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Dhurandhar Movie Viral Video: आज की वायरल घटना “धुरंधर” मूवी की स्क्रीनिंग के दौरान हुई। जब राष्ट्रीय गान बजा, तो सभी दर्शक खड़े हुए, लेकिन एक व्यक्ति वहीं बैठा रहा। Theater में मौजूद लोगों ने उसे खड़ा होने के लिए कहा, लेकिन उसने कोई response नहीं दिया। कुछ ही पलों में पूरी crowd ने मिलकर उसे बाहर कर दिया। यह वीडियो Social Media पर तेजी से viral हो रहा है। जानिए इस controversy की पूरी कहानी और legal aspect – क्या कानून कहता है राष्ट्रगान के समय खड़े होने पर।

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~HT.410~PR.89~ED.110~

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Transcript
00:00अज हम आपके लिए एक ऐसा मामला लेकर आए हैं जो हाल ही में एक फिल्म स्क्रीनिंग के दौरान सामने आया और सोशल मीडिया पर तेजी से वाइरल हो रहा है
00:23ये घटना फिल्म धुरमदर की स्क्रीनिंग के दौरान हुई जैसे ही थेटर में फिल्म की शुरुवात हुई राष्ट्रिय गान बजे
00:30पूरे दर्शक खड़े होकर राष्ट्रिय धोज और राष्ट्रगान का सम्मान कर रहे थे
00:35लेकिन इसी बीच एक व्यक्ति वहीं बैठा रहा और खड़ा नहीं हुआ
00:38शुरुवात में कई दर्शकों ने इसे अंदेखा किया
00:41लेकिन कुछ ही पलों में लोगों का ध्यान इस व्यक्ति पर गया
00:44थेटर का माहल बदल गया
00:46दर्शक हैरान और कुछ गुसे में दिखे
00:49उन्होंने उस व्यक्ति से खड़े होने का अनुरोद किया
00:51लेकिन उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी
00:53कुछ ही समय में पूरी थेटर की भीड ने मिलकर उस व्यक्ति को वहां से बाहर निकाल दिया
00:58इस घटना की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर तेजी से वाइरल हो गई
01:02और ये चर्चा का विशह बन गई
01:28भारत में राष्ट्रिय गान के समय खड़े होना एक सम्मान और शिष्टाचार माना जाता है
01:43चाहे ये किसी सरकारी कारिकरम में हो या किसी फिल्म स्क्रीनिंग में
01:47राश्ट्रिय ध्वज और राश्ट्रगान के प्रती सम्मान दिखाना समाजिक और सांस्क्रतिक रूप से अपेक्षित है
01:52इसकी पीछे ये भावना है कि राश्ट्रगान और राश्ट्रिय प्रतीकों के प्रती सम्मान सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है
01:59लेकिन कानून इस पर क्या कहता है इसे समझना भी ज़रूरी है
02:03सुप्रीम कोट ने स्पष्ट किया है कि फिल्म की शुरुवात में बजने वाले राश्ट्रगान के समय खड़े होना आवश्चक है
02:09लेकिन फिल्म के दौरान या किसी विशेश हिस्से जैसे न्यूज रील या डॉक्यूमेंटरी में बजने वाले राश्ट्रगान के दौरान दर्शकों को खड़े होने की कानूनी आवश्चकता नहीं है
02:19सुप्रीम कोट ने ये भी स्पष्ट किया कि खड़े ना होने पर कोई कानूनी सजा नहीं है लेकिन राश्ट्रगान में बाधा डालना दंडनिय हो सकता है
02:27यानि कानून इसे सम्मान और नैतिक जिम्मिदारी के रूप में देखता है
02:31जबकि किसी दर्शक की इच्छा है कि वो खड़ा ना हो ये उनकी व्यक्तिगत स्वतंतरता है
02:36लेकिन नैतिक रूप से ये उचित माना जाता है कि सभी दर्शक राश्ट्रगान और राश्टियध्वच का सम्मान करें
02:42इस घटना ने दर्शकों और सोशल मीडिया दोनों में बड़ा उत्साह और चर्चा पैदा की है
02:47कई लोग इसे नैतिक शिक्षा और देशभक्ती के दृष्टिकोंड से देख रहे हैं
02:51वहीं कुछ इसे व्यक्तिगत स्वतंतरता और अधिकारों के दृष्टिकोंड से देख रहे हैं
02:55देखा जाये तो ये मामला ना केवल समाज में सम्मान और शिष्टचार के महत्व को उजागर करता है
03:00बलकि ये भी याद दिलाता है कि सम्मान केवल कानून के लिए नहीं
03:04बलकि एक नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी भी है
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