बेबाक भाषा के ख़ास कार्यक्रम Decoding RSS में प्रसिद्ध लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता राम पुनियानी बता रहे हैं कि RSS की स्थापना कब, क्यों और किस मक़सद से हुई और वह किस तरह आज़ादी के पूरे आंदोलन से दूर रहा। #news #latestnews #newsanalysis #RSS #rssagenda #rampuniyani #rsscentenary #hindurashtra
00:06डिकोडिंग RSS इस कड़ी में आज हम RSS के उगम, विकास और विचारधारा की बात करेंगे
00:19जैसा हम जानते हैं अभी 2 उक्टोबर 2025 को RSS अपने 100 साल पूरे कर रही है
00:28इसी दिन महात्मा गांधी का जन्म दिन भी है
00:33इसी दिन बावा साब अंबेड करने बहुत दर्म की दिख्शा ली थी
00:39तो आज जब इस संगठन ने 100 साल पूरे कर लिए है
00:44इस संगठन के बारे में हम कुछ समझने की कोशिश करेंगे
00:48RSS बना क्यों था किसने बनाया
00:52तो यह समझने के लिए हम देखेंगे
00:54कि जब राश्ट्री अंदूलन की शुरुआत हो रही थी
00:58जब भारत में अलग-अलग प्रकार के परिवर्तन आ रहे थे
01:02फुद्योग धंदे आ रहे थे
01:04ट्रांसपोर्ट रेल आ रहे थी
01:06मेल कॉमिनिकेशन आ रहे थे
01:09साथी साथ दलित और महिलाओं की शिक्षा हो रहे थी
01:14तो उस समय जो पुरानी विवस्था थी
01:18जहां जमीदार और ब्रह्मनों का वर्चस्व था
01:21वो वर्चस्व समाज से तूट रहा था
01:25कम हो रहा था, कमजोर हो रहा था
01:27तो एक तरफ जहां महात्मा गानी
01:30राष्ट्री आंदोलन करने तरह तो कर रहे थे
01:33इस आधार पे जिसको आज
01:36हमारे समिधान में रूट विला है
01:38सुतंतरता, समता, बंदुता और न्याएं
01:41उसके दूसरे तरफ जो सवर्ण, सब्ध्रांत,
01:45जमीदार, ब्रह्मन, राजा थे
01:48इन्होंने एक अलग संगठन बनाने की पहल की
01:53ये पहल क्यों की, क्योंकि उन्हें लगा
01:56कि ये जो नहीं व्यवस्ता आ रही है
01:58जादलितों की बराबरी है
02:00आम लोगों की बराबरी है
02:02महिलाओं की बराबरी है
02:04ये उनके जो पुरानी व्यवस्ता है
02:07उससे मेल नहीं खाती
02:08तो इसलिए उनको लगा
02:10कि जो हिंदुत्व के मूल है
02:13हिंदु राष्ट्र के जो मूले हैं वो डगमगा रहे हैं
02:17इसलिए नाकपुर से इलाके से पाँच चित्त पावन ब्राह्मन साथ में आए
02:23और उन्होंने बाकी लोगों को भी जोड़ा
02:26और 1925 दो अक्टोबर को इन्होंने राष्टिय स्वयम से वकसंद की सापना की
02:31इसका मुख्य उद्देश था जो सावरकर ने अपनी किताब हिंदु तो और हुए इन्जे हिंदु में लिखा था
02:38कि ये हिंदु राष्ट्र है और ये उन सब लोगों का राष्ट्र है जिनकी पुन्य भूमी और पुत्र पित्र भूमी यहां है
02:47तो खेर आरेसेस ने अपना काम शुरू किया और इनके काम में मुक्खे तोर पे था लड़कों को शाखा में बुलाना शाखा में लाना खेल कुद करना और खेल कुद के बाद उन्हें वो मुल्य देना जो हिंदु राष्ट्रवार के थी
03:05इनके मुल्यों में इनके मोडियूल में क्या बात थी खास दोर से
03:10इनके मोडियूल में पहली बात थी कि ये जो भारत है ये देश किवल हिंदुओं का है
03:17और गांधी, नेरू और दूसरे जो लीडर हैं राश्ट्री आंदुलं के, ये इसको सब लोगों का देश समाजते हैं, ये गलत है, गांधी की विचारधारा राश्ट्री आंदुलं की दिशा ये गलत है, हमें तो एक ऐसा राश्ट्र चाहिए, जहां सभी हिंदु एक प्रा
03:47को आकरशित किया जाता था, खेल कुड के माध्यम से, और साथ ही साथ उनको, जिसको कहते हैं, शाका बौधिक, शाका बौधिक के आदार पे, उन्हें हिंदु राजाओं की महांता और मुस्लिम राजाओं की क्रूरता, ये ज्यादा तर शिक्षित किया जाता था, यह यह �
04:17सब्रांद लोगों से
04:19बने थे, जमीदारों से जागिरदारों
04:21से बने थे और मुसल्मान
04:23नवाबों से बने थे, वो भी कहते
04:25थे कि मुस्लिम एक
04:27राश्टरा है जो मुहम्मद
04:29इन कासिम जिसने सिंदपर
