:50खुद्दार और सुल्जी हुई लड़की थी
18:52जिसने शहर आकर अपनी मेहनत से
18:55एक स्कूल्टी में टीचर की नवकरी हासिल की
18:58वो खौब तो देखती थी
19:00मगर हकीकत का सामना करना भी जानती थी
19:03अली एक बड़े बिजनिसमेन का बेटा
19:06जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
19:08महरें से उस वक्त मिला
19:10जब उसकी कवनी निगाव में स्कूल
19:12सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
19:14अली पहली नजर में ही महरें की साधगी
19:16और वकार पर दिल हार बेटा
19:18मगर महरें ने कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
19:23उजने अली को सखती से नजर अंदास किया
19:26मगर अली बाज नाया
19:28वो बार बार स्कूल आता
19:29बच्चों के ले किताबे लाता
19:31और हर मोका पर महरें की इज़त से बाद करता
19:34आहिस्ता इस्ता महरें का दिल भी नरम पढ़ने लगा
19:37मगर वो जानती थी
19:38कि दोनों की दुन्या अलग है
19:41और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
19:43एक दिन अली ने बाकेदत और पर निकाह की पेशक्ष की
19:47तो महरें ने सचाई से का
19:49मैं सिर्फ तब मानूंगी
19:51अगर तुम मेरे गाओ के लिए कुछ कर दिकाओ
19:53सिर्फ मेरे लेने ही
19:56इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
19:58आली ने ये चिलन्ज कबूल किया
20:00और ची महीनों में गाओ में एक लाइबरीरी
20:03वाटर पल्ट्रेशन प्लांट
20:05और एक चोटा साकले ने कॉल दिया
20:07महरें ने जब ये सब देखा
20:10तो इसके हांके नम हो गई
20:11उसने पहले बार किसी अमीर शख्स को
20:14बगए किसे दिकावे के खलूस
20:16से कुछ करते देखा
20:18वो रिष्टा कबूल करने पर राजी हो गई
20:20मगर अब आली के वालदें ने इंकार कर दिया
20:23उनके लिए महरें सिर्फ गाओ की लड़की थी
20:26जिनके बेटे के लिए मुदून नहीं थी
20:28अली ने बगएर जजग कहा
20:30अगर वो मेरे साथ नहीं
20:32तो कुछ भी नहीं
20:33और अपना बिजनस चोड़कर गाओ में रहने लगा
20:36एक साल गुजर गया
20:38महरें के वालदीन भी
20:39अली के कुर्बाने को देखकर
20:41हिरान रह गए
20:42आखिरकार अली के वालद को इसास हुआ
20:45कि उनका बेटा सिर्फ महबत नहीं
20:47इनसानियत का सबक दे रहा है
20:48वो गाओ आये सबके सामने
20:51बेटे के महबत को तसलीम किया
20:53और महरें के इज़त से
20:55बहु बना लेकर गया
20:57और ये कहानी साबित कर गई
20:59कि महबत जब खुलूस से हो
21:01तो कोई परक कोई देवार
21:02उसे रुख नहीं सकती
21:04विवर्ज महरें एक चोटे से
21:07गाओ के तालीमी अपता
21:08खुद्दार और सुल्जी हुई लड़की थी
21:11जिसने शहर आकर
21:13अपनी मेहनत से
21:14एक स्कुल्ट्री में टीचर की नवकरी हासल की
21:17वो खुआप तो देखती थी
21:18मगर हकीकत का सामना
21:21करना भी जानती थी
21:22अली एक बड़े बिजनसमेन का बेटा
21:25जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
21:27महरें से उस वक्त मिला
21:29जब उसकी कवनी निगाओं में सकूल
21:31सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
21:33अली पहली नजर में ही महरें की साथगी
21:35और वकार फर दिल हा और बेटा
21:37मगर महरें ने कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
21:41उजने अली को सक्ती से नजर अंदास किया
21:44मगर अली बाज नाया
21:47वो बार बार स्कूल आता
21:48बच्चों के ले किताबे लाता
