00:00इसकी विजह क्या है इसकी विजह क्या है हम आज यह वह थैंड़ और हमारा राश्ट गीत है इस पर क्या वह सकती है आज जिस विषए के हम चर्चा कर रहे है वैकेवल एक विशे नहीं है भारत की आत्मा का एक हिस्जा है
00:19हमारा राष्ट्रगीत उस भावना क्या प्रतीक है जिसने सोए हुए गुलामी में सोए हुए भारत के लोगों को जगाया
00:31जिसने उन्हें हिम्मत दी कि ब्रिटिश साम राज्य के सामने खड़े होकर वस्त्यों और रहिंसा के नेतिक हत्यारों के साथ सामना कर पाएं
00:43आज यह चर्चा एक भावना के उपर है और जब हम बंदे महत्रम का नाम लेते हैं तो वही भावना
01:00हमारे दिल में ईज्यागर होती है जब हम बंदे महत्रम का नाम लेते हैं तोहमें उस पूरे
01:06पूरे एतिहास की याद आती है, जो स्वतंत्रता संग्राम का एतिहास था, उसकी पीड़ा, उसका संघर्ष, उसका साहस, उसकी नैतिक्ता, उसका जो बल था, की ब्रिटिश सामराजे उसके सामने जुका.
01:28अध्यक्ष महोदे, वन्दे मात्रम उसाधूनिक राष्ट्रवाद की अभ्यव्यक्ति है, जिसने भारत के लोगों को एक राजनीतिक और नैतिका कांक्षा से जोड़ा, जिसने भारत के लोगों को एक साजा नियति के उत्तर अधिकारी, एक साजा भविश्य के निर्माता के
01:58जैसे मैंने कहा, ये गीत देश की आत्मा का हिस्सा बन चुका है, डेश सौ सालों से देश वासियों के दिलों में ये गीत बस चुका है, पचछतर सालों से हमारा देश आजाद है, तो फिर आज इस बहस की क्या वशक्ता है?
02:21हमारा यहां मकसद क्या है? जनता से हमें दिया गया दायत्व, जनता का विश्वास, उनके प्रती हमारी जिम्मेदारी, हम किस तरह से इसका इस्तमाल कर रहे हैं? हमें ये सुचना चाहिए, क्योंकि अब इस मोड़ पर हम इस सदन में अपने राष्टगीत पर भी बहस करेंग
02:51आपने बहस मांगी है, आपने बहस मांगी है, आप तो एलेक्टारल रिफॉर्म्स की बहस नहीं मांग रहे थे, कि जब तक हम इस पर बहस नहीं करेंगे, तब तक उस पर बहस नहीं होगी
03:06इसकी वज़े क्या है
03:10इससकी वज़े क्या है
03:12हम आज यहाँ यह बहस क्यों कर रहे हैं
03:14हमारा राश्ट गीत है
03:16इस पर क्या बहस हो सकती है
03:20हम यह बहस यहाँ आज दो वज़़ों से कर रहे हैं
03:23पहला
03:25कि बंग explaining का चुनाव आ रहा है
03:27अपनी भूमे का निभाना चाहते हैं उसमें
03:32और दूसरी वज़े ये है
03:35दूसरी वज़े ये है
03:37ये मकसद है
03:38पुरानी मकसद इनकी
03:40अध्यक्ष महोद है
03:41कि जन्होंने स्वतंतरता की लड़ाई लड़ी
03:45जन्होंने देश के लिए
03:47बड़ी बड़ी कुर्बानिया दि
03:49उन पर सरकार
03:51नए आरोप लादने का मौका चाहती है
03:53देश का ध्यान
03:55फिर से जन्ता के ज्वलंत
03:57मुद्दों से भठकाना चाहती है
03:59यही एक मकसद है आपका
04:01आपका मकसद है कि हम फिर से
04:05उसी अतीत में मनराते रहें
04:07उसी की तरफ हम देखते रहें, जो हो चुका है, जो बीत चुका है, क्योंकि ये सरकार, वर्तमान और भविश्य की और देखना ही नहीं चाहती, वेस काबिल ही नहीं रही, सच्चा ही ये है अध्यक्ष महोदे, कि आज मोदी जी वेह प्रधान मंत्री नहीं रहे, जो एक समय म
04:37आत्मविश्वास घटने लगा है, उनकी नीतिया देश को कमजोर कर रही है, और मेरे सत्तपक्ष के साथ ही, चुप इसलिये हैं, क्योंकि अंदर अंदर से वे भी इस बात से सहमाता है, आज देश के लोग खुश नहीं है, अध्यक्ष महोदे, परेशान है, तमाम समस्या�
05:07अध्यक्ष महोदे, इनके भी अपने लोग दभी जबान में कहने लगे हैं, कि सारी सत्ता को केंदरित करने से देश का नुकसान हो रहा है, इस बीच अगर हम अतीत की बाते नहीं करेंगे, तो कौंसी बाते करेंगे?
