00:00मोर और बुल्बुल एक उत्तमपुर नाम का गाव था।
00:05उस गाव से लगकर एक सुन्दर सा उपवन था।
00:09उस उपवन में कई प्रकार के पेड़, पोधे, पंची, प्राणी, फल, फूल सब थे।
00:16उस उपवन में सभी प्राणी और पंची बहुत आजाधी से यहां वहां घूम सकते थे।
00:23उपवन का पूरा वातावरन खुश हाल था।
00:27उस उपवन में एक मोर रहा करता था।
00:31वह मोर बहुत ही सुन्दर था।
00:34और उसके पंख तो और भी सुन्दर थे।
00:38बारिश के मौसम में वह मोर खुशी से जूम कर अपने पंख फुला कर बहुत सुन्दर तरीके से नाचता था।
00:49एसे ही बारिश के मौसम के एक दिन हमेशा की तरह वह मोर जूम कर नाच रहा था।
00:58अचनक उसके मन में गाने का ख्याल आ गया।
01:01और वहाँ मोर अपनी आवाज में गाने लगा।
01:12उसने अपनी खुद की आवाज सुनी लेकिन उसे ये बात समय में आ गई कि उसकी आवाज उसकी शरीर की तरह सुन्दर नहीं है।
01:24उसकी आवाज तो बहुत करकश है।
01:27उसे यह सोच कर बहुत दुख हुआ कि भगवान ने उसे जितना सुन्दर शरीर और पंख दिये हैं उतनी सुन्दर आवाज नहीं दी।
01:38और उसी गम में उसके आग से आशु बहने लगे।
01:44उसे उपवन में एक बुल-बुल भी रहा करती थी।
01:48वह मोर के पास आई और बोली,
01:52अरी मेरी टोस, तुम्हे क्या हुआ, तुम क्यों रो रहे हो, तुम इतने दुखी क्यों हो।
02:00उस पर मोर बोला,
02:04अरी बुल-बुल, मैं तुम्हे क्या बताओ,
02:07मेरा शरीर और ये पंख इतने खुब सूरत है,
02:11पर मेरे पास सुन्दर आवाज नहीं है।
02:15उस पर बुल-बुल बोली,
02:17उसमें दुख करने जैसे क्या बात है,
02:20तुम्हे इतना सुन्दर शरीर और पंख मिले है,
02:24उस पर मोर बोला,
02:39उस पर बुल-बुल बोली,
02:54तुम्हे निराशा होती है,
02:56क्योंकि मैं बहुत चोटी हूँ न,
02:59और वहां मूं मोड कर चले जाते हैं।
03:02तो मेरे दोस्त, अब सोचने वाले बात यह है,
03:07कि मेरी आवाज कितनी भी मिथी और सुरीली हो,
03:11पर मुझे तुम्हारे जैसा सुन्दर शरीर और पंख तो नहीं मिले न,
03:17फिर भी मैं दिन भर खुशी से गाती रहती हूं।
03:22ऐसा कहकर बुल-बुल वहां से उड़ गई।
03:27मोर ने बुल-बुल के बातों पर गौर किया,
03:30और उसे यह समझ आया,
03:33कि बुल-बुल एकदम ठीक कह रही है।
03:37उसे उसके आवास के बारे में भगवान को कोसने की बजाय,
03:42उसे तो उसके सुन्दर शरीर और पंखों की भेड देने के लिए,
03:47भगवान को बहुत धन्यवाद देने चाहिए।
03:52उस दिन से मोर ने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की,
03:57और हमेशा के तरह बारिश में वह खुशी-खुशी नाच कर,
04:02भगवान को अपनी सुन्दर शरीर और पंखों के लिए,
04:07हमेशा धन्यवाद देता गया।
04:10तो बच्चों, इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है,
04:15भगवान ने हमें जो नहीं दिया, उसके लिए भगवान से शिकायत करने के बजाएं,
04:22अपने गुण पहचान कर उन गुणों के लिए,
04:26भगवान के परती हमेशा कृतग्यता भाव रखना चाहिए,
04:30और उसे व्यक्त करना चाहिए।