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Every Tuesday night, strange things happen in the village temple… 😱
Watch this terrifying story “Bhootiya Mangalwar” (Haunted Tuesday) — a horror tale full of suspense, fear, and a hidden moral.
A chilling Hindi horror story that teaches a powerful life lesson.

🎬 Topic: भूतिया मंगलवार | Haunted Tuesday
💬 Category: Hindi Horror Stories / Moral Stories / Kahaniya
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Transcript
00:00बूत्या मंगलवार
00:30इसलिए सभी अपने खेतों में जल्दी जल्दी काम निप्टा कर घर के लिए जा रहे थे
00:35अरे भाई काम खतम हो गया हो तो घर चलें रात होने वाली है और कल मंगलवार है पता है ना मंगलवार यानि एक आदमी की बली
00:47हाँ हाँ याद है थोड़ा सा काम रह गया है बस फिर चलता हूँ तुम जाओ मैं आ जाओंगा ठीक है भाई फिर मैं चलता हूँ
00:59सभी लोग अपने अपने खेतों का काम खतम करके घर जा चुके थे पर सत्तु अभी भी खेतों में काम कर रहा था
01:09सत्तु घर जा ही रहा होता है
01:25कि उसके सामने एक साया आकर खड़ा हो जाता है
01:28अरे? कौन हो भाई?
01:31और मेरा रास्ता रोके क्यों खड़े हो?
01:33हटो सामने से और जाने दो मुझे
01:35वो साया तांत्रिक का साया होता है
01:38तुझे कैसे जाने दू?
01:44तू चला गया, तो मैं किसकी बली दूँगा?
01:51बली? कौन हो भाई?
01:54और क्यों डरा रहे हो मुझे?
01:55जरा शकल तो दिखाओ अपनी
01:58तांत्रिक जैसे ही सत्तु को अपनी सूरत दिखाता है
02:01सत्तु डर से थर-थर कांपने लगता है
02:04छोड़ दो मुझे, मुझे जाने दो
02:09वैसे भी आज तो सोमवार है
02:11तुम तो मंगलवार को बली लेते हो ना?
02:14रे मूर्ट, जरा ध्यान से देख
02:18मंगलवार दिन शुरू हो गया है
02:21बारा कपके बन चुके है?
02:25अब तू तयार हो जा, बली के लिए
02:28तांतरीक उसकी एक नहीं सुनता
02:31और सत्तु को मार देता है
02:33उसके हाथ, पैर उसके धर से अलग करके
02:36खेतों में फैंक देता है
02:37पूरा दिन मंगलवार को घर से बाहर कोई नहीं निकलता
02:40मंगलवार का दिन खतम होते ही
02:42सत्तु की पतनी शान्ता
02:44पूरे गाउं में अपने पती को ढूनती है
02:46काका, काका, क्या आपने मेरे पती को कहीं देखा है
02:50परसों से वो घर नहीं आए
02:52मैंने नहीं देखा बेटी
02:54तभी शांता को दूर से शोर आता सुनाए पड़ता है
02:58वो उस शोर के नस्दिक जाती है
03:01तो वहाँ देख कर हैरान रह जाती है
03:03क्योंकि वहाँ उसकी सामने उसके पती की लाश पड़ी थी
03:07जिसके हाथ पैर गायब थे
03:09चुन्दो के बापू, आप हमें जोड़के नहीं जा सकते
03:17मुझे पता है, मुझे पता है यह से उसी तांदरिक ने किया है
03:22मैंने रात को ही बोला था सत्तू को
03:25कि जल्दी घर चले, पर उसने मेरी एक न मानी
03:29बोला, मुझे अभी और काम करना है खेतों में
03:33अब देखो, तांदरिक के साहे ने उसका कितना बुरा हश्र किया
03:37सभी गाउवाले मिलकर सत्तू का अंतिम संसकार कर देते हैं
03:42पूरे गाउव में मातम चाया होता है
03:44धीरे धीरे दिन बीटने लगे और फिर हफ्ता पूरा हुआ
03:48मंगलवार फिर से आ गया, सभी घरों में छिप कर बैठे थे
03:52ये सब कितने दिन और चलेगा?
03:55एक एक करके गाउव के सभी लोग मरते जा रहे हैं
03:58वो तांत्रिक का साया किसी को नहीं छोड़ेगा
04:01एक दिन हमारा नंबर भी आ जाएगा मरने का
04:04शुप शुप बोलिए जी, आप ऐसा क्यूं सोचते हैं?
04:08जब तक हम मंगलवार के दिन अपने घर में हैं
04:11तब तक वो हमारा कुछ नहीं बिगार सकता
04:13शाम का समय था
04:15तब ये बाहर से भैसों की जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज आती है
04:19वो भैसे बंसिकी ही होती है
04:21ये भैसे इतना काही चिल्ला रही है
04:24इनके लिए तो मैंने पहले से ही पानी और चारा रख दिया था
04:27फिर का हुआ?
04:28अरे भागवान हो सकता है उनके नजदीक कोई साफ हो
04:32ये गाव है खुले में साफ बिच्चू तो घूमते ही रहते हैं
04:38अब का करें? कही भैसों को काट लिया तो
04:41इनी भैसों का दूद बेज कर ही तो हम अपना घर चलाते हैं
04:45मुझे बाहर जाकर देखना होगा
04:47अज मंगलवार है और आप बाहर जाने की बात कर रहे हैं
04:52नहीं नहीं मैं आपको बाहर नहीं जाने दूँगी
04:54अरे सुश्मा ये जानवर भी तो हमारे ही घर के सदस्य है
04:59उन्हें हम मुसीबत में कैसे छोड़ सकते हैं भला?
