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  • 2 hours ago
आज के दौर में जब युवा नौकरी के पीछे भाग रहे हैं. असम के डिब्रूगढ़ के गौतम बोरदोलोई ने अपने सपनों को पंख देने के लिए चीन में स्टील इंडस्ट्री की नौकरी छोड़ दी. लेकिन इनकी कहानी किसी नाव से शुरू नहीं होती. लैरा हाईस्कूल से पढ़ाई करने के बाद हायर स्टडीज के लिए कोलकाता का रुख किया. काम के सिलसिले में झारखंड के जमशेदपुर गए. फिर 2005 में चीन . स्टील मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी में डिप्टी मैनेजर के बने. US, कनाडा, त्रिनिदाद और कजाकिस्तान में  प्रोजेक्ट्स देखे. लेकिन देश से नाता जुड़ा रहा. बोगीबील में बह्मपुत्र पर पुल बना. गौतम का मन इसके तट पर उलझ गया. सुनसान घाट इनके मन को कचोटने लगे. फिर क्या था, कुछ करने की ठानी.कोविड के दौरन नौकरी छोड़ देश वापसी की. महीनों तक घर में बंद रहे. लेकिन मन बोगीबील में ही भटकता रहा. चुपचाप एक नाव बनाना शुरू किया . महामारी के बाद लोग धीरे-धीरे महामारी की उदासी से बाहर निकले.गौतम की नाव तैयार थी. नाम दिया कंजनजंगा. जिसका उद्घघाटन किसी और ने नहीं बल्कि म्यूज़िक आइकॉन स्वर्गीय ज़ुबीन गर्ग ने किया. एक साल के अंदर, नाव सेंसेशन बन गई. भारत और विदेश से टूरिस्ट बोगीबील में रिवर क्रूज़ एक्सपीरियंस लेने के लिए आने लगे.किसी को उम्मीद नहीं थी कि ये इलाका ऐसा चमक जाएगा. जल्द ही, दूसरों ने भी गौतम के मॉडल को कॉपी करने की कोशिश की. कॉम्पिटिशन बढ़ गया. मात देने के लिए गौतम ने एक दो मंज़िला फ्लोटिंग रेस्टोरेंट बनाया. जो 105 फीट लंबा और 40 फीट चौड़ा था. ऐसा माना जाता है कि यह असम की अपनी तरह की सबसे बड़ी बोट है. जिसे ज़बरदस्त रिस्पॉन्स मिला. जिससे बोगीबील राज्य में रिवर टूरिज़्म का नया चेहरा बन गया.  गौतम के वेंचर में लगभग 20 युवा परमानेंट काम करते हैं. जबकि 30-40 और लोग नावों पर हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग लेते हैं. गौतम कहते हैं कि कई स्टूडेंट्स के पास डिग्री तो है. लेकिन उनमें टेक्निकल स्किल्स की कमी है. यहां उन्हें असली ट्रेनिंग मिलती है  और आत्मनिर्भर बन रहे हैं. 

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Transcript
00:00असम की बोगी बील में आज जो चहल पहल दिखती है
00:06वो किसी सरकारी प्रोजेक्ट का कमाल नहीं, बलके एक शक्स की सोच की देन है
00:13105 फिट लंबा और 40 फिट चौड़ा, असम का सबसे बड़ा फ्लोटिंग बोट रेस्टोरेंट
00:20यही है गोतम बोर्दिलोई की पहचान और उनकी सबसे बड़ी उपलब्धी
00:26जिनोंने ब्रह्मपूत्र के तटको रिवर टूरिजम की नई मंजिल बना दिया
00:30लेकिन ये कहानी यहां से शुरू नहीं होती
00:33लेरा हाइ स्कूल के साधान छात्र से चीन की इस्टिल इंडस्ट्री में डिप्टी मैनीजर तक का सफर
00:39चीन, अमेरिका, कनाडा, त्रिनिदाद और कजाकिस्तान
00:44दुनिया की कैई बड़ी साइट्स पर प्रोजेक्ट समाले
00:47कैरियर अपने शुकार पर था, लेकिन दिल ब्रह्मपोत्र के खामोशी में आटका था
00:53सब्सक्राइब दुनिया के लिए जिए बगईविल दलंखन अरमभ हो जा पिसात
00:59जीतु वियस्ता घात असलिया, बगईविल ओलगाट एटो हमपुन न जनोखुन न हो पुई शिल
01:06बगईविल ब्रिजबना और नदी के किनारे की विरानी ने गोतम के मन में तै कर दिया कुछ बदलना है
01:33और यहीं बदलना है
01:36गोतम कोविड के दुरान नौकरी छोड़कर भारत लोटाए
01:41घर में बंद रहकर उन्होंने चुपचाप एक नाव तैयार करना शुरू कर दी
01:45महीनों की मेहनत के बाद जनम हुआ कंजन जंगा का
01:49जिसका उद्गाटन किया असम के म्यूजिक लिजेंड स्वर्गय जुबिन गर्ग ने
01:54एक साल में ही कंजन जंगा बोगी बील की पहचान बन गई
02:19भारत ही नहीं विदेशों से भी टूरिस्ट यहां रिवर क्रूज का अनुभव लेने आने लगे
02:24लोगों ने गोतम का मॉडल कॉपी करने की कोशिस की
02:27लेकिन जवाब में गोतम ने उस पर एक नई कहानी लिख दे
02:31असम की सबसे बड़ी दो मंजिला फ्लोटिंग रेस्टोरेंट बोट
02:35इसे मिला जबरजस्त रेस्पोंस और बोगी बील रिवर टूरिजम का नया चेहरा बन गया
02:42आज उनके वेंचर में करीब 20 युवा स्थाई रूप से काम करते हैं
03:07और 30 से 40 शात्र हाथो हाथ टेक्निकल ट्रेनिंग ले रहे हैं
03:11गोतम कहते हैं कि डिगरी सब के पास है लेकिन असली स्किल की कमी है और यहां उनके स्किल्स की असली पढ़ाई होती है
03:19एक नाव से शुरू हुई यात्रा आज कई सपनों को दिशा दे रही है
03:26ब्रह्म पुत्र के लहरों में दोरते इन क्रूज में सिर्फ हवा नहीं उम्मीद भी बह रही है
03:31Bureau Report ETV भारत
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