04:31आक्रमन किया था आठवी शताबदी में
04:33तब से वो एक मुसलिम राश्टरा है
04:35तो ये दो समांतर धाराएं चल रही थी
04:38मुसलिम राश्टरबाद की और हिंदू राश्टरबाद की
04:40हिंदू राश्टरबाद की धारा में
04:42हिंदू महासवा भी थी
04:43बाद में तो खैर हिंदू महासवा
04:45काफे कमजोर हो गई
05:03कभी भाग नहीं लेंगे, कोई भी ब्रिटिश विरोधी काम नहीं करेंगे, और इसके चलते खैर, जो इनके साफक माने जाते हैं, डॉक्टर केभी हेडिगेवार, उन्होंने 1920 के सत्यागरा में भाग लिया था, थोड़े दिन जेल में थे, 1930 के भी भाग लिया था, 1930 में वो R
05:33कर, अपने दोस्त, डॉक्टर अब बेंकर को ये जिमेदारी दे कर, वो जेल गए, और उन्होंके जेल जाने का उदेश, कोई राश्ट्री आंदुरन के समानतर नहीं था, उनका उदेश था, कि जेल में समविचारी लोगों से संपर्क करके, RSS को मश्बूत करना, तो खेर
06:03विदर्ब में, महराष्ट में, और फिर धीरे धीरे जब प्रचारक तयार हुए, वो पूरे भारत में जाकर संग के विचारों का प्रसार करने लगए, अब यहां ये बता दू, कि जो स्वयम सेवक थे, शाखा में जो जाते थे, वो लड़के बाद में स्वयम सेवक बने,
06:33इन में एक उची श्रंखला है, सबसे उची श्रंखला पर प्रचारक वेते हैं, प्रचारकों को देश भर के अलग-अलग हिस्सों में जाकर इसी प्रकार की शाखाएं लगाना और RSS की ब्रांचिस बनाने का काम दिया गया, अब यहां एक दूसरी बात हम देख लें, कि RSS
07:03प्रचारक की रिष्टेदार थी, उन्होंने के भी हेडगेवार जी को पत्र लिखा कि हमें भी RSS में आने का मौका दीजिए, और हेडगेवार ने कहा, स्त्री पुरुशों का साथ में रहना, यह हमारे समाज के लिए उचित नहीं है, और इसलिए आप एक दूसरा संगठन
07:33जो रिजन, रिजन की धर्म की आड़ में अपने पुराने मुल्यों को सामने रखते हैं, उसमें कहीं भी स्त्रीयों को बराबरी का स्थान नहीं मिलता, तो खैर आगे चलकर इन्होंने बहुत सारे संगठन बनाएं, कौन से यह थे यह संगठन, एक था अखिल भारती विध
08:03इन्होंने समानतर संगठन खड़े किये, जैसे अखिल भारती विध्यारती परिशाद मानता था कि कॉलेज के मैनेजमेंट से मिलकर ही हम अपने समस्याओं को सामने रखेंगे, जबकि आरेसेस ने यह एबी वीपी का जो काम था, वो मैनेजमेंट के तरफ से था, दूसरा �
08:33पूरा एक मूल्निवासी वोई है, जो आरें से पहले आये थे, टो उदिवासी के लिए प्रकृरती पूजप के पूज़ा हैं, अपने पूरोजों की पूज़ा करते हैं, तो इन्होंने उसके लिए आदिवासी के लिए वनवासी कल्यान आश्रम खोला।
09:03अपने शेहरों से भाग कर जंगल में जाकर रहने लगे तो उनका भी इन्होंने हिंदु करन करने की कोशिश की तो 1948, 30 जन्वरी को महात्मा गांधी की हत्या इन्ही के एक जो पहले प्रचारक थे नाथुराम गोड से बाद में जो हिंदु महासभा में काम करने लगे और अग
09:33सिफ्रभावित थे, RSS में उनकी शिक्षा हुई थी, वो अलग एक बहुत बड़ा चैप्टर है, उसकी बात हम यहां नहीं करेंगे, पर एक बात मैं है बता दूँ कि उनके अख़बार में एक कार्टून छपा था, कार्टून क्या था? कि दस सिर का रावन है, उसका केंद
10:03थे, वो सब उसमें शामिल थे, तो यह एक उनकी विचारधारा, जो RSS की विचारधारा है, उसको केंदरे रूप से बताती है, कि कैसे इने राश्ट्री आंदोलन से काफी समस्या थी, और उसके विरोध में यह हिंदू राश्ट की कलपना करने लग गए, इनकी मॉड्यू
10:33समाज था, स्त्रियों को देवी माना जाता था, और सब सब जातियां बराबर थी, यह जो समस्या हुई, वो मुसल्मानों के आने के बाद हुई, और बाद में कृश्चन्स के आने के बाद थी, यह जो अंदर चीजे थी, जो अंदर समाज के दोश्ट थी, उन्होंने उनको
11:03पूर रहे इन्होंने अंग्रेजों का पूरा-पूरा साथ दिया, वो 1930 में जैसे RSS ने RSS के रूप में इसमें भाग लेने से मना कर दिया, 1942 के भारत छोड़ अंदोलन से ये पूरी तोर से दूर रहे और इन्होंने अपनी शाकाओं को निर्देश भी दिया कि हमारा नियम इ