21:50और हर मौकर पर महरें की इज़त से वाद करता
21:53आहिस्ता इस्ता महरें का दिल भी नरम पढ़ने लगा
21:56मगर वो जानती थी
21:57कि दोनों की दुनिया अलग है
22:00और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
22:02एक दिन अली ने भाके दातर पर निकाह की पेशक्ष की
22:05तो महरें ने सचाई से कहा
22:08मैं सिर्फ तब मानूंगी
22:10अगर तुम मेरे गाओ के लिए कुछ कर दिकाओ
22:12सिर्फ मेरे ले ने ही
22:14इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
22:17आली ने ये चिलन्ज कबोल किया
22:19और ची महीनों में गाओ में एक लाइबरी री
22:22वाटर पल्ट्रेशन प्लांट
22:24और एक चोटा साकले ने कौल दिया
22:26महरें ने जब ये सब देखा
22:28तो इसके हांके नम होगी
22:30उसने पहले बार किसी अमीर शख्स को
22:33बगएर किसे दिकावे के खलूस
22:35से कुछ करते देखा
22:37वो रिष्टा कबूल करने पर राजी हो गई
22:39मगर अब अली के वालदें ने इंकार कर दिया
22:42उनके लिए महरें सिर्फ एक गाओ की लड़की थी
22:44जिनके बेटे के लिए मुदून नहीं थी
22:47अली ने बगएर जज़क कहा
22:48अगर वो मेरे साथ नहीं तो कुछ भी नहीं
22:52और अपना बिजनिस चोड़कर गाओ में रहने लगा
22:54एक साल गुजर गया
22:57महरें के वालदीन भी अली के कुरबाने को देखकर
23:00हिरान रह गए
23:01आखिरकार अली के वालद को इसास हुआ
23:03कि उनका बेटा सिर्फ महबत नहीं
23:05इंसानियत का सबक दे रहा है
23:07वो गाओ आये सबके सामने
23:09बेटी के महबत को तसलिम किया
23:11और महरें के इज़त से
23:14बहु बना लेकर गया
23:16और ये कहानी साबित कर गी
23:18कि महबत जब खुलूस से हो
23:20तो कोई परक कोई देवार
23:21उसे रुख नहीं सकती
23:23वीवर्ज महरें एक चोटे से
23:26गाओ के तालीमी अपता
23:27खुदार और सुल्जी हुई लड़की थी
23:30जिसने शेहर आकर
23:32अपनी मेहनत से
23:33एक स्कुल्ट्री में टीचर की नवकरी हासिल की
23:36वो खुआ तो देखती थी
23:37मगर हकीकत का सामना
23:40करना भी जानती थी
23:41अली एक बड़े बिजनसमेन का बेटा
23:44जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
23:46महरें से उस वक्त मिला
23:48जब उसकी कवनी निगाओं में स्कूल
23:50सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
23:52अली पहली नजर में ही महरें की साथगी
23:54और वकार फर दिल हार बेटा
23:56मगर महरें ने
23:57कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
24:00उजने अली को सखती से
24:02नजर अन्दास किया
24:03मगर अली बाज नाया
24:05वो बार बार स्कूल आता
24:07बच्चों के ले किताबे लाता
24:09और हर मोका पर महरें की इज़त से वाद करता
24:12अहिस्ता इस्ता महरें का दिल भी नरम पढ़ने लगा
24:15मगर वो जानती थी
24:16कि दोनों की दुन्या अलग है
24:19और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
24:21एक दिन अली ने भाकईदत और पर निकाह की पेशक्ष की
24:24तो महरें ने सच्चाई से का
24:27मैं सिर्फ तब मानूंगी
24:29अगर तुम मेरे गाओ के लिए कुछ कर दिकाओ
24:31सिर्फ मेरे ले ने ही
24:33इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
24:35अली ने ये चिलन्ज कबोल किया
24:38और चे महीनों में गाओ में एक लाइबरीरी
24:41वाटर पल्ट्रेशन प्लांट और एक चोटा साकले ने कॉल दिया
24:45महरें ने जब ये सब देखा
24:47तो इसके हांके नम हो गई
24:49उसने पहले बार किसी अमीर शखस को
24:51बगहर किसी दिकावे के खलूस से कुछ करते देखा
