00:00दस साल पहले मेरे पिताजी का डेथ हो गया, तो जब पिताजी की मत तबित खराब थी, तो फिर मैं उनको जब हॉस्कोलाज़ाज़न के गई तो वो रिफ्यूज के नहीं आना चाहे हैं
00:08और देदी के टाइम में हमको लगा उसके मन में कुछ बात थे, वो हमको बता नहीं पाये थे, फिर हमको अभी तक वो चीज मतलब सालती ही रहती है कि लगता है कि अगर हम कुछ हेल्फ कर पाते हैं, पापा को पी हम पहले होस्क्राज़न ने कर पाया है, जब ला है तो ओड़
00:38कि आप अपनी दीदी की आपने प्रिता जी की कुछ मदद और कर पाती है, बिल्कुल संभव है, लेकिन आप उसको बदल नहीं सकते हैं, अतीत को नहीं पविसलते हैं, लेकिन अतीत सोचते रहने में आप उसे वंचित रह जाएंगी जो आप अभी कर सकती हैं, उनके लिए
01:08कि आज जो अच्छे से अच्छा, उंच्छे से उंच्छा आप जिनके लिए भी कर सकती हैं, वो करिए. जी, तन्यवाद कर जी.
Be the first to comment