05:03बंसी अपनी पतनी की नहीं सुनता
05:05और घर से बाहर आकर अपनी भैसो को देखने लगता है
05:08वहाँ उनके आसपास कोई नहीं होता
05:10तभी बंसी के नजर तांत्री के साए पर पड़ती है
05:13वो साया भैसो की आड में ही था
05:16उसी साए को देखकर भैसे चिला रही थी
05:19आज जेरी बली बक्की है
05:22वहाँ दूर खिरकी से सुश्मा ये सब देखकर जोर-जोर से चिलाने लगती है
05:43अरे गावालो तांत्रीक से मेरे पती को बचाओ
05:47नहीं तो वो मेरे पती की भी बली चड़ा देखा
05:50पर उसकी आवाज सुनकर कोई भी अपनी घर से बाहर नहीं निकलता
05:54सभी खिड़की से खड़े-खड़े तमाशा देख रहे थे बस
05:57किसी की हिम्मत नहीं होती है बंसी को बचाने की
06:00सबको अपनी जान की पड़ी थी
06:02तभी तांत्रिक बंसी के धर से उसका सर अलग कर देता है
06:06मार रही है उसने मेरे पती को
06:10अब मैं जी कर क्या करूंगी
06:13अरे ओ तांत्रिक मुझे और मेरे बच्चों को भी मार दे
06:18अभी नहीं अगले मंगलवार को आऊँगा
06:22फिर से एक बली लेने
06:24तांत्रिक डरावनी हसी हसते हुए वहाँ से गायब हुचाता है
06:30फिर से गाउं में मातम चाजाता है
06:32सुबह होते ही सभी गाउं वाले सरपंच के पास जाते हैं
06:36सरपंच जी ये सब कब तक चलेगा
06:40एक एक करके वो तांत्रिक सभी को मारता जा रहा है
06:43सब पता होने पर भी हम हाथ पे हाथ रक कर कैसे बैठ सकते हैं
06:48नरेश बिलकुल सही बोल रहा है सर्पंच जी, अब आप ही बताईए क्या करें, जिससे की तांत्रिक का साया इस गाउं से हमेशा के लिए चला जाए
06:57हम, अब आप सब की जिम्मेदारी मैं लेता हूँ, अगले मंगलवार किसी भी गाउंवाले की जान नहीं जाएगी
07:06मतलब क्या है आपका सर्पंच जी, किसी की जान नहीं जाएगी, कुछ समझ में नहीं आया
07:12मतलब ये है कि हमारे पास एक हफता है, अगर मैं कुछ नहीं कर पाया, तो मैं खुद तांत्रिक के सामनी अपनी बली दे दूँगा
07:22सर्पंच की ये बाते सुनकर सभी हैरान रह जाते हैं, अगले दिन सर्पंच बड़ी गहरी सोच में डूबा हुआ, हुक्का पी रहा था, तभी शहर से उसका पोता मानव वहां आता है
07:33मानव अपने दादा जी, आप कैसे हैं, अच्छा पहले ये बताईए, मैंने देखा आप बड़ी गहरी सोच में बैठे हुए थे,
08:02ऐसा क्या सोच रहे थे, कि मेरे आने की आहट भी आपने नहीं सुनी, हमेशा तो आप मेरी आहट से ही मुझे जान जाते थे
08:10ऐसा कुछ नहीं है, अच्छा बताओ, मेरा मानव बेटा कैसा है, शहर का खाना खाने से, तू कितना दुबला पतला हो गया है
08:21मेरी बात दादा जी ने काट दी, मुझे लगता है जरूर कोई खास बात है, जो दादा जी मुझे बताना नहीं चाहते
08:31मानव अपने दोस्तों से मिलने जाता है, उसे वहाँ से पता चलता है तांत्रिक के बारे में, और इस मंगलवार सरपंच क्या करने वाले थे उसके बारे में भी
08:47शायद दादा जी यही सोच रहे थे, इसलिए उदास दिख रहे थे, मैं उन्हें मरने नहीं दूंगा
08:54मानव मंगलवार आने का इंतिजार करता है, आखिर मंगलवार का दिन आ ही गया
09:00मानव बेटा, आज तुम घर से बाहर मत जाना, अंदर ही रहना
09:05ऐसा क्यों दादा जी, मैं तो जरूर जाओंगा
09:08अरे नहीं नहीं बेटा, तु अपने दादा जी की बात नहीं मानेगा क्या
09:13दादा जी, मुझे सब पता चल गया है, आज उस तांत्रिक को आप नहीं, मैं दूंगा अपनी बली
09:21इतना बोलते ही, मानों घर से बाहर चला जाता है, तब उसके सामने साया आकर खड़ा हो जाता है
09:35जैसे ही तांत्रिक मानों को मानने के लिए हाथ उटाता है, मानों के शरिष से एक तेज रोष्ण निकल कर तांत्रिक को पीछे ध़केल देती है
09:47He, he, he, he was so afraid. I felt very bad. And how was the light that was?
09:58Mano, this was the surprise. He had a dream. He was just an idea that he had a locket. He was just a locket. He was just a locket.
10:07Now, this locket will be our way to get back. And this will be coming from him.
10:12this is always for me.
10:14Mano Jaisi Bollockit
10:16Tantriki sasamni karta hai
10:18Tantriki dar ki wahaan se bhaag jata hai
10:20aur phir kubhi nahi aata
10:22us gao me
10:42o
10:46o
10:48sur
10:50ar
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