24:55वो रिश्टा कबोल करने पर राजी हो गई
24:58मगर अब अली के वालदें ने इंकार कर दिया
25:01उनके लिए महरें सिर्फ गाओ की लड़की थी
25:03जो उनके बेटे के लिए मुदून नहीं थी
25:06अली ने बगहर जुजक कहा
25:07अगर वो मेरे साथ नहीं तो कुछ भी नहीं
25:11और अपना बिजनिस चोड़कर गाओ में रहने लगा
25:13एक साल गुजर गया
25:16महरें के वालदीन भी अली की कुर्बाने को देखकर
25:19हिरान रह गए
25:20आखिरकार अली के वालद को इसास हुआ
25:22कि उनका बेटा सिर्फ महबत नहीं इनसानियत का सबक दे रहा है
25:26वो गावाए सब के सामने बेटे के महबत को तसलीम किया
25:30और महरें के इज़त से बहु बना लेकर गया
25:35और ये कहानी थावित कर गई
25:37के महबत जब खुलूस से हो तो कोई परक कोई देवार उसे रुख नहीं सकती
25:41वीवर्ज महरें एक चोटे से गाव के तालीमी अपताग खुद्दार और सुल्जी हुई लड़की थी
25:49जिसने शहर आकर अपनी मेहनत से एक स्कूल्टी में टीचर की नवकरी हासल की
25:55वो खुआप तो देखती थी मगर हकीकत का सामना करना भी जानती थी
26:00अली एक बड़े बिजनसमेन का बेटा जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
26:05महरीन से उस वक्त मिला जब उसकी कवनी ने गावमी स्कूल सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
26:10अली पहली नजर में ही महरीन की साथगी और वकार फर दिल हार बेटा
26:15मगर महरीन ने कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
26:19उजने अली को सख्ती से नजर अंदास किया
26:22मगर अली बाहज नाया वो बार बार स्कूल आता
26:26बच्चों किले किताबे लाता और हर मोका पर महरीन की इज़त से वाद करता
26:30अहिस्ता इस्ता महरीन का दिल भी नरम पढ़ने लगा
26:34मगर वो जानती थी
26:35कि दोनों की दुनिया अलग है और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
26:40एक दिन अली ने भाकई दर तोर पर निकाह की पेशक्ष की
26:43तो महरीन ने सच्चाई से कहा
26:46मैं सिर्फ तब मानूंगी अगर तुम मेरे गाउ के लिए कुछ कर दिखाओ
26:50सिर्फ मेरे लेने ही
26:52इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
26:54अली ने ये चिलन्ज कबोल किया
26:56और ची महीनों में गाउ में एक लाइबरिरी
27:00वाटर पल्ट्रेशन प्लांट और एक चोटा साकले ने कॉल दिया
27:04महरीन ने जब ये सब देका
27:06तो इसके हांके नम हो भी
27:08उसने पहले बार किसी अमीर शख्स को
27:10बगएर किसे दिकावे के खलूस से कुछ करते देगा
27:14वो रिश्टा कबोल करने पर राजी हो गई
27:17मगर अब अली के वालदें ने इंकार कर दिया
27:20उनके लिए महरीन सिर्फ गाउ की लड़की ती
27:22जिनके बेटे के लिए मौजू नहीं थी
27:25अली ने बगएर जजग कहा
27:26अगर वो मेरे साथ नहीं तो कुछ भी नहीं
27:30और अपना बिजनिस चोड़कर गाउ में रहने लगा
27:32एक साल गुजर गया
27:34महरीन के वालदीन भी
27:36अली के कुरबाने को देखकर
27:38हिरान रहे गए
27:39आखिरकार अली के वालद के इसास हुआ
27:41कि उनका बेटा सिर्फ महबत नहीं
27:43इनसानियत का सबक दे रहा है
27:45वो गावाए सब के सामने
27:47बेटे के महबत को तसलिम किया
27:49और महरीन के इज़त से
27:52बहु बना लेकर गया
27:54और ये कहानी साबित कर गी
27:56कि महबत जब खलूस से हो
27:57तो कोई परक कोई देवार उसे रुख नहीं सकती
28:00वीवर्ज महरीन एक चोटे से गाव के तालीमी अपता
28:05खुदार और सुल्जी हुई लड़की थी
