00:00एक समय की बात है जब स्रिष्टि के रचेता ब्रमा जी ध्यान मगन थे दब है गरिव नामक तैते ने वेदो को चुरा लिया और सागर की गहराईयों में छिपा दिया वेदो की अभाव में संसार में अज्यानता और धर्म का परसार होने लगा इससे चंतित होकर ब्रमा जी �
00:30रक्सा करें अन्यता बड़ी मचलिया मुझे कहा जाएगी सत्यवर्थ ने दया कर उसे अपनी कमंडल में रख लिया लेकिन वह रातो रात इतनी बढ़ गई की कमंडल फिल्ट मटका सरोवर और अंत में समुंदर तक भी उसके लिए चोटा पड़ गया अब विशाल रूप
01:00साथ दिन बाद भीजन पर ले आया फिर्द्वी जल्मगन हो गई सत्यवर्थ और सब्तरिसी नाव में सवार हुए तब भगवान मतस्य विशाल रूप में प्रकट हुए और अपनी सिंग से नाव को सुरक्षित इस्तान पर ले गई फिर उन्होंने हैगरिव का वत कर वे�
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