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A mother’s love never dies… even after death. 💔👻
Watch this emotional yet terrifying story — “Maa Bani Chudail” (The Mother Who Became a Witch).
A heart-touching Hindi horror story with a powerful moral message about love, loss, and sacrifice.

🎬 Topic: माँ बनी चुड़ैल | The Mother Who Became a Witch
💬 Category: Hindi Horror Stories / Moral Stories / Kahaniya
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Transcript
00:00
00:28ये जमान, बेटिया की कुंडली जिस युवक से मिल रही है, वो एक बहुत ही साधारन परिवार का है
00:36अरे उससे क्या फर्क पड़ता है, हम तो अपनी बेटी को अपने घर ही रखने वाले हैं, हमें तो घर जमाई चाहिए
00:46लेकिन ये जमान, मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ संभव है, ये युवक घर जमाई नहीं बनेगा
00:55तभी सेड़ जी की बेटी सेड़ जी के पास आई, और उनके कानों में कुछ फुस फुस आई
01:01उसकी बाते सून कर सेड़ जी के चहरे पर मुस्कान आ गई
01:08ठीक है पंडित जी, आप शादी की बाद आगे बढ़ाईए
01:14और फिर कुछ महिनों में लक्ष्मी की शादी एक बहुत ही साधारन युवक विमल से हुई
01:21शुरू-शुरू में दोनों की अच्छी बन रही थी, और विमल की मा सरीता भी बहुत खुश थी
01:28एक दिन सोते वक्त लक्ष्मी ने विमल से बात की
01:33ना इस घर में ढंका सोफा है, ना गदेदार पलंग और ना ही टीवी
01:39ए जी, आप मेरे साथ मेरे पापा के घर चलिये न, वहाँ सोब कुछ है
01:44नहीं लक्ष्मी, अब यही तुमारा घर है, तुम्हें इसी घर में रहने की आदत डालनी होगी
01:52उस दिन के बाद, लक्ष्मी हर छोटी छोटी बातों पे विमल से जगड़ा किया करती
01:59उनके बीच बात इतनी बिगड़ गई कि अब लक्ष्मी कभी बेलन तो कभी बरतन फेक फेक कर विमल को मारती
02:09विमल बेटा, ये क्या है, तुम दोनों ऐसे लड़ क्यों रहे हो
02:14मा, ये रट लगाए बैठी है कि मैं भी इसके साथ इसके बाप ये घर में जाकर रहूं, घर जमाई बनकर, भला मैं ये कैसे कर सकता हूं
02:27और इसी लिए हमारी रोज अनबन होती है
02:31एक कामकर, तु उसे अच्छे से समझा कि अब यही उसका घर है
02:37अगले दिन फिर से, लक्षमी विमल को अपने घर जलने के लिए जोर डालने लगी
02:44आप मेरे साथ मेरे घर चली, आपको यहां गरीबों को तरह जीने की कोई जुरूत नहीं है
02:51मेरे पापा के पास सब कुछ है
02:53मैंने तुम्हें कितनी बार बोला है, मैं घर जमाई नहीं बनना चाहता हूँ
03:01अगर आप खुद से मेरे साथ नहीं चलोगी, तो मैं मेरे भाईों से बोल कर आपको जबर्दस्तियां से उठवा लूँगी
03:08बहु की ये बात सुनकर सरिता को अपने बेटे की चिंता सताने लगी
03:15इसकी तीनों भाई तो इतने शक्तिशाली है, मेरे बेटे का क्या हाल होगा
03:21ये मैंने क्या कर दिया, इससे अच्छा तो किसी गरीब की बेटी ब्याह लाती
03:27सरिता बहुत दूर एक बाबाजी के पास गई और उन्हें अपने पूरी दुख भरी दास्तान बताई
03:41अब आप ही बताईए बाबाजी, मैं अपने बेटे को बचाने के लिए क्या कर सकती हूँ
03:49ये ताकतवर इंसान ऐसे ही होते हैं, हमेशा निर्बलों को दबाना चाहते हैं
03:57अब सिर्फ गूफा में रहने वाली डायन ही तुम्हारी मदद कर सकती है
04:04सिर्फ वही तुम्हें ताकतवर बना सकती है, जिससे तुम अपने बेटे को बचा सकती हो
04:13बाबा जी, मुझे ये डायन कहां मिलेगी?