28:08जिसने शेहर आकर अपनी मेहनत से
28:11एक स्कूल्टी में टीचर की नवकरी हासल की
28:14वो खुआप तो देखती थी
28:15मगर हकीकत का सामना करना भी जानती थी
28:19अली एक बड़े बिजनसमेन का बेटा
28:21जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
28:24महरीन से उस वक मिला
28:25जब उसकी कवनी ने गाव में स्कूल सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
28:29अली पहली नजर में ही महरीन की साथगी और वकार फर दिल हार बेटा
28:34मगर महरीन ने कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
28:38उजने अली को सखती से नजर अंदास किया
28:41मगर अली बाजनाया वो बार बार स्कूल आता
28:45बच्चों के ले किताबे लाता
28:47और हर मोका पर महरीन की इज़त से वाद करता
28:49अहिस्ता हिस्ता महरीन का दिल भी नरम पढ़ने लगा
28:53मगर वो जानती थी
28:55कि दोनों की दुनिया अलग है
28:57और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
28:59एक दिन अली ने बाकेदत और पर निकाह की पेशक्ष की
29:02तो महरीन ने सच्चाई से कहा
29:04मैं सिर्फ तब मानूंगी
29:06अगर तुम मेरे गाओ के लिए कुछ कर दिकाओ
29:09सिर्फ मेरे ले ने ही
29:11इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
29:13अली ने ये चिलन्ज कबोल किया
29:15और ची महीनों में गाओ में एक लाइबरिरी
29:18वाटर पल्ट्रेशन प्लांट और एक चोटा साकले ने कॉल दिया
29:23महरीन ने जब ये सब देखा
29:25तो इसके हांके नम हो गई
29:27उसने पहले बार किसी अमीर शख्स को
29:29बगएर किसी दिकावे के खलूस से कुछ करते देखा
29:33वो रिश्टा कबोल करने पर राजी हो गई
29:36मगर अब अली के वालदें ने इंकार कर दिया
29:38उनके लिए महरीन सिर्फ गाओ की लड़की थी
29:41जो उनके बेटे के लिए मुदू नहीं थी
29:43अली ने बगएर जजग कहा
29:45अगर वो मेरे साथ नहीं तो कुछ भी नहीं
29:49और अपना बिजनिस चोड़कर गाओ में रहने लगा
29:51एक साल गुजर गया
29:53महरीन के वालदीन भी
29:55अली के कुरबाने को देखकर
29:57हिरान रह गए
29:58आखिरकार अली के वालद को इसास हुआ
30:00कि इनका बेटा सिर्फ महबत नहीं
30:02इनसानियत का सबक दे रहा है
30:04वो गावाए सबके सामने
30:06बेटे के महबत को तसलीम किया
30:08और महरीन के इज़त से
30:11बहु बना लेकर गया
30:12और ये कहानी साबित कर गए
30:15कि महबत जब खुलूस से हो
30:16तो कोई परक कोई देवार उसे रुख नहीं सकती
30:19वीवर्ज महरीन एक चोटे से
30:22गाव के तालीमी अपता
30:24खुद्दार और सुल्जी हुई लड़की थी
30:26जिसने शेहर आकर
30:29अपनी मेहनत से
30:30एक स्कूल्टी में टीचर की नवकरी हासिल की
30:32वो खुआप तो देखती थी
30:34मगर हकीकत का सामना
30:36करना भी जानती थी
30:38अली एक बड़े बिजनेसमेन का बेटा
30:40जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
30:43महरीन से उस वक मिला
30:44जब उसकी कवनी नगाव में स्कूल सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
30:48अली पहली नजर में ही महरीन की साथगी
30:51और वकार फर दिल हार बेटा
30:53मगर महरीन ने
30:54कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
30:57उजने अली को सखती से
30:58नजर अन्दास किया
31:00मगर अली बाहज नाया
31:02वो बार बार स्कूल आता
31:04बच्चों के ले किताबे लाता
31:05और हर मौकर पर महरीन की इज़त से बात करता
31:08आहिस्ता इस्ता महरीन का दिल भी नरम पढ़ने लगा