11:33पूरा जो विभाजन हुआ, उसका दोश महात्मा गांधी पे डाला, इनकी समझ भी महात्मा गांधी के कारण ही मुसल्मान यहां ज्यादा एसरटिव हो गए, और उन्होंने पाकिस्तान की मांग की, मुसल्मानों को सिर पे चढ़ाया इन्होंने, और हिंदू के हित को इन्
12:03किया, और सरदार पटेल लिखते हैं, उन्होंने एक पत्र में लिखा कि ये जो नफरत का वातावर्ण, RSS ने खड़ा किया है, नफरत का जो वातावर्ण, RSS ने पैदा किया है, उसी के कारण हमें अपने राश्टर पिता को खोना पड़ा, तो खैर, RSS पर प्रतिबंद ल
12:33हिंदू महासभा के साथ मिलकर भारती जन्र संग नाम की पार्टी बनाई, इसमें RSS के कुछ प्रचारक थे, जैसे अटल विहार इवाजपई, नालकुरेशन अडवानी, दीन लियाल उपाद्ध है, और इन्होंने राजनिती के पतल पर हिंदू राश्ट की बात रखी, सह
13:03जब इन्होंने गाय का मुद्धा उठाया और उसके बाद फिर राम मंदिर का मुद्धा उठाया, राम मंदिर के मुद्धे के साथ जो पूरा समाज का धुरुवी करण हुआ, बाबरी मस्जिद को गिराया गया, बाबरी मस्जिद गिराने के बाद समाज में एक प्रकार स
13:33उन्हीं के मुद्दों को लेकर ये आगे बढ़े
13:35इन्होंने जन्ता के जो मुद्दे हैं
13:39गरीबी, भुक्मरी, बेकारी
13:41इसके बारे में कभी कोई बात नहीं की
13:45इनका मुख्य मुद्दा धर्म से जुड़ी हुई
13:48भावनात्मक बातों को लेकर चलना था
13:51इसलिए इनके मुद्दे बाद में लव जिहाद, लैंड जिहाद, ठूप जिहाद
13:56इस प्रकार की चीज़ों पर चलते रहे
13:59और इन्होंने भावनात्मक मुद्दों के आधार पे
14:04समाज में नफरत का एक बहुत बड़ा तूफान
14:07नफरत का एक बहुत बड़ा वातावन पैदा किया
14:11जिसके कारण सांप्रगा एक हिंसा लगातार बढ़ भी रहे
14:15इसके बाद जब हम देखते हैं कि RSS की चालाकी से इन्होंने देखा
14:21कि एक तरह तो उनको आइजनला है
14:23जिस समाज के दलित, आदिवासी, महिला और मजदूर इनको निशले दरदे पे रखना
14:32मुसल्मानों को और क्रिश्चन्स को एक विदेशी मानना
14:36ये उनका मुख्य एजिंडा था
14:38पर इनी क्षित्रों में काम करने के लिए उन्होंने आदिवासीयों में काम करने के लिए वनवासी कर लियान आश्रम
14:45जिसमें वो आदिवासीयों का हिंदू करन करते हैं
14:49उनकी घर वापसी कराके उनको हिंदू बनाते है
14:52ऐसे ही जहां तक दलितों का सवाल है
14:55उसमें उन्हें उन्हें समाजिक समरस्ता मंच बनाया और समाजिक समरस्ता मंच के आधार पर ये समाजिक का जो उनका मुक्च धारना ये है कि अलगरक जातियां एक दूसरे से मिल जून कर रहे यह हमें याद दिला दू बाबा साब अमबिट कर कहते थे कि जाती का विनाश हो
15:25मजदूर संग बनाया जो मैनेजमेंट के साथ मिलकर काम करता है ऐसे ही मजदूर भारती मजदूर संग भारती किसान संग इन सब के आधार पे इन्होंने समाज के अलग तबकों में भी चुनावी तोर पे काम करना चालू किया तो आज हम देखते हैं कि एक सर्व्यापी समिठ
15:55कारण अगर हम देखें जो भारती जन संग 1952 में बना था उस समय पहले चुनाव में उसको कुछ दो सीटे मिली और 3-4 परसेंट 4-5 परसेंट वोट मिले धीरे धीरे जैसे इनका प्रभाव बढ़ता गया इनकी चुनावी ताकत भी बढ़ती गई और पहले फिर ये 1996 में फ
16:25सत्ता पर आये थे तब उनकी एक पूर्ण पूरी बहुत बहुत नहीं था इसलिए उन्होंने दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई पर एजेंडा मुख्यतूर तोर से इनका ही था
16:392014 के बाद से इनोंने जो बनाया भरती जंता पार्टी मिजॉर्टी में आई तब से इनकी टीतिया बिलकर अलग रही हैं
16:49तो इस भाग में हम यहीं रोकेंगे और अगले भाग में हम देखेंगे कि इनकी नीतियां जो सत्ता में आने के बाद बनी
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