05:37यह किसी और बात के काबिल ही नहीं है, सिर्फ ध्यान भठकाना है जनता का, इसलिए आज हम वंदे मात्रम पर चर्चा कर रहे हैं, वंदे मात्रम देश के कंड कंड में जीवित है, इस पर बहस नहीं हो सकती, लेकिन चलिए, आपने बहस मांगी, आप बहस करना चाहते हैं,
06:07और इसको कहने में कोई जिजक नहीं है कि भाशन अच्छा देते हैं, फोड़ा सा लंबा, लेकिन भाशन अच्छा देते हैं, इसको कहने में कोई जिजक नहीं है कि भाशन अच्छा देते हैं, इसको कहने में कोई जिजक नहीं है कि भाशन अच्छा देते हैं, फोड़ा सा
06:37परी रखें, ठीक लएगा।
06:39सर ये वंदे मात्रम पे ही है।
06:42सर आपने प्रदान में प्रदाता है।
06:45सर भाशन बहुत अच्छा देते हैं।
06:49लेकिन तथ्यों के मामले में कमजोर पढ़ जाए।
06:53इसमें भी एक कला होती है
06:58कि तथ्यों को किस तरह से जनता के सामने रखा जाए।
07:01मैं तो नहीं नहीं हूँ।
07:04जनता की प्रतिनिधी हूँ।
07:06कलाकार तो नहीं हूँ।
07:10किसलिए मैं भी
07:12सदन के सामने कुछ तथ्य रखना चाहती हूँ।
07:15लेकिन सिर्फ तथ्य की रूप में रखना चाहती हूं।
07:24मैं उदारन दूँ।
07:28उदारन देती हूं, सर मांग रहा है।
07:34सर वंदे मातरम के वारे में
07:37वंदे मातरम के जो जो आपने एक बड़ा कारिक्रम आयोजित किया था
07:42उसमें प्रधान मंत्री जी ने भाशन दिया।
07:45उसमें उन्होंने कहा कि 1896 में पहली बार
07:50गुरुदेव रबिंदरनाथ टगोर ने ये गीत एक अधिवेशन में गाया।
07:58उन्होंने ये नहीं बताया कि कौनसा अधिवेशन था।
08:01महासभ हिंदू महासभ काधिवेशन था।
08:04आरेसेश काधिवेशन था।
08:09किस बात ये भाशन था।
08:11कॉंग्रेस का अधिवेशन था और अधारें दू कि मैं अपना भाशन जारी रखो
08:19अरे दे रही हो जो वंदे मात्रम की जो क्रोनोलोजी है वह भी आप समझे जो असली क्रोनोलोजी है
08:341875 में महा कवी बनकिम चंदर चक्तो पाध्या ने इस गीत के पहले दो अंतरे लिखे
08:43जो आज हमारे राश्ट्रगीत घोशित हुए हैं मतलब जो घोशित हुए थे और जिसको हम आज अपना राश्ट्रगीत कहलाते हैं
08:54यह पहले दो अंतरे लिखे 1882 में साथ साल बाद उनका एक उपन्यास प्रकाशित हुआ आनंद मठ उस उपन्यास में यही कविता उन्होंने प्रकाशित की लेकिन इसमें चार अंतरे जोड़ दिये
09:131896 में कॉंग्रेस के अधिवेशन में गुरुदेव रबिंद्रनाथ टगौर ने पहली बार ये गीत गाया
09:241905 में बंगाल के विवाजन के खिलाफ अंदोलन के समय बंदे मातरम जनता की एकता की गुहार बनकर गली-गली से उठा।
09:37गुरुदेव रबिंद्रनाथ टगौर जैसे महान स्वत अंतरता सेनानी इस गीत को खुद गाते हुए बंगाल की सड़कों पे उत्रे।
09:46विध्यारतियों से लेकर किसानों तक व्यापारियों से लेकर वकीलों तक हर कोई ये गीत गाने लगा।
09:54इस गीत की शक्ति को समझे ब्रिटिश सामराज्य इसको सुनकर कापता था।
10:01और हमारे देशवासी इसको सुनकर वे मन बनाते थे वे हिम्मत बनाते थे कि इस भयंकर सामराज्य के खिलाफ सत्य और रहंसा के नैतिक हस्तियारों को लेकर शहीद होने की तयारी करते थे।
10:17ये गीत मात्र भूमी के लिए मर मिटने की भावना को जगाता है। इस गीत की शक्ति ये है। इस गीत का हमारे देश से जुड़ाव ये है। लेकिन 1930 के दशक में हमारे देश में जब सामप्रदाइक राजनीती उभरी तब ये गीत विवादित होने लगा।
