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Transcript
00:00जाद हम बजबूत हो तो तक तक्दीर भी बदल जाती है
00:02ड्रामा सीरल के हुआले से अपने राए की जहाल आजमी कमेंट करें
00:06साथ में हमरे येटूब का चीनल सबस्क्राइब का नहां मत भूलिए
00:09तेंक्स पर वाचिंग अल्हाफिज
00:11लिवी वर्ज अलीना एक चोटे शहर की तालिमी अपता जहीन
00:16मगर खौबों में उल्जी हुई लड़की थी
00:18इसके आंकों में डाक्टर बनने के खौब ता
00:21लेकिन हालात ने उसे इन्वर्श्टी के दर्वाबसे पर रुख दिया
00:25इसके वालिद एक सरकारी स्कूल के उस्ताहत थे
00:28जिनके पेंशन पर अब पुरा गर चल रहा था
00:31तीन बेहन बायों में वो सबसे बड़ी थी
00:33इसलिए वो अपनी मा के सहारा और बाप की उमेद थी
00:37एक दिन अलीना को एक फ्रावेट स्कूल में फड़ानी का मौका मिला
00:42वो सुबा चे बजे गर से निकलती है
00:45बच्चों को पढ़ाती है
00:47शाम को वाफस आकर चोटे बेहन बायों को भी फड़ाती
00:50वो तक जाती लेकिन इसके चेहरे पर कभी भी मायोसी नजर ना आती
00:55इसके हसी में भी दर्द चुपा होता और आगों में भी
00:59महले में एक नौजवान हाशिम अकसर इस स्कूल जाते हुए देखा करता
01:05वो एक खामोश सुल्जा हुआ वर शरापत से बरपूर ललका था
01:08वो इसके महनत इसके खुद्दारी से मतासिर था लेकिन कभी इज़ार ना कर सका
01:14एक दिन हाशिम के मा रिश्टा लेकर एलिने का गर आगई
01:19अलिना हिरान भी हुई और परेशान भी
01:22वो जानती थी कि इसका खुआब अभी अदूरा है
01:25उसने साब के दिया
01:27अमी जी मैं अभी अपने खुआब मुकमल करना चाहती हूँ
01:30मेरे खुआब किसी की महबत से कम नहीं
01:34लेकिन अभी वक्त नहीं आया
01:35हाशिम ने जब ये बात सुनी तो खामोश रहा
01:38मगर दिल से
01:39अलेना के खदर और बढ़ गी
01:41कुछ महीने गुजरे
01:43अलेना ने अपने जमापोंजी से
01:45अनलाइन कोर्से शुरू की
01:47वो बच्चों को पढ़ा कर जो पेसे
01:49बचा थी उन्ही अपने खुआब पर लगा थी
01:52इसके महनत रंग लाने लगी
01:53एक रोज उसे कराची के एक हस्पतान में
01:56ट्रेनी मेडिकल स्टेंट के जाब मिल गी
01:59पूरा खानदार खुश हो गया
02:02और अलेने के आंकों में वो दूशनी लोटा ही
02:04जो सालों से गायब दी
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