04:17वो उत्तरी दिशा में मिलेगी, लेकिन उससे मिलने से तुम्हारे प्राण भी संकत में आ सकते हैं
04:27उपने बेटे की जान बचाने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ
04:31सरिता उत्तरी दिशा में निकल पड़ी और गुफा तक पहुशते पहुशते उसे रात हो गई
04:38कुई है यहाँ?
04:47क्या? आज एक इंसान यहाँ खुद चल कर आया है?
04:54वो भी मेरा खाना बनने
04:57मैं आपसे मिलने आई हूँ
05:03मिलने? मुझसे?
05:06अहाँ
05:09वो भी खुद चल के बताओ बताओ क्या बात है?
05:15सरिता ने डायन को अपने कहानी सुनाई
05:36अपाई तो है लेकिन बहुत कठीन है
05:50मैं अपने बेटे को बचाने के लिए कुछ भी कर लूँगी
05:54तुम्हें मेरा श्राप अपने उपर लेना होगा
05:58जिससे मेरी सारी शक्तिया तुम में आ जाएंगी
06:01तब मैं आजाद हो जाओंगी
06:03और तुम डायन बनके यहीं गुफा में रहोगी
06:06और ना ही सूरज की रोश्णी में निकल सकोगी बाहर
06:10क्योंकि डायन की शक्तियां सिर्फ रात को ही काम करती है
06:14क्या तुम्हें यह मन्जूर है
06:17विमल को बचाने के लिए अगर मुझे डायन भी बनना पड़े
06:22तो मन्जूर है
06:23डायन ने कुछ जादू किया
06:26और डायन की सारी शक्तियां सरिता में चली गई
06:30और अब डायन आजाद होकर एक औरत बन गई
06:34और सरिता डायन बन गई
06:38यहाँ पूरा दिन हो गया था
06:40विमल ने गाउं में जाकर मा को ढूंडा
06:44लेकिन मा कहीं नहीं मिली
06:47रात को वो घर पहुँचा
06:49तब लक्षमी उस पर बरस गई
06:51यह सब सरिता अपने शक्तियों से देख रही थी
06:55और उसी समय सरिता डायन के रूप में वहां पहुँची
07:00सरिता को डायन के रूप में देख कर
07:03उसके पैरों से मानो जमीन खिसक गई
07:06सरिता जोर जोर से हसने लगी
07:10जैसे तैसे रात को लक्षमी सो गई
07:34और सुभे होते ही
07:36अभी अपने भाईयों को बताती हूँ कि आपने मुझे पेलद से मारा
07:41लक्षमी दर्वाजे से पाउं बहार डाल ही रही थी
07:44कि सरिता ने अपने हाथ लंबे करकर लक्षमी के पाउं पकड़ लिये
07:50अब तुम इस जोखट के बाहर बिलकुल नहीं जाओगी
07:54एक बार फिर से लक्षमी बेहोश हो गई
07:58अब जब भी लक्षमी कुछ बेतुका करने जाती थी
08:02सरिता बीच में आकर अपने बेटे को बचा लेती
08:06और बेचारी लक्षमी डायन से डर कर घर के कोने में दुबक कर बैठी रहती
08:14विमल दिन रात अपनी मा को याद करके रोता
08:28तु कहां है मा? कहां चली गई मुझे छोड़ के?
08:38बेटा विमल मैं यही हूँ तेरे पास
08:42लेकिन इस डायन के रूप में
08:45यह सब सुन विमल बहुत डर जाता है
08:49दर मत बेटा बस मुझे से तिरा दुख नहीं देखा जा रहा था
08:54इसलिए मुझे यह सब करना पड़ा
08:57यह सब पीछे खड़ी लक्षमी सुन रही थी
09:01तभी सरिता ने उसे अपनी शक्तियों से दिवार पर लटका दिया
09:06जा रही हूँ
09:09मगर एक बात समझ ले
09:11मेरे बेटे को परिशान करने की भी
09:14तुने या तेरे घरवालों ने सोची
09:16तो मैं यहाँ फिर आ जाओंगे
09:19जी जी जी माजी
09:21तभी तो कहते हैं
09:25मा से बढ़कर
09:26दुनिया में कुछ नहीं
09:28मा एक वरदान है
09:30जो अपने बच्चों के लिए
09:32कुछ भी कर सकती है
09:34दोस्तों हमें उमीद है कि
09:36आपको हमारी ये कहानी पसंद आयोगी
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