31:12मगर वो जानती थी
31:14कि दोनों की दुनिया अलग है
31:15और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
31:18एक दिन अली ने बाकेदा तोर पर निकाह की पेशक्रश की
31:21तो महरीन ने सच्चाई से कहा
31:23मैं सिर्फ तब मानूंगी
31:25अगर तुम मेरे गाओं के लिए कुछ कर दिकाओ
31:28सिर्फ मेरे ले ने ही
31:30इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
31:32अली ने ये चिलन्ज कबोल किया
31:34और ची महीनों में गाओं में एक लाइबरीरी
31:37वाटर पल्ट्रेशन प्लांट और एक चोटा साकले ने कॉल दिया
31:41महरेन ने जब ये सब देका
31:44तो इसके आंके नम होगी
31:46उसने पहले बार किसी अमीर शख्स को
31:48बगेर किसी दिकावे के खलूस से कुछ करते देगा
31:52वो रिश्टा कबोल करने पर राजी हो गई
31:54मगर अब अली के वालदें ने इंकार कर दिया
31:57अनके ले महरेन सिर्फ एक गाओ के लड़की थी
32:00जो उनके बेटे के लिए मोजू नहीं थी
32:02अली ने बगेर जजग कहा
32:04अगर वो मेरे साथ नहीं तो कुछ भी नहीं
32:07और अपना बिजनिस चोड़कर गाओ में रहने लगा
32:10एक साल गुजर गया
32:12महरेन के वालदीन भी
32:14अली के कुरबाने को देखकर
32:16हिरान रहे गए
32:17आखिरकार अली के वालद को इसास हुआ
32:19कि उनका बेटा सिर्फ महबत नहीं
32:21इनसानियत का सबक दे रहा है
32:23वो गावाए सबके सामने
32:25बेटे के महबत को तसलिम किया
32:27और महरेन के इज़त से
32:30बहु बना लेकर गया
32:31और ये कहानी साबित कर गए
32:33कि महबत जब खुलूस से हो
32:35तो कोई परक कोई देवार उसे रुख नहीं सकती
32:38विवर्ज महरेन एक चोटे से
32:41गाव के तालीमी अपता
32:43खुदार और सुल्जी हुई लड़की थी
32:45जिसने शेहर आकर
32:47अपनी मेहनत से
32:48एक स्कुल्टी में टीचर की नवकरी हासिल की
32:51वो खुआप तो देखती थी
32:53मगर हकीकत का सामना
32:55करना भी जानती थी
32:56अली एक बड़े बिजनसमेन का बेटा
32:59जो अपने वालिद के कारुबार में मस्रूब था
33:01महरेन से उस वक मिला
33:03जब उसकी कवनी नगाव में स्कूल सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
33:07अली पहली नजर में ही महरेन की साथगी
33:09और वकार फर दिल हार बेटा
33:12मगर महरेन ने
33:13कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
33:16उजने अली को सखती से
33:17नजर अन्दास किया
33:19मगर अली बाहज नाया
33:21वो बार बार स्कूल आता
33:22बच्चों के ले किताबे लाता
33:24और हर मोका पर महरेन की इज़त से बात करता
33:27अहिस्ता इस्ता महरेन का दिल भी नरम पढ़ने लगा
33:30मगर वो जानती थी
33:32कि दोनों की दुनिया अलग है
33:34और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
33:37एक दिन अली ने भाकेदा तोर पर निकाह की पेश्किश की
33:40तो महरेन ने सच्चाई से कहा
33:42मैं सिर्फ तब मानूंगी
33:44अगर तुम मेरे गाओं के लिए कुछ कर दिकाओ
33:47सिर्फ मेरे ले ने ही
33:49इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
33:51अली ने ये चिलन्ज कबोल किया
33:53और ची महीनों में गाओं में एक लाइबरीरी
33:56वाटर पल्ट्रेशन प्लांट और एक चोटा साकले ने कॉल दिया
34:00महरेन ने जब ये सब देखा
34:03तो इसके हांके नम हो गई
34:04उसने पहले बार किसी अमीर शख्स को
34:07बगएर किसी दिकावे के खलूस से कुछ करते देखा
34:11वो रिश्टा कबोल करने पर राजी हो गई
34:13मगर अब अली के वालदें ने इंकार कर दिया
