Iqra Hasan Parliament Speech: Lok Sabha में Iqra Hasan ने अपने 5-मिनट के प्रभावशाली संबोधन में संविधान, समान अधिकारों और अल्पसंख्यक समुदायों की चुनौतियों पर गंभीर सवाल उठाए। उनकी स्पष्ट, तर्कपूर्ण और दमदार स्पीच ने सदन का ध्यान खींचा और सोशल मीडिया पर भी चर्चा तेज कर दी। इस वीडियो में आपको इकरा हसन की पूरी बातों का सार, संसद में हुई प्रतिक्रियाएं और उनके उठाए मुद्दों का विश्लेषण मिलेगा। लोकतंत्र, बहस और जनप्रतिनिधियों की ज़िम्मेदारी को समझने के लिए यह क्लिप ज़रूर देखें।
00:00कि सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्ता हमारा, हम बुलबुले हैं इसके, ये गुलसिता हमारा, मजभ नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना, हिंदी है हम, पतने हिंदुस्ता हमारा
00:13कि बंदे मातरम सिर्फ अतीफ की ललकार नहीं, ये वरत्मान की जिम्मेदारी है, ये आत्मा मंथन की घड़ी है, यही समय है कि हम बंदे मातरम को सिर्फ नहरा नहीं नीति और जिम्मेदारी बनाएं,
00:25और अपने जजबात को मैं आलमा इकबाल साहब को तरहना हिंद के साथ इस सदन में रखना चाहती हूं
00:31कि सारे जहां से अच्छा, हिंदुसता हमारा, हम बुलबुले हैं इसके, ये गुलसिता हमारा, मजभ नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना, हिंदी है हम, बतन हिंदुसता हमारा
00:44फिर से मुस्लिम तुष्टिकरन के नाम पर भारतिय मुसल्मानों को कटगरे में खड़े करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन मैं सदन में बताना चाहूंगी कि हम भारतिय मुसल्मान, जिन्ना के हवान को ठुकरा कर, अपने इस प्यारे वतन की मिट्टी से, मिट्टी के सा�
01:14अपनाया, हम भारतिय मुसल्मान, इंडियन्स बाइ चॉइस हैं, बाइ चांस नहीं, वंदे मातरम के किन छंदों को राष्टे गीत के तोर पर अपनाया जाए, ये फैसला सर रविंदर नाठ टेगोर और सुभाष चंदर बोस जी, जैसे नेताओ के परामर्ष के बाद हु
01:44ने उन छंदों को अपनाया, जिनोंने देश के हर वर्ग, हर धर्म के मानने वालों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया, और मैं एक घटना आप लोगों के सामने रखना चाती हूँ, वर्ष 1998 में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री रविंदर शुकला जी ने स्कूलों में �
02:14जताई और उयूपी सरकार ने राश्टरगीत को अनिवार्य करने वाले मंत्री को बरखास्त कर दिया था, अब मैं सत्ता पक्ष से सवाल करना चाहूंगी, मैं सत्ता पक्ष से सवाल करना चाहूंगी,
02:28मैं सत्ता पक्ष से सवाल करना चाहूंगी कि जो विशन आजादी के समय के लोगों का था, राश्टरगीत को स्वेच्चा पर छोड़ने का उसी का अनुसरन, मानने अटल बिहार इवाजपाई जी ने किया, तो क्या वे भी मुस्लिम तुष्टिकरन कर रहे थे, जी नहीं,
02:58माने अध्यक्ष मौद्या, आज हमें वंदे मातरम के असली भाव को समझना जरूरी है, ये गीत तो देश के जल, जंगल, जमीन, हर्याली और निर्मल हवा की वंदना को समर्पित है, ये भारत की जनजन की मंगल कामना करता है, कि भारत का हर नागरिक स्वस्त रहे, सुरक्
03:28का हाल देखिए, दिल्ली प्रदूशन नयंतरन समीती की दो हजार पचीस की रिपोर्ट बताती है, कि यमुना के कई हिस्सों में बियोडी स्तर 127 एमजी पर लीटर है, तक पहुच चुका है, जबकि कि किसी जीवित नदी के लिए ये तीन एमजी पर लीटर से कम होना चाह
03:58आए, वही जहर अनाज में उतरता है, और वही जहर किसान की जिंदगी को धिरे माली का अर्थ है, जो जीवन देती है, बिमारी नहीं,
