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ये वीडियो बोध प्रत्यूषा - 22nd जनवरी , 2025 || आचार्य प्रशांत (2025)
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Transcript
00:00जब जोर की हवाएं चलती हैं अंधर चलते हैं तो जो मजबूत पेड़ होते हैं वो नाचते हैं और जो कमजोर होते हैं
00:10हवा टाइट ये क्या हो गया हवा उतनी ही है वैसी हवा बह रही है और जिस व्रिक्ष की जड़े गहरी है
00:22मैं न व्रिक्षों की बात कर रहा हूँ
00:24न जड़ों की बात कर रहा हूँ
00:26जड़ों से आशे समझते हो न मूल
00:27जो व्रिक्ष
00:29गहराई से मूल में स्थापित है
00:32वो नाचते हैं जब तूफान आते हैं
00:35और जो हलके होते हैं
00:38उडर जाते हैं
00:40गिर जाते हैं
00:40उखड़ जाते हैं, आप अगर यही सिद्ध करते रहोगे कि हलके हो,
00:45हलके, आ गया एक और, हलका आ गया, हलका, मजबूत आदमी की
00:50निशानी ये होती है, कि जब सामने से चुनौती आती है,
00:56दिक्कत आती है, तो उसको रोमांच हो जाता है, कुछ हो रहा है क्या,
01:02बताओ कहां क्या हो रहा है, और कमजोर आदमी की निशानी ये होती है,
01:06कि जब तक सब कुछ बिलकुल शान्त है, सौम में है, तब तक तो उसका ठीक चल रहा है,
01:13जहां आफ़त आई, तहां उसको मिर्गी आई.
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