34:16उनके लिए महरेन सिर्फ गाओं की लड़की थी
34:19जिनके बेटे के लिए मौजू नहीं थी
34:21अली ने बगएर जजग कहा
34:23अगर वो मेरे साथ नहीं तो कुछ भी नहीं
34:26और अपना बिजनिस चोड़कर गाओं में रहने लगा
34:29एक साल गुजर गया
34:31महरेन के वालदीन भी
34:33अली के कुर्बाने को देखकर
34:34हिरान रहे गए
34:35आखिरकार अली के वालद को इसास हुआ
34:38कि उनका बेटा सिर्फ महबत नहीं
34:40इनसानियत का सबक दे रहा है
34:42वो गावाए सब के सामने
34:44बेटे के महबत को तसलिम किया
34:46और महरेन के इज़त से
34:48बहु बना लेकर गया
34:50और ये कहानी साबित कर गए
34:52कि महबत जब खुलूस से हो
34:54तो कोई परक कोई देवार उसे रुख नहीं सकती
34:57वीवर्ज महरेन एक चोटे से
35:00गाव के तालिमी अपता
35:02खुदार और सुलिह हुई लड़की थी
35:04जिसने शेहर आकर
35:06अपनी मेहनत से
35:07एक स्कूल्टी में टीचर की नवकरी
35:09हासल की वो खुआप तो देखती थी
35:12मगर हकीकत का सामना
35:14करना भी जानती थी
35:15अली एक बड़े बिजनसमेन का बेटा
35:18जो अपने वालिद के कारुबार में
35:20मस्रूब था महरेन से उस वक मिला
35:22जब उसकी कवनी नगाव में स्कूल
35:24सपोर्ट प्रोग्राम शुरू किया
35:26अली पहली नजर में ही महरेन की साथगी
35:28और वकार फर दिल हार बेटा
35:30मगर महरेन ने
35:32कभी अमीर लड़कों पर इतिमाद नहीं किया था
35:35उजने अली को सखती से
35:36नजर अदास किया
35:38मगर अली बाहज नाया
35:40वो बार बार स्कूल आता
35:41बच्चों किले किताबे लाता
35:43और हर मोका पर महरेन की इज़त से वाद करता
35:46अहिस्ता इस्ता महरेन का दिल भी नरम पढ़ने लगा
35:49मगर वो जानती थी
35:50कि दोनों की दुनिया अलग है
35:53और शायद यरिशा सिर्फ एक परेब हो
35:55एक दिन अली ने भाकएदा तोर पर निकाह की पेशक्ष की
35:59तो महरेन ने सच्चाई से कहा
36:01मैं सिर्फ तब मानूंगी
36:03अगर तुम मेरे गाओ के लिए कुछ कर दिखाओ
36:05सिर्फ मेरे ले ने ही
36:08इन सब के लिए जिनके खुआब अदूरे है
36:10अली ने ये चिलन्ज कबोल किया
36:12और ची महीनों में गाओ में एक लाइबरिरी
36:15वाटर पल्ट्रेशन प्लांट और एक चोटा साकले ने कॉल दिया
36:19महरेन ने जब ये सब देखा
36:22तो इसके आंके नम हो गी
36:23उसने पहले बार किसी अमीर शख्स को
36:26बगएर किसी दिकावे के खलूस से कुछ करते देखा
36:30वो रिश्टा कबोल करने पर राजी हो गई
36:32मगर अब अली के वालदें ने इंकार कर दिया
36:35अनके ले महरेन सिर्फ गाओ की लड़की थी
36:38जो उनके बेटे के लिए मौजू नहीं थी
36:40अली ने बगएर जजग कहा
36:42अगर वो मेरे साथ नहीं तो कुछ भी नहीं
36:45और अपना बिजनिस चोड़कर गाओ में रहने लगा
36:48एक साल गुजर गया
36:50महरेन के वालदीन भी
36:51अली के कुरबाने को देखकर
36:53हिरान रहे गए
36:54आखिरकार अली के वालद के एसास हुआ
36:57कि उनका बेटा सिर्फ महबत नहीं
36:59इनसानियत का सबक दे रहा है
37:00वो गावाए सब के सामने
37:03बेटे के महबत को तसलिम किया
37:04और महरेन के इज़त से
37:07बहु बना लेकर गया
37:09और ये कहानी साबित करगी
37:11कि महबत जब खलूस से हो
37:13तो कोई परक कोई देवार उसे रुख नहीं सकती
37:16विवर्ज महरेन एक चोटे से गाव के तालीमी अपता
37:20खुदार और सुल्जी हुई लड़की थी
37:23जिसने शेहर आकर अपनी मेहनत से
37:26एक स्कूल्टी में टीचर की नवकी
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