04:21आज मैं सदन से पूछना चाहती हूँ क्या आज के भारत की हवा मले अजे शीतलम है
04:26नहीं अध्यक जी बस संसद से बाहर कदम रखे एक गहरी सास लीजिए
04:31ये चंदन की महक नहीं ये जहर है जो आपके हमारे फेफडों में उतर रहा है
04:35दुनिया के 20 सबसे प्रदूशिद शेहरों में से 13 भारत में है
04:41दिल्ली की हवा में सास लेना मानो रोज 20 सिगरेट पीने जैसा हो
04:45भारत हर साल सर्दियों में जहरीली हवा के प्रकोप में घिर जाता है
04:50एक यूआई गंभीर सर पर आ जाता है
04:52थंडी हवा का सपना आप गैस चेंबर की हकीकत बन चुका है
04:57हम वो देश हैं जहां सरकार प्रकृती पर बने गीत का मान मर्दन तो करती है
05:02पर उसी प्रकृती जंगल हवा पेड को बचाने वाले कानूनों को धीरे धीरे खुदी खतम कर रही है
05:08यह है आज के हमारे मले अजे शीतलम की अफसोस जनक सचाई
05:13हम अगर हम हवा को साफ नहीं कर पाए
05:15तो ना सुजलाम बचेगा ना सुफलाम बचेगा
05:18मानिया ध्यक्ष महोद्या सस्य साथमलम का अर्थ है ऐसा देश जहां उपजाओ जमीन हो
05:24जहां खेत फसल से भरे हो और किसान कर्ज और निराशा में न डूबा हो आज किसान सिर्फ मौसम से नहीं लड़ रहा है
05:31प्रदूशन नीतियों की बेरुखी और सिस्टम की नाइंसाफी से लड़ रहा है
05:35एक तरफ कॉर्परेट के लोन माफ होते हैं दूसरी तरफ किसान को उसकी वाजब MSP भी नहीं मिल पाती है
05:41आप ग्लोबल सूपर पावर बनने की बात करते हैं लेकिन हमारी पर क्यापिटा इंकम दुनिया में 136 नंबर पर है
05:49हम अपने छोटे पडोसी देश से भी पीछे हैं हमारे लोग धाई अजार डॉलर तक भी नहीं कमा पा रहें एक साल में और जिन अरब पतियों की रक्षा करते हैं वो इतना पैसा एक सेकिंड में कमा लेते हैं
06:00आज वन्डे मातरम को ब�नियाद बना राजनीती की जा रही है लेकिन जमीन पर जंगल पूंजी पत्यों को सौपय जा रही है आतिवास्यों को उनके घरों से उजाड़ा जा रहा है
06:09मात्रम में जो मात्रम आता है वे सिर्फ मात्र भूमी की वंदना नहीं वे इस धर्ती की हर नारी वे इस देश की हर बेटी हर महिला के सम्मान की बात भी करता है
06:21लेकिन आकड़े अगर आप देखेंगे NCRB की हाल की रिपोर्ट के अनुसार मैं हम जो सुनने
06:27के अनुसार देश में हर वर्ष लगबग 30,000 से अधिक बलतकार हो रहे हैं
06:32यानि एक दिन में 80 से अधिक महिल आए यौन हिंसा का शिकार होती है
06:36और ये सिर्फ दर्ज मामले हैं जब जम्मु कश्मीर की एक बच्ची हिंसा कत्याचार का शिकार होती है
06:42जब सत्ता से जुड़े लोगों पर आरोप लगते हैं और कारवाई वर्ष लटक जाती है
06:47जब उन्नाओं की पीड़ता लखनाओं के दर्बार में इंसाफ को लेकर अपनी जान देने पर अमादा होती है
06:53जब बिल्कीस बानों के अपरादियों का सरकार के लोग दुआरा स्वागत किया जाता है
06:57तो ये घटनाए बंदे मातरम की आत्मा पर चोट पहुचाती है
07:01मैं अध्यक्ष पहुदिया बस यही कहना चाहती हूँ
07:04अपनी बात को अंत में रखते हुए कि बंदे मातरम सिर्फ अतीत की ललकार नहीं
07:10ये वर्तमान की जिम्मेदारी है ये आत्मा मंथन की घड़ी है
07:14यही समय है कि हम बंदे मातरम को सिर्फ नारा नहीं नीती और जिम्मेदारी बनाए
07:19और अपने जजबात को मैं आलमा इकबाल साहब के तरहना हिंद के साथ इस सदन में रखना चाहती हूं
07:25कि सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्ता हमारा, हम भुल-bुले है इसके, ये गुल-सिता हमारा, मझभ नहीं सिखाता, अपस में पहर रखना, हिंदी है हम, बतने हिंदुस्ता हमारा
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