00:00तोड़कर जिसमें वो लिखती है मौत को लबजों की नहीं दुआई की जरूरत होती है अगर मैं वापस ना सकी तो मुझे अपने किसी नजम में जिन्दा रख लेना
00:08हर इस बिचेने से हर रोज इसे तलाश करता है वो शेहर हस्पिताल हर जगा जाता है लेकर अलीना कहीं नहीं मिलती
00:15दोह साल बाहर इनस्टिम एक नहीं नुमाईश होती है जिसके नवान है यादो का मुसम वाएक पेंटिंग होती है बारश में बेगते एक लड़की और नेचल लिक्या होता है वो जो आँखों से बोलती थी
00:26हर इस पेचान लेता है ये अलीना है पेचान नुमाईश के कोने में वही मुस्किराट वही निगाए अलीना वापस आ जाती है
00:34से अत्मन मगर खामोश इस बारहार इस खुद चल कर जाता है और कहता है अब की बार सिर्फ नजब नहीं पोजिजिन देगी लिकोंगा तुमें लेकर इज़रामस सीरियल के हवाले से आप भी अपने राय की जाहर लाजबी करें साथ में हमरे येटूब का चैनल सबस्क्रा
01:04काई है एक एसा हमसा पर जो इसके खामोशी को समझे और इसकी आंकों में चुपे दर्द को पड़ सके हार इस एक संजीदा कम गूम अगर दिल से नरम इनसान चंज साल फेले गासे में अपने माँ के बाप को कुछ कहा है जो इस ही उनस्टी में वेजिटिंग प्रोपेसर �
01:34अशूद हारिस ने भी खुछ से कभी नहीं कि पहले तो हारिस को अलेना की बातों से चल होती है लेगन वक्त के साथ साथ इसकी बेसाख तही मस्किराहिट और सवालाब हारिस के दिल ये बंद दरवाज़ और को कौने लगता है रपता रपता दोनों एक दुस्छी के साहे �
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