10:391937 में अब ये मैं दूसरा उधारन देने वाली हूँ क्योंकि प्रधान मंत्री जी ने अपने भाशन में इसका उलेक किया और गलत किया। इसलिए मैं इसके जो सच्चे जो तथ्य है वो आपके सामने रख रही है।
10:541937 में नेता जी सुभाष चंद्रबोस का अधिवेशन कलकत्ता में होने जा रहा था। उसका आयोजन कर रहे थे।
11:04तो जो मोदी जी ने पत्र सुनाया सदन में 20 अक्तूबर का और कहा कि जवाष लाल नेरू जी ने बोस नेता जी को एक चिठ्थी लिखी और ये कहा कि इस पर चर्चा होनी चाहिए।
11:22उससे पहले, तीन दिन पहले नेता जी शुभास चंद्रबोस ने पंडित जवाहलाल नहरू को एक चिठ्थी लिखी थी जिसका जिख्र आपके प्रधान मंत्री ने नहीं किया।
11:36और इस चिठ्थी में इस चिठ्थी में सुन लीजेगा।
11:40सुन लीजेगा।
11:42अपिन लेता जी के लवज नहीं सुनना चाहते, भंगाल का चुनाओ रहा है।
12:00चलिये सुनीय पूआ है हैं कोए बात नी हम तो देश के लिए हैं आप चुनाव के लिए हम धीद्टे रहेंगी से लडते रहेंगे तोक
12:19और आपसे लड़ते रहेंगे और आपकी बचारदारा से लड़ते रहेंगे अपनी स्थेश के लिए अपनी स्मिंटी के लिए लड़ते रहेंगे आप हमें रोक नहीं सकते हैं
12:29सुनली जीए सुबास चांडर बोस जी ने क्या कहा
12:37सुनली जीए
12:38सुनली जीए
12:39माइड जवाहर
12:41माइड जवाहर
12:42reference Bande Mataram
12:45we shall have a talk in Calcutta
12:47and also discuss the question in the working committee
12:50if you bring it up there
12:52I have written to Dr. Tagore
12:54to discuss this matter with you
12:56when you visit Santee Niketan
12:59please do not forget
13:01to have a talk with him
13:02when you visit Santee Niketan
13:03ये 17 October को लिखी जाती है
13:0610 October को
13:09Nehruji's का जवाब देते है
13:12और आपके
13:1420 October को
13:18आँ ठीक है
13:1920 October को
13:2020 October को
13:23Nehruji's का जवाब देते है
13:24इस जवाब की एक पंक्ति
13:26प्रधान मंत्री जी ने सुनाई
13:29बाकी पंक्तियां क्यो ने सुनाई
13:30क्योंकि उनमें नेहरुजी क्या कह रहे है
13:33there is no doubt
13:35that the present outcry against
13:38Bandi Mataram is to a large extent
13:40a manufactured one
13:42by the communalists
13:43whatever we can do
13:48whatever we do
13:49we cannot pander to
13:52communalist's feelings
13:53but to meet real grievances
13:56where they exist
13:57I have decided now
14:00to reach Calcutta on the 25th morning
14:03this will give me time
14:05to see Dr. Tagore
14:07as well as other friends
14:09समझ रहे हैं आप
14:12प्रधान चुप है
14:14तो समझ ही गए होंगे
14:16फिर क्या होता है
14:17फिर क्या होता है
14:18फिर नेहरु जी
14:20कलकत्ता जाते हैं
14:22और गुरुदेव जी से मिलते हैं
14:23और उसके अगले दिन
14:25गुरुदेव जी एक चिठी लिखते हैं
14:27जिसमें वो लिखते हैं
14:29अंग्रेजी में चिठी है
