00:00अभी किसी से चोट लगी हो या आज भी लग रही हो और इधरोदर बहुत विचार मत करियेगा बस यह देख लिजेगा कि आपने उम्मीद कहां पाल रखी थी
00:10चोट आपको किसी व्यक्ति से नहीं लगती किसी घटना से भी नहीं लगती चोट आपको आपकी उमीदों से लगती है और उमीदें तो आपकी हैं जब उमीदें आपकी हैं तो फिर चोट खाने की जिम्मेदारी भी आपकी है यह मत कह दीजे कोई दूसरा व्यक्ति चोट दे
00:40परिणाम की कोई अपेक्षा नहीं भविश्य की और मत देखना जो सही है उसको बस दिल लगा के करो डूपके करो
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