14:32उसका एक अंश में आपको हिंदी में बता देती हूं
14:35जिसमें गुरुदेव जी कहते हैं
14:38कि जो दो अंतरे हमेशा गाए जाते थे
14:41उनका महत्व इतना गहरा था
14:44कि उस हिससे को कविता के शेश हिससे
14:47तथा पुस्तक के उन अंशों से अलग करने में
14:51उनने कोई कठिनाई नही थी
14:53उन्होंने ये कहा कि स्वतंतरता संग्राम में
14:57हमेशा से वहीदों अंतरे ही गाए जाते थे
15:00और उनको गाते हुए कुर्बानी देने वाले सेकडों शहीदों के सम्मान के लिए उन्हें ऐसे ही गाना उचित रहेगा।
15:08उन्होंने यह भी कहा कि बाद में जोडे गए अंतरों का साम प्रदायक माइना निकाला जा सकता है और उस समय के माहोल में उनका इस्तमाल अनुचित होगा।
15:20इसके बाद 28 अक्तूबर 1937 में कॉंग्रेस की कार्य समिती ने अपने प्रस्ताव में वंदे मात्रम को राश्ट्रगीत घोशित किया।
15:33इस प्रस्ताव के ये सभी महापूरश इस प्रस्ताव से सहमत थे।
16:03आगे क्या होता है ये भी सुना लो।
16:09भारत की आजादी के बाद जब इसी गीत के इन ही दो अंतरों को 1950 में डॉक्टर राजेंद्र प्रशाद जी ने सम्विधान समिती में भारत का राश्ट्रगीत घोशित किया।
16:23तब लगभग यही महापूरश मुझूद थे।
16:27इनके साथ साथ बी आरम बेटकर जी भी सभा में थे।
16:31और इनके साथ साथ मेरे सत्ता पक्ष के साथियों के नेता श्री श्रामा प्रसाद मुकर जी भी मौझूद थे।
16:39वही दो अंतरे राश्ट्रगीत घोशित किये।
16:44किसी ने कोई आपत्ती जारी नहीं की।
16:47कोई आपत्ती नहीं जताई।
16:49वैसे इन तत्यों के साथ जुड़ा एक और तत्य भी है।
16:53जो मैं यहाँ पे आपके सामने रखना चाहती हूँ।
16:57आज हम अपने राश्ट्रगीत पर बहस कर रहे हैं।
17:00लेकिन हमारा राश्ट्रगान भी एक कविता का एक अंश ही है।
17:05एक लंबी कविता का एक अंश है।
17:09और इन दोनों राश्ट्रगीत और राश्ट्रगान के अंश को चुनने में
17:14सबसे बड़ी भूमिका गुरुदेव रविंद्र नात्र टगोर की थी।
17:19बंद्य मात्रम के इस स्वरूप पर सवाल उठाना, जिसे समविधान सभा ने स्विकार किया, न सिर्फ उन महाश पूश्चों का अपमान करना है, जिन्होंने अपने महान विवेक से ये नेन्ने लिया, मगर एक समविधान विरोधी मन्शक को भी उजादर करता है।
17:49जी से, बाबा साब अंबेतर जी से, मौलाना अजाद जी से, सरदार पटेल जी से, सुभार चंदर बोस जी से, बड़ा समझने लग गए हैं।
18:19वन्दे मातरन को विभाजित करने का अरोप लगा कर, आप पूरी समविधान सभा पर अरोप लगा रहे हैं।
18:28उसके हर एक नेता को दोशी ठहरा रहे हैं। यह हमारी समविधान सभा और हमारे समविधान का खुला पर खुला वार है।
18:38और जहां तक जवालाल नहरूजी की बात है, जितनी देर आपके हमारे प्रधान मंत्री, देश के प्रधान मंत्री रहे हैं।
18:48लगभग उन्ही उतने ही सालों के लिए जवालाल नहरूजी जेल में रहे हैं।
18:56किस लिए इस देश की आजादी के लिए। उसके बाद 17 साल के लिए प्रधान मंत्री रहे। आप बड़ी अलोचना करते हैं इनकी।
19:06लेकिन अगर इनहें ने इसरू नहीं बनाया होता तो आज आपका मंगल यान नहीं होता।
19:26अगर एम्ज नहीं बनाया होता तो हम करोना का कि जब बड़ी चंश्की का सामना कैसे करतेない ?
19:34इसका मतलब है इसका मतलब है मुद्दे का जवाब नहीं है आपके पास
19:45अगर इन्होंने भी हेल गेल सेल बाकरा नंगल यह सब नहीं बनाया होता जो आप सब बेज रहे हैं
19:58तो यह विक्सित भारत कैसे बनता
20:02पंडित जवाला नहरू इस देश के लिए जिए और देश की सेवा करते करते उन्होंने दम तोड़ा
20:20पिर भी पिर भी सुन लीजिए मेरी एक सला ले लीजिए मेरी एक सला ले लीजिए
20:29सर में आपके माधियम से एक सला दे देती हूं
20:40हमारे प्रधान मंत्री महोद है बारा सालों से सदन में है मैं मात्र बारा महीनों से हूं
20:47फिर भी छोटी सी सला है उन्होंने अभी हाली में चुनाओ था कुछ महीनों पहले उन्होंने एक सूची निकाली थी
20:55कि विपक्षी दलों ने और विपक्ष के नेताओं ने कितने अपमान किये है ने इनके
21:01और उसमें सायद 9999 ऐसे उन्होंने अपमानों की सूची बनाई थी
21:06तो मैं उनको एक छोटी सला देना चाहती हूं
21:09कि नहरुजी से जितनी भी शिकायते हैं
21:11जितनी भी गल्तियां उन्होंने की आपके जहन पे
21:14जितनी भी गालियां देनी हैं
21:16जितना भी अपमान करना है उसकी भी एक सूची बना दीजिए
21:19नहीं बात फतम नहीं है
21:21999 अपमान, 999 अपमान सूची बना दीजिए
21:26और फिर हम एक समय निर्धारित करते हैं
21:30जैसे हमने 10 गंटे आज वंदे मातरम पर हमने बैस किया है
21:34उस तरह से हम अध्यक्ष माओदे जी से पूछेंगे
21:38एक समय निर्धारत करेंगे
21:4010 गंटे, 20 गंटे, 40 गंटे
21:43जितने गंटों में आपकी ये शिकायत पूरी हो जाए
21:47आप शांत हो जाए और हम बहस कर लेंगे
21:51लेकिन इस सदन का कीमती समय
21:54जिसके लिए हमें यहां पर जनता ने भेजा है
21:57जैसे हमें जनता की समस्याओं को खल करने के लिए
22:02चर्चा करनी चाहिए, इस्तमाल करना चाहिए
22:05उसको एसी के लिए इस्तमाल करिए उसके बाद
22:08जैसे अंग्रेजी में कहते हैं
22:10जैसे अंग्रेजी में कहते हैं
22:13जैसे अंग्रेजी में कहते हैं कि
22:16Once and for all, let's close the chapter.
22:21Close कर लीजिए.
22:22देश सुन लेगा, क्या-क्या शिकायते हैं,
22:25किसने क्या किया, इंद्रा जी ने क्या किया,
22:27राजीर जी ने क्या क्या क्या,
22:28परिवारवाद क्या होता है,
22:30नेहरु जी ने कौन सी गल्तियां की,
22:32सुना लीजिए फिर खतम उसके बाद बेरोजगारी महंगाई
22:36अब आपकी समझाए जो पीमो में हो रहा है उसकी बार दे उसकी चर्चा जो बेटिंग आपके बारी में हो रहा है पीमो के अंदर
22:49आप अबिसलाशी प्लीज आपकी मंत्री महोदय के नाम निकलाए है उसकी चर्चा करें है आप इस डाइवर्ट पातो है
23:03आप एक थाहट करगा, भीक करें वाट।
23:33इनुच्छ नीये थे, आप बिना दित्यों के कोई बात नीग करें,
23:53आप बेलम के बना देत्यों के कोई बात नी रें,
23:56आपकी बात मानती हूँ, लेकिन बिना तच्छे के बहुत सालों के लिए ये हम पर आरोप डाल रहे हैं
24:14हम चुप-चाप सुनते हैं, इनको भी थोड़ा सा, थोड़ी से संतुलन होनी चाहिए, सुनने की थोड़ी से हिम्मत होनी चाहिए, ये राजवीती है
24:24महोदे, आज की ये बहत सिर्फ ध्यान भटकाने के लिए की जा रही है, क्योंकि ये सरकार इस देश के वर्तमान की असियत चिपाना चाहती है
24:43आज देश का युवा कितना परेशान है, कितनी मुश्किल में है, पेपर लीक होते रहते हैं, बेरोजगारी है, महंगाई इतनी बढ़ चुकी है, इसकी चर्चा हम सदन में क्यों नहीं कर रहे हैं?
25:00आरक्षन के साथ जो हो रहा खिलवार है, उसकी चर्चा हम यहां क्यों नहीं कर रहे हैं? महिलाओं की बात होगी, बड़े-बड़े ऐलान होंगे, मगर उनकी परिस्थितियों को सुधारने के लिए कोई ठोज कदम यहां क्यों नहीं उठाया जा रहा है? इन्ही दर्वाज
25:30आप उदर की बात बतो आप सदन में जो कुछ भी बोले हैं वा तथ्यों से बोले हैं आपको हर सीज ओठंटिक करनी पड़ेगी इसलिए आप तथ्यों से बोले हैं
25:44अच्छा सर बड़ी बड़ी शेहरों में प्रदूशन हैं लेकिन हम इस सदन में बैठका सिर्फ छोटी छोटी बाते करेंगें जी जो अतीद की बाते हैं ना जो बार आप चाहते हैं कि हम पीछे देखें लेकिन हम आगे भविष्य की बात वर्त्मान की बात जो असली समस्
26:14और राजनीती ने इवेंट मेनेजमेंट की राजनीती द्क भूंडऑता को राजनीती ऊद्वन की राजनीती है।
26:42Event Management की राजनीती ए।
26:44चुनाव से चुनव तक राजनीती।
26:47तरह तरह के ध्यान बटकाने वाले मुद्दों की राजनीती है।
26:50Vandemaatram-चना outsAKा ने टीरो गवहर lovers एक जैने आपका श्यासन हर रोज थुक्रा रहा है।
26:59आज भी सरहत पर जब दुश्मन का सामना करता है तो उसकी छाती में बंदे मातरम गुंचता है
27:17आज भी जब हमारा खिलाडी अंतर राश्टिक खेलों में जाता है तो उसके दिल की धर्कन में बंदे मातरम होता है
27:27आज भी इस देश के करोड़ों देशवासी जब अपने राश्ट ध्वज को फेराते हुए देखते हैं तो उनकी जबान पर बंदे मातरम बंदे मातरम आता है
27:43कॉंग्रिस कॉंग्रिस के हर एक अधिवेशन में 1905 से लेकर राज तक सांभू एक तोर पर बंदे मातरम नाया जाता है
27:56अपने देश की इस आत्मा की अपने देश की आत्मा के इस मा मंत्र को विवादित करते करके आप एक बहुत बड़ा पाप कर रहे हैं
28:15इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस पाप में, इस प
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